शिमला-भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने भारतीय संविधान के अनुछेद 370 को हटाने के कदम को जम्मू कश्मीर की जनता के लोकतांत्रिक अधिकारों पर केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा हमला करार देते हुए इसके खिलाफ डीसी कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन किया। प्रदर्शन को सीपीआईएम राज्य सचिव डा. ओंकार शाद, राज्य सचिवालय सदस्य डा. कुलदीप सिंह तंवर, राज्य कमेटी सदस्य विजेंदर मेहरा, बलबीर पराशर, रमन थारटा ने संबोधित किया।
वक्ताओं ने कहा कि मोदी सरकार ने लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को अपनाए बिना ही संविधान के अनुछेद 370 को खत्म करके और जम्मू-कश्मीर राज्य को तबाह कर दिया है।
उन्होंने कहा कि कहा कि कश्मीर के लोगों ने पाकिस्तान से आक्रांताओं के सामने भारत मे शामिल होने का निर्णय लिया था और भारतीय राज्य द्वारा उन्हें विशेष दर्जा और स्वायत्तता प्रदान करने के लिए पूरी प्रतिबद्धता की गई थी, जिसे अनुच्छेद 370 में लागू किया गया था। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने इस प्रतिबद्धता पर वापस हटकर जम्मू और कश्मीर के लोगों को धोखा दिया है।
माकपा ने कहा कि यह सार्वभौमिक रूप से स्वीकार किया जाता है कि भारत की एकता इसकी विविधता में निहित है। भाजपा-आरएसएस शासक किसी भी विविधता और संघीय सिद्धांत को बर्दाश्त नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि वे जम्मू और कश्मीर को कब्जे वाले क्षेत्र के रूप में मान रहे हैं। संविधान पर हमला करते हुए, वे जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो केंद्र शासित केंद्र शासित प्रदेशों के रूप में परिवर्तित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह राष्ट्रीय एकता और राज्यों की संघ के रूप में भारत की अवधारणा पर सबसे बड़ा हमला है।
उन्होंने कहा कि इन सत्तावादी उपायों के चलते जम्मू-कश्मीर में दसियों हजार सैनिकों को तैनात किया गया है। प्रमुख राजनीतिक दलों के नेताओं को हिरासत में लिया गया है और जनता के आंदोलन को प्रतिबंधित किया गया है। यह खुद दिखाता है कि मोदी सरकार लोगों की सहमति के बिना अपने अपने एजेंडे को थोप रही रही है।
माकपा ने कहा कि यह सब शेष भारत के साथ जम्मू और कश्मीर के लोगों के रिश्ते को मजबूत करना, सभी हितधारकों के साथ राजनीतिक बातचीत की प्रक्रिया के माध्यम से होना चाहिए, जैसा कि सरकार ने तीन साल पहले वादा किया था। इसके बजाय, इस तरह का एकतरफा कदम केवल अलगाव को गहरा करेगा। यह भारत की एकता और अखंडता के लिए हानिकारक है।
माकपा मोदी सरकार द्वारा उठाए गए इन उपायों की निंदा करती है। सरकार की इस तरह की कार्यवाही अवैध और असंवैधानिक हैं। यह केवल जम्मू-कश्मीर तक ही सीमित नहीं है, तथा केंद्र की भाजपा सरकार आरएसएस के इशारों पर लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और संविधान पर हमला कर रही हैं। इस तरह के सत्तावादी हमले जनता के लोकतांत्रिक और संवैधानिक अधिकारों पर हमला है।
माकपा ने कहा कि पार्टी जम्मू और कश्मीर के लोगों के साथ खड़े होने और संविधान और देश के संघीय ढांचे पर इस तरह के हमलों का पुरजोर विरोध करती है।