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गिरि पेयजल परियोजना में खुलेआम बहाया जा रहा बकरों का खून, सीवरेज और गंदा पानी, सरकार के लिए पानी की गुणवत्ता फिर भी ठीक

शिमला- हिमाचल सरकार जिस पानी के सबसे साफ होने का दावा कर रही है, उसकी सच्चाई कुछ और है। शिमला जिले के ठियोग तहसील के छैला कस्बे के पास गिरि नदी के तट पर रोजाना कई बकरों को काटा जा रहा है और कटे बकरों का खून गिरी नदी के पानी में खुलेआम बहाया जा रहा है।
प्रगतिनगर-गुम्मा, हुली, छैला, सैंज, लेलुपुल जैसे सभी कस्बों की सीवरेज और गंदा पानी गिरि में ही बहाया जा रहा हैं। सार्वजनिक शौचालयों के अभाव में लोग इसी के तट पर खुले में शौच कर रहे हैं। कपड़े धोने से लेकर पानी को दूषित करने वाले तमाम कार्य यहां हो रहे हैं और इन पर कोई रोक नहीं है।
सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग का कोई अफसर यहां झांकने तक नहीं जाता। इन कस्बों से आगे माईपुल नाम की जगह से राजधानी शिमला के लिए पानी उठाया जाता है। पीने के पानी में गंदगी के कारण शिमला शहर में पीलिया के हजारों मामले सामने आ रहे हैं। इससे कई लोग अपनी जान भी गंवा चुके हैं।
निरीक्षण में सामने आई चौंकाने वाली बातें
अश्वनी खड्ड में सीवरेज से युक्त और गंदा पानी पाए जाने के बाद अब गिरि परियोजना के पानी की गुणवत्ता को सही ठहराते हुए सरकार शहरवासियों को इसी का पानी पिला रही है।
माईपुल प्लांट से दी जाने वाली पीने के पानी की सप्लाई में प्रगतिनगर-गुम्मा, हुली और छैला कस्बे से ही गंदगी मिलनी शुरू हो जाती है। आगे सैंज और लेलुपुल कस्बों के भी यही हाल हैं।
यहां अधिकांश भवनों की गंदगी और गंदा पानी इसी में मिल रहा है। माईपुल में इस नदी के पानी को लिफ्ट करके शिमला पहुंचाया जा रहा है। शिमला के अलावा यहीं से ठियोग बाजार के लिए भी पानी सप्लाई होती है।
प्लांट पर बंद पड़ा है पानी साफ करने वाला ट्यूब सेटलर
माईपुल वाटर प्लांट पर पहुंचने पर पता चला कि पानी को साफ करने वाला ट्यूब सेटलर पिछले तीन महीने से बंद पड़ा है। इसमें इकट्ठी हुई गाद साफ नजर आती है। विभाग के अधिकारियों का तर्क है कि बरसात के समय में मटमैले पानी को साफ करने के लिए ही इसे चलाया जाता है।
सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग शिमला जोन के मुख्य अभियंता आरएम मुकुल का कहना है कि गिरि परियोजना के पानी के दूषित होने का अगर कोई ऐसा मामला है तो इसकी जांच की जाएगी। छानबीन के लिए संबंधित अधिकारियों को मौके पर भेजा जाएगा।
सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट को आईपीएच की क्लीन चिट
वहीं, सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग अब सीवर ट्रीटमेंट प्लांट के ठेकेदार को बचाने की कोशिश कर रहा है। महकमे का दावा है कि सीवर ट्रीटमेंट प्लांट से अश्वनी खड्ड का पानी दूषित नहीं हुआ है। सेप्टिक टैंकों से नालों में बहाई जा रही सीवर अश्वनी खड्ड के दूषित होने का कारण है।
विभाग मान रहा है कि मल्याणा सीवर ट्रीटमेंट प्लांट की मशीनें खराब हैं लेकिन साथ ही यह भी दावा किया जा रहा है कि प्लांट में सीवर ट्रीटमेंट का काम सही चल रहा है। अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुए आईपीएच राजधानी में पीलिया फैलने के लिए शहर के लोगों को ही जिम्मेदार ठहरा रहा है। सीवर ट्रीटमेंट प्लांट के निरीक्षण में आईपीएच की घोर लापरवाही उजागर होने के बावजूद महकमा अपनी गलती स्वीकारने को तैयार नहीं है।
आईपीएच के अफसरों का कहना है कि शहर में लोगों ने अपने घरों में सेप्टिक टैंक बना रखे हैं। टैंक भरने पर लोग सीवर खुले नालों में बहा देते हैं। नालों से बह कर गंदगी अश्वनी खड्ड तक पहुंच रही है, जिससे पानी दूषित हो रहा है। प्रवासी मजदूरों द्वारा खुले में शौच करने से भी अश्वनी खड्ड का पानी दूषित हो रहा है।
एसटीपी से दूषित नहीं हुआ अश्वनी का पानी
अश्वनी खड्ड का पानी सीवर ट्रीटमेंट प्लांट से दूषित नहीं हुआ। सेप्टिक टैंकों से नालों में बहाई जा रही गंदगी पानी को दूषित कर रही है। सीवर ट्रीटमेंट प्लांट की कुछ मशीनें खराब हैं लेकिन क्षमता के अनुसार प्लांट सही काम कर रहा है। मामले की जांच पूरी होने के बाद ही स्थिति स्पृष्ट हो पाएगी।- आरएम मुकुल, चीफ इंजीनियर, आईपीएच
आखिर कौन सी लॉबी बचा रही ठेकेदार को?
सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के ठेकेदार अक्षय डोगर एफआईआर दर्ज होने के 23 दिन बाद भी एसआईटी के हत्थे नहीं चढ़ा है। जनता सवाल उठ रही है कि आखिर कौन इस ठेकेदार को बचा रहा है। एक कारोबारी को पकड़ने में पुलिस को इतना समय क्यों लग रहा है? जबकि ठेकेदार के परिवार के सभी सदस्य शिमला में ही हैं। बावजूद इसके आज तक उसका कोई सुराग नहीं लग पाया है।
हालांकि आरोपी ठेकेदार की अग्रिम जमानत याचिका पर प्रदेश उच्च न्यायालय में शुक्रवार को फैसला होगा। ऐसे में अगर आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका खारिज हो जाती है तो आरोपी ठेकेदार पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर सकता है। इस मामले में अब तक पुलिस ने जेई प्रणीत कुमार और सुपरवाइजर मनोज वर्मा को गिरफ्तार किया है। इन्हें वीरवार को स्थानीय अदालत में पेश किया गया, जहां से अदालत ने दोनों आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।
उधर, ठेकेदार भी अग्रिम जमानत के लिए छटपटा रहा है। वीरवार को प्रदेश उच्च न्यायालय में अग्रिम जमानत के लिए याचिका लगा रखी थी। इसकी याचिका पर शुक्रवार को फैसला होगा? क्या शुक्रवार को आरोपी ठेकेदार अदालत में पहुंचेगा, इस पर भी संशय बना हुआ है।
आरोपी ठेकेदार की गिरफ्तारी न होने की वजह से पुलिस की जांच भी अधर में लटकी है। पुलिस का दावा है कि कई बार उसे पकड़ने के लिए संभावित जगहों पर दबिश दी गई, लेकिन उसका कहीं पता नहीं चला।
पुलिस को अंदेशा है कि आरोपी राज्य से बाहर है और ऐसा कोई साक्ष्य शातिर ठेकेदार ने नहीं छोड़ा है, जिससे पुलिस उस तक पहुंच पाए। हालांकि पुलिस का यह भी मानना है कि आखिर कब तक वह भागता रहेगा, उसे जल्द ही आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर कर देंगे।
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पुलिस की समयोचित कार्रवाई के बावजूद भाजपा का प्रदर्शन व आरोपी का घर जलाना ओछी राजनीति : मुख्यमंत्री

चंबा – मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने चम्बा जिला के सलूणी में हुए हत्याकांड के मामले में भारतीय जनता पार्टी द्वारा किए जा रहे प्रदर्शन पर गहरा क्षोभ व्यक्त करते हुए कहा कि यह शायद देश का पहला ऐसा मामला है जिसमें सभी आरोपियों को पकड़ा जा चुका है और पुलिस की समयोचित कार्रवाई के बावजूद भाजपा इस पर शोर-शराबा जारी रखे हुए है। उनका यह प्रदर्शन पूर्णतया अवांच्छित है और इसे न्यायसंगत नहीं कहा जा सकता।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस मामले में शामिल सभी लोगों की गिरफ्तारी के बावजूद घटना के पाँच दिनों के बाद भाजपा युवा मोर्चा से जुड़े लोगों ने आरोपी के घर को आग की भेंट चढ़ा दिया।
प्रदेश सरकार की ओर से बार-बार आश्वस्त किया गया है कि इस मामले में संलिप्त सभी दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा सुनिश्चित की जाएगी। उन्होंने कहा कि आरोपियों की गिरफ्तारी के बावजूद विरोध प्रदर्शन समझ से परे है और भाजपा इस मामले में ओछी राजनीति कर रही है।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि इस मामले की संवदेनशीलता को देखते हुए पुलिस ने चौबीस घंटों के भीतर सभी आरोपियों को हिरासत में ले लिया। उन्होंने कहा कि आरोपियों की गिरफ्तारी तथा सरकार द्वारा राष्ट्रीय जांच एजैंसी से मामले की जांच करवाने सम्बंधी मांग स्वीकार करने के बावजूद भाजपा द्वारा विरोध प्रदर्शन जारी रखना तर्कहीन है।
मुख्यमंत्री नें यह भी कहा कि केंद्र में सत्ता में होने के बावजूद भाजपा जांच को मुद्दा बना रही है जबकि नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर के लिए एक फोन कॉल पर यह जांच शुरू करवाना कोई बड़ी बात नहीं है। उन्होंने कहा कि इससे प्रतीत हो रहा है कि इस घटना को राजनीतिक रंग देते हुए भाजपा आगामी लोकसभा चुनाव-2024 को ध्यान में रखते हुए ऐसी तरकीबें अपना रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बेहतर यह होता कि भाजपा प्रदेश हित से जुड़े मामलों एवं हिमाचल के अधिकारों के लिए केंद्र के समक्ष आवाज उठाती, जिससे कि प्रदेशवासियों का भी भला होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के हितों को प्राथमिकता देने के लिए आन्दोलन में कांग्रेस पार्टी भी अपना पूर्ण सहयोग देगी। राज्य के हितों की रक्षा करने की दिशा में प्रदेश सरकार तथा विपक्ष की साझा जिम्मेदारी पर बल देते हुए उन्होंने जल उपकर तथा विभिन्न जल विद्युत परियोजनाओं में निःशुल्क बिजली की रॉयल्टी बढ़ाने जैसे मुद्दों पर भाजपा को प्रदेश सरकार का साथ देने का परामर्श भी दिया।
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अगर 25 वर्षों से आतंकीयों से जुड़े थे चंबा हत्याकांड के आरोपी के तार तो सरकारें क्यूँ देती रही शरण : आम आदमी पार्टी

चंबा- जिला चंबा के सलूनी इलाके में हुए (मनोहर, 21) हत्याकांड की घटना राजनीतिक रूप लेती जा रही है। पक्ष -विपक्ष में बयानबाजी का दौर जारी है। इलाके में तनावपूर्ण माहौल बना हुआ है।
इसी कड़ी में हिमाचल आम आदमी पार्टी ने चम्बा में हुई मनोहर की निर्मम हत्या की कड़ी निंदा की है। आम आदमी पार्टी नेता चमन राकेश आजटा ने पीड़ित परिवार के प्रति संवेदना प्रकट की और इस पूरी घटना की निष्पक्ष जांच एवं दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा देने की भी मांग की। साथ ही उन्होंने कहा कि इस घटनाक्रम को जिस प्रकार से राजनीतिक रंग देने की कोशिश की जा रही है वो बहुत ही चिंता का विषय है।
इसके साथ ही आजटा ने यह भी कहा कि यदि नेता विपक्ष जयराम ठाकुर जी के बयानों में सच्चाई है तो यह जांच का विषय है। आजटा नें पूछा कि अगर पिछले 25 वर्षो से इस घटना के लिए जिम्मेवार व्यक्ति गैरकानूनी तरीके से बेशुमार दौलत इक्कठी कर रहा था तो वहां का प्रशासन व राज्य सरकारें 25 वर्ष से उसे क्यों शरण दे रही थी?
“इस व्यक्ति के तार क्या किसी आतंकवादी संगठन से जुड़े हुए है , या किसी पार्टी और नेता विशेष की शरण में वो पलता रहा जिसका खामयाज़ा एक गरीब युवा को अपनी जान से हाथ धोकर भुगतना पड़ा। क्या इस आरोपी ने इस तरह की अन्य घटनाओं को भी अंजाम दिया था या उनमें संलिप्त रहा था।” आजटा ने जयराम पर यह सवाल उठाते हुए कहा।
आपको बता दें कि बीते दिन जयराम ठाकुर ने हत्या के इस मामले में गहरी साजिश की आशंका जताते हुए तथा आरोपियों के तार आतंकियों से जोड़ते हुए कहा था कि नोटबंदी के दौरान आरोपी ने 95 लाख नोट बदले व उसके खाते में दो करोड़ की राशि जमा है, जबकि आरोपी के पास इतना बड़ा कोई भी आय का साधन नहीं है।
जयराम ने आरोप लगाया था कि आरोपी के पास तीन बीघा ज़मीन है जबकि कब्जा 100 बीघा जमीन पर कर रखा है। यही नहीं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने यह भी आरोप लगाया था कि चंबा में 1998 में हुए सतरुंडी आतंकी हमले में 35 लोगों की मौत हुई थी और उससे भी आरोपी के तार जुड़े थे।
साथ ही आजटा ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह से कानून को हाथ में लेकर घरों को जलाने, गाडियां तोड़ने और माहौल खराब करने की घटना में संलिप्त लोगों के खिलाफ करवाई करने की अपील की है, ताकि राजनीति की आड़ में हिमाचल जैसे प्रदेश का नाम खराब न हो।
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चंबा हत्याकांड: धारा 144 तोड़ने से रोका तो धरने पर बैठे भाजपा नेता

चंबा-मनोहर हत्याकांड के सात दिन बाद भी इलाके में तनावपूर्ण माहौल बना हुआ है। पूरे इलाके में धारा 144 लागू कर दी गई है, एक स्थान पर चार से ज्यादा लोगों का एकीकृत होना मना है और साथ ही इलाके के आस पास के सभी स्कूलों को भी एक सप्ताह के लिए बंद कर दिया गया है।
भाजपा अध्यक्ष डॉ राजीव बिंदल ने कहा कि भाजपा ने तय किया है कि भाजपाई 17 जून को प्रदेश के सभी 12 जिला मुख्यालयों पर धरना-प्रदर्शन करेंगे।
सीएम के प्रधान मीडिया सलाहकार नरेश चौहान ने एक प्रेससवार्ता में कहा कि हत्या के कारणों की प्रशासन द्वारा पूरी जांच करवाई जा रही है। चौहान नें कहा कि जिन लोगों ने हत्या की है उनको गिरफ्तार कर लिया गया है और कानून निश्चित तौर पर अपना कार्य कर रहा है।
साथ ही उन्होंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर, तथा उनके साथी सदस्य जिस तरह से प्रदर्शन कर रहे हैं वह तर्कसंगत नहीं है। कानून द्वारा मुज़रिमों को हिरासत में ले लिया गया है, गुनहगार सलाखों के पीछे है तथा पूरे मामले की सख्ती से जांच कारवाई की जा रही है। चौहान ने नेता प्रतिपक्ष द्वारा एनआईए से जांच की मांग को लेकर कहा कि वह अगर लिखित में सरकार को मांग दे दें तो सरकार इसके लिए भी तैयार है।
चौहान ने जयराम पर सवाल उठाते हुए कहा कि वह पूर्व मुख्यमंत्री रहे है, एक जिम्मेदार नागरिक हैं, तथा धारा 144 का मतलब भी वह अच्छे से समझते हैं, फिर भी उसकी अवहेलना करने पर अड़े हैं। चौहान नें पूछा कि इसका क्या अर्थ निकलता है।
चौहान नें यह भी कहा कि इसके बावजूद भी पुलिस तथा प्रशासन द्वारा कानून के दायरे में रहते हुए नेता प्रतिपक्ष और कुछ चुने हुए लोगों को पीड़ित परिवार से मिलने की अनुमति दे दी गई थी, लेकिन विपक्ष फिर भी अपने साथ पूरी भीड़ को आगे ले जाने के लिए अड़ा रहा।
उन्होंने कहा कि विपक्ष के जिम्मेदार लोग अगर इसके बावजूद भी राजनीति करना चाहते हैं तो तो यह बिल्कुल भी तर्कसंगत नहीं है। उन्होंने विपक्ष की मंशा पर सवाल खड़े किये। उन्होंने पूछा कि वह सच मे पीड़ित परिवार से मिलना चाहते थे या इसस घटना को मात्र राजनीतिक दृष्टि से मुद्दा बनाना चाहते थे?
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