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किन्नौर का अस्तित्व बचाने के लिए एकजुट हुए हज़ारों लोग, जिले में जल विद्युत परियोजनाओं को रद्द करने लिए उठी आवाज़

किन्नौर- प्रदेश के किन्नौर जिले में विद्युत परियोजनाओं के निर्माण के विरोध में व किन्नौर के अस्तित्व को बचाने के लिए किन्नौर के लोग एकत्रित हो गए हैं। गुरुवार को जनजातीय जिला किन्नौर के जिला मुख्यालय रिकांग पिओ में हजारों जनजातिओं ने अपने अस्तित्व को बचाने के लिए आह्वान रैली व जन सभा कर अपनी एकजुटता का प्रदर्शन किया। जिले के युवाओं द्वारा चलाये जा रहे लोकप्रिय “नो मीन्स नो” अभियान व हाल में बटसेरी व निगुलसेरी में हुये भू-स्खलन समूचे किन्नौर को एकजुट करने के मुख्य कारण रहे हैं।
जन सभा के दौरान किन्नौर जिला में सतलुज नदी में सभी प्रस्तावित जल विद्युत परियोजनाओं को निरस्त करने की मांग जोरों से उठाई गयी। 804 मेगावाट जंगी ठोपन परियोजना के विरोध में बात रखते हुये जंगी संघर्ष समिति के रोशन लाल नेगी ने कहा की ‘प्रशासन, सरकार और वैज्ञानिकों के साथ बहुत बात चीत हो चुकी है। वैज्ञानिक इन आपदाओं को लगातार कुदरती बताते हुये जल विद्युत परियोजनाओं को क्लीन चिट देते आए हैं। परंतु जंगी ठोपन परियोजना का क्षेत्र खदूरा भूस्खलन का बड़ा ज़ोन है और ऐसे में किसी प्रकार कि छेड़ छाड़ करना इलाके और यहाँ के निवासियों के लिए घातक साबित हो सकता है।
हंगरंग संघर्ष समिति के सदस्य शांता कुमार नेगी ने कहा कि जल विद्युत परियोजनाओं का विरोध करने पर राष्ट्र विरोधी जैसे लेबल स्थानीय लोगों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं पर लगा कर कंपनी और प्रशासन मिल कर जनता को डराना और तोड़ना चाहते हैं।
पूंजीवादी मुनाफाखोर विकास कि अंधी दौड़ में न केवल पर्यावरण का विनाश हुआ बल्कि देश के अंदर असमानताएँ भी बढ़ीं हैं। इस मॉडल में कंपनियों का दबदबा चलता है और राजनैतिक पार्टियां इनके लिए बिचौलिये का काम करती हैं।
“हमारे संसाधनों का बड़े पैमाने पर निजीकरण हो रहा है और इससे मुट्ठी भर कंपनियों का विकास हो रहा है और आम जनता को अपनी आजीविकाओं से हाथ धोना पड़ रहा है।”
हिमधरा पर्यावरण समूह कि मांशी आशर ने कहा कि हिमालय नीति अभियान के गुमान सिंह ने सम्पूर्ण हिमालय क्षेत्र में विनाशकारी विकास के मॉडल पर सवाल उठाते हुये कहा कि अगर आज सत्ता में बैठी सरकार ने किन्नौर में बांधों पर रोक नहीं लगाई तो इतिहास में उन्हें कातिल माना जाएगा ।
हिमाचल के जन जातीय क्षेत्रों में वन अधिकार कानून 2006 और नौतोड़ को लागू करने में सरकार के निराशाजनक रवैये पर भी मंच पर सभी वक्ताओं ने बात रखी। ज़िला वन अधिकार समिति के अध्यक्ष जिया लाल नेगी ने प्रशासनिक अधिकारियों पर निशाना दागते हुये कहा कि उनको कानून के प्रावधानों और मूल्यों के बारे में कोई समझ नहीं है। जल जंगल जमीन पर कानूनी अधिकार दोनों पेसा और वन अधिकार कानून देते हैं और इनको लागू करने की मांग पिछले कई वर्षों से हिमाचल के जन जातीय क्षेत्र के लोग उठा रहे हैं। “किन्नौर का संघर्ष पूरे जन जातीय क्षेत्र का आंदोलन है और लाहौल और स्पीति के लोग अपना पूरा समर्थन करते हुये इस आंदोलन को बाकी जन जातीय जिलों में भी आगे ले जाएंगे’, स्पीति सिविल सोसाइटी के ताकपा तेंजिन और सोनम तारगे ने कहा।
जंगी क्षेत्र की निवासी और ज़िला परिषद सदस्य प्रिया ने कहा कि किन्नौर का यह आंदोलन पार्टीबाजी से ऊपर उठ कर किन्नौर के अस्तित्व के लिए लड़ा जाएगा। खदरा गाँव और रारंग संघर्ष समिति के सुंदर नेगी ने मंच से आह्वान किया कि अगर सरकार ने हमारी मांग नहीं माने तो आने वाले चुनावों में इसका परिणाम किन्नौर कि जनता दिखा देगी। जनजातीय जिला होने के बावजूद जनजातीय कानूनों को ताख पर रख कर गैर जनजातीय व्यक्ति को जनजातीय संपत्ति का हस्तांतरण का मुद्दा भी खासा गरम और स्थानीय लोगों में रोष देखने को मिला। जन सभा के बाद जिला प्रशासन के माध्यम से प्रदेश के मुख्यमंत्री को 7 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन प्रेषित किया गया।
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सनवारा टोल प्लाजा पर अब और कटेगी जेब, अप्रैल से 10 से 45 रुपए तक अधिक चुकाना होगा टोल

शिमला- कालका-शिमला राष्ट्रीय राजमार्ग-5 पर वाहन चालकों से अब पहली अप्रैल से नई दरों से टोल वसूला जाएगा। केंद्रीय भूतल एवं परिवहन मंत्रालय की ओर से बढ़ी हुई दरों पर टोल काटने के आदेश जारी हो गए हैं। जारी आदेश के अनुसार कालका-शिमला एनएच-5 पर सनवारा टोल प्लाजा पर 10 से 45 रुपए तक की वृद्धि हुई है।
टोल प्लाजा संचालक कंपनी के मैनेजर ने बताया कि 1 अप्रैल से कार-जीप का एक तरफ शुल्क 65 और डबल फेयर में 95 रुपये देने होंगे।
लाइट कामर्शियल व्हीकल, लाइट गुड्स व्हीकल और मिनी बस को एक तरफ के 105, बस-ट्रक (टू एक्सेल) को एकतरफ के 215, थ्री एक्सेल कामर्शियल व्हीकल को एक तरफ के 235, हैवी कंस्ट्रक्शन मशीनरी को एकतरफ के 340 और ओवरसीज्ड व्हीकल को एकतरफ के 410 रुपये का शुल्क नई दरों के हिसाब से देना होगा।
सनवारा टोल गेट से 20 किलोमीटर के दायरे में आने वाले वाहन चालकों को पास की सुविधा भी नियमों के अनुसार दी जाती है। इस पास के लिए अब 280 की जगह 315 रुपये प्रति महीना चुकाना पड़ेगा।
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बच्चों से खतरनाक किस्म की मजदूरी कराना गंभीर अपराध:विवेक खनाल

शिमला- बच्चों से खतरनाक किस्म की मज़दूरी कराना गंभीर अपराध है। 14 साल के अधिक आयु के बच्चों से ढाबे में 6 घंटे से अधिक काम नहीं लिया जा सकता। उन्हें तीन घंटे के बाद एक घंटे का आराम दिया जाना जरूरी है। यह बात वह उमंग फाउंडेशन द्वारा “मज़दूरों के कानूनी अधिकार, समस्याएं और समाधान” विषय पर वेबिनार में वरिष्ठ सिविल जज एवं राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अतिरिक्त सचिव विवेक खनाल ने कही।
उन्होंने कहा कि असंगठित मजदूरों के शोषण का खतरा ज्यादा होता है। देश की जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद का 50% हिस्सा असंगठित मजदूरों के योगदान से ही अर्जित होता है।
विवेक खनाल ने संगठित एवं असंगठित श्रमिकों से जुड़े विभिन्न कानूनों की जानकारी दी। उन्होंने कहा की 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को खतरनाक किस्म के कामों में नहीं लगाया जा सकता। इनमें औद्योगिक राख, अंगारे, बंदरगाह, बूचड़खाना, बीड़ी, पटाखा, रेलवे निर्माण, कालीन, पेंटिंग एवं डाईंग आदि से जुड़े कार्य शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि 14 से 18 वर्ष तक के बच्चे रेस्टोरेंट या ढाबे में काम के तय 6 घंटे तक ही काम कर सकते हैं। शाम 7 बजे से सुबह 8 बजे के बीच उन से काम नहीं लिया जा सकता।
उन्होंने बताया कि भवन निर्माण एवं अन्य कामगार बोर्ड में पंजीकृत होने के बाद श्रमिकों को अनेक प्रकार की सुविधाएं एवं सामाजिक सुरक्षा मिल जाती है।
विवेक के अनुसार असंगठित मजदूरों के लिए कानून भी काफी कम हैं। जबकि उनकी स्थिति ज्यादा खराब होती है। उन्होंने बताया कि मनरेगा के अंतर्गत काम करने वाली महिला मजदूरों के बच्चों को संभालने के लिए उन्हीं में से एक वेतन देकर आया का काम भी दिया जाता है।
राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अतिरिक्त सचिव ने कहा कि कि प्राधिकरण की ओर से समाज के जिन वर्गों को मुफ्त कानूनी सहायता दी जाती है उसमें एक श्रेणी मजदूरों की भी है।
इसके अतिरिक्त महिला, दिव्यांग, ट्रांसजेंडर, बच्चे, अनुसूचित जाति एवं जनजाति, और तीन लाख से कम वार्षिक आय वाले बुजुर्ग इस योजना में शामिल हैं। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से बद्दी में मजदूरों के लिए एक विशेष प्रकोष्ठ स्थापित किया गया है।
इसके अलावा विभिन्न जिलों में वैकल्पिक विवाद समाधान केंद्र चलाए जा रहे हैं। एक अलग पोर्टल पर सरकार ई-श्रम कार्ड भी बना रही है।
इस दौरान उन्होंने युवाओं के सवालों के जवाब भी दिए।
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हिमाचल कैबिनेट के फैसले:प्रदेश में सस्ती मिलेगी देसी ब्रांड की शराब,पढ़ें सभी फैसले

शिमला- मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में आयोजित प्रदेश मंत्रीमंडल की बैठक में आज वर्ष 2022-23 के लिए आबकारी नीति को स्वीकृति प्रदान की गई।
इस नीति में वर्ष के दौरान 2,131 करोड़ रुपये के राजस्व प्राप्ति की परिकल्पना की गई है, जो कि वित्त वर्ष 2021-22 से 264 करोड़ रुपये अधिक होगा। यह राज्य आबकारी राजस्व में 14 प्रतिशत की कुल वृद्धि को दर्शाता है।
बैठक में वित्तीय वर्ष 2022-23 राज्य में प्रति इकाई चार प्रतिशत नवीनीकरण शुल्क पर खुदरा आबकारी ठेकों के नवीनीकरण को स्वीकृति प्रदान की गई। इसका उद्देश्य सरकारी राजस्व में पर्याप्त बढ़ोतरी प्राप्त करना और पड़ोसी राज्यों में दाम कम करके होने वाली देसी शराब की तस्करी पर रोक लगाना है।
लाइसेंस फीस कम होने के कारण देसी शराब ब्रांड सस्ती होगी। इससे उपभोक्ताओं को सस्ती दरों पर अच्छी गुणवत्ता की शराब उपलब्ध होगी और उन्हें अवैध शराब खरीदने के प्रलोभन से भी बचाया जा सकेगा और शुल्क चोरी पर भी निगरानी रखी जा सकेगी।
नई आबकारी नीति में खुदरा लाइसेंसधारियों को आपूर्ति की जाने वाली देसी शराब के निर्माताओं और बॉटलर्ज के लिए निर्धारित 15 प्रतिशत कोटा समाप्त कर दिया गया है। इस निर्णय से खुदरा लाइसेंसधारी अपना कोटा अपनी पसंद के आपूर्तिकर्ता से उठा सकेंगे और प्रतिस्पर्धात्मक मूल्यों पर अच्छी गुणवत्ता की देसी शराब की आपूर्ति सुनिश्चित होगी। देसी शराब का अधिकतम खरीद मूल्य मौजूदा मूल्य से 16 प्रतिशत सस्ता हो जाएगा।
इस वर्ष की नीति में गौवंश के कल्याण के लिए अधिक निधि प्रदान करने के दृष्टिगत गौधन विकास निधि में एक रुपये की बढ़ोतरी करते हुए इसे मौजूदा 1.50 रुपये से बढ़ाकर 2.50 रुपये किया गया है।
राज्य में कोविड-19 के मामलों में कमी को देखते हुए कोविड उपकर में मौजूदा से 50 प्रतिशत की कमी की गई है।
लाइसेंस शुल्क के क्षेत्र विशिष्ट स्लैब को समाप्त करके बार के निश्चित वार्षिक लाइसेंस शुल्क को युक्तिसंगत बनाया गया है। अब पूरे राज्य में होटलों में कमरों की क्षमता के आधार पर एक समान लाइसेंस स्लैब होंगे।
जनजातीय क्षेत्रों में आने वाले पर्यटकों को बेहतर सुविधा प्रदान करने और होटल उद्यमियों को राहत प्रदान करने के लिए जनजातीय क्षेत्रों में बार के वार्षिक निर्धारित लाइसेंस शुल्क की दरों में काफी कमी की गई है।
शराब के निर्माण, संचालन, थोक विक्रेताओं को इसके प्रेषण और बाद में खुदरा विक्रेताओं को बिक्री की निगरानी के लिए इन सभी हितधारकों को अपने प्रतिष्ठानों में सीसीटीवी कैमरे लगाना अनिवार्य किया गया है।
विभाग की ओर से हाल ही में शराब बॉटलिंग प्लांटों, थोक विक्रेताओं और खुदरा विक्रेताओं में पाई गई अनियमितताओं को ध्यान में रखते हुए हिमाचल प्रदेश आबकारी अधिनियम, 2011 को और सख्त किया गया है।
राज्य में एक प्रभावी एंड-टू-एंड ऑनलाईन आबकारी प्रशासन प्रणाली स्थापित की जाएगी जिसमें शराब की बोतलों की ट्रैक एंड टेक्स की सुविधा के अलावा निगरानी के लिए अन्य मॉडयूल शामिल होंगे।
मंत्रिमंडल ने वर्ष 2022-23 के लिए हिमाचल प्रदेश राज्य पथकर नीति को अपनी मंजूरी प्रदान की है जिसमें राज्य में सभी पथकर बेरियर की नीलामी व निविदा शामिल हैं। वर्ष 2021-22 के दौरान टोल राजस्व में गत वर्ष के राजस्व के मुकाबले 20 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
मंत्रिमंडल ने हिमाचल प्रदेश आपदा राहत नियमावली, 2012 में संशोधन को अपनी मंजूरी प्रदान की जिसमें मधुमक्खी, हॉरनेट और वैस्प के काटने से होने वाली मृत्यु, दुर्घटनाग्रस्त डूबने, और वाहन दुर्घटना मंे होने वाली मृत्यु के मामलोें को राहत नियमावली के अंतर्गत शामिल किया गया है।
मंत्रिमंडल ने लोक सेवा आयोग के माध्यम से राजस्व विभाग में नियमित आधार पर सीधी भर्ती के माध्यम से तहसीलदार श्रेणी-1 के 11 पदों को भरने की स्वीकृति प्रदान की।