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शिक्षा विभाग में 2000 दैनिक भोगी अंशकालीन कर्मचारियों होंगे नियमित, पढ़ें मंत्रिममण्डल के अन्य महत्वपूर्ण निर्णय
नगरोटा बगवां, शाहपुर, कुमारसैन और नैनादेवी में एसडीएम कार्यालय खोलने की स्वीकृति, कुल्लू बाई-पास से बिजली महादेव तक रज्जू मार्ग परियोजना की मंजूरी, चौपाल में राजकीय डिग्री महाविद्यालय खोलने को मंजूरी
शिमला-हिमाचल प्रदेश की आयोजित बैठक में उच्च/प्रारम्भिक शिक्षा विभाग में वर्ष 1996 की नीति के तहत 27 जुलाई, 2001 से पूर्व नियुक्त किए गए लगभग 2000 दैनिकभोगी अंशकालीन जलवाहकों तथा जलवाहक एवं सेवादारों, जिन्होंने 31 मार्च, 2016 तथा 30 सितम्बर, 2016 को बतौर दैनिक भोगी अंशकालीन जलवाहकों तथा जलवाहक एवं सेवादारों के रूप में 14 साल का निरन्तर सेवाकाल पूरा कर लिया है, की सेवाएं नियमित करने का निर्णय लिया गया।
बैठक में कांगड़ा जिले के नगरोटा बगवां और शाहपुर तथा शिमला जिले के कुमारसैन में नए उपमण्डल कार्यालय (नागरिक) खोलने का निर्णय लिया गया। बिलासपुर जिले के स्वारघाट में नैनादेवी के लिए नए उपमण्डल अधिकारी (नागरिक) का कार्यालय सृजन का भी मंत्रिमण्डल ने निर्णय लिया।
मंत्रिमण्डल ने मण्डी जिले में उप तहसील धर्मपुर को स्तरोन्नत कर तहसील बनाने का निर्णय भी लिया। उप तहसील टीहरा को धर्मपुर तहसील में मिलाने तथा उप तहसील टीहर से चौलथरा और सधोट पटवार वृत्तों को बाहर करने तथा इन्हें सरकाघाट तहसील में मिलाने का भी निर्णय लिया गया। इसी प्रकार संधोल तहसील के दो पटवार वृत्तों गोरट और कमलाह को प्रस्तावित धर्मपुर तहसील में मिलाने का भी बैठक में निर्णय लिया गया।
मंत्रिममण्डल ने सिरमौर जिले की नौराधार तहसील के पटवार वृत्त चारना, ददाहू तहसील के पटवार वृत्त खाला क्यार, भाटगढ़, कोटी धीमन व जारंग तथा चम्बा जिले के विकास खण्ड मैहला को दुर्गम क्षेत्र सब-कैडर में शामिल करने को अपनी मंजूरी प्रदान की।
बैठक में शिमला के उप-मोहाल क्यारी (रझाणा) को नगर निगम शिमला में शामिल करने का निर्णय लिया गया।
मंत्रिमण्डल ने जंगी-थोपन (960 मैगावाट) जल विद्युत परियोजना के मामले में बहुद्देशीय परियोजनाएं एवं ऊर्जा विभाग को केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों के साथ समझौता करने के लिए प्राधिकृत किया।
पदां का सृजन एवं भरना
मंत्रिमण्डल ने वन विभाग में अनुबंध आधार पर बहुद्देशीय कामगारों के 108, उच्च शिक्षा विभाग में कार्यालय सहायक (आईटी) के आठ, वैटरीनरी अधिकारी के सात तथा नगर निगम शिमला के अन्तर्गत कृष्णानगर स्थित आधुनिक बूचड़खाने के लिए पैरा-वैटरीनेरीयनज़ के आठ पद सृजित करने को स्वीकृति प्रदान की गई।
मंत्रिमंडल ने शिक्षा विभाग में अनुबंध आधार पर कनिष्ठ कार्यालय सहायक (सूचना प्रौद्योगिकी) के 6, लेखन एवं मुद्रण विभाग में कनिष्ठ कार्यालय सहायक (सूचना प्रौद्योगिकी) के 4 तथा सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग में कनिष्ठ कार्यालय सहायक (सूचना प्रौद्योगिकी) के 3 पदों को भरने की स्वीकृति प्रदान की।
मंत्रिमण्डल ने पॉलीटैक्निक/इंजिनियरिंग कालेज के उप-निदेशक के पद के सृजन व भरने को स्वीकृति प्रदान की। आतिथ्य सत्कार एवं प्रोटोकॉल विभाग में अनुबन्ध आधार पर लिपिक के 2 पदों को भरने की स्वीकृति प्रदान की गई। मंत्रिमण्डल ने बिलासपुर जिला के राजकीय महाविद्यालय जुखाला में एसएलए व जेएलए के एक-एक पद के सृजन को स्वीकृति प्रदान की। हमीरपुर जिला के राजकीय महाविद्यालय भोरंज में अनुबंध आधार पर कनिष्ठ कार्यालय सहायक (सूचना प्रौद्योगिकी) तथा नियमित आधार पर वरिष्ठ सहायक के एक पद को भरने की स्वीकृति प्रदान की गई।
अन्य महत्वपूर्ण निर्णय
मंत्रिमण्डल ने मुख्यमंत्री ज्ञान दीप योजना को मंजूरी प्रदान की जिसके तहत समस्त हिमाचली विद्यार्थियों को बिना किसी आय सीमा के बैंकों से 10 लाख तक के शिक्षा ऋण पर 4 प्रतिशत ब्याज अनुदान प्रदान किया जाएगा।
बैठक में कुल्लू बाईपास से बिजली महादेव तक पीपीपी मोड़ पर रज्जू मार्ग के निर्माण स्वीकृति प्रदान की गई।
मंत्रिमण्डल ने प्रस्तावित चामुंडा-होली सुरंग तक सड़क के निर्माण पर चर्चा की, जिसमें प्रथम दृष्ट्या इस मामले को भारत सरकार के राष्ट्रीय उच्च मार्ग प्राधिकरण से उठाने का निर्णय लिया गया।
बैठक में शिमला जिला के रोहडू तथा हमीरपुर जिला के नादौन में आवश्यक पदों सहित 2 नए नगर योजना कार्यालय खोलने को स्वीकृति प्रदान की गई।
मंत्रिमण्डल ने शिमला जिला के चौपाल में आगामी शैक्षणिक सत्र 2017-18 से अनुबन्ध आधार पर पदों को भरने सहित नया राजकीय डिग्री महाविद्यालय खोलने को मंजूरी प्रदान की।
बैठक में सिरमौर जिला के संगड़ाह में नए प्राथमिक शिक्षा खण्ड कार्यालय के सृजन को स्वीकृति प्रदान की गई।
मंत्रिमण्डल ने सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों/प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में अनुबन्ध आधार पर नियुक्त आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारियों की सेवाओं को नियमित करने को अपनी स्वीकृति प्रदान की।
बैठक में शिमला जिला के सुन्नी में किसान प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित करने के लिए पंजाब नेशनल बैंक किसान कल्याण निधि को 10 बीघा जमीन आवंटित करने की स्वीकृति प्रदान की गई।
मंत्रिमण्डल ने मानसिक रूप से विकलांग बच्चों के लिए आवासीय संस्थान स्थापित करने को स्वीकृति प्रदान की।
संशोधन एवं नियम
मंत्रिमण्डल ने हिमाचल प्रदेश रीवर राफ्टिंग नियम, 2005 में संशोधन करने का निर्णय लिया।
बैठक में राज्य की क्षेत्रीय योजनाओं की व्यवस्था को स्वीकृति प्रदान की गई। शहरी एवं नगर नियोजन विभाग द्वारा संविधान के 73वें एवं 74वें संशोधन के प्रावधानों के अनुरूप क्षेत्र की स्थापना के लिए सभी जिलों को एक इकाई के रूप में लिया जाएगा।
मंत्रिमण्डल ने समेकित शिशु संरक्षण योजना की पूर्ति के लिए जुविनाईल जस्टिस (बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण) अधिनियम-2015 से संबद्ध मुख्यमंत्री बाल उद्वार योजना में संशोधन को मंजूरी प्रदान की।
बैठक में केन्द्रीय बिक्री कर (हि.प्र.) नियम, 1970 में ‘जीजी फार्म (इनडेमनिटी बॉंड फार्म) के अंतर्वेश तथा नियम-6 व 6-बी में संशोधन को मंजूरी प्रदान की गई।
हिमाचल प्रदेश के अधिसूचित क्षेत्रों में दो वर्ष की अवधि के लिए वन संरक्षण अधिनियम, 1980 की अप्रासंगिकता से संबंधित प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की गई।
‘कम्प्यूटर एप्लिकेशन एवं सम्बद्ध गतिविधियां में प्रशिक्षण एवं दक्षता’ योजना-2006 के अन्तर्गत नियमों में संशोधन करने को भी मंत्रिमण्डल ने अपनी स्वीकृति प्रदान की।
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हिमाचल की तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर लगे 76,000 से अधिक सेब के पौधे
शिमला- डॉ यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के विस्तार शिक्षा निदेशालय में पहाड़ी कृषि एवं ग्रामीण विकास एजेंसी(हार्प), शिमला द्वारा एक अनुभव-साझाकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस कार्यशाला में जिला किन्नौर के निचार विकास खंड के रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों के 34 किसानों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर जीएम नाबार्ड डॉ. सुधांशु मिश्रा मुख्य अतिथि रहे जबकि नौणी विवि के अनुसंधान निदेशक डॉ रविंदर शर्मा ने विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत की।
संस्था के अध्यक्ष डॉ. आर एस रतन ने कहा कि यह कार्यक्रम एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना के तहत रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों में वर्ष 2014 से आयोजित किया जा रहा है। परियोजना को नाबार्ड द्वारा वित्त पोषित किया गया है और इसे हार्प द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
उन्होंने यह बताया कि यह एक बागवानी आधारित आजीविका कार्यक्रम है जिसे किसानों की भागीदारी से लागू किया गया है। इन तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर 76,000 से अधिक सेब के पौधे लगाए गए हैं और 607 परिवार लाभान्वित हुए हैं।
डॉ. सुधांशु मिश्रा ने यह भी कहा कि नाबार्ड हमेशा सामाजिक-आर्थिक उत्थान कार्यक्रमों के संचालन में आगे रहा है। उन्होंने इस कार्यशाला में भाग लेने वाले किसानों से अपने सहयोग से विभिन्न कार्यक्रमों को सफल बनाने का आग्रह किया।
अनुसंधान निदेशक डॉ. रविंदर शर्मा और विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. दिवेंद्र गुप्ता ने नाबार्ड और हार्प के प्रयासों की सराहना की और किसानों को आश्वासन दिया कि विश्वविद्यालय किसानों को तकनीकी रूप से समर्थन देने के लिए हमेशा तैयार है।
डॉ. नरेद्र कुमार ठाकुर ने कहा कि हार्प ने कृषक समुदाय के समन्वय से दुर्गम क्षेत्रों में कठिन परिस्थितियों में काम किया है। इस अवसर पर एक किसान-वैज्ञानिक परिचर्चा का भी आयोजन किया गया जिसमें भाग लेने वाले किसानों के तकनीकी प्रश्नों को संबोधित किया गया।
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हिमाचल सरकार पुलिसकर्मियों का कर रही है शोषण
पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है,कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है,राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है,हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।
शिमला सीटू राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। कमेटी ने यह कहा है कि वह हिमाचल प्रदेश के पुलिसकर्मियों की मांगों का पूर्ण समर्थन करती है। आरोप लगाते हुए सीटू ने कहा है कि प्रदेश सरकार पुलिसकर्मियों का शोषण कर रही है।
राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार से यह मांग की है कि वर्ष 2013 के बाद नियुक्त पुलिसकर्मियों को पहले की भांति 5910 रुपये के बजाए 10300 रुपये संशोधित वेतन लागू किया जाए व उनकी अन्य सभी मांगों को बिना किसी विलंब के पूरा किया जाए।
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में भी कर्मचारियों की प्रमुख मांगों को अनदेखा किया गया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में पुलिसकर्मियों की मांगों को पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया है।
सीटू कमेटी ने कहा कि सबसे मुश्किल डयूटी करने वाले व चौबीस घण्टे डयूटी में कार्यरत पुलिसकर्मियों को इस बैठक से मायूसी ही हाथ लगी है। इसी से आक्रोशित होकर पुलिसकर्मी मुख्यमंत्री आवास पहुंचे थे। उनके द्वारा पिछले कुछ दिनों से मैस के खाने के बॉयकॉट से उनकी पीड़ा का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि पुलिस कर्मियों के साथ ही सभी सरकारी कर्मचारी नवउदारवादी नीतियों की मार से अछूते नहीं है। कमेटी ने कहा कि पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है। कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।
कमेटी ने यह भी कहा है कि थानों में स्टेशनरी के लिए बेहद कम पैसा है व आईओ को केस की पूरी फ़ाइल का सैंकड़ों रुपये का खर्चा अपनी ही जेब से करना पड़ता है। थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है। मैस मनी केवल दो सौ दस रुपये महीना है जबकि मैस में पूरा महीना खाना खाने का खर्चा दो हज़ार रुपये से ज़्यादा आता है। यह प्रति डाइट केवल साढ़े तीन रुपये बनता है, जोकि पुलिस जवानों के साथ घोर मज़ाक है। यह स्थिति मिड डे मील के लिए आबंटित राशि से भी कम है।
उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के जमाने के बने बहुत सारे थानों की स्थिति खंडहर की तरह प्रतीत होती है जहां पर कार्यालयों को टाइलें लगाकर तो चमका दिया गया है परन्तु कस्टडी कक्षों,बाथरूमों,बैरकों,स्टोरों,मेस की स्थिति बहुत बुरी है। इन वजहों से भी पुलिस जवान भारी मानसिक तनाव में रहते हैं।
सीटू ने कहा कि पुलिस में स्टाफ कि बहुत कमी है या यूं कह लें कि बेहद कम है व कुल अनुमानित नियुक्तियों की तुलना में आधे जवान ही भर्ती किये गए हैं जबकि प्रदेश की जनसंख्या पहले की तुलना में काफी बढ़ चुकी है यहाँ तक पुलिस के पास रिलीवर भी नहीं है।
आरोप लगाते हुए कमेटी ने कहा कि प्रदेश की राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है। वहीं पुलिस कर्मी निरन्तर ओवरटाइम डयूटी करते हैं। इसकी एवज में उन्हें केवल एक महीना ज़्यादा वेतन दिया जाता है। इस से प्रत्येक पुलिसकर्मी को वर्तमान वेतन की तुलना में दस से बारह हज़ार रुपये का नुकसान उठाना पड़ता है। उन्हें लगभग नब्बे साप्ताहिक अवकाश,सेकंड सैटरडे,राष्ट्रीय व त्योहार व अन्य छुट्टियों के मुकाबले में केवल पन्द्रह स्पेशल लीव दी जाती है।
सीटू कमेटी ने यह भी कहा कि वर्ष 2007 में हिमाचल प्रदेश में बने पुलिस एक्ट के पन्द्रह साल बीतने पर भी नियम नहीं बन पाए हैं। इस एक्ट के अनुसार पुलिसकर्मियों को सुविधा तो दी नहीं जाती है परन्तु कर्मियों को दंडित करने के लिए इसके प्रावधान बगैर नियमों के भी लागू किये जा रहे हैं जिसमें एक दिन डयूटी से अनुपस्थित रहने पर तीन दिन का वेतन काटना भी शामिल है। पुलिसकर्मियों की प्रोमोशन में भी कई विसंगतियां हैं व इसका टाइम पीरियड भी बहुत लंबा है। हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।
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किन्नौर में लापता पर्यटकों में से 2 और के शव बरामद, 2 की तालाश जारी,आभी तक कुल 7 शव बरामद
शिमला रिकोंगपिओ में 14 अक्तुबर को उत्तरकाशी के हर्षिल से छितकुल की ट्रैकिंग पर निकले 11 पर्यटकों में से लापता चार पर्वतारोहीयों में से दो पर्वतारोहियों के शवो को आई.टी.बी.पी व पुलिस दल द्वारा पिछले कल सांगला लाया गया था जहां सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सांगला में दोनों शवों का पोस्टमार्टम किया गया।
यह जानकारी देते हुए उपायुक्त किन्नौर अपूर्व देवगन ने बताया कि इन दोनों की पहचान कर ली गई है जिनमे मे एक उतरकाशी व दूसरा पश्चिम बंगाल से सम्बंधित था।
उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन किन्नौर द्वारा आज एक शव वाहन द्वारा उतरकाशी को भेज दिया गया है जहाँ शव को जिला प्रशासन उतरकाशी को सौंपा जाएगा। जब कि दूसरा शव वाहन द्वारा शिमला भेजा गया है जिसे शिमला में मृतक के परिजनों को सौंपा जायेगा।
उपायुक्त अपूर्व देवगन ने बताया कि अभी भी लापता दो पर्यटकों की तलाश आई.टी.बी.पी के जवानों द्वारा जारी है। उल्लेखनीय है कि गत दिनों उतरकाशी से छितकुल के लिये 11 पर्वतारोही ट्रेकिंग पर निकले थे जो बर्फबारी के कारण लमखंगा दर्रे में फंस गये थे जिसकी सूचना मिलने पर जिला प्रशासन द्वारा सेना के हेलीकॉप्टर व आई.टी.बी.पी के जवानों की सहायता से राहत व बचाव कार्य आरम्भ किया था। सेना व आई.टी.बी.पी के जवानों ने 21 अक्टूबर को दो पर्यटकों को सुरक्षित ढूंढ निकाला था। इसी दौरान उन्हें अलग अलग स्थानों पर पाँच ट्रेकरों के शव ढूंढ निकलने में सफलता मिली थी। जबकि 4 पर्यटक लापता थे जिसमे से राहत व बचाव दल को 22 अक्तुबर को 2 शव ढूढ़ निकालने में सफलता मिली थी। अभी भी दो पर्यटक लापता हैं जिनकी राहत व बचाव दल द्वारा तलाश जारी है।