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लाहौल और स्पीति

काजा में स्नो फेस्टिवल का आयोजन,काॅमिक गोंपा, स्नो लेपर्ड और आईबैक्स रहे आकर्षण का केंद्र

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शिमला- काजा गोंपा में आयोजित स्नो फेस्टिवल में बर्फ से बनी कई तरह की कलाकृतियां लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहती है। यही वजह भी है कि सेंट्रल जोन के तहत काजा गोंपा में आयोजित स्नो फेस्टिवल भी लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा। इस स्नो फेस्टिवल की शुरुआत लामागणों की ओर से की गई विशेष पूजा अर्चना से की गई।

इस कार्यक्रम के मुख्यातिथि जनजातीय विकास विभाग के अतिरिक्त सचिव सीपी वर्मा ने उन्होंने स्थानीय ग्रामीणों की ओर से लगाई दशक पुराने वस्त्रों, बर्तन, और व्यजंनों की प्रदर्शनी पर कहा कि आज भी स्पिति के ग्रामीणों ने चीज़ों को सहेज कर रखा है।

वहीं डेमूल पंचायत के लिदांग गांव की नन्हीं बच्चियों ने डेनबू खेल का प्रदर्शन किया। यह खेल कई वर्षों पुरानी है। आज भी बच्च्यिां इस खेल को खेलती है। राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला काजा की छात्राओं ने लदाखी नृत्य की प्रस्तुति दी। स्पिति में शादी में दूल्हा दूल्हन किस तरह के वेशभूषा में होते है। इसका भी प्रदर्शन आयोजन में किया गया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यातिथि सीपी वर्मा ने स्नो फेस्टिवल के आयेाजन बताते हुए कहा कि सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से पूरी स्पिति की झलक देखने का मिली है। इस तरह के आयोजन से पर्यटको को आकर्षित करने में काफी मदद मिल रही है।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एसडीम गुजींत सिंह चीमा ने कहा कि स्पिति में म्यूजिम बनाने का कदम उठाया जाएगा। इसी में स्पीति के व्यजनों के लिए कैफे भी खोला जाएगा।

स्पिति का नए आयामों तक ले जाने के लिए स्पीति के लोगों को सहयोग हमेशा मिलता रहना चाहिए।

बर्फ से बनाई कलाकृतियां

स्नो फेस्टिवल के तहत काजा गोन्पा में बर्फ से कलाकृतियां स्थानीय लोगों ने बनाई थी। इसमें आईबेक्स, स्नो लेपर्ड और काॅमिक गांव का ऐतिहासिक गोंपा बनाया गया था। इसके साथ ही प्रदर्शनी के लिए बर्फ से टेवल बनाएं गए थे। ये सभी पर्यटकों के साथ साथ स्थानीय लोगों को आकर्षण का केंद्र रही।

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लाहौल स्पीति में लिंक रोड़ समेत सारे अवरूध मार्ग बहाल, पर्यटकों को छोटी गाड़ियों में न आने की सलाह

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  •  बड़ी गाड़ियों के माध्यम से काजा पहुंच सकते है पर्यटक

  •  फसलों के नुक्सान का आंकलन करने के लिए कमेटी का गठन

  •  एडीएम जीवन सिंह नेगी जी करेंगे कमेटी की अध्यक्षता

  •  50 घंटे निरंतर चला अवरूध हुए मार्गो को खुलवाने का कार्य

लाहौल स्पीति-भारी बारिश और बर्फबारी के कारण बंद हुए जिला लाहौल स्पीति के काजा से सभी मार्ग मंगलवार देर रात तक बहाल कर दिए गए है। कृषि जनजातीय एंव सूचना प्रोद्यौगिकी मंत्री डा राम लाल मारकण्डा ने बताया कि काजा से मनाली और काजा से रिकांगपिओ मार्ग पूरी तरह खोल दिया है।

बीती देर रात को छतडू से ग्राम्फू मार्ग खोला जा चुका है। इस वजह से मनाली जाने वाले सारे वाहन निकलना शुरू हो गए। वहीं जो पर्यटक मार्गो में फंसे हुए थे। उन्हें भी निकाल दिया गया है। भारी बारिश के कारण काजा से रिकांगपिओ मार्ग पूरी तरह बंद हो चुका था। लेकिन एडीएम जीवन सिंह नेगी के नेतृत्व में 18 अगस्त सुबह से मार्ग खुलवाने में लगे हुए थे। ऐसे में देर शाम तक काजा से शेगों तक बहाल कर दिया गया था।

निरंतर 50 घंटे तक मार्गो को खुलवाने का कार्य चला हुआ था। इसके चलते काजा से रिकांगपिओ मार्ग पर पागल नाला, लिदांग, अंतरगू, लिंगति, श्चिलिंग, माने डांग निपटी नाला, समदो तक पूरी तरह अब खुल चुका है। शिमला जाने वाले सभी पर्यटक मंगलवार सुबह छह बजे से जाना शुरू हो गए थे। वहीं जो वाहन सड़कों में फंसे हुए थे उन्हें भी निकाल दिया गया है।

मारकण्डा जी ने बताया कि काजा से मनाली मार्ग मंगलवार देर रात को बहाल कर दिया गया है। छतड़ू से ग्राम्फू मार्ग में काफी मलबे गिरे हुए थे। इस कारण सड़क पूरी तरह टूट गई थी और कई पर्यटक फंसे हुए थे। इन पर्यटकों को कुछ ही घंटों में रेस्क्यू कर लिया गया था। वहीं जब मंगलवार रात को मार्ग खुला तो तुरंत मनाली के लिए पर्यटकों को भेजना शुरू कर दिया था। बुधवार सुबह तक अधिकांश पर्यटक मनाली के लिए निकल गए।

वहीं काजा से मनाली के लिए पर्यटकों टैक्सियों में जाना शुरू हो गए है। मारकण्डा ने कहा कि भारी बारिश और बर्फबारी के कारण जो नुक्सान फसल का हुआ है। उसका आंकलन करने के लिए निगरानी कमेटी का गठन किया गया है। इस कमेटी की अध्यक्षता एडीएम जीवन सिंह नेगी करेंगे, जिन पंचायतों में फसल का नुक्सान हुआ है। उन गांवों में जाकर फसल के नुक्सान का आंकलन किया जाएगा। फिर इसकी रिपोर्ट तैयार करके सरकार को सौंपी जाएगी।

मारकण्डा जी ने बताया कि स्थानीय प्रशासन पल पल की रिपोर्ट भेज रहा है। अब काजा से रिकांगपिओ और काजा से मनाली पूरी तरह खुल चुका है। सामान्य जन जीवन अब बहाल हो गया है। मारकण्डा ने कहा कि मेरी लाहुल स्पीति आने वाले पर्यटकों से अपील है कि छोटी गाड़ियों के माध्यम से न आए। बल्कि बड़ी गाड़ियों के माध्यम से यहां आए। ताकि यहां पहुंचने में किसी प्रकार की कोई दिक्कत पेश न आए।

वहीं उन्होंने बताया कि पिन वैली फंसी मटर की खेप अब मंडी पहुंचना शुरू हो गई है। वहीं स्पीति के सभी लिंक रोड़ बहाल हो चुके है।

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हिमाचल में सेना के अधिकारीयों से रिश्वत की मांग करने पर 18 पुलिस कर्मी निलंबित

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ऑनलाइन शिकायत में कहा गया है कि सैन्य काफिले में शामिल वाहनों को जल्दी आगे भेजने के लिए इन पुलिस कर्मियों ने रिश्वत मांगी

शिमला- लाहौल-स्पीति के एसपी गौरव सिंह ने 18 पुलिस कर्मियों को निलंबित कर दिया है। इन पुलिस कर्मियों को सेना की कानवाई का काफिला लेकर लेह से वापस आ रहे कैप्टन स्तर के एक सैन्य अधिकारी की ऑनलाइन शिकायत पर निलंबित किया गया है। ये सभी पुलिस कर्मी कोकसर, दारचा और सरचू में बैरियरों पर तैनात थे।

यह घटना 26 जुलाई की है,जब उक्त सैन्य अधिकारी लेह से सरचू पहुंचे तो यहां पर तैनात पुलिस कर्मियों ने अधिकारी से 200 रुपए रिश्वत के तौर पर लिए। इस दौरान जब उक्त अधिकारी ने अपना परिचय दिया तो पुलिस कर्मियों ने उनसे लिए 200 रुपए वापस कर दिए।

दारचा में भी पुलिस कर्मियों ने मांगी रिश्वत

इसके बाद उक्त सैन्य अधिकारी जब दारचा पहुंचे तो वहां पर भी पुलिस कर्मियों ने उनसे 200 रुपए लिए और ऐसे ही कोकसर में भी पुलिस कर्मियों ने सैन्य अधिकारी से 200 रुपए वसूल किए। ऑनलाइन शिकायत में कहा गया है कि सैन्य काफिले में शामिल वाहनों को जल्दी आगे भेजने के लिए इन पुलिस कर्मियों ने रिश्वत मांगी।

इस प्रकरण से जहां खाकी पर बट्टा लगा है, वहीं पुलिस के कारनामे का भी बड़ा खुलासा हुआ है। माना जा रहा है वाहनों को जल्दी आगे भेजने की एवज में पैसे लेने का यह क्रम लम्बे समय से चल रहा था। पर्यटक वाहनों से भी इसी तर्ज पर वसूली होती होगी।

ये पुलिस कर्मी हुए निलंबित

निलंबित पुलिस कर्मियों में कोकसर में तैनात 1 एएसआई,1 हैड कांस्टेबल और 6 कांस्टेबल शामिल हैं जबकि सरचू में तैनात 1 हैड कांस्टेबल और 4 कांस्टेबल तथा दारचा में तैनात 1 हैड कांस्टेबल और 4 कांस्टेबल शामिल हैं। ऑनलाइन शिकायत मिलते ही लाहौल-स्पीति के नए एसपी ने निलंबन आदेश जारी करने जैसी बड़ी कार्रवाई अमल में लाई है।

गलत करने वालों के लिए महकमे में नहीं कोई जगह

लाहौल-स्पीति के एसपी ने कहा कि 18 पुलिस कर्मियों को सस्पैंड कर दिया है। इस तरह की गड़बड़ी करने और विभाग को बदनाम करने वाले अन्य लोगों को भी बख्शा नहीं जाएगा और इस मामले में शिकायतकर्ता की भी जांच की जाएगी। कोकसर, दारचा और सरचू में अन्य पुलिस कर्मियों को तैनात किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हिमाचल की पुलिस ईमानदारी के लिए जानी जाती है ऐसे में गलत करने वालों के लिए महकमे में कोई जगह नहीं है।

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एचआरटीसी का नाम सबसे लंबे रूट और दुर्गम इलाकों में बस सेवा के लिए लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज

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एचआरटीसी ने सबसे लंबे रूट और दुर्गम इलाकों में बस सेवा का सफल संचालन कर इस राज्य ने लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज करवा लिया है, बेहतर सेवाओं के लिए एचआरटीसी सम्मानित

शिमला- एशिया के सबसे ऊंचे गांव किब्बर (लाहौल स्पीति, हिमाचल प्रदेश)और बर्फ से ढके रहने वाले 1245 किलोमीटर लंबे दिल्ली-मनाली-लेह रूट पर बस सुविधा देने वाले एक मात्र निगम एचआरटीसी के नाम नेशनल रिकॉर्ड भी है।

लाहौल-स्पीति का किब्बर गांव समुद्र की सतह से 14200 फीट की ऊंचाई पर बसा हुआ है। काजा से किब्बर गांव की दूरी 25 किलोमीटर है। इस संकरे और दुर्गम मार्ग से एचआरटीसी की बस 90 मिनट में यात्रियों को एशिया के सबसे ऊंचे गांव किब्बर तक पहुंचाती है। मार्ग इतना दुर्गम है कि लोग छोटा वाहन चलाने से भी डरते हैं।

दिल्ली से वाया मनाली लेह का सफर बेहद रोमांचक और खतरों से भरा है। दिल्ली से चलने वाली एचआरटीसी की बस दूसरे दिन करीब 30 घंटे सफर के बाद लेह पहुंचती है। यात्रियों के रात्रि पड़ाव की व्यवस्था जिला मुख्यालय केलांग में होती है।

इस रूट पर 13051 फीट ऊंचा रोहतांग दर्रा, 16400 फीट ऊंचा बारालाचा दर्रा और 17582 फीट ऊंचा तंगलंगला दर्रा पड़ता है। इन दर्रों को पार कर एचआरटीसी की बस यात्रियों को लेह तक पहुंचाती है। दिल्ली से लेह का किराया मात्र 1380 रुपये है। एचआरटीसी के महाप्रबंधक ऑपरेशन एचके गुप्ता ने लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड की ओर से पत्र मिलने की पुष्टि की है।

हिमाचल और जेएंडके के बर्फ से लकदक पहाड़ों से गुजरने वाला मनाली-लेह मार्ग साल में मात्र चार माह के लिए खुलता है। इन महीनों में एचआरटीसी दिल्ली से लेह के लिए वाया मनाली बस सेवा शुरू करता है। पर्यटक ही नहीं सेना के जवान भी इस सेवा का लाभ उठाते हैं।

हाल ही में रोहतांग दर्रा बहाल किया गया है। बीआरओ ने हिमाचल के सीमांत क्षेत्र सरचू तक सड़क बहाली का लक्ष्य 25 मई तक रखा है। लेह की तरफ से भी मार्ग बहाल किया जा रहा है। हर साल जून माह से इस रूट पर बस सेवा शुरू की जाती है।

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