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बर्बरता का आरोपी बालूगंज थाना एसएचओ वीरीसिंह सस्पेंड, लोगों ने की सरकारी सेवाएं समाप्त करने की मांग

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Police Station Boileauganj

सस्पैंशन नहीं टर्मिनेशन, ऐसे अधिकारी प्रशासन से बाहर किए जाएँ, अपराध की जांच अपराध शाखा से की जाये, पुलिस अधिकारी की जांच पर विश्वास लेकिन ​एसएचओ का अपराध ​​निलंबन ​के लायक नहीं सेवा समाप्ति के लायक है:विकास समिति टुटू

शिमला- ​व्यापार मण्डल टुटू, जागरूक नागरिक मंच टुटू ,विकास समिति टुटू व स्थानीय जनता ​ने ​एसएचओ ​वीरी सिंह ​के ​निलंबन ​को जनहित में मात्र अस्थाई हल करार दिया है!

​शिकायतकर्ता नितेश कुमार,​​जागरूक नागरिक मंच टुटू के अध्यक्ष, विकास समिति टुटू अध्यक्ष ​व महासचिव​​,​व्यापार मण्डल टुटू के अध्यक्ष व स्थानीय वासी तथा स्थानीय वासी एडवोकेट ​ने एक सांझे ब्यान में कहा ​कि उन्हे विभागीय जांच निष्पक्ष रूप से होने ​पर कोई शक-शुभा नहीं लेकिन बालूगंज थाना इंचार्जे वीरीसिंह का अपराध मात्र निलंबन के लायक नहीं बल्कि वीरीसिंह की सरकारी सेवाए समाप्त की जानी चाहिए!

ये भी पढ़ें: शिमला पुलिस पर सूचना देने वाले को बेरहमी से पीटने, धमकाने, व अपराधियों को बचाने का आरोप

समिति ने कहा कि वीरीसिंह ने उच्चपद पर रह कर शक्तियों का दुरुपयोग किया है और शिकायतकर्ता के साथ बेरहरमी से मारकुटाई और सलाखों के पीछे बंद करने का घोर अपराध किया है ​जो की माफी के लायक नहीं है जिस कारण ऐसे अधिकारी को अपने पद पर रहने का कोई अधिकार नहीं है!

टुटू विकास समिति अध्यक्ष नागेंद्र गुप्ता ने फिर दौहराया की बालूगंज थाने मे तैनात एसएचओ वीरी सिंह का शिकायतकर्ता के साथ ही मारकुटाई करने और सलाखों के पीछे बंद करने का अपराध बहुत ही घिनोना है ​तथा ​किसी भी सूरत में ​क्षमा के योग्य नहीं है

गुप्ता का कहना है कहा कि ​बेशक इस मामले की जांच विभाग के ही एक उच्च अधिकारी द्वारा निष्पक्ष रूप से की गई है लेकिन एसएचओ ​का अपराध निलंबन मात्र से खत्म नहीं हो जाता है! उन्होने ने कहा कि एएसएचओ ​के खिलाफ एफआई​आर राज्य अपराध शाखा में दर्ज होनी चाहिए और सख्त से सख्त कार्यवाही अमल में लाई जानी चाहिए ताकि दोबारा कानून के रक्षक ऐसा घटिया और घिनौना काम न करें!

ये भी पढ़ें: बर्बरतापूर्ण कार्यवाही के आरोपी बालूगंज थाना इंचार्ज के खिलाफ नहीं हुई कोई कार्रवाई, टूटू वासियों ने फिर लगायी राज्यपाल व मुख्यमंत्री से गुहार

टुटू विकास समिति के अध्यक्ष का यह भी कहना है कि प्रशासन में ऐसे व्यक्तियों को सेवाएँ देने का कोई अधिकार नहीं है!ऐसे व्यक्ति बर्दाश्त के लायक नहीं जो कानून को हाथ में लेते हैं चाहे वह प्रशासन में हो या समाज में! समिति अध्यक्ष ने कहा कि उन्होने पूरे मामले की आरटीआई मांग रखी है और असली खुलासा तो तब होगा जब जन सूचना अधिकार नियम के तहद तथ्य सामने होंगे की क्या कोई अन्य अधिकारी या कर्मचारी भी इस मामले में शामिल तो नहीं जिन्होने मामले को दबाने की कोशिश की थी जबकि आरोपी शिकायतकर्ता की शिकायत पर पकड़े जा चुके थे!

उनका यह भी कहना है कि पता चला है विभागीय जांच के दौरान सरकार के मुखिया द्वारा रिपोर्ट मांगे जाने पर जिला के कुछ आला अधिकारियों ने तथ्यों के विपरीत प्रदेश के मुख्यमंत्री को मामले की ​सूचना प्रस्तुत की है जो की दुर्भाग्यपूर्ण है ​जिससे ​जिला ​प्रशासन ​की निष्पक्षता पर भी कई सवालिया निशान खड़े हो जाते हैं!

​​वहीं शिकायतकर्ता नितेश गुप्ता का कहना है कि जिस बर्बरता से थाने परिसर में उनकी पिटाई की गई है और उनके घाव निलंबन से नहीं ऐसे दरिंदे की सेवाएँ समाप्त करने पर ही भरेंगे! नितेश ने कहा कि यदि प्रशासन में पारदर्शिता लाने का सरकार का मकसद है तो ऐसे अधिकारी की सेवाएँ तुरंत प्रभाव से समाप्त की जानी चाहिए ताकि किसी निष्ठावान युवक को रोजगार का अवसर मिल सके! शिकायतकर्ता ने ये भी कहा कि की ​उन्हे जिन्दगी भर न भूलने वाले जख्म ​वीरीसिंह ने ​दिये ​गए हैं जिनकी उन्हे उम्मीद न थी!

​विकास समिति अध्यक्ष ने कहा कि अंग्रेजों के जुल्म से तो हम आजाद हो चुके हैं लेकिन ऐसे पुलिस विभाग में तैनात अँग्रेजी डंडा चलाने वाले अधिकारियों के कारण पूरा विभाग बदनाम हो ​रहा है जिससे कर्मठ कर्मचारियों व अधिकारियों पर भी सवालिया प्रश्न खड़े ​​हो जाते हैं जिस कारण पुलिस प्रशासन ​का दिन-प्रतिदिन ​समाज में विश्वास कम ​हो ​जाता ​​है!

ज्ञात रहे की दिनांक 17 मार्च 2016 की शाम 6 बजे के करीब टुटू निवासी नितेश गुप्ता व उसके साथ स्कूटी में सवार मिस्त्री ने टुटू-हीरानगर के बीच (नाल्टू के जंगल ) में सड़क किनारे कुछ लोगों को एक व्यक्ति की बूरी तरह मारपीट करने की शिकायत पुलिस को दी थी जिस पर पुलिस ने मारपीट कर रहे तीन व्यक्तियों को तो वाहन सहित उसी समय सूचना मिलते ही बालूगंज में दबोच लिया था लेकिन घायल व्यक्ति का कोई अता पता नहीं चलने पर झूठी शिकायत का ढौंग बताकर अगले दिन सुबह एसएचओ ने शिकायतकर्ता को ब्यान लेने के बहाने थाने में बुलाकर बेरहमी से पिटाई कर डाली जिसकी शिकायत शिकायतकर्ता ने 19 मार्च 16 को पुलिस प्रमुख की थी और उसके पश्चात स्थानीय जनता व सामाजिक संस्थाओं ने भी जिला ​उपायुक्त तथा प्रदेश सरकार ​व राज्यपाल को इस मामले पर ज्ञापन सौंपा था!

Photo: Google

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हिमाचल की तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर लगे 76,000 से अधिक सेब के पौधे

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nauni university himachal pradesh

शिमला- डॉ यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के विस्तार शिक्षा निदेशालय में पहाड़ी कृषि एवं ग्रामीण विकास एजेंसी(हार्प), शिमला द्वारा एक अनुभव-साझाकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया।

इस कार्यशाला में जिला किन्नौर के निचार विकास खंड के रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों के 34 किसानों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर जीएम नाबार्ड डॉ. सुधांशु मिश्रा मुख्य अतिथि रहे जबकि नौणी विवि के अनुसंधान निदेशक डॉ रविंदर शर्मा ने विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत की।

संस्था के अध्यक्ष डॉ. आर एस रतन ने कहा कि यह कार्यक्रम एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना के तहत रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों में वर्ष 2014 से आयोजित किया जा रहा है। परियोजना को नाबार्ड द्वारा वित्त पोषित किया गया है और इसे हार्प द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।

उन्होंने यह बताया कि यह एक बागवानी आधारित आजीविका कार्यक्रम है जिसे किसानों की भागीदारी से लागू किया गया है। इन तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर 76,000 से अधिक सेब के पौधे लगाए गए हैं और 607 परिवार लाभान्वित हुए हैं।

डॉ. सुधांशु मिश्रा ने यह भी कहा कि नाबार्ड हमेशा सामाजिक-आर्थिक उत्थान कार्यक्रमों के संचालन में आगे रहा है। उन्होंने इस कार्यशाला में भाग लेने वाले किसानों से अपने सहयोग से विभिन्न कार्यक्रमों को सफल बनाने का आग्रह किया।

अनुसंधान निदेशक डॉ. रविंदर शर्मा और विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. दिवेंद्र गुप्ता ने नाबार्ड और हार्प के प्रयासों की सराहना की और किसानों को आश्वासन दिया कि विश्वविद्यालय किसानों को तकनीकी रूप से समर्थन देने के लिए हमेशा तैयार है।

डॉ. नरेद्र कुमार ठाकुर ने कहा कि हार्प ने कृषक समुदाय के समन्वय से दुर्गम क्षेत्रों में कठिन परिस्थितियों में काम किया है। इस अवसर पर एक किसान-वैज्ञानिक परिचर्चा का भी आयोजन किया गया जिसमें भाग लेने वाले किसानों के तकनीकी प्रश्नों को संबोधित किया गया।

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हिमाचल सरकार पुलिसकर्मियों का कर रही है शोषण

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hp police

पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है,कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है,राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है,हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।

शिमला सीटू राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। कमेटी ने यह कहा है कि वह हिमाचल प्रदेश के पुलिसकर्मियों की मांगों का पूर्ण समर्थन करती है। आरोप लगाते हुए सीटू ने कहा है कि प्रदेश सरकार पुलिसकर्मियों का शोषण कर रही है।

राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार से यह मांग की है कि वर्ष 2013 के बाद नियुक्त पुलिसकर्मियों को पहले की भांति 5910 रुपये के बजाए 10300 रुपये संशोधित वेतन लागू किया जाए व उनकी अन्य सभी मांगों को बिना किसी विलंब के पूरा किया जाए।

सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में भी कर्मचारियों की प्रमुख मांगों को अनदेखा किया गया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में पुलिसकर्मियों की मांगों को पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया है।

सीटू कमेटी ने कहा कि सबसे मुश्किल डयूटी करने वाले व चौबीस घण्टे डयूटी में कार्यरत पुलिसकर्मियों को इस बैठक से मायूसी ही हाथ लगी है। इसी से आक्रोशित होकर पुलिसकर्मी मुख्यमंत्री आवास पहुंचे थे। उनके द्वारा पिछले कुछ दिनों से मैस के खाने के बॉयकॉट से उनकी पीड़ा का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि पुलिस कर्मियों के साथ ही सभी सरकारी कर्मचारी नवउदारवादी नीतियों की मार से अछूते नहीं है। कमेटी ने कहा कि पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है। कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।

कमेटी ने यह भी कहा है कि थानों में स्टेशनरी के लिए बेहद कम पैसा है व आईओ को केस की पूरी फ़ाइल का सैंकड़ों रुपये का खर्चा अपनी ही जेब से करना पड़ता है। थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है। मैस मनी केवल दो सौ दस रुपये महीना है जबकि मैस में पूरा महीना खाना खाने का खर्चा दो हज़ार रुपये से ज़्यादा आता है। यह प्रति डाइट केवल साढ़े तीन रुपये बनता है, जोकि पुलिस जवानों के साथ घोर मज़ाक है। यह स्थिति मिड डे मील के लिए आबंटित राशि से भी कम है।

उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के जमाने के बने बहुत सारे थानों की स्थिति खंडहर की तरह प्रतीत होती है जहां पर कार्यालयों को टाइलें लगाकर तो चमका दिया गया है परन्तु कस्टडी कक्षों,बाथरूमों,बैरकों,स्टोरों,मेस की स्थिति बहुत बुरी है। इन वजहों से भी पुलिस जवान भारी मानसिक तनाव में रहते हैं।

सीटू ने कहा कि पुलिस में स्टाफ कि बहुत कमी है या यूं कह लें कि बेहद कम है व कुल अनुमानित नियुक्तियों की तुलना में आधे जवान ही भर्ती किये गए हैं जबकि प्रदेश की जनसंख्या पहले की तुलना में काफी बढ़ चुकी है यहाँ तक पुलिस के पास रिलीवर भी नहीं है।

आरोप लगाते हुए कमेटी ने कहा कि प्रदेश की राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है। वहीं पुलिस कर्मी निरन्तर ओवरटाइम डयूटी करते हैं। इसकी एवज में उन्हें केवल एक महीना ज़्यादा वेतन दिया जाता है। इस से प्रत्येक पुलिसकर्मी को वर्तमान वेतन की तुलना में दस से बारह हज़ार रुपये का नुकसान उठाना पड़ता है। उन्हें लगभग नब्बे साप्ताहिक अवकाश,सेकंड सैटरडे,राष्ट्रीय व त्योहार व अन्य छुट्टियों के मुकाबले में केवल पन्द्रह स्पेशल लीव दी जाती है।

सीटू कमेटी ने यह भी कहा कि वर्ष 2007 में हिमाचल प्रदेश में बने पुलिस एक्ट के पन्द्रह साल बीतने पर भी नियम नहीं बन पाए हैं। इस एक्ट के अनुसार पुलिसकर्मियों को सुविधा तो दी नहीं जाती है परन्तु कर्मियों को दंडित करने के लिए इसके प्रावधान बगैर नियमों के भी लागू किये जा रहे हैं जिसमें एक दिन डयूटी से अनुपस्थित रहने पर तीन दिन का वेतन काटना भी शामिल है। पुलिसकर्मियों की प्रोमोशन में भी कई विसंगतियां हैं व इसका टाइम पीरियड भी बहुत लंबा है। हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।

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किन्नौर में लापता पर्यटकों में से 2 और के शव बरामद, 2 की तालाश जारी,आभी तक कुल 7 शव बरामद

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kinnaur trekker deaths

शिमला रिकोंगपिओ में 14 अक्तुबर को उत्तरकाशी के हर्षिल से छितकुल की ट्रैकिंग पर निकले 11 पर्यटकों में से लापता चार पर्वतारोहीयों में से दो  पर्वतारोहियों के शवो को आई.टी.बी.पी व पुलिस दल द्वारा पिछले कल सांगला लाया गया था जहां सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सांगला में दोनों शवों का पोस्टमार्टम किया गया।

यह जानकारी देते हुए उपायुक्त किन्नौर अपूर्व देवगन ने बताया कि इन दोनों की पहचान कर ली गई है जिनमे मे एक उतरकाशी व दूसरा पश्चिम बंगाल से सम्बंधित था।

उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन किन्नौर द्वारा आज एक शव वाहन द्वारा उतरकाशी को भेज दिया गया है जहाँ शव को जिला प्रशासन उतरकाशी को सौंपा जाएगा। जब कि दूसरा शव वाहन द्वारा शिमला भेजा गया है जिसे शिमला में मृतक के परिजनों को सौंपा जायेगा।

उपायुक्त अपूर्व देवगन ने बताया कि अभी भी लापता दो  पर्यटकों की तलाश आई.टी.बी.पी के जवानों द्वारा जारी है। उल्लेखनीय है कि गत दिनों उतरकाशी से छितकुल के लिये 11 पर्वतारोही ट्रेकिंग पर निकले थे जो बर्फबारी के कारण लमखंगा दर्रे में फंस गये थे जिसकी सूचना मिलने पर जिला प्रशासन द्वारा सेना के हेलीकॉप्टर व आई.टी.बी.पी के जवानों की सहायता से राहत व बचाव कार्य आरम्भ किया था। सेना व आई.टी.बी.पी के जवानों ने 21 अक्टूबर को दो पर्यटकों को सुरक्षित ढूंढ निकाला था। इसी दौरान उन्हें अलग अलग स्थानों पर पाँच ट्रेकरों के शव ढूंढ निकलने में सफलता मिली थी। जबकि 4 पर्यटक लापता थे जिसमे से राहत व बचाव दल को 22 अक्तुबर को 2 शव ढूढ़ निकालने में सफलता मिली थी। अभी भी दो पर्यटक लापता हैं जिनकी राहत व बचाव दल द्वारा तलाश जारी है।

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