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मांगों को लेकर हजारों किसानों का जोगिन्दर नगर में विशाल जत्था मार्च, 24 नवम्बर को दिल्ली में करेंगे प्रदर्शन
मंडी- हिमाचल किसान सभा के हजारों किसानों ने अपनी मांगों के समर्थन में आज जोगिन्दर नगर में में विशाल जत्था मार्च कियाI अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं राजस्थान के पूर्व विधायक अमरा राम के नेतृत्व में निकले जत्थे का कांगड़ा-मंडी सीमा पर घट्टा के पास निकली! ऋतुरंग कला मंच से जत्था मार्च निकाला गया जिसमें जोगिन्दर नगर विधान सभा क्षेत्र की लगभग 41 पंचायतों के 2 हजार से भी अधिक किसान परिवारों ने हिस्सा लिया!
हिमाचल किसान सभा ने कहा कि जोगिन्दर नगर में बंदरों व सूअरों के खिलाफ टास्क फ़ोर्स बनाकर तुरंत कलिंग अभियान चलाने, जोगिन्दर नगर की खस्ता हाल सडकों को ठीक करने, सभी सडकों को पक्का करने, बंद रूटों पर बसें चलाने, सिविल अस्पताल जोगिन्दर नगर व सीएचसी. लडभड़ोल में विशेषज्ञ डाक्टरों सहित सभी रिक्त पद भरने, टिक्करी मुशैहरा की हरिजन बस्ती सड़क को खोलने, जोगिन्दर नगर में एचआरटीसी का डिपो खोलने, मकरीड़ी में सब तहसील खोलने, भड़ोल में आईटीआई खोलने, जोगिन्दर नगर में बाई पास का निर्माण करने, मेडिकल कॉलेज व इंजीनियरिंग कॉलेज खोलने की मांग भी इस जत्था मार्च के माध्यम से उठाई गई!
किसान सभा ने कहा कि राष्ट्रीय व राज्य स्तर के मुद्दों में मनरेगा में हर वर्ष 200 दिन का काम व न्यूनतम 300 रू. दिहाड़ी देने, भूमिहीनों को भूमि, किसानों को लाभकारी दाम, गरीब व माध्यम किसानों को ब्याज मुक्त कर्ज, सभी किसानों की सभी प्रकार की फसलों का मुफ्त बीमा सभी छोटे माध्यम किसानों व ग्रामीण ग़रीबों को 3000/- रुपये मासिक पेंशन देने, और किसानों के खिलाफ बेदखली की मुहिम रोकने की मांग की गयी! सभा ने कहा कि कारपोरेट की लूट बंद करने, वायदा कारोबार पर रोक लगाने, महिलाओं, दलितों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार बंद करने की भी मांग करती है!
अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि केंद्र सरकार की किसान विरोधी नीतियों के चलते कृषि क्षेत्र गंभीर संकट से गुजर रहा हैI कृषि उत्पादों से सबसीडियां छीनने और किसानों की ऊपज की सरकारी खरीद से सरकार द्वारा पीछे हटने से किसानों की हालत बेहद खराब है! किसानों की आत्महत्याओं का सिलसिला मोदी सरकार के आने के बाद और तेजी से बढ़ा है! मोदी सरकार किसानों की जमीन छीन कर कारपोरेट एवं पूंजीपतियों के हवाले करने पर उतारू है! इसी मंशा से केंद्र की मोदी सरकार ने भूमि अधिग्रहण अध्यादेश थोंपा था, जिसे किसानों की ब्यापक एकजुटता व संघर्ष के चलते वापस लेना पड़ा था!
सभा ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने किसानों व आम जनता से किया एक भी चुनावी वायदा पूरा नहीं किया हैI स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू नहीं की गई, जिस के तहत किसानों को उनकी फसल के लागत मूल्य पर पचास प्रतिशत लाभकारी मूल्य जोड़ कर दिया जाना थाI मनरेगा में हर वर्ष एक परिवार को 100 दिन के काम की गारंटी है लेकिन मनरेगा बजट में कटौती के चलते 35 से 39 दिन का भी काम नहीं मिल रहा है! मोदी सरकार इस योजना को भी बंद करना चाहती है!
उन्होंने यह भी कहा कि देश भर में गंभीर कृषि संकट एवं सरकार की किसान विरोधी नीतियों के विरोध में किसानों को जागरूक करने के लिए ही देश के चार कोनों से किसान सभा के राष्ट्रीय स्तर के चार केन्द्रीय जत्थे तथा सैंकड़ों सब जत्थे चल रहे हैं जो कि 24 नवम्बर को दिल्ली पहुंचकर एक विशाल किसान प्रदर्शन का हिस्सा बनेंगे! उन्होंने कहा किसान अब आत्महत्या नहीं करेंगे बल्कि आत्महत्या के लिए मजबूर करने वाली केंद्र सरकार व कई राज्य सरकारों की नीतियों के खिलाफ संघर्ष करेंगेI उन्होंने कहा कि जोगिन्दर नगर एवं हिमाचल प्रदेश के किसानों को बंदरों को वर्मिन घोषित करवाने के लिए लड़ी गयी लम्बी लड़ाई की सफलता के लिए भी बधाई दी!
हिमाचल किसान सभा के राज्य सचिव कुशाल भारद्वाज ने कहा कि किसी भी हालत में मोदी सरकार की मनरेगा बंद करने की मुहिम को सफल नहीं होने देंगेI उन्होंने कहा कि परिवार पालने व ग्रामीण विकास के लिए मनरेगा में 200 दिन का काम और न्यूनतम 300 रूपये की दिहाड़ी मिलनी ही चाहिएI उन्होंने कहा कि किसान सभा के अनवरत संघर्षों द्वारा तथा इस वर्ष 26 अगस्त को 20 हजार से भी किसानों द्वारा विधान सभा के घेराव के बाद जोगिन्दर नगर व लडभड़ोल तहसीलों सहित प्रदेश भर में बंदरों को वर्मिन घोषित तो कर दिया गया है, लेकिन प्रदेश सरकार ने कलिंग अभियान के लिए गंभीर नहीं हैI उन्होंने मांग की कि सिद्धस्थ शिकारियों, बंदूक चलाने का अनुभव रखने वाले सभी पूर्व सैनिकों, पूर्व अर्ध सैनकों व वन विभाग की एक संयुक्त टास्क फ़ोर्स बना कर तुरंत कलिंग अभियान चलाया जाना चाहिएI
सभा का यह भी कहना है कि जोगिन्दर नगर की खस्ता हाल सभी सडकों को तुरंत ठीक किया जाएI तथा जोगिन्दर नगर को कोटली व मंडी से जोड़ने वाली 35 वर्ष पुरानी मनारू सड़क तो वाहन चलाने लायक भी नहीं बची हैI उन्होंने संपर्क सड़कों को भी पक्का करने की मांग कीI सभा ने कहा कि कांग्रेस व भाजपा जनता से झूठ बोलती हैं तथा विकास के झूठे दावे करती हैंI जोगिन्दर नगर में कई वर्षों से विशेषज्ञ डाक्टरों की कमी है और इस वक्त जोगिन्दर नगर व लडभड़ोल में डाक्टरों के 19 के लगभग पद खाली हैंI
किसान सभा का कहना है कि पिछले 12 वर्षो से कांग्रेस व भाजपा सरकारें जोगिन्दर नगर अस्पताल में अल्ट्रासाउंड मशीन विशेषज्ञ भी नियुक्त नहीं कर पाई हैंI आज दिन तक जोगिन्दर नगर में एचआरटीसी का क्षेत्रीय कार्यालय व वर्कशॉप तक नहीं हैI न कोई इंजीनियरिंग कॉलेज, न कोई मैडिकल कॉलेज, न कोई केन्द्रीय स्कूल खोला गया हैI सभा ने यह भी कहा कि लडभड़ोल क्षेत्र में पीने का पानी कि बेहद कमी हैI जोगिन्दर नगर में कोई उद्योग भी नहीं खोला गया है और हरिजन बस्ती टिक्करी की जबरन बंद की गयी सड़क को नहीं खोला जा रहा हैi सभा ने कांग्रेस व भाजपा दोनों पर आरोप मढ़ते हुए कहा कि दोनों ही पार्टियां विकास के खोखले दावे करती हैंI सभा ने कहा कि 24 नवम्बर की दिल्ली रैली में जोगिन्दर नगर से 300 किसान तथा पूरे हिमाचल से 2 हजार किसान हिस्सा लेंगे!
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हिमाचल की तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर लगे 76,000 से अधिक सेब के पौधे
शिमला- डॉ यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के विस्तार शिक्षा निदेशालय में पहाड़ी कृषि एवं ग्रामीण विकास एजेंसी(हार्प), शिमला द्वारा एक अनुभव-साझाकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस कार्यशाला में जिला किन्नौर के निचार विकास खंड के रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों के 34 किसानों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर जीएम नाबार्ड डॉ. सुधांशु मिश्रा मुख्य अतिथि रहे जबकि नौणी विवि के अनुसंधान निदेशक डॉ रविंदर शर्मा ने विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत की।
संस्था के अध्यक्ष डॉ. आर एस रतन ने कहा कि यह कार्यक्रम एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना के तहत रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों में वर्ष 2014 से आयोजित किया जा रहा है। परियोजना को नाबार्ड द्वारा वित्त पोषित किया गया है और इसे हार्प द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
उन्होंने यह बताया कि यह एक बागवानी आधारित आजीविका कार्यक्रम है जिसे किसानों की भागीदारी से लागू किया गया है। इन तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर 76,000 से अधिक सेब के पौधे लगाए गए हैं और 607 परिवार लाभान्वित हुए हैं।
डॉ. सुधांशु मिश्रा ने यह भी कहा कि नाबार्ड हमेशा सामाजिक-आर्थिक उत्थान कार्यक्रमों के संचालन में आगे रहा है। उन्होंने इस कार्यशाला में भाग लेने वाले किसानों से अपने सहयोग से विभिन्न कार्यक्रमों को सफल बनाने का आग्रह किया।
अनुसंधान निदेशक डॉ. रविंदर शर्मा और विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. दिवेंद्र गुप्ता ने नाबार्ड और हार्प के प्रयासों की सराहना की और किसानों को आश्वासन दिया कि विश्वविद्यालय किसानों को तकनीकी रूप से समर्थन देने के लिए हमेशा तैयार है।
डॉ. नरेद्र कुमार ठाकुर ने कहा कि हार्प ने कृषक समुदाय के समन्वय से दुर्गम क्षेत्रों में कठिन परिस्थितियों में काम किया है। इस अवसर पर एक किसान-वैज्ञानिक परिचर्चा का भी आयोजन किया गया जिसमें भाग लेने वाले किसानों के तकनीकी प्रश्नों को संबोधित किया गया।
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हिमाचल सरकार पुलिसकर्मियों का कर रही है शोषण
पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है,कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है,राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है,हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।
शिमला सीटू राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। कमेटी ने यह कहा है कि वह हिमाचल प्रदेश के पुलिसकर्मियों की मांगों का पूर्ण समर्थन करती है। आरोप लगाते हुए सीटू ने कहा है कि प्रदेश सरकार पुलिसकर्मियों का शोषण कर रही है।
राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार से यह मांग की है कि वर्ष 2013 के बाद नियुक्त पुलिसकर्मियों को पहले की भांति 5910 रुपये के बजाए 10300 रुपये संशोधित वेतन लागू किया जाए व उनकी अन्य सभी मांगों को बिना किसी विलंब के पूरा किया जाए।
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में भी कर्मचारियों की प्रमुख मांगों को अनदेखा किया गया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में पुलिसकर्मियों की मांगों को पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया है।
सीटू कमेटी ने कहा कि सबसे मुश्किल डयूटी करने वाले व चौबीस घण्टे डयूटी में कार्यरत पुलिसकर्मियों को इस बैठक से मायूसी ही हाथ लगी है। इसी से आक्रोशित होकर पुलिसकर्मी मुख्यमंत्री आवास पहुंचे थे। उनके द्वारा पिछले कुछ दिनों से मैस के खाने के बॉयकॉट से उनकी पीड़ा का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि पुलिस कर्मियों के साथ ही सभी सरकारी कर्मचारी नवउदारवादी नीतियों की मार से अछूते नहीं है। कमेटी ने कहा कि पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है। कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।
कमेटी ने यह भी कहा है कि थानों में स्टेशनरी के लिए बेहद कम पैसा है व आईओ को केस की पूरी फ़ाइल का सैंकड़ों रुपये का खर्चा अपनी ही जेब से करना पड़ता है। थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है। मैस मनी केवल दो सौ दस रुपये महीना है जबकि मैस में पूरा महीना खाना खाने का खर्चा दो हज़ार रुपये से ज़्यादा आता है। यह प्रति डाइट केवल साढ़े तीन रुपये बनता है, जोकि पुलिस जवानों के साथ घोर मज़ाक है। यह स्थिति मिड डे मील के लिए आबंटित राशि से भी कम है।
उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के जमाने के बने बहुत सारे थानों की स्थिति खंडहर की तरह प्रतीत होती है जहां पर कार्यालयों को टाइलें लगाकर तो चमका दिया गया है परन्तु कस्टडी कक्षों,बाथरूमों,बैरकों,स्टोरों,मेस की स्थिति बहुत बुरी है। इन वजहों से भी पुलिस जवान भारी मानसिक तनाव में रहते हैं।
सीटू ने कहा कि पुलिस में स्टाफ कि बहुत कमी है या यूं कह लें कि बेहद कम है व कुल अनुमानित नियुक्तियों की तुलना में आधे जवान ही भर्ती किये गए हैं जबकि प्रदेश की जनसंख्या पहले की तुलना में काफी बढ़ चुकी है यहाँ तक पुलिस के पास रिलीवर भी नहीं है।
आरोप लगाते हुए कमेटी ने कहा कि प्रदेश की राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है। वहीं पुलिस कर्मी निरन्तर ओवरटाइम डयूटी करते हैं। इसकी एवज में उन्हें केवल एक महीना ज़्यादा वेतन दिया जाता है। इस से प्रत्येक पुलिसकर्मी को वर्तमान वेतन की तुलना में दस से बारह हज़ार रुपये का नुकसान उठाना पड़ता है। उन्हें लगभग नब्बे साप्ताहिक अवकाश,सेकंड सैटरडे,राष्ट्रीय व त्योहार व अन्य छुट्टियों के मुकाबले में केवल पन्द्रह स्पेशल लीव दी जाती है।
सीटू कमेटी ने यह भी कहा कि वर्ष 2007 में हिमाचल प्रदेश में बने पुलिस एक्ट के पन्द्रह साल बीतने पर भी नियम नहीं बन पाए हैं। इस एक्ट के अनुसार पुलिसकर्मियों को सुविधा तो दी नहीं जाती है परन्तु कर्मियों को दंडित करने के लिए इसके प्रावधान बगैर नियमों के भी लागू किये जा रहे हैं जिसमें एक दिन डयूटी से अनुपस्थित रहने पर तीन दिन का वेतन काटना भी शामिल है। पुलिसकर्मियों की प्रोमोशन में भी कई विसंगतियां हैं व इसका टाइम पीरियड भी बहुत लंबा है। हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।
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किन्नौर में लापता पर्यटकों में से 2 और के शव बरामद, 2 की तालाश जारी,आभी तक कुल 7 शव बरामद
शिमला रिकोंगपिओ में 14 अक्तुबर को उत्तरकाशी के हर्षिल से छितकुल की ट्रैकिंग पर निकले 11 पर्यटकों में से लापता चार पर्वतारोहीयों में से दो पर्वतारोहियों के शवो को आई.टी.बी.पी व पुलिस दल द्वारा पिछले कल सांगला लाया गया था जहां सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सांगला में दोनों शवों का पोस्टमार्टम किया गया।
यह जानकारी देते हुए उपायुक्त किन्नौर अपूर्व देवगन ने बताया कि इन दोनों की पहचान कर ली गई है जिनमे मे एक उतरकाशी व दूसरा पश्चिम बंगाल से सम्बंधित था।
उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन किन्नौर द्वारा आज एक शव वाहन द्वारा उतरकाशी को भेज दिया गया है जहाँ शव को जिला प्रशासन उतरकाशी को सौंपा जाएगा। जब कि दूसरा शव वाहन द्वारा शिमला भेजा गया है जिसे शिमला में मृतक के परिजनों को सौंपा जायेगा।
उपायुक्त अपूर्व देवगन ने बताया कि अभी भी लापता दो पर्यटकों की तलाश आई.टी.बी.पी के जवानों द्वारा जारी है। उल्लेखनीय है कि गत दिनों उतरकाशी से छितकुल के लिये 11 पर्वतारोही ट्रेकिंग पर निकले थे जो बर्फबारी के कारण लमखंगा दर्रे में फंस गये थे जिसकी सूचना मिलने पर जिला प्रशासन द्वारा सेना के हेलीकॉप्टर व आई.टी.बी.पी के जवानों की सहायता से राहत व बचाव कार्य आरम्भ किया था। सेना व आई.टी.बी.पी के जवानों ने 21 अक्टूबर को दो पर्यटकों को सुरक्षित ढूंढ निकाला था। इसी दौरान उन्हें अलग अलग स्थानों पर पाँच ट्रेकरों के शव ढूंढ निकलने में सफलता मिली थी। जबकि 4 पर्यटक लापता थे जिसमे से राहत व बचाव दल को 22 अक्तुबर को 2 शव ढूढ़ निकालने में सफलता मिली थी। अभी भी दो पर्यटक लापता हैं जिनकी राहत व बचाव दल द्वारा तलाश जारी है।
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