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सामने आया ट्रीटमेंट प्लांट ठेकेदार का दूसरा गैर जिम्मेदाराना कृत्य, गोल्छा प्लांट पांच साल से बंद, 60 गांवों को पिला रहे गंदा पानी

शिमला- सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट मल्याणा से पेयजल में गंदगी मिलाने के लिए जिम्मेदार ठेकेदार अक्षय डोगर का दूसरा गैर जिम्मेदाराना कृत्य सामने आया है। शिमला नार्थ डिवीजन लक्कड़ बाजार की ओर से सीवरेज की गंदगी खुले में बह रही है। सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट गोल्छा पिछले पांच साल से बंद पड़ा है। ऐसे में शहर के साथ लगने वाले 60 गांवों के लोग गंदा पानी पी रहे हैं।
सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बंद पड़ा है और मशीनें खराब हैं। इस ट्रीटमेंट प्लांट के कारण गोल्छा, नेरी, चवाग, करयाली, नावंग, कडयाची सहित कई गांवों के लोग सीवरेजयुक्त पानी जो जहर के समान है, पीने को मजबूर हैं। प्रदूषण फैलने के कारण आसपास के क्षेत्रों में लोगों का रहना मुश्किल हो चुका है। सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य (आईपीएच) विभाग के अधिकारी हर महीने सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की पड़ताल के लिए जाते हैं।
हैरानी यह है कि मल्याणा क्षेत्र में पीलिया फैलने के बाद विभाग के अधिकारियों ने जांच करने के लिए रजिस्टर लगाया। उससे पहले कोई जांच नहीं होती थी। अक्षय डोगर के पास मल्याणा व गोल्छा सीवरेज प्लांट का ठेका है। पांच साल से सारी मशीनरी खराब होने पर भी ठेका अक्षय डोगर को दिया गया है। हालत यह है कि शिमला की सारी गंदगी व सीवरेज सीधी नाले में जा रही है।
सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट गोल्छा का हाल
1 अलग नहीं हो रही सीवरेज की गंदगी व पानी
गोल्छा सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में सबसे पहले इनलैट टैंक बना है। यहां स्क्रीनिंग मशीन खराब होने के कारण सीवरेज की गंदगी व पानी अलग नहीं हो पा रहा है। चौड़ा मैदान, अनाडेल व कैथू से आने वाली सीवरेज लाइन संप वैल मशीन खराब होने के कारण एरिएशन टैंक तक भी न पहुंच कर सीधे नाले में जा रही है। संप वैल मशीन की मोटरें खराब होने के कारण टैंक गाद से भर गए हैं और यह सारी गंदगी नाले में बह रही है।
2 टैंकों में नहीं हो रही सफाई
प्लांट में तीन एरिएशन टैंक बनाए गए हैं। इनमें एक भी टैंक नियमित रूप से कार्य नहीं कर रहा है। एक टैंक में प्लांट के शुरू होने से ही मशीनें खराब पड़ी हैं। दूसरे टैंक में मिक्सर के पंखे टूटे हुए हैं। एक टैंक में ही मिक्सर के पंखे काम कर रहे हैं जिसे बीच-बीच में बंद करना पड़ता है।
3 अधिक लोड से रुकता है टैंक
प्लांट में क्लेरिफाई सिस्टम के दो टैंक बनाए गए हैं। इनमें से एक टैंक काम कर रहा है जबकि एक बीते पांच साल से खराब पड़ा हुआ है। क्लेरिफाई सिस्टम का एक टैंक भी कभी कभार अधिक लोड के कारण रोकना पड़ता है।
4 खराब है एक फ्लैश मिक्सर
प्लांट में दो फ्लैश मिक्सर बनाए गए हैं। इनमें से एक मिक्सर काम कर रहा है और एक खराब पड़ा हुआ है। इस सिस्टम में सीवरेज के पानी को ट्रीट करने के लिए ब्लीचिंग पाउडर मिलाया जाता है। यह सिस्टम भी ब्लीचिंग पाउडर के अभाव में नकारा साबित हो रहा है। इतने बड़े प्लांट में नाममात्र ही ब्लीचिंग पाउडर मिलाया जा रहा है।
5 नाले में बहाई जा रही स्लज
प्लांट में स्लज के लिए अलग से प्लांट लगाया गया है। मशीनरी खराब होने के कारण यह भी कार्य नहीं कर रहा है। ऐसे में स्लज को सीधा नाले में बहाया जा रहा है। इससे नाले का पानी भी दूषित हो रहा है।
6 भूस्खलन से काम का नहीं रहा फ्लाक लीटर का टैंक
फ्लाक लीटर का टैंक प्लांट में बनाया गया है जिसमें पानी को ट्रीट करने के बाद बाहर छोड़ा जाता है। वर्ष 2009 में भूस्खलन होने के कारण यह टैंक प्लांट में नकारा हो गया है। अब सारी गंदगी सीधे नाले में जा रही है। इसे नाले में छोड़ने के लिए बनाई गई नाली भी टूट चुकी है। इसके पाइप नाले में टूटे पड़े हैं जिस कारण प्लांट का गंदा पानी बहकर इधर-उधर पहाड़ियों से बहकर साथ लगते नाले में बह रहा है।
प्लांट की क्षमता
सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट गोल्छा की क्षमता 5.80 एमएलडी है। यहां पर केवल 2.30 एमएलडी सीवरेज ही आ रही है। यह सीवरेज भी प्लांट में सही ढंग से ट्रीट नहीं हो रही है।
जेनरेटर की भी सुविधा नहीं
प्लांट में जेनरेटर की सुविधा न होने के कारण लाइट जाने की स्थिति में सीवरेज को ट्रीट नहीं किया जाता है। सारी सीवरेज को सीधा नाले में बहा दिया जाता है।
पशुओं को भी सीवरेजयुक्त पानी
सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के साथ लगते नाले में जहां सीवरेज का गंदा पानी मिलाया जाता है, वह आगे जाकर नेरी, चबावग, करयाली, क्यारी, नावग, कड़याहैची, नयासेर, सनयोग आदि गांवों से होकर जाता है। इसी नाले के पानी से लोग खेती, पशुओं को पिलाने के अलावा कई स्थानों पर पीने के लिए भी इस्तेमाल कर रहे हैं।
strong>इन क्षेत्रों से प्लांट में जाती है गंदगी
शिमला के नार्थ डिवीजन गोल्छा सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में लौंगवुड, दुधली, भराड़ी, कफ्टाधार, कलैस्टन, लक्कड़ बाजार, चौड़ा मैदान व कैथू से सीवरेज की गंदगी जा रही है।
यह मशीनरी है खराब
स्क्रीनिंग, एरिएशन टैंक, क्लेरिफाई सिस्टम, फ्लैश मिक्सर, पलाक लीटर, स्लज बनाने की मशीन
ठीक करवाई जा रही मशीनरी
सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट गोल्छा में कुछ मशीनरी खराब पड़ी है जिसे ठीक करवाया जा रहा है। प्लांट में पहुंच रही सीवरेज की गंदगी को ट्रीट किया जाता है।
रूप लाल, कनिष्ठ अभियंता, आइपीएच विभाग
PHOTO Hindustan times/Representational image
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सनवारा टोल प्लाजा पर अब और कटेगी जेब, अप्रैल से 10 से 45 रुपए तक अधिक चुकाना होगा टोल

शिमला- कालका-शिमला राष्ट्रीय राजमार्ग-5 पर वाहन चालकों से अब पहली अप्रैल से नई दरों से टोल वसूला जाएगा। केंद्रीय भूतल एवं परिवहन मंत्रालय की ओर से बढ़ी हुई दरों पर टोल काटने के आदेश जारी हो गए हैं। जारी आदेश के अनुसार कालका-शिमला एनएच-5 पर सनवारा टोल प्लाजा पर 10 से 45 रुपए तक की वृद्धि हुई है।
टोल प्लाजा संचालक कंपनी के मैनेजर ने बताया कि 1 अप्रैल से कार-जीप का एक तरफ शुल्क 65 और डबल फेयर में 95 रुपये देने होंगे।
लाइट कामर्शियल व्हीकल, लाइट गुड्स व्हीकल और मिनी बस को एक तरफ के 105, बस-ट्रक (टू एक्सेल) को एकतरफ के 215, थ्री एक्सेल कामर्शियल व्हीकल को एक तरफ के 235, हैवी कंस्ट्रक्शन मशीनरी को एकतरफ के 340 और ओवरसीज्ड व्हीकल को एकतरफ के 410 रुपये का शुल्क नई दरों के हिसाब से देना होगा।
सनवारा टोल गेट से 20 किलोमीटर के दायरे में आने वाले वाहन चालकों को पास की सुविधा भी नियमों के अनुसार दी जाती है। इस पास के लिए अब 280 की जगह 315 रुपये प्रति महीना चुकाना पड़ेगा।
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बच्चों से खतरनाक किस्म की मजदूरी कराना गंभीर अपराध:विवेक खनाल

शिमला- बच्चों से खतरनाक किस्म की मज़दूरी कराना गंभीर अपराध है। 14 साल के अधिक आयु के बच्चों से ढाबे में 6 घंटे से अधिक काम नहीं लिया जा सकता। उन्हें तीन घंटे के बाद एक घंटे का आराम दिया जाना जरूरी है। यह बात वह उमंग फाउंडेशन द्वारा “मज़दूरों के कानूनी अधिकार, समस्याएं और समाधान” विषय पर वेबिनार में वरिष्ठ सिविल जज एवं राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अतिरिक्त सचिव विवेक खनाल ने कही।
उन्होंने कहा कि असंगठित मजदूरों के शोषण का खतरा ज्यादा होता है। देश की जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद का 50% हिस्सा असंगठित मजदूरों के योगदान से ही अर्जित होता है।
विवेक खनाल ने संगठित एवं असंगठित श्रमिकों से जुड़े विभिन्न कानूनों की जानकारी दी। उन्होंने कहा की 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को खतरनाक किस्म के कामों में नहीं लगाया जा सकता। इनमें औद्योगिक राख, अंगारे, बंदरगाह, बूचड़खाना, बीड़ी, पटाखा, रेलवे निर्माण, कालीन, पेंटिंग एवं डाईंग आदि से जुड़े कार्य शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि 14 से 18 वर्ष तक के बच्चे रेस्टोरेंट या ढाबे में काम के तय 6 घंटे तक ही काम कर सकते हैं। शाम 7 बजे से सुबह 8 बजे के बीच उन से काम नहीं लिया जा सकता।
उन्होंने बताया कि भवन निर्माण एवं अन्य कामगार बोर्ड में पंजीकृत होने के बाद श्रमिकों को अनेक प्रकार की सुविधाएं एवं सामाजिक सुरक्षा मिल जाती है।
विवेक के अनुसार असंगठित मजदूरों के लिए कानून भी काफी कम हैं। जबकि उनकी स्थिति ज्यादा खराब होती है। उन्होंने बताया कि मनरेगा के अंतर्गत काम करने वाली महिला मजदूरों के बच्चों को संभालने के लिए उन्हीं में से एक वेतन देकर आया का काम भी दिया जाता है।
राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अतिरिक्त सचिव ने कहा कि कि प्राधिकरण की ओर से समाज के जिन वर्गों को मुफ्त कानूनी सहायता दी जाती है उसमें एक श्रेणी मजदूरों की भी है।
इसके अतिरिक्त महिला, दिव्यांग, ट्रांसजेंडर, बच्चे, अनुसूचित जाति एवं जनजाति, और तीन लाख से कम वार्षिक आय वाले बुजुर्ग इस योजना में शामिल हैं। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से बद्दी में मजदूरों के लिए एक विशेष प्रकोष्ठ स्थापित किया गया है।
इसके अलावा विभिन्न जिलों में वैकल्पिक विवाद समाधान केंद्र चलाए जा रहे हैं। एक अलग पोर्टल पर सरकार ई-श्रम कार्ड भी बना रही है।
इस दौरान उन्होंने युवाओं के सवालों के जवाब भी दिए।
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हिमाचल कैबिनेट के फैसले:प्रदेश में सस्ती मिलेगी देसी ब्रांड की शराब,पढ़ें सभी फैसले

शिमला- मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में आयोजित प्रदेश मंत्रीमंडल की बैठक में आज वर्ष 2022-23 के लिए आबकारी नीति को स्वीकृति प्रदान की गई।
इस नीति में वर्ष के दौरान 2,131 करोड़ रुपये के राजस्व प्राप्ति की परिकल्पना की गई है, जो कि वित्त वर्ष 2021-22 से 264 करोड़ रुपये अधिक होगा। यह राज्य आबकारी राजस्व में 14 प्रतिशत की कुल वृद्धि को दर्शाता है।
बैठक में वित्तीय वर्ष 2022-23 राज्य में प्रति इकाई चार प्रतिशत नवीनीकरण शुल्क पर खुदरा आबकारी ठेकों के नवीनीकरण को स्वीकृति प्रदान की गई। इसका उद्देश्य सरकारी राजस्व में पर्याप्त बढ़ोतरी प्राप्त करना और पड़ोसी राज्यों में दाम कम करके होने वाली देसी शराब की तस्करी पर रोक लगाना है।
लाइसेंस फीस कम होने के कारण देसी शराब ब्रांड सस्ती होगी। इससे उपभोक्ताओं को सस्ती दरों पर अच्छी गुणवत्ता की शराब उपलब्ध होगी और उन्हें अवैध शराब खरीदने के प्रलोभन से भी बचाया जा सकेगा और शुल्क चोरी पर भी निगरानी रखी जा सकेगी।
नई आबकारी नीति में खुदरा लाइसेंसधारियों को आपूर्ति की जाने वाली देसी शराब के निर्माताओं और बॉटलर्ज के लिए निर्धारित 15 प्रतिशत कोटा समाप्त कर दिया गया है। इस निर्णय से खुदरा लाइसेंसधारी अपना कोटा अपनी पसंद के आपूर्तिकर्ता से उठा सकेंगे और प्रतिस्पर्धात्मक मूल्यों पर अच्छी गुणवत्ता की देसी शराब की आपूर्ति सुनिश्चित होगी। देसी शराब का अधिकतम खरीद मूल्य मौजूदा मूल्य से 16 प्रतिशत सस्ता हो जाएगा।
इस वर्ष की नीति में गौवंश के कल्याण के लिए अधिक निधि प्रदान करने के दृष्टिगत गौधन विकास निधि में एक रुपये की बढ़ोतरी करते हुए इसे मौजूदा 1.50 रुपये से बढ़ाकर 2.50 रुपये किया गया है।
राज्य में कोविड-19 के मामलों में कमी को देखते हुए कोविड उपकर में मौजूदा से 50 प्रतिशत की कमी की गई है।
लाइसेंस शुल्क के क्षेत्र विशिष्ट स्लैब को समाप्त करके बार के निश्चित वार्षिक लाइसेंस शुल्क को युक्तिसंगत बनाया गया है। अब पूरे राज्य में होटलों में कमरों की क्षमता के आधार पर एक समान लाइसेंस स्लैब होंगे।
जनजातीय क्षेत्रों में आने वाले पर्यटकों को बेहतर सुविधा प्रदान करने और होटल उद्यमियों को राहत प्रदान करने के लिए जनजातीय क्षेत्रों में बार के वार्षिक निर्धारित लाइसेंस शुल्क की दरों में काफी कमी की गई है।
शराब के निर्माण, संचालन, थोक विक्रेताओं को इसके प्रेषण और बाद में खुदरा विक्रेताओं को बिक्री की निगरानी के लिए इन सभी हितधारकों को अपने प्रतिष्ठानों में सीसीटीवी कैमरे लगाना अनिवार्य किया गया है।
विभाग की ओर से हाल ही में शराब बॉटलिंग प्लांटों, थोक विक्रेताओं और खुदरा विक्रेताओं में पाई गई अनियमितताओं को ध्यान में रखते हुए हिमाचल प्रदेश आबकारी अधिनियम, 2011 को और सख्त किया गया है।
राज्य में एक प्रभावी एंड-टू-एंड ऑनलाईन आबकारी प्रशासन प्रणाली स्थापित की जाएगी जिसमें शराब की बोतलों की ट्रैक एंड टेक्स की सुविधा के अलावा निगरानी के लिए अन्य मॉडयूल शामिल होंगे।
मंत्रिमंडल ने वर्ष 2022-23 के लिए हिमाचल प्रदेश राज्य पथकर नीति को अपनी मंजूरी प्रदान की है जिसमें राज्य में सभी पथकर बेरियर की नीलामी व निविदा शामिल हैं। वर्ष 2021-22 के दौरान टोल राजस्व में गत वर्ष के राजस्व के मुकाबले 20 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
मंत्रिमंडल ने हिमाचल प्रदेश आपदा राहत नियमावली, 2012 में संशोधन को अपनी मंजूरी प्रदान की जिसमें मधुमक्खी, हॉरनेट और वैस्प के काटने से होने वाली मृत्यु, दुर्घटनाग्रस्त डूबने, और वाहन दुर्घटना मंे होने वाली मृत्यु के मामलोें को राहत नियमावली के अंतर्गत शामिल किया गया है।
मंत्रिमंडल ने लोक सेवा आयोग के माध्यम से राजस्व विभाग में नियमित आधार पर सीधी भर्ती के माध्यम से तहसीलदार श्रेणी-1 के 11 पदों को भरने की स्वीकृति प्रदान की।