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एफ आई आर के बावजूद ट्रीटमेंट प्लांट के ठेकेदार पर कार्यवाही नही, ठेकेदार को बचा रही सरकार: टिकेंद्र

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शिमला-शिमला के उपमहापौर कार्यालय मे शिमला मे फैले पीलिया के मुद्दे पर प्रेस सम्मेलन कर उप महापौर टिकेंद्र सिंह पंवर ने हिमाचल सरकार को कटघरे मे खड़ा करते हुए ब्यान जारी किया है कि यदि हिमाचल सरकार शिमला मे फैले हेपेटाइटिस व पीलिया के मुद्दे पर कार्य करने हेतु अपनी प्रतिबधता दिखना चाहती है तो इच्छा शक्ति दिखाते हुए इसके लिए सर्व प्रथम दोषी मल्याणा स्यूवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के ठेकेदार के विरुढ़ कार्यवाही करते हुए उसे गिरफ्तार करे और उस पर कार्यवाही करें!

ठेकेदार पर एफ आई आर दर्ज होने के बावजूद आज तक उस पर कार्यवाही नही की गई है! ये हिमाचल सरकार की मंशा और ठेकेदार को बचाने की उसकी मंशा को सीधे तौर पर दिखा रही है!

यह भी पढ़ें : शिमला मे पीलिया के 60 नए मामले, एक महिला की मौत, अआईजीएमसी व केएनएच ने साधी चुप्पी

इसी तरह की दुर्घटना 2011 मे भी सामने आई थी और तब भी इसी स्यूवरेज पलनट की ग़लती सामने आई थी और स्थानीय समाचार पत्रो के मुतविक प्लांट मे तब सरकार ने सेंट्रिफूज मशीन लगा कर इस तरह की घटनाओ पर रोक लगाने की बात की थी! आज 5 वर्ष बीत जाने के बाद भी बार बार शहर मे पीलिया का प्रकोप होता जा रहा है! इससे पहले 2007, 2011, 2013 और अब पाँचवी बार ये स्थिति उत्पन हुई है और 5 वर्ष बीत जाने के बाद भी हिमाचल प्रदेश का आई पी एच विभाग और प्लांट का ठेकेदार सेंट्रिफूज मशीन लगाने मे कामयाब नही हुआ है! आज भी ये कार्य और प्लांट से स्लज उठाने का कार्य ज्यो का त्यो पड़ा हुआ है!

नगर निगम के महापौर संजय चौहान ने आईपीएच पर सीधा निशाना साधते हुए कहा कि दो तारीख को उनके सामने आईपीएच ने अश्वनी खड्ड से सैंपल लिए। लेकिन आईपीएच ने वह सैंपल जांच के लिए नहीं भेजे, आईपीएच ने पांच तारीख को लिए सैंपल जांच के लिए भेजे। इस तरह के रवैये से खुद आईपीएच संदेह के घेरे में आ गया है।

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पंवर ने कहा कि विभिन्न स्रोतो खास कर मल्याणा प्लांट से छोड़े जा रहे पानी और अश्विनी खड्ड से लिए गये पानी के नमूनओ को हेपेटीटिस के विषाणुओ कीजाँच के लिए पुणे स्थित लैब को भेजा जाना चाहिए और ये पानी के नमूने दोनो यानी नगर निगम और प्रदेश के आई पी एच विभाग को मिलकर उठाने चाहिए ताकि पारदर्शिता रह सके !

अभी फिलहाल जब तक पानी के नमूनओ की जाँचा की रिपोर्ट नही आ जाती अश्विनी खड्ड से पानी की पूर्ति नही की जाएगी! पानी की पूर्ति फिलहाल अश्विनी खड्ड के साथ लगती दो खड्ड ब्रांडी और कोटि से की जाएगी! उप महापौर ने अश्विनी खड्ड मे हिमाचल सरकार से रेवर्स ऑसमोसिस और ओसओनाइज़ेशन जैसी आधुनिक तकनीक लगाने की भी बात कही ताकि पानी की गुणवत्ता को सुनिश्चित किया जा सके

यह भी पढ़ें: अश्वनी खड्ड सीवरेज प्लांट देख दंग रह गई केंद्रीय टीम, योग्य एवं आधुनिक न होने के बाद भी हो रहा संचालन

अभी हिमाचल प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम मिलकर पीलिया से बचाव हेतु शिक्षित करने और बड़े स्तर पर जागरूकता अभियान छेड़े हुए है ताकि शिमला मे हेपिटीटिस के फैलते कहर को रोका जा सके, अभी बहुत से संस्थान मिलकर नसिर्फ़ लोगो को जागरूक कर रहे हैं बल्कि घरों से पानी के नमूने भी जाँचा हेतु इकट्ठे कर रहे है, स्वास्थ विभाग के कर्मी घर घर जा कर लोगो को इससे बचाने हेतु लोगो को जागरूक कर रहे है,

पंवर ने एन सी डी सी की टीम का भी आभार व्यक्त किया है जिनके सहयोग से शिमला मे फैले पीलिया की रोकथाम हेतु पानी और कुछ जगहो पर लोगो के खून के नमूने भी जाँच हेतु इकट्ठे किए!

पंवर ने कहा कि नगर निगम का मुख्य कार्य लोगो के हित मे कार्य करना है और लोगों को साफ स्वच्छ पीने का पानी उपलब्ध करवाया जाए ये निगम की मुख्य ज़िम्मेवारी है जो हर हाल मे सुनिश्चित की जाएगी

Photo: Amar Ujala

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सनवारा टोल प्लाजा पर अब और कटेगी जेब, अप्रैल से 10 से 45 रुपए तक अधिक चुकाना होगा टोल

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शिमला- कालका-शिमला राष्ट्रीय राजमार्ग-5 पर वाहन चालकों से अब पहली अप्रैल से नई दरों से टोल वसूला जाएगा। केंद्रीय भूतल एवं परिवहन मंत्रालय की ओर से बढ़ी हुई दरों पर टोल काटने के आदेश जारी हो गए हैं। जारी आदेश के अनुसार कालका-शिमला एनएच-5 पर सनवारा टोल प्लाजा पर 10 से 45 रुपए तक की वृद्धि हुई है।

टोल प्लाजा संचालक कंपनी के मैनेजर ने बताया कि 1 अप्रैल से कार-जीप का एक तरफ शुल्क 65 और डबल फेयर में 95 रुपये देने होंगे।

लाइट कामर्शियल व्हीकल, लाइट गुड्स व्हीकल और मिनी बस को एक तरफ के 105, बस-ट्रक (टू एक्सेल) को एकतरफ के 215, थ्री एक्सेल कामर्शियल व्हीकल को एक तरफ के 235, हैवी कंस्ट्रक्शन मशीनरी को एकतरफ के 340 और ओवरसीज्ड व्हीकल को एकतरफ के 410 रुपये का शुल्क नई दरों के हिसाब से देना होगा।

सनवारा टोल गेट से 20 किलोमीटर के दायरे में आने वाले वाहन चालकों को पास की सुविधा भी नियमों के अनुसार दी जाती है। इस पास के लिए अब 280 की जगह 315 रुपये प्रति महीना चुकाना पड़ेगा।

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बच्चों से खतरनाक किस्म की मजदूरी कराना गंभीर अपराध:विवेक खनाल

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शिमला- बच्चों से खतरनाक किस्म की मज़दूरी कराना गंभीर अपराध है। 14 साल के अधिक आयु के बच्चों से ढाबे में 6 घंटे से अधिक काम नहीं लिया जा सकता। उन्हें तीन घंटे के बाद एक घंटे का आराम दिया जाना जरूरी है। यह बात वह उमंग फाउंडेशन द्वारा “मज़दूरों के कानूनी अधिकार, समस्याएं और समाधान” विषय पर वेबिनार में वरिष्ठ सिविल जज एवं राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अतिरिक्त सचिव विवेक खनाल ने कही।

उन्होंने कहा कि असंगठित मजदूरों के शोषण का खतरा ज्यादा होता है। देश की जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद का 50% हिस्सा असंगठित मजदूरों के योगदान से ही अर्जित होता है।

विवेक खनाल ने संगठित एवं असंगठित श्रमिकों से जुड़े विभिन्न कानूनों की जानकारी दी। उन्होंने कहा की 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को खतरनाक किस्म के कामों में नहीं लगाया जा सकता। इनमें औद्योगिक राख, अंगारे, बंदरगाह, बूचड़खाना, बीड़ी, पटाखा, रेलवे निर्माण, कालीन, पेंटिंग एवं डाईंग आदि से जुड़े कार्य शामिल हैं।

उन्होंने बताया कि 14 से 18 वर्ष तक के बच्चे रेस्टोरेंट या ढाबे में काम के तय 6 घंटे तक ही काम कर सकते हैं। शाम 7 बजे से सुबह 8 बजे के बीच उन से काम नहीं लिया जा सकता।

उन्होंने बताया कि भवन निर्माण एवं अन्य कामगार बोर्ड में पंजीकृत होने के बाद श्रमिकों को अनेक प्रकार की सुविधाएं एवं सामाजिक सुरक्षा मिल जाती है। 

विवेक के अनुसार असंगठित मजदूरों के लिए कानून भी काफी कम हैं। जबकि उनकी स्थिति ज्यादा खराब होती है। उन्होंने बताया कि मनरेगा के अंतर्गत काम करने वाली महिला मजदूरों के बच्चों को संभालने के लिए उन्हीं में से एक वेतन देकर आया का काम भी दिया जाता है। 

राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अतिरिक्त सचिव ने कहा कि कि प्राधिकरण की ओर से समाज के जिन वर्गों को मुफ्त कानूनी सहायता दी जाती है उसमें एक श्रेणी मजदूरों की भी है।

इसके अतिरिक्त महिला, दिव्यांग, ट्रांसजेंडर, बच्चे, अनुसूचित जाति एवं जनजाति, और तीन लाख से कम वार्षिक आय वाले बुजुर्ग इस योजना में शामिल हैं। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से बद्दी में मजदूरों के लिए एक विशेष प्रकोष्ठ स्थापित किया गया है।

इसके अलावा विभिन्न जिलों में वैकल्पिक विवाद समाधान केंद्र चलाए जा रहे हैं। एक अलग पोर्टल पर सरकार ई-श्रम कार्ड भी बना रही है।

इस दौरान उन्होंने युवाओं के सवालों के जवाब भी दिए।

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हिमाचल कैबिनेट के फैसले:प्रदेश में सस्ती मिलेगी देसी ब्रांड की शराब,पढ़ें सभी फैसले

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शिमला- मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में आयोजित प्रदेश मंत्रीमंडल की बैठक में आज वर्ष 2022-23 के लिए आबकारी नीति को स्वीकृति प्रदान की गई।

इस नीति में वर्ष के दौरान 2,131 करोड़ रुपये के राजस्व प्राप्ति की परिकल्पना की गई है, जो कि वित्त वर्ष 2021-22 से 264 करोड़ रुपये अधिक होगा। यह राज्य आबकारी राजस्व में 14 प्रतिशत की कुल वृद्धि को दर्शाता है।

बैठक में वित्तीय वर्ष 2022-23 राज्य में प्रति इकाई चार प्रतिशत नवीनीकरण शुल्क पर खुदरा आबकारी ठेकों के नवीनीकरण को स्वीकृति प्रदान की गई। इसका उद्देश्य सरकारी राजस्व में पर्याप्त बढ़ोतरी प्राप्त करना और पड़ोसी राज्यों में दाम कम करके होने वाली देसी शराब की तस्करी पर रोक लगाना है।

लाइसेंस फीस कम होने के कारण देसी शराब ब्रांड सस्ती होगी। इससे उपभोक्ताओं को सस्ती दरों पर अच्छी गुणवत्ता की शराब उपलब्ध होगी और उन्हें अवैध शराब खरीदने के प्रलोभन से भी बचाया जा सकेगा और शुल्क चोरी पर भी निगरानी रखी जा सकेगी।

नई आबकारी नीति में खुदरा लाइसेंसधारियों को आपूर्ति की जाने वाली देसी शराब के निर्माताओं और बॉटलर्ज के लिए निर्धारित 15 प्रतिशत कोटा समाप्त कर दिया गया है। इस निर्णय से खुदरा लाइसेंसधारी अपना कोटा अपनी पसंद के आपूर्तिकर्ता से उठा सकेंगे और प्रतिस्पर्धात्मक मूल्यों पर अच्छी गुणवत्ता की देसी शराब की आपूर्ति सुनिश्चित होगी। देसी शराब का अधिकतम खरीद मूल्य मौजूदा मूल्य से 16 प्रतिशत सस्ता हो जाएगा।

इस वर्ष की नीति में गौवंश के कल्याण के लिए अधिक निधि प्रदान करने के दृष्टिगत गौधन विकास निधि में एक रुपये की बढ़ोतरी करते हुए इसे मौजूदा 1.50 रुपये से बढ़ाकर 2.50 रुपये किया गया है।

राज्य में कोविड-19 के मामलों में कमी को देखते हुए कोविड उपकर में मौजूदा से 50 प्रतिशत की कमी की गई है।

लाइसेंस शुल्क के क्षेत्र विशिष्ट स्लैब को समाप्त करके बार के निश्चित वार्षिक लाइसेंस शुल्क को युक्तिसंगत बनाया गया है। अब पूरे राज्य में होटलों में कमरों की क्षमता के आधार पर एक समान लाइसेंस स्लैब होंगे।

जनजातीय क्षेत्रों में आने वाले पर्यटकों को बेहतर सुविधा प्रदान करने और होटल उद्यमियों को राहत प्रदान करने के लिए जनजातीय क्षेत्रों में बार के वार्षिक निर्धारित लाइसेंस शुल्क की दरों में काफी कमी की गई है।

शराब के निर्माण, संचालन, थोक विक्रेताओं को इसके प्रेषण और बाद में खुदरा विक्रेताओं को बिक्री की निगरानी के लिए इन सभी हितधारकों को अपने प्रतिष्ठानों में सीसीटीवी कैमरे लगाना अनिवार्य किया गया है।

विभाग की ओर से हाल ही में शराब बॉटलिंग प्लांटों, थोक विक्रेताओं और खुदरा विक्रेताओं में पाई गई अनियमितताओं को ध्यान में रखते हुए हिमाचल प्रदेश आबकारी अधिनियम, 2011 को और सख्त किया गया है।

राज्य में एक प्रभावी एंड-टू-एंड ऑनलाईन आबकारी प्रशासन प्रणाली स्थापित की जाएगी जिसमें शराब की बोतलों की ट्रैक एंड टेक्स की सुविधा के अलावा निगरानी के लिए अन्य मॉडयूल शामिल होंगे।

मंत्रिमंडल ने वर्ष 2022-23 के लिए हिमाचल प्रदेश राज्य पथकर नीति को अपनी मंजूरी प्रदान की है जिसमें राज्य में सभी पथकर बेरियर की नीलामी व निविदा शामिल हैं। वर्ष 2021-22 के दौरान टोल राजस्व में गत वर्ष के राजस्व के मुकाबले 20 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।

मंत्रिमंडल ने हिमाचल प्रदेश आपदा राहत नियमावली, 2012 में संशोधन को अपनी मंजूरी प्रदान की जिसमें मधुमक्खी, हॉरनेट और वैस्प के काटने से होने वाली मृत्यु, दुर्घटनाग्रस्त डूबने, और वाहन दुर्घटना मंे होने वाली मृत्यु के मामलोें को राहत नियमावली के अंतर्गत शामिल किया गया है।

मंत्रिमंडल ने लोक सेवा आयोग के माध्यम से राजस्व विभाग में नियमित आधार पर सीधी भर्ती के माध्यम से तहसीलदार श्रेणी-1 के 11 पदों को भरने की स्वीकृति प्रदान की।

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