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दक्षिण एशियाई देशों की महिला एथलीटों ने साझा की धीरज और मज़बूत इरादे की हौसला देने वाली कहानियाँ

भारत की राजधानी दिल्ली से दूर मणिपुर की रहने वाली साइखोम मीराबाई चानू के बारे में चंद दिनों पहले तक ज्यादातर भारतीय न के बराबर जानते थे
कुछ ऐसा ही हाल असम की लवलीना बोरगोहेन, पंजाब की कमलप्रीत कौर, हरियाणा की सविता पुनिया, पंजाब की गुरजीत कौर, झारखंड की सलीमा टेटे या निक्की प्रधान का था। ये सब ओलम्पिक में भाग ले रहीं महिला खिलाड़ी हैं। हाँ, पीवी सिंधू को हम सब कुछ सालों से ज़रूर जानने लगे हैं। इन स्त्रियों में कोई वज़न उठा कर पटखनी दे रहा है तो कोई मुट्ठी की कला दिखा रहा है। तो किसी ने इतना ज़ोरदार चक्का फेंका कि सबकी आँखें खुली की खुली रह गयीं। किसी की फ़ुर्ती तो किसी की पैनी निगाहें सामने वाली हॉकी खिलाड़ी के हर वार को जब नाकाम करतीं तो लोग दाँतों तले अँगुलियाँ दबाने लगते तो किसी ने बिजली सी तेज़ी दिखाई और फ़िर सुनाई दिया गोल। ये खिलाड़ी अब मशहूर हो गयी हैं।।
हालाँकि, इन महिला खिलाड़ियों को शोहरत के इस मुकाम तक पहुँचने के लिए जितनी बाधाएँ पार करनी पड़ी होंगी, उतनी किसी बाधा दौड़ के धावक को नहीं करनी पड़ती होगी। इसीलिए ये ओलम्पिक में खेल रही और झंडा गाड़ रही हमारी बेटियाँ सिर्फ़ भारत की ही नहीं, पूरे दक्षिण एशियाई खिते की स्त्रियों की फ़ख़्र की वजह हैं। आज हमारे सभी पड़ोसी मुल्क भी गर्व कर रहे है इन बेटियों की कामयाबी से महिलाओं खिलाडी की इस शोहरत के पीछे की कहानी, मंजिल तक पहुचने के इनके संघर्ष, पूरे दक्षिण एशियाई खिते की एक है।
इसी विषय पर समझ बनाने के लिए, साउथ एशिया पीस एक्शन नेटवर्क (सपन – SAPAN) पिछले दिनों दक्षिण एशियाई देशों की अनेक महिला खिलाडीयों को एक साथ जोड़ा आर उनकी ऑनलाइन मीटिंग रखी गई। लगभग 14 खिलाड़ी एक साथ आयीं।इन्होंने अपने सामने आने वाली चुनौतियों और कामयाबियों पर चर्चा की. दिल को छू लेनी वाली कहानियाँ साझा कीं. हौसला देने वाली एकजुटता दिखायी।
इस ऑनलाइन मीटिंग का विषय था, ‘खेल में महिलाएँ: चुनौतियाँ और कामयाबियाँ.’ रविवार, 25 जुलाई को आयोजित यह चर्चा दो घंटे से ज़्यादा वक़्त तक चली।
इस बैठक में भविष्य में सहयोग के लिए कई विचार आये. इसमें एक किताब तैयार करने और दक्षिण एशियाई महिला एथलीटों का एक संघ बनाने की बात भी शामिल है।
मैंने हार नहीं मानी: ख़ालिदा पोपल
अफगानिस्तान की महिला राष्ट्रीय फुटबॉल टीम की पूर्व कप्तान ख़ालिदा पोपल ने कहा, ‘जंग ने हमसे सब कुछ छीन लिया है।’
उन्होंने कहा, ‘किसी न किसी को तो कदम उठाना पड़ता. मुझे परेशान किया गया. बहुत बुरा-भला कहा गया. हमला किया गया। लेकिन मैंने हार नहीं मानी। मेरी लड़ाई सिर्फ़ मेरे लिए नहीं थी। यह मेरी बहनों के लिए था। मेरे देश की बाकी दूसरी सभी स्त्रियों के लिए था।’
ख़ालिदा पोपल ने कहा, ‘दक्षिण एशिया हमारे घर की तरह है. हमारा दर्द एक जैसा है। सिर्फ़ एक चीज़ की कमी है. वह है, हमारे बीच एकता नहीं है।’
‘सपन’ की मासिक शृंखला
खालिदा उन दर्जन भर महिला खिलाड़ियों में शामिल हैं, जिन्होंने इस वेबिनार में भाग लिया। साउथ एशिया पीस एक्शन नेटवर्क (सपन) के बैनर तले ‘इमेजिन! नेबर्स इन पीस,’ मासिक शृंखला के तहत यह चौथा वेबिनार था। इस शृंखला का शीर्षक मशहूर वेबसाइट चौक डॉट कॉम के अप्रकाशित संग्रह से लिया गया है। रविवार का यह वेबिनार ‘साउथ एशिया वीमेन इन मीडिय’ (एसएडब्ल्यूएम) के सहयोग से आयोजित किया गया. कार्यक्रम का संचालन ‘ई-शी’ पत्रिका की संपादक एकता कपूर ने किया।
भाग लेने वाले एथलीटों के साथ चर्चा का संचालन एथलीटों के अधिकारों की वकालत करने वाली प्रमुख कार्यकर्ता और जिनेवा स्थित ‘सेंटर फॉर स्पोर्ट एंड ह्यूमन राइट्स’ की निदेशक और ट्रस्टी पायोशनी मित्रा और कराची की खेल पत्रकार नताशा राहील द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।
मैं तो लड़के के भेष में क्रिकेट खेलती थी: नूरेना
अंतरराष्ट्रीय स्क्वैश खिलाड़ी नूरेना शम्स, पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिमी प्रांत के मलाकंद इलाके की पहली अंतरराष्ट्रीय महिला एथलीट हैं। खालिदा पोपल की तरह नूरेना भी जंग के बीच पली-बढ़ी हैं। नूरेना ने कहा, ‘ मेरे कानों में अब भी बमों के धमाके गूँजते हैं।’ उन्होंने कहा कि उन्हें लगता था कि वे मर जायेंगी और कभी ख़्वाब में भी नहीं सोचा था कि वे स्क्वैश खेलेंगी। वह भी इतने बड़े स्तर पर।
नूरेना ने कहा कि ऐसे क्षेत्र में जहाँ लड़कियों के लिए तालीम हासिल करना ही बहुत बड़ी जद्दोजेहद है, वहाँ कोई खेल खेलना तो कठिन ही कठिन है। उन्होंने बताया, ‘मुझे पेशावर में क्रिकेट खेलने के लिए ख़ुद को एक लड़के के भेष में छिपाना पड़ता था।।’
नूरेना का सुझाव था, ‘…दक्षिण एशियाई लोगों को एक- दूसरे के लिए लगातार खड़े रहना चाहिए. यह किसी ट्रॉफी जीतने की बात नहीं है या इस बारे में भी नहीं है कि पहले किसने क्या किया। हमें जो करना है, मिल-जुलकर एक साथ करना है. एक-दूसरे के लिए खड़े रहना है।’
महिलाओं के लिए खेल का मुद्दा अहम है
‘सपन’ दक्षिण एशिया में अमन, इंसाफ़, लोकतंत्र और मानवाधिकारों के सिद्धांतों को मज़बूत करने और आगे बढ़ाने वाले व्यक्तियों और संगठनों का एक गठबंधन है. इसकी शुरुआत इसी साल मार्च में हुई. अपने जन्म के बाद से ही ‘सपन’ सार्वजनिक स्वास्थ्य के मुद्दे के तौर पर सभी के लिए स्वास्थ्य सेवा पर काम कर रहा है. ‘सपन’ खेल – और संघर्ष – को, खासकर महिलाओं के लिए, सार्वजनिक स्वास्थ्य के मुद्दे के तौर पर ही देखता है.
इस बीच, टोक्यो में ओलंपिक शुरू हो चुका था. एक तरफ़ ‘सपन’ के कार्यक्रम में महिला खिलाड़ी, खेल को एक पेशे के रूप में अपनाने में आने वाली कठिनाइयों के बारे में बात कर रही थी और दूसरी ओर भारत की झोली में पहला पदक एक महिला खिलाड़ी ने दिलाया. यह एक ऐसा संघर्ष है जिसका अधिकांश महिला खिलाड़ियों ने सामना किया है… और अक्सर यह संघर्ष घर से शुरू होता है.
लड़कियाँ खेल में आयें, सब सोचें: अशरीन
बांग्लादेशी बास्केटबॉल खिलाड़ी अशरीन मृधा ने जोर देकर कहा कि लड़कियों को खेलों में लाने की जिम्मेदारी केवल खेल संघों और खेल संगठनों की नहीं है. यह ज़िम्मेदारी दोस्तों, परिवारीजनों, चाचाओं-मामाओं, चाचियों-मामियों और भाइयों की भी है. इन सबको महिला खिलाड़ियों को बढ़ाने के लिए आगे आने की ज़रूरत है. उन्होंने कहा, ‘जेंडर/ लैंगिक असमानता को केवल महिलाओं की समस्या मानकर सुलझाने की ज़रूरत नहीं है.’
विकलांग एथलीटों के सामने और कठिन संघर्ष
विकलांग एथलीटों को और भी कठिन संघर्ष का सामना करना पड़ता है. गुलशन नाज़ को आंशिक तौर पर देख सकने में दिक़्क़त है. गुलशन, भारत के उत्तर प्रदेश के एक छोटे शहर सहारनपुर की रहने वाली हैं.
वे कहती हैं, ‘देख सकने में मजबूर यानी दृष्टि बाधित एथलीट को कोई भी प्रायोजित नहीं करना चाहता है.’
महिलाओं खिलाड़ियों के सामने पैसे का संकट
एक बड़ा मुद्दा पैसे या संसाधन का है. बांग्लादेश की महिला क्रिकेट टीम की कप्तान रूहमाना अहमद सहित अनेक दक्षिण एशियाई एथलीटों ने महिला एथलीटों के सामने इस वजह से आने वाली चुनौतियों और मुश्किलों पर रोशनी डाली.
पाकिस्तान महिला क्रिकेट टीम की पूर्व कप्तान सना मीर ने कहा, ‘महिलाओं को पैसा हासिल करने के लिए ख़ुद को साबित करना पड़ता है. दूसरी ओर, पुरुष न भी जीतें तो उन्हें पैसे की पूरी मदद दी जाती है.’
यहां तक कि जब महिला एथलीट पदक के मामले में पुरुषों से बेहतर प्रदर्शन करती हैं, तब भी उन्हें वह शोहरत या पैसा नहीं मिलता जैसा पुरुष खिलाड़ियों को मिलता है. इस मामले में भारत की महिला खिलाड़ियों को हम देख सकते हैं.
महिला खिलाड़ी खेल न छोड़ें: निशा
वेबिनार में भाग लेने वालों ने जेंडर स्टीरियोटाइप तोड़ने की ज़रूरत और अहमियत के बारे में भी चर्चा की. भारत की ओलंपियन तैराक निशा मिलेट जुड़वाँ बेटियों के साथ इस बैठक में शामिल थीं. उन्होंने महिलाओं से अपील की कि प्रतिस्पर्धी खेल छोड़ने के बाद भी वे खेल न छोड़ें. वे खिलाड़ियों की अगली पीढ़ी को बनाने के लिए और उन्हें कोचिंग देने, सलाह देने, बढ़ावा देने में योगदान देने के लिए आगे आयें.
कौन–कौन शामिल हुआ
इस कार्यक्रम में बोलने वाली खिलाड़ियों में भारत की एथलीट और खेल निवेशक आयशा मनसुखानी, श्रीलंका की कार्यकर्ता और पूर्व नेटबॉल खिलाड़ी कैरिल टोज़र, बांग्लादेश की क्रिकेटर चंपा चकमा, बांग्लादेश की पुरस्कार विजेता भारोत्तोलन चैंपियन माबिया अख़्तर शिमांटो, भारत/संयुक्त अरब अमीरात की क्रिकेटर कोच और भारत ए टीम के पूर्व खिलाड़ी रूपा नागराज और नेपाल की राष्ट्रीय टेनिस खिलाड़ी प्रीति बराल शामिल थीं.
मैं इनकी बातें सुनकर दंग हूँ: नजम सेठी
प्रमुख विश्लेषक नजम सेठी ने इन सबकी बात सुनने के बाद कहा, ‘मैं बहुत ही मुश्किल हालात में आगे बढ़ने वाली इन खिलाड़ियों के साहस और दृढ़ संकल्प की बातें सुन कर दंग हूँ. कैसे इन्होंने मुस्कुराते हुए अपनी आपबीती सुनायी. मैं बेहत प्रभावित हूँ.’
नजम सेठी ने कहा कि दक्षिण एशिया की सभी महिला एथलीटों को लीडरशिप के मुद्दे, आर्थिक संकट, भेदभाव, स्टीरियोटाइप जैसी समस्याओं से लड़ना-जूझना पड़ रहा है. लेकिन उन्होंने दो और चिंताओं की तरफ़ ध्यान दिलाया. वे चिंता हैं- महिलाओं का वस्तुकरण और यौन उत्पीड़न. उनका कहना था कि इस पर और ज़्यादा ध्यान देने की ज़रूरत है.
नजम सेठी एक प्रकाशन भी चलाते हैं. उन्होंने कहा कि इस चर्चा में उन्होंने जो कहानियाँ सुनीं, इन सब बातों को तो एक किताब की शक्ल में सामने आना चाहिए. ‘सपन’ टीम इस परियोजना पर काम करने के लिए सहमत हुई है.
इस आयोजन में दक्षिण एशियाई महिला एथलीटों का संघ बनाने का भी विचार आया. अनेक प्रतिभागियों को यह विचार पसंद आया.
वीज़ा मुक्त दक्षिण एशिया
प्रख्यात शिक्षाविद् बायला रज़ा जमील ने कार्यक्रम के दौरान ‘सपन’ के घोषणापत्र को पढ़कर सुनाया. इस घोषणापत्र में वीज़ा मुक्त दक्षिण एशिया के साथ ही व्यापार, पर्यटन और यात्रा में आसानी देने की माँग की गयी है. उन्होंने मौजूद लोगों से इस घोषणापत्र का समर्थन करने का आह्वान किया.
पिछले वेबिनार की तरह ही ‘सपन’ ने उन लोगों को श्रद्धांजलि दी जिनके आदर्शों को संगठन आगे बढ़ाने का प्रयास कर रहा है. इनमें आईए रहमान, आसमा जहाँगीर, निर्मला देशपांडे, डॉ. मुब्बशीर हसन, मदनजीत सिंह जैसे लोग शामिल हैं. प्रतिभागियों ने उन प्रमुख दक्षिण एशियाई लोगों को भी याद किया, जिनका पिछले एक महीने में निधन हो गया है. साथी ही उन परिवारों के प्रति भी संवेदना व्यक्त की जिनके परिवारीजन कोरोना वायरस महामारी के शिकार हुए हैं.
व्यंग्य नाटक ‘कैप्टन समीना’ की प्रस्तुति
वेबिनार में शोएब हाशमी ने खेल में महिलाओं पर एक छोटा व्यंग्य नाटक “कैप्टन समीना” की भी प्रस्तुति की. 1980 के दशक में पाकिस्तान में जनरल जियाउल हक की दमनकारी सैन्य तानाशाही के दौरान इस नाटक का प्रदर्शन हुआ था. हालाँकि, ख़तरों को भाँपते हुए इसे कभी रिकॉर्ड नहीं किया गया था. तब से चीजें बहुत बदल चुकी हैं. इसके बाद भी इस नाटक में महिलाओं के खेल को दबाने का मुद्दा जिस तरह से उठाया गया है, वह आज भी प्रासंगिक है.
वेबिनार के प्रतिभागी इस बात पर एकमत थे कि आगे बढ़ने का रास्ता एकता, एकजुटता और दक्षिण एशियाई सहयोग में है.
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पुलिस की समयोचित कार्रवाई के बावजूद भाजपा का प्रदर्शन व आरोपी का घर जलाना ओछी राजनीति : मुख्यमंत्री

चंबा – मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने चम्बा जिला के सलूणी में हुए हत्याकांड के मामले में भारतीय जनता पार्टी द्वारा किए जा रहे प्रदर्शन पर गहरा क्षोभ व्यक्त करते हुए कहा कि यह शायद देश का पहला ऐसा मामला है जिसमें सभी आरोपियों को पकड़ा जा चुका है और पुलिस की समयोचित कार्रवाई के बावजूद भाजपा इस पर शोर-शराबा जारी रखे हुए है। उनका यह प्रदर्शन पूर्णतया अवांच्छित है और इसे न्यायसंगत नहीं कहा जा सकता।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस मामले में शामिल सभी लोगों की गिरफ्तारी के बावजूद घटना के पाँच दिनों के बाद भाजपा युवा मोर्चा से जुड़े लोगों ने आरोपी के घर को आग की भेंट चढ़ा दिया।
प्रदेश सरकार की ओर से बार-बार आश्वस्त किया गया है कि इस मामले में संलिप्त सभी दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा सुनिश्चित की जाएगी। उन्होंने कहा कि आरोपियों की गिरफ्तारी के बावजूद विरोध प्रदर्शन समझ से परे है और भाजपा इस मामले में ओछी राजनीति कर रही है।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि इस मामले की संवदेनशीलता को देखते हुए पुलिस ने चौबीस घंटों के भीतर सभी आरोपियों को हिरासत में ले लिया। उन्होंने कहा कि आरोपियों की गिरफ्तारी तथा सरकार द्वारा राष्ट्रीय जांच एजैंसी से मामले की जांच करवाने सम्बंधी मांग स्वीकार करने के बावजूद भाजपा द्वारा विरोध प्रदर्शन जारी रखना तर्कहीन है।
मुख्यमंत्री नें यह भी कहा कि केंद्र में सत्ता में होने के बावजूद भाजपा जांच को मुद्दा बना रही है जबकि नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर के लिए एक फोन कॉल पर यह जांच शुरू करवाना कोई बड़ी बात नहीं है। उन्होंने कहा कि इससे प्रतीत हो रहा है कि इस घटना को राजनीतिक रंग देते हुए भाजपा आगामी लोकसभा चुनाव-2024 को ध्यान में रखते हुए ऐसी तरकीबें अपना रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बेहतर यह होता कि भाजपा प्रदेश हित से जुड़े मामलों एवं हिमाचल के अधिकारों के लिए केंद्र के समक्ष आवाज उठाती, जिससे कि प्रदेशवासियों का भी भला होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के हितों को प्राथमिकता देने के लिए आन्दोलन में कांग्रेस पार्टी भी अपना पूर्ण सहयोग देगी। राज्य के हितों की रक्षा करने की दिशा में प्रदेश सरकार तथा विपक्ष की साझा जिम्मेदारी पर बल देते हुए उन्होंने जल उपकर तथा विभिन्न जल विद्युत परियोजनाओं में निःशुल्क बिजली की रॉयल्टी बढ़ाने जैसे मुद्दों पर भाजपा को प्रदेश सरकार का साथ देने का परामर्श भी दिया।
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अगर 25 वर्षों से आतंकीयों से जुड़े थे चंबा हत्याकांड के आरोपी के तार तो सरकारें क्यूँ देती रही शरण : आम आदमी पार्टी

चंबा- जिला चंबा के सलूनी इलाके में हुए (मनोहर, 21) हत्याकांड की घटना राजनीतिक रूप लेती जा रही है। पक्ष -विपक्ष में बयानबाजी का दौर जारी है। इलाके में तनावपूर्ण माहौल बना हुआ है।
इसी कड़ी में हिमाचल आम आदमी पार्टी ने चम्बा में हुई मनोहर की निर्मम हत्या की कड़ी निंदा की है। आम आदमी पार्टी नेता चमन राकेश आजटा ने पीड़ित परिवार के प्रति संवेदना प्रकट की और इस पूरी घटना की निष्पक्ष जांच एवं दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा देने की भी मांग की। साथ ही उन्होंने कहा कि इस घटनाक्रम को जिस प्रकार से राजनीतिक रंग देने की कोशिश की जा रही है वो बहुत ही चिंता का विषय है।
इसके साथ ही आजटा ने यह भी कहा कि यदि नेता विपक्ष जयराम ठाकुर जी के बयानों में सच्चाई है तो यह जांच का विषय है। आजटा नें पूछा कि अगर पिछले 25 वर्षो से इस घटना के लिए जिम्मेवार व्यक्ति गैरकानूनी तरीके से बेशुमार दौलत इक्कठी कर रहा था तो वहां का प्रशासन व राज्य सरकारें 25 वर्ष से उसे क्यों शरण दे रही थी?
“इस व्यक्ति के तार क्या किसी आतंकवादी संगठन से जुड़े हुए है , या किसी पार्टी और नेता विशेष की शरण में वो पलता रहा जिसका खामयाज़ा एक गरीब युवा को अपनी जान से हाथ धोकर भुगतना पड़ा। क्या इस आरोपी ने इस तरह की अन्य घटनाओं को भी अंजाम दिया था या उनमें संलिप्त रहा था।” आजटा ने जयराम पर यह सवाल उठाते हुए कहा।
आपको बता दें कि बीते दिन जयराम ठाकुर ने हत्या के इस मामले में गहरी साजिश की आशंका जताते हुए तथा आरोपियों के तार आतंकियों से जोड़ते हुए कहा था कि नोटबंदी के दौरान आरोपी ने 95 लाख नोट बदले व उसके खाते में दो करोड़ की राशि जमा है, जबकि आरोपी के पास इतना बड़ा कोई भी आय का साधन नहीं है।
जयराम ने आरोप लगाया था कि आरोपी के पास तीन बीघा ज़मीन है जबकि कब्जा 100 बीघा जमीन पर कर रखा है। यही नहीं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने यह भी आरोप लगाया था कि चंबा में 1998 में हुए सतरुंडी आतंकी हमले में 35 लोगों की मौत हुई थी और उससे भी आरोपी के तार जुड़े थे।
साथ ही आजटा ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह से कानून को हाथ में लेकर घरों को जलाने, गाडियां तोड़ने और माहौल खराब करने की घटना में संलिप्त लोगों के खिलाफ करवाई करने की अपील की है, ताकि राजनीति की आड़ में हिमाचल जैसे प्रदेश का नाम खराब न हो।
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चंबा हत्याकांड: धारा 144 तोड़ने से रोका तो धरने पर बैठे भाजपा नेता

चंबा-मनोहर हत्याकांड के सात दिन बाद भी इलाके में तनावपूर्ण माहौल बना हुआ है। पूरे इलाके में धारा 144 लागू कर दी गई है, एक स्थान पर चार से ज्यादा लोगों का एकीकृत होना मना है और साथ ही इलाके के आस पास के सभी स्कूलों को भी एक सप्ताह के लिए बंद कर दिया गया है।
भाजपा अध्यक्ष डॉ राजीव बिंदल ने कहा कि भाजपा ने तय किया है कि भाजपाई 17 जून को प्रदेश के सभी 12 जिला मुख्यालयों पर धरना-प्रदर्शन करेंगे।
सीएम के प्रधान मीडिया सलाहकार नरेश चौहान ने एक प्रेससवार्ता में कहा कि हत्या के कारणों की प्रशासन द्वारा पूरी जांच करवाई जा रही है। चौहान नें कहा कि जिन लोगों ने हत्या की है उनको गिरफ्तार कर लिया गया है और कानून निश्चित तौर पर अपना कार्य कर रहा है।
साथ ही उन्होंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर, तथा उनके साथी सदस्य जिस तरह से प्रदर्शन कर रहे हैं वह तर्कसंगत नहीं है। कानून द्वारा मुज़रिमों को हिरासत में ले लिया गया है, गुनहगार सलाखों के पीछे है तथा पूरे मामले की सख्ती से जांच कारवाई की जा रही है। चौहान ने नेता प्रतिपक्ष द्वारा एनआईए से जांच की मांग को लेकर कहा कि वह अगर लिखित में सरकार को मांग दे दें तो सरकार इसके लिए भी तैयार है।
चौहान ने जयराम पर सवाल उठाते हुए कहा कि वह पूर्व मुख्यमंत्री रहे है, एक जिम्मेदार नागरिक हैं, तथा धारा 144 का मतलब भी वह अच्छे से समझते हैं, फिर भी उसकी अवहेलना करने पर अड़े हैं। चौहान नें पूछा कि इसका क्या अर्थ निकलता है।
चौहान नें यह भी कहा कि इसके बावजूद भी पुलिस तथा प्रशासन द्वारा कानून के दायरे में रहते हुए नेता प्रतिपक्ष और कुछ चुने हुए लोगों को पीड़ित परिवार से मिलने की अनुमति दे दी गई थी, लेकिन विपक्ष फिर भी अपने साथ पूरी भीड़ को आगे ले जाने के लिए अड़ा रहा।
उन्होंने कहा कि विपक्ष के जिम्मेदार लोग अगर इसके बावजूद भी राजनीति करना चाहते हैं तो तो यह बिल्कुल भी तर्कसंगत नहीं है। उन्होंने विपक्ष की मंशा पर सवाल खड़े किये। उन्होंने पूछा कि वह सच मे पीड़ित परिवार से मिलना चाहते थे या इसस घटना को मात्र राजनीतिक दृष्टि से मुद्दा बनाना चाहते थे?
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