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बच्चा बदलने के मामले में नर्स व दाई गिरफ्तार, लापरवाही का सारा ठीकरा निम्न स्टाफ के सर फोड़ पल्ला रहा झाड़ केएनएच प्रबंधन

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बदले हुए बच्चों की माताओं की प्रसूति के समय थी दाई रूप देवी की ड्यूटी,अस्पताल प्रशासन ने भी की कार्रवाई की तैयारी, निलंबित होंगी महिला कर्मी

शिमला- राजधानी शिमला के कमला नेहरू अस्पताल (केएनएच) में बच्चा बदलने के मामले में पुलिस ने मंगलवार देर शाम दो महिला कर्मचारियों पुष्पा व रूप देवी को गिरफ्तार किया है। पुष्पा नर्स है जो नर्सरी रूम में तैनात थी। रूप देवी केएनएच में दाई के तौर पर कई साल से सेवाएं दे रही है। बदले हुए बच्चों की माताएं अंजना व शीतल की प्रसूति के समय भी रूप देवी की ड्यूटी थी।

पढ़ें: कमला नेहरू अस्पताल में बच्चा बदलने के मामले में अपने असली मां बाप को सौंप जाएंगे दोनों बच्चे

पुलिस ने पूछताछ के बाद पुष्पा व रूप देवी को गिरफ्तार किया है। इस मामले में यह अब तक सबसे बड़ी कार्रवाई पुलिस की ओर से की गई है। अस्पताल प्रबंधन के बड़े अधिकारी इससे पहले इस मामले से अपना पल्ला झाड़ चुके हैं। उन्होंने लापरवाही का सारा ठीकरा निम्न स्टाफ पर फोड़ दिया है। दोनों महिला कर्मचारियों के गिरफ्तार होने के बाद अस्पताल प्रशासन ने भी कार्रवाई की तैयारी शुरू कर दी है। इन महिला कर्मचारियों को अस्पताल प्रशासन निलंबित करेगा जिससे संबंधित फाइल बनाई जा रही है। जब भी किसी कर्मचारी के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज होता है तो उसके बाद प्रशासन सबसे पहले निष्कासित करता है। दो दिन के भीतर दोनों कर्मचारियों के निलंबित होने के संबंध में आदेश जारी हो सकते हैं।

क्या इस तरह पहले भी बच्चे बदले गए होंगे?

केएनएच में बच्चे बदलने के मामले में यह सवाल उठने लगा है कि क्या इस तरह पहले भी बच्चे बदले गए होंगे? अगर पहले भी ऐसा होता रहा होगा तो फिर कितने परिवारों में ऐसे बच्चे होंगे जो असली माता-पिता के हैं ही नहीं। क्या पुत्र मोह में बच्चे बदलने का खेल पहले से चल रहा होगा? अभी यह साफ नहीं हो पाया है कि बच्चे अनजाने में बदले गए हैं या जानबूझ कर लेकिन आज भी केएनएच के रिकॉर्ड में कोई बच्चा बदला ही नहीं गया है। जिन कागजों पर बच्चों की प्रसूति दर्ज होती है, उन्हें सही ढंग से स्टाफ और प्रशासन काला करता है ताकि गलती कभी पकड़ी ही न जाए।

पढ़ें: केएनएच में अभिभावकों का धरना-प्रदर्शन, अस्पताल ने मानी गलती, लेबर रूम स्टाफ पर डाला सारा इलज़ाम

उक्त मामले में भी पुलिस ने केएनएच के रिकॉर्ड के हिसाब से मामले की नहीं सुलझाया बल्कि डीएनए रिपोर्ट के दम पर खुलासा हुआ है। अगर आज से पहले बच्चे बदले भी गए होंगे तो किसी भी माता-पिता को इस संबंध में पता नहीं चल पाया होगा। एक दाई आसानी से किसी भी बच्चे को एक-दूसरे के हाथों में थमा सकती है। सबसे बड़ी बात यह है कि केएनएच में ग्रामीण क्षेत्रों के लोग सबसे अधिक आते हैं जो काफी भोले होते हैं। स्टाफ के साथ ग्रामीण कम उलझते हैं। वे केवल डॉक्टरों की हां में हां मिलाने में लगे होते हैं। प्रदेश के एकमात्र मातृ एवं शिशु अस्पताल केएनएच में लापरवाही के कारण इस तरह का मामला सामने आना कई सवाल खड़े करता है। जब से यह मामला सामने आया है, ऐसे सैकड़ों माता-पिता चिंता में पड़ गए हैं जिनके बच्चे केएनएच में पैदा हुए हैं।

दो महिला कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया है। पहले इन महिला कर्मचारियों से पूछताछ की गई। उसी आधार पर इन्हें गिरफ्तार किया गया। बुधवार को आरोपी महिलाओं को कोर्ट के समक्ष पेश किया जाएगा।

दाई नहीं बताती बेटा हुआ या बेटी

पुलिस पूछताछ में सामने आया है कि दाई यह बताती ही नहीं है कि बेटा हुआ है या बेटी। अगर लेबर रूम में प्रसूता का कोई तीमारदार न हो तो किसी को नहीं पता होता है कि बेटी या बेटा पैदा हुआ है। जिस दिन बच्चे बदले गए थे, उस दिन भी दोनों बच्चों के संबंध में दाई ने नहीं बताया था। दाई ने बच्चे पैदा होने के बाद नर्सरी रूम में तैनात नर्स को बच्चे थमा दिए थे। इसके अलावा यह नहीं बताया था कि किस महिला को क्या पैदा हुआ है। ऐसे में अब पुलिस भी चिंता में है। ऐसी लापरवाही पहले भी हुई होगी लेकिन लेबर रूम में तैनात किस कर्मचारी की गलती सबसे अधिक है, यह पुलिस तय नहीं कर पा रही है।

जानिए कब क्या हुआ

26 मई- केएनएच में शीतल की प्रसूती हुई। उसके साथ एक अन्य लड़की थी जिसे नर्स ने बताया कि शीतल के लड़का हुआ है। कुछ देर बाद बताया कि लड़की हुई है। उन्हें लड़की थमा दी गई।

13 जून– शिकायतकर्ता शीतल ने बच्ची का डीएनए टेस्ट करवाया।

28 जून-डीएनए रिपोर्ट आई जो परिजनों से मेल नहीं खा रही थी।

30 जून– परिजनों ने केएनएच प्रबंधन से लिखित शिकायत की।

13 जुलाई– परिजनों ने पुलिस अधीक्षक शिमला से शिकायत की।

14 जुलाई– छोटा शिमला थाना के एसएचओ ने मामले की जांच के लिए परिजनों को थाने में बुलाया।

15 जुलाई– पुलिस की निगरानी में डीएनए टेस्ट करवाया गया।

28 जुलाई– रिपोर्ट पुलिस को सौंपी गई।

4 अगस्त– पुलिस से दोबारा शिकायत की गई।

27 अगस्त– बच्ची का डीएनए सैंपल लिया गया।

9 सितंबर– फोरेंसिक लैब जुन्गा से रिपोर्ट मिली। बच्चे का डीएनए माता-पिता से नहीं मिला।

जच्चा-बच्चा के फुट-फिंगर प्रिंट लेना जरूरी

स्वास्थ्य विभाग की ओर मंगलवार को त्रैमासिक बैठक आयोजित की गई जिसमें विभिन्न क्षेत्रों से सभी सीएमओ ने भाग लिया। इस दौरान केएनएच में बच्चा बदलने के मामले को लेकर चर्चा की गई। इस दौरान सभी सीएमओ को सख्त निर्देश दिए गए कि अस्पतालों में होने वाले प्रसव के दौरान लापरवाही न बरती जाए और प्रसव के लिए आने वाली गर्भवती महिला के अंगूठे के निशान और नवजात के पैरों के निशान फार्म पर लिए जाएं।

इसके साथ ही मामले के दौरान तैनात स्टाफ की जिम्मेदारी भी तय करने को कहा गया। इसके अलावा सारे रिकार्ड को अप टू डेट करने के निर्देश जारी किए गए। इसके साथ ही सभी सीएमओ को निर्देश दिए गए कि वह जेनेरिक दवाएं लिखनी सुनिश्चित करें। इतना ही नहीं बैठक में यह भी कहा गया कि जो डाक्टर जेनेरिक दवाएं लिखे वह यह भी सुनिश्चित करें कि स्टोर पर वे दवाइयां मरीज को उपलब्ध भी हों। ऐसा न करने की स्थिति में सीएमओ के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जा सकती है।

पीएनडीटी एक्ट के तहत सभी सीएमओ को निर्देश दिए गए हैं कि उन्हें अपने अधीन आने वाले क्षेत्र विशेष में अल्ट्रासाउंड क्लीनिकों का हर तीन माह में निरीक्षण करना होगा। बैठक के दौरान सामने आया कि अधिकतर मामलों में निरीक्षण नहीं किया जाता है। इसके साथ-साथ फूड सैंपल लेने वाले अधिकारियों को सख्त निर्देश जारी किए गए हैं वह अधिक मात्रा में खाद्य वस्तुओं के सैंपल ले और तय समय में उनकी जांच सुनिश्चित करें, ताकि घटियां सामान पर नजर रखी जा सके।

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हिमाचल की तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर लगे 76,000 से अधिक सेब के पौधे

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शिमला- डॉ यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के विस्तार शिक्षा निदेशालय में पहाड़ी कृषि एवं ग्रामीण विकास एजेंसी(हार्प), शिमला द्वारा एक अनुभव-साझाकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया।

इस कार्यशाला में जिला किन्नौर के निचार विकास खंड के रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों के 34 किसानों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर जीएम नाबार्ड डॉ. सुधांशु मिश्रा मुख्य अतिथि रहे जबकि नौणी विवि के अनुसंधान निदेशक डॉ रविंदर शर्मा ने विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत की।

संस्था के अध्यक्ष डॉ. आर एस रतन ने कहा कि यह कार्यक्रम एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना के तहत रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों में वर्ष 2014 से आयोजित किया जा रहा है। परियोजना को नाबार्ड द्वारा वित्त पोषित किया गया है और इसे हार्प द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।

उन्होंने यह बताया कि यह एक बागवानी आधारित आजीविका कार्यक्रम है जिसे किसानों की भागीदारी से लागू किया गया है। इन तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर 76,000 से अधिक सेब के पौधे लगाए गए हैं और 607 परिवार लाभान्वित हुए हैं।

डॉ. सुधांशु मिश्रा ने यह भी कहा कि नाबार्ड हमेशा सामाजिक-आर्थिक उत्थान कार्यक्रमों के संचालन में आगे रहा है। उन्होंने इस कार्यशाला में भाग लेने वाले किसानों से अपने सहयोग से विभिन्न कार्यक्रमों को सफल बनाने का आग्रह किया।

अनुसंधान निदेशक डॉ. रविंदर शर्मा और विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. दिवेंद्र गुप्ता ने नाबार्ड और हार्प के प्रयासों की सराहना की और किसानों को आश्वासन दिया कि विश्वविद्यालय किसानों को तकनीकी रूप से समर्थन देने के लिए हमेशा तैयार है।

डॉ. नरेद्र कुमार ठाकुर ने कहा कि हार्प ने कृषक समुदाय के समन्वय से दुर्गम क्षेत्रों में कठिन परिस्थितियों में काम किया है। इस अवसर पर एक किसान-वैज्ञानिक परिचर्चा का भी आयोजन किया गया जिसमें भाग लेने वाले किसानों के तकनीकी प्रश्नों को संबोधित किया गया।

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हिमाचल सरकार पुलिसकर्मियों का कर रही है शोषण

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पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है,कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है,राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है,हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।

शिमला सीटू राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। कमेटी ने यह कहा है कि वह हिमाचल प्रदेश के पुलिसकर्मियों की मांगों का पूर्ण समर्थन करती है। आरोप लगाते हुए सीटू ने कहा है कि प्रदेश सरकार पुलिसकर्मियों का शोषण कर रही है।

राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार से यह मांग की है कि वर्ष 2013 के बाद नियुक्त पुलिसकर्मियों को पहले की भांति 5910 रुपये के बजाए 10300 रुपये संशोधित वेतन लागू किया जाए व उनकी अन्य सभी मांगों को बिना किसी विलंब के पूरा किया जाए।

सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में भी कर्मचारियों की प्रमुख मांगों को अनदेखा किया गया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में पुलिसकर्मियों की मांगों को पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया है।

सीटू कमेटी ने कहा कि सबसे मुश्किल डयूटी करने वाले व चौबीस घण्टे डयूटी में कार्यरत पुलिसकर्मियों को इस बैठक से मायूसी ही हाथ लगी है। इसी से आक्रोशित होकर पुलिसकर्मी मुख्यमंत्री आवास पहुंचे थे। उनके द्वारा पिछले कुछ दिनों से मैस के खाने के बॉयकॉट से उनकी पीड़ा का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि पुलिस कर्मियों के साथ ही सभी सरकारी कर्मचारी नवउदारवादी नीतियों की मार से अछूते नहीं है। कमेटी ने कहा कि पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है। कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।

कमेटी ने यह भी कहा है कि थानों में स्टेशनरी के लिए बेहद कम पैसा है व आईओ को केस की पूरी फ़ाइल का सैंकड़ों रुपये का खर्चा अपनी ही जेब से करना पड़ता है। थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है। मैस मनी केवल दो सौ दस रुपये महीना है जबकि मैस में पूरा महीना खाना खाने का खर्चा दो हज़ार रुपये से ज़्यादा आता है। यह प्रति डाइट केवल साढ़े तीन रुपये बनता है, जोकि पुलिस जवानों के साथ घोर मज़ाक है। यह स्थिति मिड डे मील के लिए आबंटित राशि से भी कम है।

उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के जमाने के बने बहुत सारे थानों की स्थिति खंडहर की तरह प्रतीत होती है जहां पर कार्यालयों को टाइलें लगाकर तो चमका दिया गया है परन्तु कस्टडी कक्षों,बाथरूमों,बैरकों,स्टोरों,मेस की स्थिति बहुत बुरी है। इन वजहों से भी पुलिस जवान भारी मानसिक तनाव में रहते हैं।

सीटू ने कहा कि पुलिस में स्टाफ कि बहुत कमी है या यूं कह लें कि बेहद कम है व कुल अनुमानित नियुक्तियों की तुलना में आधे जवान ही भर्ती किये गए हैं जबकि प्रदेश की जनसंख्या पहले की तुलना में काफी बढ़ चुकी है यहाँ तक पुलिस के पास रिलीवर भी नहीं है।

आरोप लगाते हुए कमेटी ने कहा कि प्रदेश की राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है। वहीं पुलिस कर्मी निरन्तर ओवरटाइम डयूटी करते हैं। इसकी एवज में उन्हें केवल एक महीना ज़्यादा वेतन दिया जाता है। इस से प्रत्येक पुलिसकर्मी को वर्तमान वेतन की तुलना में दस से बारह हज़ार रुपये का नुकसान उठाना पड़ता है। उन्हें लगभग नब्बे साप्ताहिक अवकाश,सेकंड सैटरडे,राष्ट्रीय व त्योहार व अन्य छुट्टियों के मुकाबले में केवल पन्द्रह स्पेशल लीव दी जाती है।

सीटू कमेटी ने यह भी कहा कि वर्ष 2007 में हिमाचल प्रदेश में बने पुलिस एक्ट के पन्द्रह साल बीतने पर भी नियम नहीं बन पाए हैं। इस एक्ट के अनुसार पुलिसकर्मियों को सुविधा तो दी नहीं जाती है परन्तु कर्मियों को दंडित करने के लिए इसके प्रावधान बगैर नियमों के भी लागू किये जा रहे हैं जिसमें एक दिन डयूटी से अनुपस्थित रहने पर तीन दिन का वेतन काटना भी शामिल है। पुलिसकर्मियों की प्रोमोशन में भी कई विसंगतियां हैं व इसका टाइम पीरियड भी बहुत लंबा है। हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।

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किन्नौर में लापता पर्यटकों में से 2 और के शव बरामद, 2 की तालाश जारी,आभी तक कुल 7 शव बरामद

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शिमला रिकोंगपिओ में 14 अक्तुबर को उत्तरकाशी के हर्षिल से छितकुल की ट्रैकिंग पर निकले 11 पर्यटकों में से लापता चार पर्वतारोहीयों में से दो  पर्वतारोहियों के शवो को आई.टी.बी.पी व पुलिस दल द्वारा पिछले कल सांगला लाया गया था जहां सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सांगला में दोनों शवों का पोस्टमार्टम किया गया।

यह जानकारी देते हुए उपायुक्त किन्नौर अपूर्व देवगन ने बताया कि इन दोनों की पहचान कर ली गई है जिनमे मे एक उतरकाशी व दूसरा पश्चिम बंगाल से सम्बंधित था।

उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन किन्नौर द्वारा आज एक शव वाहन द्वारा उतरकाशी को भेज दिया गया है जहाँ शव को जिला प्रशासन उतरकाशी को सौंपा जाएगा। जब कि दूसरा शव वाहन द्वारा शिमला भेजा गया है जिसे शिमला में मृतक के परिजनों को सौंपा जायेगा।

उपायुक्त अपूर्व देवगन ने बताया कि अभी भी लापता दो  पर्यटकों की तलाश आई.टी.बी.पी के जवानों द्वारा जारी है। उल्लेखनीय है कि गत दिनों उतरकाशी से छितकुल के लिये 11 पर्वतारोही ट्रेकिंग पर निकले थे जो बर्फबारी के कारण लमखंगा दर्रे में फंस गये थे जिसकी सूचना मिलने पर जिला प्रशासन द्वारा सेना के हेलीकॉप्टर व आई.टी.बी.पी के जवानों की सहायता से राहत व बचाव कार्य आरम्भ किया था। सेना व आई.टी.बी.पी के जवानों ने 21 अक्टूबर को दो पर्यटकों को सुरक्षित ढूंढ निकाला था। इसी दौरान उन्हें अलग अलग स्थानों पर पाँच ट्रेकरों के शव ढूंढ निकलने में सफलता मिली थी। जबकि 4 पर्यटक लापता थे जिसमे से राहत व बचाव दल को 22 अक्तुबर को 2 शव ढूढ़ निकालने में सफलता मिली थी। अभी भी दो पर्यटक लापता हैं जिनकी राहत व बचाव दल द्वारा तलाश जारी है।

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