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सड़क पक्की नहीं हुई तो नोटा दबाकर ज्वाली विधानसभा क्षेत्र करेगा कांग्रेस-बीजेपी का बहिष्कार

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काँगड़ा- काँगड़ा ज़िले के अन्तर्गत ज्वाली विधानसभा क्षेत्र के चनणी गांव के स्थानीय निवासियों ने हिमाचल वॉचर से संपर्क किया और बताया कि उनके क्षेत्र की सड़क की हालात बहुत खराब है और इस कच्ची सड़क को बने करीब 40 वर्ष हो गए हैं, लेकिन आज भी यह सड़क पक्की नहीं हो पायी है।

लोगो का कहना है कि उनके विधानसभा क्षेत्र के विधायक नीरज भारती ने 2012 में हुए विधानसभा चुनावो के समय कहा था कि वे जब तक यह सड़क काली नहीं हो जाती (तारकोल से पक्का होना) तब तक वे व्यक्तिगत तौर पर इस चुनाव क्षेत्र में नहीं आयँगे।

पढ़ें:अपने ही चुनाव क्षेत्र में छुप-2 कर आते है नीरज भारती जहाँ 30 साल से लोग कर रहे पक्की सड़क और बस का इंतज़ार

गांव के स्थानीय लोगो का कहना है कि पिछले 40 वर्षो से वादे पर वादे ही हुए है लेकिन काम कुछ नहीं हुए। यहाँ तक कि नीरज भारती के पिता पूर्व विधायक(ज्वाली) व पूर्व सांसद चंदर कुमार के समय से ही झूठे वादे होना शुरू हो गए थे। अब वतर्मान विधायक नीरज भारती भी उस झूठ की रीत को आगे बडा रहे हैं ।

भारतीय सेना के जवान शहीद रोशन के शव को ले जाने में हुई मुश्किलें

ग्रामीणों ने बताय कि कुछ समय पहले ही चनणी गांव के रहने जवान रोशन जो भारतीय सेना में तैनात थे। वे छुटियों में नूरपुर आये हुए थे जहाँ उनका देहांत हो गया। शहीद रोशन के परिजन उनके देह को लेकर नूरपुर से अपने पैतृक गाँव चांदनी आ रहे थे। लेकिन चनणी सड़क को देख उनके परिजन काफी दुखी हुए। इस सड़क पर गाड़ी लाना बहुत मुश्किल था। रास्ते में कई गाड़ियां फस गयी और कुछ को 4 किलोमीटर तक पैदल ही जाना पड़ा।

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शहीद जवान के परिजन पहले ही शोक की स्थिति में थे लेकिन चनणी सडक की हालत ने उन्हें पूरा तोड़ दिया। अंतिम संस्कार होने बाद शाम को जब परिजन वापस जाने लगे तो उनकी गाड़ियां निकलने में कितना समय लगा होगा यह अंदाज़ा आप लगा ही सकते हैं।

जवान के देहांत के 3 दिन बाद कागजी कार्यवाही के लिए भारतीय सेना की गाड़ी आयी तो वो भी नाले में फंस गयी और गहरी खायी की और धीरे-2 धंसने लगी। सेना के जवान मदद के लिए चिल्लाने लगे तभी वहां से गुजर रही एक लड़की आयी और उसने आस-पास के घरों से लोगो को बुलाया।

लोगो ने मौके पर देखा तो सेना की गाड़ी गहरी खायी में जाने ही वाली थी अगर लोग पहुँचने में थोड़ा और विलम्ब करते तो कोई बड़ा हादसा हो सकता था। काफी मुशकत के बाद गाड़ी को सड़क पर लाया गया।

सड़क न होने की वजह से स्कूल के छात्रों की होती है पिटाई

स्थानीय निवासियों ने यह भी बताया कि चांदनी गांव में पब्लिक स्कूल की बस आती हे लेकिन उस बस को देखे कर ऐसा नही लगता की वो स्कूल की बस है। खराब सड़क होने की वजह से कई बार इस बस का हादसा होने से टला है। ऐसा कई बार हुआ जब गांव के लोगों ने धक्का लगा कर स्कूल की बस को निकला है। स्कूल जाने वाले बच्चे कीचड़ का सामना करते हुए कितनी मुश्किलो से जाते होंगे यह आप खुद ही सोच सकते हैं।

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स्कूल के छात्रों हर बार स्कूल में समय से नहीं पहुंचते है। जबकि सरकारी स्कूल के सभी छात्र भी स्कूल काफी देरी से पहुंचते है जिससे उनकी शिक्षा व अनुशासन पर काफी बुरा प्रभाव पड़ रहा है। बच्चो को हर बार इस चांदनी सडक की वजह से सजा भी मिलती हे लेकिन स्कूल के अध्यापक कभी नही सोचते की सड़क न होने के कारण ये सब हो रहा हे।

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लोगों ने आरोप लगाया कि इस सड़क पर पीडब्ल्यूडी विभाग कोटला के कर्मचारी आते है और नंबर लगा के चले जाते है। यह सब केवल एक दिखावा है। नीरज भारती कुछ करना नही चाहते वे केवल फसबूक पर हर समाय ऑनलाइन मिलते है लेकिन काम के लिए उनके पास समय नही है।

चनणी गांव के स्थानीय निवासियों ने बताया कि उनके गांव के कुछ लोग आर्थिक सहायता और इस सड़क के पक्का होने की बात को लेकर विधियाक नीरज भारती के घर गए हाथ जोड़े मदद मांगी कि श्रीमान मारी सड़क का कुछ करो लेकिन माननीय विधायक घर से बाहर न निकले और लोगो को निराश होकर लौटना पड़ा।

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लोगों ने आरोप लगाया कि इस सड़क पर पीडब्ल्यूडी विभाग कोटला के कर्मचारी आते है और नंबर लगा के चले जाते है। यह सब केवल एक दिखावा है। नीरज भारती कुछ करना नही चाहते वे केवल फसबूक पर वो हर समाय ऑनलाइन मिलते है लेकिन काम के लिए उनके पास समय नही है।

चनणी गांव के स्थानीय निवासियों ने बताया कि उनके गांव के कुछ लोग आर्थिक सहायता और इस सड़क के पक्का होने की बात को लेकर विधायक
नीरज भारती के घर गए हाथ जोड़े मदद मांगी कि श्रीमान हमारी सड़क का कुछ करो लेकिन माननीय विधायक घर से बाहर न निकले और लोगो को निराश होकर लौटना पड़ा।

लोगो का कहना है कि इस सड़क को ठीक करने के लिए यहाँ जेसीबी भेज दी जाती है और एक दिन में 4 किलोमीटर से जयादा सड़क बना दी जाती है। यानि 11:35 से लेकर शाम 4:30 तक ही सारी सड़क को बना दिया जाता है।चाहे सडक नरक बनती जाये। इस तरह के तेज काम से चांदनी गांव की सड़क की हालत बहुत ख़राब हो गयी है।

पढ़िए क्या कहना है विधियाक नीरज भारती का:फॉलोअप: नीरज भारती अपने शब्दों पर कायम, कहा चनणी सड़क को मिली वितीय क्लीयरेंस, सड़क पक्का होने पर ही मांगेंगे वोट

भारती ने यह भी कहा कि बहुत से काम हो गए हैं और कुछ प्रक्रिया में हैं तो कुछ रह भी गए हैं लेकिन कोशिश पूरी है कि सब काम हो और लोगो को सहूलियत मिले।

ग्रामीणों का कहना है कि कुछ समय पहले मुख्यमंत्री ने काँगड़ा दौरे के दौरान यह घोषणा की थी कि जिले की ज्वाली विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली चनणी सड़क को पक्का किया जायेगा। लेकिन लोगो का कहना है कि वे अब कसी भी नेता के झूठे वादों के बहकावे में नहीं आएंगे।

गुस्साए लोगो का यह भी कहना है कि अगर चुनावों से पहले इस सड़क का काम शुरू नही होता है तो सभी ग्रामवासी इस विधानसभा चुनाव में नोटा(NOTA)का इस्तेमाल करके चुनाव का बहिष्कार करेंगे। ग्रामीणों ने सरकार से अनुरोध करते हुए कहा कि समय रहते इस सड़क को ठीक करवाया जाये।

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हिमाचल की तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर लगे 76,000 से अधिक सेब के पौधे

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शिमला- डॉ यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के विस्तार शिक्षा निदेशालय में पहाड़ी कृषि एवं ग्रामीण विकास एजेंसी(हार्प), शिमला द्वारा एक अनुभव-साझाकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया।

इस कार्यशाला में जिला किन्नौर के निचार विकास खंड के रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों के 34 किसानों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर जीएम नाबार्ड डॉ. सुधांशु मिश्रा मुख्य अतिथि रहे जबकि नौणी विवि के अनुसंधान निदेशक डॉ रविंदर शर्मा ने विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत की।

संस्था के अध्यक्ष डॉ. आर एस रतन ने कहा कि यह कार्यक्रम एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना के तहत रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों में वर्ष 2014 से आयोजित किया जा रहा है। परियोजना को नाबार्ड द्वारा वित्त पोषित किया गया है और इसे हार्प द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।

उन्होंने यह बताया कि यह एक बागवानी आधारित आजीविका कार्यक्रम है जिसे किसानों की भागीदारी से लागू किया गया है। इन तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर 76,000 से अधिक सेब के पौधे लगाए गए हैं और 607 परिवार लाभान्वित हुए हैं।

डॉ. सुधांशु मिश्रा ने यह भी कहा कि नाबार्ड हमेशा सामाजिक-आर्थिक उत्थान कार्यक्रमों के संचालन में आगे रहा है। उन्होंने इस कार्यशाला में भाग लेने वाले किसानों से अपने सहयोग से विभिन्न कार्यक्रमों को सफल बनाने का आग्रह किया।

अनुसंधान निदेशक डॉ. रविंदर शर्मा और विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. दिवेंद्र गुप्ता ने नाबार्ड और हार्प के प्रयासों की सराहना की और किसानों को आश्वासन दिया कि विश्वविद्यालय किसानों को तकनीकी रूप से समर्थन देने के लिए हमेशा तैयार है।

डॉ. नरेद्र कुमार ठाकुर ने कहा कि हार्प ने कृषक समुदाय के समन्वय से दुर्गम क्षेत्रों में कठिन परिस्थितियों में काम किया है। इस अवसर पर एक किसान-वैज्ञानिक परिचर्चा का भी आयोजन किया गया जिसमें भाग लेने वाले किसानों के तकनीकी प्रश्नों को संबोधित किया गया।

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हिमाचल सरकार पुलिसकर्मियों का कर रही है शोषण

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पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है,कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है,राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है,हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।

शिमला सीटू राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। कमेटी ने यह कहा है कि वह हिमाचल प्रदेश के पुलिसकर्मियों की मांगों का पूर्ण समर्थन करती है। आरोप लगाते हुए सीटू ने कहा है कि प्रदेश सरकार पुलिसकर्मियों का शोषण कर रही है।

राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार से यह मांग की है कि वर्ष 2013 के बाद नियुक्त पुलिसकर्मियों को पहले की भांति 5910 रुपये के बजाए 10300 रुपये संशोधित वेतन लागू किया जाए व उनकी अन्य सभी मांगों को बिना किसी विलंब के पूरा किया जाए।

सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में भी कर्मचारियों की प्रमुख मांगों को अनदेखा किया गया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में पुलिसकर्मियों की मांगों को पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया है।

सीटू कमेटी ने कहा कि सबसे मुश्किल डयूटी करने वाले व चौबीस घण्टे डयूटी में कार्यरत पुलिसकर्मियों को इस बैठक से मायूसी ही हाथ लगी है। इसी से आक्रोशित होकर पुलिसकर्मी मुख्यमंत्री आवास पहुंचे थे। उनके द्वारा पिछले कुछ दिनों से मैस के खाने के बॉयकॉट से उनकी पीड़ा का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि पुलिस कर्मियों के साथ ही सभी सरकारी कर्मचारी नवउदारवादी नीतियों की मार से अछूते नहीं है। कमेटी ने कहा कि पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है। कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।

कमेटी ने यह भी कहा है कि थानों में स्टेशनरी के लिए बेहद कम पैसा है व आईओ को केस की पूरी फ़ाइल का सैंकड़ों रुपये का खर्चा अपनी ही जेब से करना पड़ता है। थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है। मैस मनी केवल दो सौ दस रुपये महीना है जबकि मैस में पूरा महीना खाना खाने का खर्चा दो हज़ार रुपये से ज़्यादा आता है। यह प्रति डाइट केवल साढ़े तीन रुपये बनता है, जोकि पुलिस जवानों के साथ घोर मज़ाक है। यह स्थिति मिड डे मील के लिए आबंटित राशि से भी कम है।

उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के जमाने के बने बहुत सारे थानों की स्थिति खंडहर की तरह प्रतीत होती है जहां पर कार्यालयों को टाइलें लगाकर तो चमका दिया गया है परन्तु कस्टडी कक्षों,बाथरूमों,बैरकों,स्टोरों,मेस की स्थिति बहुत बुरी है। इन वजहों से भी पुलिस जवान भारी मानसिक तनाव में रहते हैं।

सीटू ने कहा कि पुलिस में स्टाफ कि बहुत कमी है या यूं कह लें कि बेहद कम है व कुल अनुमानित नियुक्तियों की तुलना में आधे जवान ही भर्ती किये गए हैं जबकि प्रदेश की जनसंख्या पहले की तुलना में काफी बढ़ चुकी है यहाँ तक पुलिस के पास रिलीवर भी नहीं है।

आरोप लगाते हुए कमेटी ने कहा कि प्रदेश की राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है। वहीं पुलिस कर्मी निरन्तर ओवरटाइम डयूटी करते हैं। इसकी एवज में उन्हें केवल एक महीना ज़्यादा वेतन दिया जाता है। इस से प्रत्येक पुलिसकर्मी को वर्तमान वेतन की तुलना में दस से बारह हज़ार रुपये का नुकसान उठाना पड़ता है। उन्हें लगभग नब्बे साप्ताहिक अवकाश,सेकंड सैटरडे,राष्ट्रीय व त्योहार व अन्य छुट्टियों के मुकाबले में केवल पन्द्रह स्पेशल लीव दी जाती है।

सीटू कमेटी ने यह भी कहा कि वर्ष 2007 में हिमाचल प्रदेश में बने पुलिस एक्ट के पन्द्रह साल बीतने पर भी नियम नहीं बन पाए हैं। इस एक्ट के अनुसार पुलिसकर्मियों को सुविधा तो दी नहीं जाती है परन्तु कर्मियों को दंडित करने के लिए इसके प्रावधान बगैर नियमों के भी लागू किये जा रहे हैं जिसमें एक दिन डयूटी से अनुपस्थित रहने पर तीन दिन का वेतन काटना भी शामिल है। पुलिसकर्मियों की प्रोमोशन में भी कई विसंगतियां हैं व इसका टाइम पीरियड भी बहुत लंबा है। हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।

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किन्नौर में लापता पर्यटकों में से 2 और के शव बरामद, 2 की तालाश जारी,आभी तक कुल 7 शव बरामद

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शिमला रिकोंगपिओ में 14 अक्तुबर को उत्तरकाशी के हर्षिल से छितकुल की ट्रैकिंग पर निकले 11 पर्यटकों में से लापता चार पर्वतारोहीयों में से दो  पर्वतारोहियों के शवो को आई.टी.बी.पी व पुलिस दल द्वारा पिछले कल सांगला लाया गया था जहां सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सांगला में दोनों शवों का पोस्टमार्टम किया गया।

यह जानकारी देते हुए उपायुक्त किन्नौर अपूर्व देवगन ने बताया कि इन दोनों की पहचान कर ली गई है जिनमे मे एक उतरकाशी व दूसरा पश्चिम बंगाल से सम्बंधित था।

उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन किन्नौर द्वारा आज एक शव वाहन द्वारा उतरकाशी को भेज दिया गया है जहाँ शव को जिला प्रशासन उतरकाशी को सौंपा जाएगा। जब कि दूसरा शव वाहन द्वारा शिमला भेजा गया है जिसे शिमला में मृतक के परिजनों को सौंपा जायेगा।

उपायुक्त अपूर्व देवगन ने बताया कि अभी भी लापता दो  पर्यटकों की तलाश आई.टी.बी.पी के जवानों द्वारा जारी है। उल्लेखनीय है कि गत दिनों उतरकाशी से छितकुल के लिये 11 पर्वतारोही ट्रेकिंग पर निकले थे जो बर्फबारी के कारण लमखंगा दर्रे में फंस गये थे जिसकी सूचना मिलने पर जिला प्रशासन द्वारा सेना के हेलीकॉप्टर व आई.टी.बी.पी के जवानों की सहायता से राहत व बचाव कार्य आरम्भ किया था। सेना व आई.टी.बी.पी के जवानों ने 21 अक्टूबर को दो पर्यटकों को सुरक्षित ढूंढ निकाला था। इसी दौरान उन्हें अलग अलग स्थानों पर पाँच ट्रेकरों के शव ढूंढ निकलने में सफलता मिली थी। जबकि 4 पर्यटक लापता थे जिसमे से राहत व बचाव दल को 22 अक्तुबर को 2 शव ढूढ़ निकालने में सफलता मिली थी। अभी भी दो पर्यटक लापता हैं जिनकी राहत व बचाव दल द्वारा तलाश जारी है।

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