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शिमला पुलिस पर सूचना देने वाले को बेरहमी से पीटने, धमकाने, व अपराधियों को बचाने का आरोप

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दिनांक मार्च 17, 2016 वीरवार की रात्रि 8 बजे के करीब उनके भतीजे नितेश गुप्ता का फोन आया की वह हीरानगर से टुटू की ओर अपने स्कूटर पर आ रहा था तो उसने देखा की कुछ आदमी हीरानगर-डेंन्डा मार्ग के बीच नाल्टू के जंगल में एक पिकअप रोक कर एक व्यक्ति की बेरहमी से मारकुटाई कर रहे हैं जिसकी सूचना नितेश ने पिकअप का नंबर सहित 100 नंबर डायल कर दर्ज करवाई ताकि पुलिस विभाग के कर्मचारी मौके पर जाकर लड़ाई झगड़ा रुकवा सके और घायल व्यक्ति को भी समय पर तुरंत उपचार मिल सके!

शिमला- एसएचओ बालूगंज द्वारा टुटू वासी नितेश गुप्ता पर मारकुटाई करने के मामले को टुटू व्यापार मण्डल ने निंदनीय करार दिया है! व्यापार मण्डल के पदाधिकारियों ने प्रेस को जारी एक ब्यान में कहा कि नितेश गुप्ता इज्जतदार परिवार से संबंध रखता है और उनका परिवार लगभग पिछले 7 दशकों से टुटू में व्यापार करता हैं और न ही उनके परिवार का और नितेश का कोई पुलिस रिकार्ड आपराधिक मामलों को लेकर खराब है!

व्यापार मण्डल अध्यक्ष का कहना है कि हो सकता है शिकायतकर्ता द्वारा दी गई सूचना गलत हो फिर भी कानून के रखवालों को कानून हाथ में लेने का कोई अधिकार नहीं है! पुलिस द्वारा कानून के दायरे में रह कर कार्यवाही अमल में लाई जा सकती है! अध्यक्ष ने कहा कि पहले तो शिकायतकर्ता को अकेले थाने में बुलाना और फिर उससे साथ मारकुटाई करना कहीं न कहीं पुलिस अधिकारियों पर कई सवालिया निशान पैदा करता है!

SHO बालुगंज पर आरोप शिकायतकर्ता को पिट डाला

SHO बालुगंज पर आरोप शिकायतकर्ता को पिट डाला |

Posted by Totu टुटू on Sunday, March 20, 2016

व्यापार मण्डल टुटू ने प्रदेश के मुख्यमंत्री से इस प्रकरण पर उच्च-स्तरीय जांच करने की मांग की है और दोषि अधिकारियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही की मांग की है! उन्होने कहा कि यदि पुलिस प्रशासन,अधिकारियों व कर्मचारियों को ऐसे ही सूचना देने वाले पर मारकुटाई गाली-गलोच करने का ऐसा ही रवैया रहा तो कोई भी आम आदमी पुलिस विभाग को सूचना नहीं देगा और जिस कारण हिमाचल में अपराध बढ़ेगा न की कम होगा और जनता का विश्वास भी हासिल न होगा! मण्डल अध्यक्ष ने कहा कि पुलिस विभाग की ऐसी बेहूदी कारवाई से पूरा विभाग बदनाम होता है!

ज्ञात रहे की हीरानगर के पास कुछ लोगों का आपसी झगड़ा हो रहा था जिसकी सूचना नितेश गुप्ता द्वारा 100 नंबर पर दी गई थी और बालूगंज थाना इंचार्ज विरीसिंह ने सूचना देने वाले के साथ ही अगले दिन थाने में बुलाकर उल्टा मारपीट कर डाली जिसकी शिकायत नितेश गुप्ता ने प्रदेश पुलिस प्रमुख व प्रदेश के मुख्य मंत्री को बालूगंज थाना इंचार्ज के खिलाफ कार्यवाही को लेकर शनिवार को सौंप दी है!

विकास समिति टुटू अध्यक्ष व सामाजिक कार्यकर्ता नागेन्द्र गुप्ता ने बालूगंज थाना इंचार्ज वीरीसिंह के खिलाफ उनके भतीजे के साथ बेवजह थाने के भीतर मारकुटाई करने और बतमीजी करने की शिकायत उच्च अधिकारियों के पास शिकायतकर्ता की ओर से दर्ज करवाई है और बालूगंज थाना इंचार्ज वीरसिंह के खिलाफ उच्च स्तरीय जांच कर उचित कार्यवाही करने की मांग की है!

समिति अध्यक्ष ने कहा कि जब रक्षक ही भक्षक बन जाएगा तो साधारण आदमी कहाँ गुहार लगाएगा! नागेन्द्र गुप्ता ने वारदात का हवाला देते हुये कहा कि दिनांक मार्च 17, 2016 वीरवार की रात्रि 8 बजे के करीब उनके भतीजे नितेश गुप्ता का फोन आया की वह हीरानगर से टुटू की ओर अपने स्कूटर पर आ रहा था तो उसने देखा की कुछ आदमी हीरानगर-डेंन्डा मार्ग के बीच नाल्टू के जंगल में एक पिकअप रोक कर एक व्यक्ति की बेरहमी से मारकुटाई कर रहे हैं जिसकी सूचना नितेश ने पिकअप का नंबर सहित 100 नंबर डायल कर दर्ज करवाई ताकि पुलिस विभाग के कर्मचारी मौके पर जाकर लड़ाई झगड़ा रुकवा सके और घायल व्यक्ति को भी समय पर तुरंत उपचार मिल सके!

नितेश गुप्ता ने बताया कि पिकअप के डाईवर ने उनके स्कूटर के पीछे गाड़ी भगाई जिसकी सूचना उसने टुटू चौक में तैनात पुलिस कर्मी को भी दी लेकिन टुटू चौक पर तैनात पुलिस कर्मी ने पिकअप को नहीं रोका और सूचना पुलिस थाना को दे दी! टुटू चौक पर तैनात पुलिस कर्मी ने माना की लड़ाई-झगड़े की सूचना एक टैक्सी चालक पहले भी उन्हे दे गया है!

नितेश का कहना है कि उन्होने 100 नंबर पर लड़ाई झगड़े की सूचना देकर अपना फर्ज निभाया लेकिन 100 नंबर ने अपना फर्ज न पूरा कर थाना बालूगंज में सूचना करने के लिए फोन नंबर दे दिया! उन्होने कहा की उन्हे मालूम नहीं था कि किसी व्यक्ति की जान बचाने की कीमत उन्हे ऐसे अदा करनी पड़ेगी की पुलिस उन्हे बार-बार फोन कर तंग करने लग जाएगी जिसे देख गुप्ता ने पुलिस विभाग की परेशानी से बचने के लिए वारदात की तहक़ीक़ात करने की बात की है!

नितेशका यह भी कहना है कि थाना इंचार्ज का ऐसा दुर्व्यवहार देख इसका मतलब तो यह हुआ की सबकुछ देख कर आँखें मूंद कर नजरंअदाज कर मौके से निकल जाओ! उन्होने यह भी कहा कि अपनी मल्टीनेशनल कंपनी की डिप्टी जनरल मैनेजर पद की नौकरी पर कार्य करने के दौरान भी 30-40 विदेशों दौरे के दौरान भी विदेशों में ऐसी व्यवस्थाएं नहीं देखी है की शिकायतकर्ता को ही दोषी साबित कर दे!

समिति अध्यक्ष ने कहा कि उनके भतीजे ने उन्हे बताया की पुलिस ने शूकवार सुबह उसे थाने में बुलाया और एसएचओ ने एक सोची समझी साजिश कर दोषियों को बचाने और शिकायतकर्ता से साथ ही मारकुटाई कर उल्टा सूचना देने वाले पर ही केस बना दिया! गुप्ता ने कहा कि एसएचओ बालूगंज वीरसिंह शिकायतकर्ता की पत्नी के साथ भी थाने में बतमीजी से पेश आए और परिवार को बिना सूचना दिये ही शिकायतकर्ता को गिरफ़्तार कर लिया!

टुटू समिति के अध्यक्ष ने यह भी बताया कि नितेश जब वापिस घर नहीं आए तो उन्होने मोबाईल पर फोन किया तब एक कांस्टेबल ने बताया कि नितेश का मोबाइल जब्त कर उसे अरेस्ट कर लिया गया है! गुप्ता का कहना है कि उन्हे अपनी बहू की ओर से भतीजे को अरेस्ट करने की सूचना मिलते ही वह दोपहर बाद थाना बालूगंज पहुंचे और एसएचओ के कहने पर मुचलका भर कर अपने भतीजे को जमानत पर छुड़वाया!

नागेन्द्र ने कहा कि नितेश गुप्ता के ब्यान के मुताबिक थाना इंचार्ज वीरीसिंह ने बेरहमी से मारकुटाई की और गाली गलोच किया तथा उन्हे विभिन्न धाराएँ लगाकर तीन महीने तक हवालात में बंद करने की भी धमकी दी !

टुटू समिति अध्यक्ष ने बताया कि उनका पूरा परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी टुटू-घनाहट्टी के एक प्रतिष्ठित परिवारों में जाना जाता है और जब प्रतिष्ठित परिवारों के सदस्यों के साथ ही प्रदेश पुलिस का ऐसा व्यवहार होगा तो आम आदमी कैसे सुरक्षित रहेगा और अपराध कैसे कम होगा!

उन्होने प्रदेश पुलिस प्रमुख,अतिरिक्त मुख्यसचिव (गृह) से उच्च स्तरीय जांच समिति गठित कर दोषी थाना बालूगंज में एस॰एच.ओ॰ वीरसिंह के खिलाफ कार्यवाई करने और तुरंत प्रभाव से निलंबित करने की मांग की है! नागेन्द्र गुप्ता ने कहा कि पुलिस के ऐसे दुर्व्यवहारी अधिकारी निष्ठावान पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों की छवि भी खराव करते हैं!

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हिमाचल की तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर लगे 76,000 से अधिक सेब के पौधे

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शिमला- डॉ यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के विस्तार शिक्षा निदेशालय में पहाड़ी कृषि एवं ग्रामीण विकास एजेंसी(हार्प), शिमला द्वारा एक अनुभव-साझाकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया।

इस कार्यशाला में जिला किन्नौर के निचार विकास खंड के रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों के 34 किसानों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर जीएम नाबार्ड डॉ. सुधांशु मिश्रा मुख्य अतिथि रहे जबकि नौणी विवि के अनुसंधान निदेशक डॉ रविंदर शर्मा ने विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत की।

संस्था के अध्यक्ष डॉ. आर एस रतन ने कहा कि यह कार्यक्रम एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना के तहत रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों में वर्ष 2014 से आयोजित किया जा रहा है। परियोजना को नाबार्ड द्वारा वित्त पोषित किया गया है और इसे हार्प द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।

उन्होंने यह बताया कि यह एक बागवानी आधारित आजीविका कार्यक्रम है जिसे किसानों की भागीदारी से लागू किया गया है। इन तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर 76,000 से अधिक सेब के पौधे लगाए गए हैं और 607 परिवार लाभान्वित हुए हैं।

डॉ. सुधांशु मिश्रा ने यह भी कहा कि नाबार्ड हमेशा सामाजिक-आर्थिक उत्थान कार्यक्रमों के संचालन में आगे रहा है। उन्होंने इस कार्यशाला में भाग लेने वाले किसानों से अपने सहयोग से विभिन्न कार्यक्रमों को सफल बनाने का आग्रह किया।

अनुसंधान निदेशक डॉ. रविंदर शर्मा और विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. दिवेंद्र गुप्ता ने नाबार्ड और हार्प के प्रयासों की सराहना की और किसानों को आश्वासन दिया कि विश्वविद्यालय किसानों को तकनीकी रूप से समर्थन देने के लिए हमेशा तैयार है।

डॉ. नरेद्र कुमार ठाकुर ने कहा कि हार्प ने कृषक समुदाय के समन्वय से दुर्गम क्षेत्रों में कठिन परिस्थितियों में काम किया है। इस अवसर पर एक किसान-वैज्ञानिक परिचर्चा का भी आयोजन किया गया जिसमें भाग लेने वाले किसानों के तकनीकी प्रश्नों को संबोधित किया गया।

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हिमाचल सरकार पुलिसकर्मियों का कर रही है शोषण

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पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है,कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है,राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है,हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।

शिमला सीटू राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। कमेटी ने यह कहा है कि वह हिमाचल प्रदेश के पुलिसकर्मियों की मांगों का पूर्ण समर्थन करती है। आरोप लगाते हुए सीटू ने कहा है कि प्रदेश सरकार पुलिसकर्मियों का शोषण कर रही है।

राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार से यह मांग की है कि वर्ष 2013 के बाद नियुक्त पुलिसकर्मियों को पहले की भांति 5910 रुपये के बजाए 10300 रुपये संशोधित वेतन लागू किया जाए व उनकी अन्य सभी मांगों को बिना किसी विलंब के पूरा किया जाए।

सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में भी कर्मचारियों की प्रमुख मांगों को अनदेखा किया गया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में पुलिसकर्मियों की मांगों को पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया है।

सीटू कमेटी ने कहा कि सबसे मुश्किल डयूटी करने वाले व चौबीस घण्टे डयूटी में कार्यरत पुलिसकर्मियों को इस बैठक से मायूसी ही हाथ लगी है। इसी से आक्रोशित होकर पुलिसकर्मी मुख्यमंत्री आवास पहुंचे थे। उनके द्वारा पिछले कुछ दिनों से मैस के खाने के बॉयकॉट से उनकी पीड़ा का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि पुलिस कर्मियों के साथ ही सभी सरकारी कर्मचारी नवउदारवादी नीतियों की मार से अछूते नहीं है। कमेटी ने कहा कि पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है। कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।

कमेटी ने यह भी कहा है कि थानों में स्टेशनरी के लिए बेहद कम पैसा है व आईओ को केस की पूरी फ़ाइल का सैंकड़ों रुपये का खर्चा अपनी ही जेब से करना पड़ता है। थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है। मैस मनी केवल दो सौ दस रुपये महीना है जबकि मैस में पूरा महीना खाना खाने का खर्चा दो हज़ार रुपये से ज़्यादा आता है। यह प्रति डाइट केवल साढ़े तीन रुपये बनता है, जोकि पुलिस जवानों के साथ घोर मज़ाक है। यह स्थिति मिड डे मील के लिए आबंटित राशि से भी कम है।

उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के जमाने के बने बहुत सारे थानों की स्थिति खंडहर की तरह प्रतीत होती है जहां पर कार्यालयों को टाइलें लगाकर तो चमका दिया गया है परन्तु कस्टडी कक्षों,बाथरूमों,बैरकों,स्टोरों,मेस की स्थिति बहुत बुरी है। इन वजहों से भी पुलिस जवान भारी मानसिक तनाव में रहते हैं।

सीटू ने कहा कि पुलिस में स्टाफ कि बहुत कमी है या यूं कह लें कि बेहद कम है व कुल अनुमानित नियुक्तियों की तुलना में आधे जवान ही भर्ती किये गए हैं जबकि प्रदेश की जनसंख्या पहले की तुलना में काफी बढ़ चुकी है यहाँ तक पुलिस के पास रिलीवर भी नहीं है।

आरोप लगाते हुए कमेटी ने कहा कि प्रदेश की राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है। वहीं पुलिस कर्मी निरन्तर ओवरटाइम डयूटी करते हैं। इसकी एवज में उन्हें केवल एक महीना ज़्यादा वेतन दिया जाता है। इस से प्रत्येक पुलिसकर्मी को वर्तमान वेतन की तुलना में दस से बारह हज़ार रुपये का नुकसान उठाना पड़ता है। उन्हें लगभग नब्बे साप्ताहिक अवकाश,सेकंड सैटरडे,राष्ट्रीय व त्योहार व अन्य छुट्टियों के मुकाबले में केवल पन्द्रह स्पेशल लीव दी जाती है।

सीटू कमेटी ने यह भी कहा कि वर्ष 2007 में हिमाचल प्रदेश में बने पुलिस एक्ट के पन्द्रह साल बीतने पर भी नियम नहीं बन पाए हैं। इस एक्ट के अनुसार पुलिसकर्मियों को सुविधा तो दी नहीं जाती है परन्तु कर्मियों को दंडित करने के लिए इसके प्रावधान बगैर नियमों के भी लागू किये जा रहे हैं जिसमें एक दिन डयूटी से अनुपस्थित रहने पर तीन दिन का वेतन काटना भी शामिल है। पुलिसकर्मियों की प्रोमोशन में भी कई विसंगतियां हैं व इसका टाइम पीरियड भी बहुत लंबा है। हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।

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किन्नौर में लापता पर्यटकों में से 2 और के शव बरामद, 2 की तालाश जारी,आभी तक कुल 7 शव बरामद

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शिमला रिकोंगपिओ में 14 अक्तुबर को उत्तरकाशी के हर्षिल से छितकुल की ट्रैकिंग पर निकले 11 पर्यटकों में से लापता चार पर्वतारोहीयों में से दो  पर्वतारोहियों के शवो को आई.टी.बी.पी व पुलिस दल द्वारा पिछले कल सांगला लाया गया था जहां सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सांगला में दोनों शवों का पोस्टमार्टम किया गया।

यह जानकारी देते हुए उपायुक्त किन्नौर अपूर्व देवगन ने बताया कि इन दोनों की पहचान कर ली गई है जिनमे मे एक उतरकाशी व दूसरा पश्चिम बंगाल से सम्बंधित था।

उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन किन्नौर द्वारा आज एक शव वाहन द्वारा उतरकाशी को भेज दिया गया है जहाँ शव को जिला प्रशासन उतरकाशी को सौंपा जाएगा। जब कि दूसरा शव वाहन द्वारा शिमला भेजा गया है जिसे शिमला में मृतक के परिजनों को सौंपा जायेगा।

उपायुक्त अपूर्व देवगन ने बताया कि अभी भी लापता दो  पर्यटकों की तलाश आई.टी.बी.पी के जवानों द्वारा जारी है। उल्लेखनीय है कि गत दिनों उतरकाशी से छितकुल के लिये 11 पर्वतारोही ट्रेकिंग पर निकले थे जो बर्फबारी के कारण लमखंगा दर्रे में फंस गये थे जिसकी सूचना मिलने पर जिला प्रशासन द्वारा सेना के हेलीकॉप्टर व आई.टी.बी.पी के जवानों की सहायता से राहत व बचाव कार्य आरम्भ किया था। सेना व आई.टी.बी.पी के जवानों ने 21 अक्टूबर को दो पर्यटकों को सुरक्षित ढूंढ निकाला था। इसी दौरान उन्हें अलग अलग स्थानों पर पाँच ट्रेकरों के शव ढूंढ निकलने में सफलता मिली थी। जबकि 4 पर्यटक लापता थे जिसमे से राहत व बचाव दल को 22 अक्तुबर को 2 शव ढूढ़ निकालने में सफलता मिली थी। अभी भी दो पर्यटक लापता हैं जिनकी राहत व बचाव दल द्वारा तलाश जारी है।

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