हिम रंग महोत्सव-2016- के चौथे दिन नाटक ‘‘आधे-अधूरे’’ और लोकनाट्य ‘बांठड़ा’’ मंचित
दिनांक 23 मार्च,2016 को प्रातः ग्यारह बजे गेयटी सेमीनार कक्ष में दिनांक 23 मार्च,2016 शाम पांच बजकर तीस मिनट में उत्सव
शिमला- आज की प्रस्तुुति में केबीडीएस रंगमंच शिमला द्वारा नाटक ‘‘आधे-अधूरे’’ मंचित किया किया। जिसके लेखक मोहन राकेश तथा निर्देशक सुश्री देवेन जोशी है। ‘‘आधे-अधूरे’’ नाटक समकालीन व यर्थाथपरक नाटक है। इस नाटक की एक महत्वपूर्ण विशेषता इसकी भाषा है इसमें वह सामथ्र्य है जो समकालीन जीवन के तनाव को पकड़ सके।
आधे-अधूरे एक स्त्री-पूरूष के बीज के तनावों का दस्तावेज़ है। इस परिवार की मुख्य पात्रा सावित्री एक बेल की भांति है जो अपने जीवन में एक पुरूष की तलाश में है जो सम्पूर्ण पुरूष हो। इसलिए इस नाटक की लेखनी इस प्रकार है कि पुरूष पात्र का कोई नाम नहीं है बस पुरूष एक,दो व तीन है। इसमें पुरूष पात्र का स्वरूप,भाव व चेहरा बदल रहा है परन्तु स्त्री पात्र की परिस्थिीतियां,स्थान व समय नहीं। पुरूष सम्पूर्ण नाटक में एक अनिश्चित पात्र होते हुए भी एक निश्चित पात्र है। सावित्री का महेद्रं नाथ का अधिक नज़दीक से जानने से अब उससे वितृष्णा होने लगी है। क्योंकि जीवन से सावित्री की अपेक्षाएं बहुमुखी और अनन्त है पर यह अकांक्षा पूरी नहीं हो पाती, क्योंकि सम्पूर्णता की तलाश ही वाजि़ब नहीं।
पुरूष एक सावित्री का पति महेद्रं नाथ का गुबार कुछ इस तरह से निकलता है। परिवार के सभी सदस्यों के द्वारा हर वक़्त की धुत्कार, हर वक़्त की कोचं बस यही कमाई है मेरी इतने सालों की। वह कहता है कि आज घर में उसकी हालत बस एक नौकर के समान है। अब वह केवल रबर स्टेम्प का टप्पा है जो सिर्फ घिसता चला जाता है। वह अपनी पत्नी के पुरूष मित्रों को जानता है और कभी-कभी उनका जि़क्र करके अपने दिल की भड़ास निकालता रहता है।
यह नाटक एक पारिवारिक विघटन की गाथा भी है। एक अभिशप्त कुटुम्ब जिसका हर पात्र अपने जीवन में आधा-अधूरा है व इस भव सागर में निर्जन सा जीवन जी रहे है। कहानी एक विशेष परिवार की है जिसकी परिस्थितियां विशेष है और सभी सदस्य उन्हीं उल्लझनों में उल्लझे रहते हैं अपने-अपने अस्तिव की तलाश में सभी के विचार हर घड़ी एक-दुसरे से टकराते रहते है।
एक अन्य स्तर पर यह नाटय-रचना मानवीय सन्तोष के अधूरेपन का रेखांकन है। जो जीवन में सम्पूर्णता को प्राप्त नही कर पाते।
‘‘हिम रंग महोत्सव-2016’’ की पहली कड़ी में दोपहर बाद संवाद युवा मण्डल, मण्ड़ी द्वारा सुप्रसिद्ध लोकनाट्य ‘‘बांठड़ा’’ गेयटी सांस्कृतिक परिसर के खुले रंगमंच एम्फी थियेटर में प्रस्तुत किया गया। हिमाचल प्रदेश में जहां 25-30 किलोमीटर बाद भाषा के स्वरूप में अन्तर आ जाता है वहीं लोकनाट्यों के नाम उन्हें अभिनीत करने की शैली भी बदल जाती है। लोकधर्मी नाट्य परम्परा बांठड़ा मण्डी में बहुत प्रचलित है।
बांठड़ा में पौराणिक मिथकों की कथा,सामाजिक,धार्मिक,सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक घटनाओं के अंश लोकनाट्य बांठड़ा के माध्यम से दर्शाए गए हैं। भारतीय नाट्य विधाओं में एक बहुत महत्वपूर्ण विधा रही स्वाँग, जिसमें कलाकार सामाजिक कुरितीयों पर बहुत साधारण और सटीक तरीके से मजाक-मजाक में तीखे प्रहार करते हैं। इतिहास गवाह है कि ऐसे प्रदर्शनों में कलाकारों ने राजाओं तक पर तीखे प्रहार किए हैं। यह विधा अलग-अलग प्रांतो में अलग नामों से जानी जाती है।
सरकारी स्कूलों में प्रवेश प्रक्रिया के दौरान अध्यापकों ने परिजन और बच्चों को कोरोना संक्रमण व बचाव से करवाया अवगत
मंडी-बस सेवायें बंद होने के बावजूद हिमाचल प्रदेश सरकार ने पिछले सप्ताह ऑफलाइन प्रवेश प्रक्रिया शुरू कर दी। इसी कारण परिजनों और बच्चों और अध्यापकों को स्कूलों तक पहुँचने में दिक्कत का सामना करना पड़। स्कूलों में छात्रों और उनके परिजनों के बीच उचित दूरी बनाये रखना और उनके हाथ बार-बार सैनिटाइज करवाना भी स्कूलों के आगे एक चुनौती थी।
इस प्रवेश प्रक्रिया के दौरान राजकीय आदर्श कन्या वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला सुंदर नगर में भी 12 मई 2020 से 16 मई 2020 तक ऑफलाइन प्रवेश का दौर रहा। इस दौरान प्रधानाचार्य मनोज वालिया व समस्त स्टाफ ने बच्चों तथा अभिभावक गण को कोरोना वायरस के संक्रमण व उससे बचाव के बारे में अवगत करवाया।
प्रधानाचार्य मनोज वालिया ने जानकारी देते हुए कहा कि पाठशाला की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई की कार्यक्रम अधिकारी ललिता बंगिया व राजकुमारी तथा स्वयंसेवी छात्राओं ने नए सत्र की कक्षा में प्रवेश हेतु आई छात्राओं व उनके अभिभावकों को सामाजिक दूरी को बनाए रखने की व्यवस्था की गई तथा प्रवेश हेतु आई हुई छात्राओं व अभिभावकों के हाथ समय-समय पर सैनिटाइज करवाए गए।
होटल ईस्टबोर्न के 120 मजदूरों का इपीएफ 2016 के बाद नहीं हुआ जमा, ब्रिज व्यू रीजेंसी, ली रॉयल, तोशाली रॉयल व्यू रिजॉर्ट, वुडविले पैलेस में भी इपीएफ में गड़बड़
शिमला-आज दिनांक 22 अगस्त को हिमाचल के अलग-अलग होटलों से 200 कर्मचारियों ने ईपीएफओ विभाग के बाहर धरना प्रदर्शन कियाI
कर्मचारियों का कहना है कि यह धरना प्रदर्शन शिमला शहर के विभिन्न होटलों में इपीएफ की समस्याओं को लेकर किया गया जिसमें मुख्य समस्या होटल ईस्ट बोर्न, होटल ब्रिज व्यू रीजेंसी, होटल ली रॉयल, होटल तोशाली रॉयल व्यू रिजॉर्ट, होटल वुडविले पैलेस की हैI
हिमाचल होटल मजदूर लाल झंडा महासचिव विनोद ने कहा कि ईस्टबोर्न में लगभग 120 मजदूर कार्यरत है जिसका इपीएफ 2016 से प्रबंधन द्वारा अभी तक जमा नहीं किया गया है और वैसा ही हाल ब्रिज व्यू में भी हैI
वहां पर भी एक साल से प्रबंधक द्वारा पीएफ का पैसा जमा नहीं किया गया हैI विनोद ने कहा कि वही होटल ले रॉयल में मजदूरों का पीएफ का पैसा जिस एक्ट के तहत कटना चाहिए था वह मालिक नहीं काट रहा है और होटल ली रॉयल का इपीएफ वेस्ट बंगाल में जमा किया जाता है जिससे मजदूरों को समस्या का हो रही हैI विनोद ने कहा कि तोशाली में भी मजदूरों का पीएफ के पैसे में कटौती की जा रही है जोकि यूनियन को बिल्कुल मंजूर नहीं होगाी
विनोद ने कहा कि यूनियन ने पीएफ कमिश्नर को इन समस्याओं से अवगत करवाया और पीएफ कमिश्नर ने वादा किया कि 31 अगस्त तक सभी होटलों में प्रबंधन द्वारा की जा रही गड़बड़ियों की पूरी जांच की जाएगी और जहां भी मालिक को द्वारा मजदूरों का पैसा जमा नहीं किया जा रहा है उन मालिकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगीI
इस प्रदर्शन में सीटू राज्य सचिव विजेंद्र मेहरा, सीटू जिला सचिव अजय दुलटा, सीटू जिला प्रधान कुलदीप डोगरा, सीटू जिला उपाध्यक्ष किशोरी डलवालिया,अध्यक्ष बालकराम, कोषाध्यक्ष पवन शर्मा व अन्य साथी कपिल नेगी विक्रम शर्मा सतपाल राकेश चमन मौजूद थे
शिमला जिला में सड़क मार्ग सुचारू न होने से सेब सड़ने की कगार पर, बागवानों को सेब मंडियों तक पहुंचाने में में आ रही परेशानी
शिमला-हिमाचल प्रदेश में पिछले दिनों हुई भारी वर्षा से बहुत क्षति हुई हैी इस दौरान 63 जाने गई हैI प्रदेश में आज सैंकड़ो सड़के बन्द पड़ी है राष्ट्रीय उच्चमार्ग व अन्य मुख्य मार्गो पर भी सफर अभी तक जोखिम भरा है। इस आपदा से प्रदेश के लगभग सभी जिले प्रभावित हुए हैं परन्तु शिमला,कुल्लू, सिरमौर, किन्नौर,हमीरपुर, बिलासपुर, सोलन आदि जिले सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। अधिकांश क्षेत्रों में बिजली, पानी व सड़के सुचारू नही है। जिससे क्षेत्र के बागवानों को सेब मण्डिया तक पहुंचाने में बेहद परेशानी हो रही हैी
यह कहना है भारत की कम्युनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी) की ज़िला कमेटी शिमला के सचिव व पूर्व मेयर संजय चौहान का। उन्होंने प्रदेश सर्कार से इस क्षति का तुरंत आंकलन करवा कर इसकी क्षतिपूर्ति की मांग की है।
उन्होंने कहा कि शिमला जिला के चौपाल, रोहड़ू, रामपुर व ठियोग तहसीलों में अधिक जान व माल की क्षति हुई है। आज भी चौपाल, चिढ़गांव रामपुर तहसील के अधिकांश क्षेत्र अन्य हिस्सों से कटे हुए हैं। शिमला जिला में अधिकांश सम्पर्क मार्ग या तो बन्द है या सुचारू रूप से कार्य नहीं कर रहे हैं। जिला में सेब का सीजन पूरे यौवन पर है तथा सड़को का सुचारू रूप से कार्य न करना बागवानों के लिए बड़ी परेशानी का सबब बना हुआ है। सड़क मार्ग सुचारू न होने से सेब सड़ने की कगार पर आ गया है।
चौहान ने कहा कि रोहड़ू – देहरादून वाया हाटकोटी मार्ग बंद होने से बागवानों को बेहद परेशानी उठानी पड़ रही है क्योंकि जुब्बल,रोहड़ू,चिढ़गांव आदि क्षेत्रों से अधिकांश सेब इसी मार्ग से मण्डिया में भेजा जाता है।
पार्टी ने मांग की है कि आपदा से हुई इस क्षति का आंकलन तुरंत करवाया जाए तथा प्रभावितों को इसका उचित मुआवजा तुरंत दिया जाए। इसके अतिरिक्त बन्द पड़े सभी मुख्य व लिंक मार्गो को तुरंत खोला जाए ताकि बागवानों को उनका सेब मण्डिया तक पहुचाने में आ रही परेशानी को समाप्त किया जाए। चौहान ने कहा कि यदि सरकार समय रहते कदम नहीं उठती तो पार्टी आंदोलन के लिए मजबूर होगी।