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शिमला में पीलिया बेकाबू, एक और प्रसूता महिला की मौत, सरकार की लापरवाही जनता पर पड़ रही भारी

उच्च न्यायालय ने 8 जुलाई 2009 को आदेश जारी कर आईपीएच और नगर निगम को व्यवस्था दुरुस्त करने के आदेश दिए थे। लेकिन इनमें से कुछ बिंदुओं पर आज तक गौर नहीं किया गया। ऐसे में जन एवं स्वास्थ्य विभाग शिमला और नगर निगम शिमला कहीं न कहीं इसके लिए जिम्मेदार हैं। समय रहते दोनों विभाग हाईकोर्ट के आदेशों की पालना करते तो आज शहर में पीलिया के रोग से किसी मासूम की मौत न होती और न ही हजारों की संख्या में लोग पीलिया के रोग से बीमार होते।
शिमला -राजधानी शिमला में पीलिया बेकाबू हो गया है। पीलिया से पीड़ित एक और प्रसूता महिला की मंगलवार शाम पीजीआई चंडीगढ़ में मौत हो गई। मरीजों की संख्या एक हजार से पार हो चुकी है। आईएएस अफसर से लेकर डॉक्टर तक इसकी चपेट में हैं।
आईएएस अफसर प्रियतु मंडल को गंभीर हालत में आईजीएमसी से पीजीआई रेफर करना पड़ा है। इससे प्रदेश सरकार के हाथ-पांव फूल गए हैं। बुधवार को आनन-फानन में स्वास्थ्य मंत्री ठाकुर कौल सिंह को सचिवालय में हाई पावर कमेटी की बैठक तक बुलानी पड़ी।
बताया जा रहा है कि पांच दिन की प्रसूता कल्पना (23) खलीनी स्थित बिजली बोर्ड दफ्तर में कार्यरत थीं। खलीनी में अश्वनी खड्ड परियोजना से पानी की आपूर्ति होती है।
माना जा रहा है कि इसी दूषित पानी से कल्पना पीलिया की चपेट में आ गई, जिससे उसकी मौत हो गई। कल्पना के बच्चे को भी पीजीआई में भर्ती कर लिया गया है।
पहले भी हो चुकी है प्रसूता की मौत
इससे पहले 12 जनवरी को देर रात पांच दिन की प्रसूता सुनीता (32) की भी पीलिया से मौत हो गई थी। सुनीता नॉलज वुड निगम विहार की रहने वाली थी।
कल्पना ने 14 जनवरी को पीजीआई में बच्चे को जन्म दिया और 19 जनवरी को शाम साढ़े सात बजे उसकी मौत हो गई। शिमला में बैरियर के पास रहने वाली कल्पना के पिता बाबू राम ने बताया कि बेटी की शिमला के कमला नेहरू अस्पताल में जांच चल रही थी। तबीयत खराब होने के बाद बीते शुक्रवार को टेस्ट करवाया तो पता चला की कल्पना को पीलिया है।
शुक्रवार रात को ही बाबू राम बेटी को उसके ससुराल बिलासपुर ले गए। बिलासपुर अस्पताल में जांच कराने पर डॉक्टरों ने कल्पना को पीजीआई ले जाने को कहा। पीजीआई में मंगलवार को शाम साढे़ सात बजे उसकी मौत हो गई।
अभी तक नहीं पहुंची आईसीएमआर टीम
राजधानी शिमला में पीलिया की रोकथाम को लेकर प्रदेश सरकार के हाथ पांव फूल गए हैं। प्रदेश सरकार से पीलिया काबू में नहीं लाया जा रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने हिमाचल में पीलिया का काबू पाने के लिए आईसीएमआर से टीम भेजने की
बात कही थी लेकिन यह टीम अभी तक नहीं पहुंची है। अफसर से लेकर डाक्टर तक इस बीमारी की चपेट में आ गए हैं।
प्रदेश सरकार ने विकास नगर में सीवरेज टैंक लीकेज भवन मालिकों के पानी के कनेक्शन काटने के निर्देश जारी कर दिए हैं। राजधानी शिमला में बेकाबू हो रहे पीलिया को देखते हुए सरकार ने लोगों को जागरूक करने के लिए पंपलेट छापने के निर्देश दिए हैं।
एक्वागार्ड के पानी में पीलिया का जीवाणु मरता नहीं है। ऐसे में इस पानी को भी उबाला जरूरी है। हाई पावर कमेटी की बैठक में स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ठाकुर के अलावा अतिरिक्त मुख्य सचिव विनीत चौधरी, राष्ट्रीय स्वास्थ्य ग्रामीण मिशन के निदेशक हंस राज, नगर निगम के आयुक्त पंकज राय मौजूद थे।
कहां कितने मरीज
विकासनगर- 110, न्यू शिमला- 58, कसुम्पटी- 76, खलीनी- 67, छोटा शिमला- 71, संजौली- 38, पंथाघाटी- 48, मैहली- 21, ढली- 5, बेम्लोई- 7 मशोबरा- 48 जबकि अन्य मामले टुट, ढंडा, खलीनी, भराड़ी, चम्याणा, मल्याणा से भी आए हैं। स्वास्थ्य मंत्री ठाकुर कौल सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार से शिमला के लिए आईसीएमआर की लैब स्थापित करने की मांग की जाएगी।
अश्वनी खड्ड के पानी से हुआ आईएएस को पीलिया- सरकार के असफरों के पीलिया की चपेट में आने का कारण अश्वनी खड्ड का दूषित पानी हो सकता है। ब्रॉकहास्ट स्थित आईएएस कालोनी में अश्वनी खड्ड के पानी की ही सप्लाई हो रही थी।
पीलिया से पीड़ित खाद्य एवं आपूर्ति और परिवहन विभाग के निदेशक आईएएस प्रियतु मंडल भी ब्रॉकहास्ट आईएएस कालोनी में ही रह रहे थे। इतना ही नहीं कुसुम्पटी बाईपास स्थित उनके कार्यालय में भी अश्वनी खड्ड के पानी की सप्लाई हो रही थी। गंभीर अवस्था में मंगलवार शाम उन्हें पीजीआई रेफर किया गया।
हाईकोर्ट की आईपीएच और एमसी ने उड़ाई धज्जियां
शिमला में पीलिया फैलने के खतरे को लेकर प्रदेश उच्च न्यायालय ने आईपीएच और नगर निगम को व्यवस्था दुरुस्त करने के आदेश सात साल पहले दिए थे। लेकिन आदेशों पर अमल नहीं किया गया। नतीजतन शहर में पीलिया अब जानलेवा हो गया है। समय रहते व्यवस्था दुरुस्त कर दी जाती तो शायद आज पीलिया इस कदर न फैलता न ही किसी की जान जाती।
उच्च न्यायालय ने 8 जुलाई 2009 को आदेश जारी कर आईपीएच और नगर निगम को व्यवस्था दुरुस्त करने के आदेश दिए थे। लेकिन इनमें से कुछ बिंदुओं पर आज तक गौर नहीं किया गया। ऐसे में जन एवं स्वास्थ्य विभाग शिमला और नगर निगम शिमला कहीं न कहीं इसके लिए जिम्मेदार हैं। समय रहते दोनों विभाग हाईकोर्ट के आदेशों की पालना करते तो आज शहर में पीलिया के रोग से किसी मासूम की मौत न होती और न ही हजारों की संख्या में लोग पीलिया के रोग से बीमार होते।
हाईकोर्ट ने विभागों को दिए थे यह निर्देश
शिमला शहर में पिछले नौ सालों से फैल रहे पीलिया के रोग का मौजूदा समय तक आईपीएच विभाग और नगर निगम शिमला ने कोई भी स्थायी समाधान नहीं निकाला है। आकंड़ों को देखा जाए तो 2007, 2011, 2013 और 2015 में शहर में पीलिया फैल चुका है। इसे देखते हुए आठ जुलाई 2009 को हाईकोर्ट ने आदेश दिए थे किए ऐसी व्यवस्था करें कि लोगों को स्वच्छ पानी मिले।
आईपीएच,एमसी ने इन बिंदुओं पर नहीं किया अमल
नई आधुनिक तकनीक के माध्यम से एक मशीनरी से पूरे सल्ज को बाहर निकाला जाए। इसमें 30 प्रतिशत से ज्यादा नमी न हो
सीवरेज प्लांट में जल्द से जल्द जनरेटर की व्यवस्था करें।
जितना भी शहर का एरिया है उसे सीवरेज लाइन से जोड़ा जाए।
जल प्रबंधन बोर्ड के प्रदेश अध्यक्ष हरभजन सिंह भज्जी ने कहा कि अगर हाईकोर्ट के आदेशों की पालना नहीं हुई होगी तो दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।
इनकी लापरवाही आम जनता पर पड़ रही भारी
समय रहते आईपीएच सीवरेज प्लांट में नई मशीनरियां उपलब्ध करवा देता और साथ ही जेनरेटर की सुविधा उपलब्ध करवा देता तो किसी भी सूरत में मल्याणा सीवरेज प्लांट से सीवरेज बिना ट्रीट हुए अश्वनी नाले में न जाता।
साथ ही अगर नगर निगम शिमला भी समय से जो एरिया सीवरेज लाईन से जुड़ा हुआ नहीं है उसे जोड़ देता तो लोग खुले में अपने सेफ्टी टैंक से सीवरेज को न बहाते। सीवरेज अश्वनी खड्ड के पानी में न मिलता तो लोगों को साफ पानी मिलता।
Photo: Amar Ujala
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सनवारा टोल प्लाजा पर अब और कटेगी जेब, अप्रैल से 10 से 45 रुपए तक अधिक चुकाना होगा टोल

शिमला- कालका-शिमला राष्ट्रीय राजमार्ग-5 पर वाहन चालकों से अब पहली अप्रैल से नई दरों से टोल वसूला जाएगा। केंद्रीय भूतल एवं परिवहन मंत्रालय की ओर से बढ़ी हुई दरों पर टोल काटने के आदेश जारी हो गए हैं। जारी आदेश के अनुसार कालका-शिमला एनएच-5 पर सनवारा टोल प्लाजा पर 10 से 45 रुपए तक की वृद्धि हुई है।
टोल प्लाजा संचालक कंपनी के मैनेजर ने बताया कि 1 अप्रैल से कार-जीप का एक तरफ शुल्क 65 और डबल फेयर में 95 रुपये देने होंगे।
लाइट कामर्शियल व्हीकल, लाइट गुड्स व्हीकल और मिनी बस को एक तरफ के 105, बस-ट्रक (टू एक्सेल) को एकतरफ के 215, थ्री एक्सेल कामर्शियल व्हीकल को एक तरफ के 235, हैवी कंस्ट्रक्शन मशीनरी को एकतरफ के 340 और ओवरसीज्ड व्हीकल को एकतरफ के 410 रुपये का शुल्क नई दरों के हिसाब से देना होगा।
सनवारा टोल गेट से 20 किलोमीटर के दायरे में आने वाले वाहन चालकों को पास की सुविधा भी नियमों के अनुसार दी जाती है। इस पास के लिए अब 280 की जगह 315 रुपये प्रति महीना चुकाना पड़ेगा।
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बच्चों से खतरनाक किस्म की मजदूरी कराना गंभीर अपराध:विवेक खनाल

शिमला- बच्चों से खतरनाक किस्म की मज़दूरी कराना गंभीर अपराध है। 14 साल के अधिक आयु के बच्चों से ढाबे में 6 घंटे से अधिक काम नहीं लिया जा सकता। उन्हें तीन घंटे के बाद एक घंटे का आराम दिया जाना जरूरी है। यह बात वह उमंग फाउंडेशन द्वारा “मज़दूरों के कानूनी अधिकार, समस्याएं और समाधान” विषय पर वेबिनार में वरिष्ठ सिविल जज एवं राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अतिरिक्त सचिव विवेक खनाल ने कही।
उन्होंने कहा कि असंगठित मजदूरों के शोषण का खतरा ज्यादा होता है। देश की जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद का 50% हिस्सा असंगठित मजदूरों के योगदान से ही अर्जित होता है।
विवेक खनाल ने संगठित एवं असंगठित श्रमिकों से जुड़े विभिन्न कानूनों की जानकारी दी। उन्होंने कहा की 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को खतरनाक किस्म के कामों में नहीं लगाया जा सकता। इनमें औद्योगिक राख, अंगारे, बंदरगाह, बूचड़खाना, बीड़ी, पटाखा, रेलवे निर्माण, कालीन, पेंटिंग एवं डाईंग आदि से जुड़े कार्य शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि 14 से 18 वर्ष तक के बच्चे रेस्टोरेंट या ढाबे में काम के तय 6 घंटे तक ही काम कर सकते हैं। शाम 7 बजे से सुबह 8 बजे के बीच उन से काम नहीं लिया जा सकता।
उन्होंने बताया कि भवन निर्माण एवं अन्य कामगार बोर्ड में पंजीकृत होने के बाद श्रमिकों को अनेक प्रकार की सुविधाएं एवं सामाजिक सुरक्षा मिल जाती है।
विवेक के अनुसार असंगठित मजदूरों के लिए कानून भी काफी कम हैं। जबकि उनकी स्थिति ज्यादा खराब होती है। उन्होंने बताया कि मनरेगा के अंतर्गत काम करने वाली महिला मजदूरों के बच्चों को संभालने के लिए उन्हीं में से एक वेतन देकर आया का काम भी दिया जाता है।
राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अतिरिक्त सचिव ने कहा कि कि प्राधिकरण की ओर से समाज के जिन वर्गों को मुफ्त कानूनी सहायता दी जाती है उसमें एक श्रेणी मजदूरों की भी है।
इसके अतिरिक्त महिला, दिव्यांग, ट्रांसजेंडर, बच्चे, अनुसूचित जाति एवं जनजाति, और तीन लाख से कम वार्षिक आय वाले बुजुर्ग इस योजना में शामिल हैं। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से बद्दी में मजदूरों के लिए एक विशेष प्रकोष्ठ स्थापित किया गया है।
इसके अलावा विभिन्न जिलों में वैकल्पिक विवाद समाधान केंद्र चलाए जा रहे हैं। एक अलग पोर्टल पर सरकार ई-श्रम कार्ड भी बना रही है।
इस दौरान उन्होंने युवाओं के सवालों के जवाब भी दिए।
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हिमाचल कैबिनेट के फैसले:प्रदेश में सस्ती मिलेगी देसी ब्रांड की शराब,पढ़ें सभी फैसले

शिमला- मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में आयोजित प्रदेश मंत्रीमंडल की बैठक में आज वर्ष 2022-23 के लिए आबकारी नीति को स्वीकृति प्रदान की गई।
इस नीति में वर्ष के दौरान 2,131 करोड़ रुपये के राजस्व प्राप्ति की परिकल्पना की गई है, जो कि वित्त वर्ष 2021-22 से 264 करोड़ रुपये अधिक होगा। यह राज्य आबकारी राजस्व में 14 प्रतिशत की कुल वृद्धि को दर्शाता है।
बैठक में वित्तीय वर्ष 2022-23 राज्य में प्रति इकाई चार प्रतिशत नवीनीकरण शुल्क पर खुदरा आबकारी ठेकों के नवीनीकरण को स्वीकृति प्रदान की गई। इसका उद्देश्य सरकारी राजस्व में पर्याप्त बढ़ोतरी प्राप्त करना और पड़ोसी राज्यों में दाम कम करके होने वाली देसी शराब की तस्करी पर रोक लगाना है।
लाइसेंस फीस कम होने के कारण देसी शराब ब्रांड सस्ती होगी। इससे उपभोक्ताओं को सस्ती दरों पर अच्छी गुणवत्ता की शराब उपलब्ध होगी और उन्हें अवैध शराब खरीदने के प्रलोभन से भी बचाया जा सकेगा और शुल्क चोरी पर भी निगरानी रखी जा सकेगी।
नई आबकारी नीति में खुदरा लाइसेंसधारियों को आपूर्ति की जाने वाली देसी शराब के निर्माताओं और बॉटलर्ज के लिए निर्धारित 15 प्रतिशत कोटा समाप्त कर दिया गया है। इस निर्णय से खुदरा लाइसेंसधारी अपना कोटा अपनी पसंद के आपूर्तिकर्ता से उठा सकेंगे और प्रतिस्पर्धात्मक मूल्यों पर अच्छी गुणवत्ता की देसी शराब की आपूर्ति सुनिश्चित होगी। देसी शराब का अधिकतम खरीद मूल्य मौजूदा मूल्य से 16 प्रतिशत सस्ता हो जाएगा।
इस वर्ष की नीति में गौवंश के कल्याण के लिए अधिक निधि प्रदान करने के दृष्टिगत गौधन विकास निधि में एक रुपये की बढ़ोतरी करते हुए इसे मौजूदा 1.50 रुपये से बढ़ाकर 2.50 रुपये किया गया है।
राज्य में कोविड-19 के मामलों में कमी को देखते हुए कोविड उपकर में मौजूदा से 50 प्रतिशत की कमी की गई है।
लाइसेंस शुल्क के क्षेत्र विशिष्ट स्लैब को समाप्त करके बार के निश्चित वार्षिक लाइसेंस शुल्क को युक्तिसंगत बनाया गया है। अब पूरे राज्य में होटलों में कमरों की क्षमता के आधार पर एक समान लाइसेंस स्लैब होंगे।
जनजातीय क्षेत्रों में आने वाले पर्यटकों को बेहतर सुविधा प्रदान करने और होटल उद्यमियों को राहत प्रदान करने के लिए जनजातीय क्षेत्रों में बार के वार्षिक निर्धारित लाइसेंस शुल्क की दरों में काफी कमी की गई है।
शराब के निर्माण, संचालन, थोक विक्रेताओं को इसके प्रेषण और बाद में खुदरा विक्रेताओं को बिक्री की निगरानी के लिए इन सभी हितधारकों को अपने प्रतिष्ठानों में सीसीटीवी कैमरे लगाना अनिवार्य किया गया है।
विभाग की ओर से हाल ही में शराब बॉटलिंग प्लांटों, थोक विक्रेताओं और खुदरा विक्रेताओं में पाई गई अनियमितताओं को ध्यान में रखते हुए हिमाचल प्रदेश आबकारी अधिनियम, 2011 को और सख्त किया गया है।
राज्य में एक प्रभावी एंड-टू-एंड ऑनलाईन आबकारी प्रशासन प्रणाली स्थापित की जाएगी जिसमें शराब की बोतलों की ट्रैक एंड टेक्स की सुविधा के अलावा निगरानी के लिए अन्य मॉडयूल शामिल होंगे।
मंत्रिमंडल ने वर्ष 2022-23 के लिए हिमाचल प्रदेश राज्य पथकर नीति को अपनी मंजूरी प्रदान की है जिसमें राज्य में सभी पथकर बेरियर की नीलामी व निविदा शामिल हैं। वर्ष 2021-22 के दौरान टोल राजस्व में गत वर्ष के राजस्व के मुकाबले 20 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
मंत्रिमंडल ने हिमाचल प्रदेश आपदा राहत नियमावली, 2012 में संशोधन को अपनी मंजूरी प्रदान की जिसमें मधुमक्खी, हॉरनेट और वैस्प के काटने से होने वाली मृत्यु, दुर्घटनाग्रस्त डूबने, और वाहन दुर्घटना मंे होने वाली मृत्यु के मामलोें को राहत नियमावली के अंतर्गत शामिल किया गया है।
मंत्रिमंडल ने लोक सेवा आयोग के माध्यम से राजस्व विभाग में नियमित आधार पर सीधी भर्ती के माध्यम से तहसीलदार श्रेणी-1 के 11 पदों को भरने की स्वीकृति प्रदान की।