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शिमला के ब्लैक स्पॉट व बदहाल सड़कों के कारण हादसों की भेंट चढ़ रहे लोग

राजधानी की अधिकतर सड़कों के किनारे किसी भी तरह की सुरक्षा रेलिंग न होने की वजह से आसानी से टेल जा सकने वाली दुर्घटनाये भी घातक सिद्ध हो रही हैं!
शिमला- जिला शिमला में पिछले एक साल के दौरान हुई सड़क दुर्घटनाओं में दस हजार से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं। ये वे लोग हैं जिनका पूरा परिवार ही हादसों की भेंट चढ़ गया। मासूम बच्चों के सिर से मां बाप दोनों का साया नहीं रहा। हंसते खेलते परिवारों में हमेशा के लिए मातम छा गया। शिमला में इन दुर्घटनाओं का कारण अव्यवस्थित ट्रैफिक व्यवस्था ही है। वह चाहे ठियोग छैला मार्ग हो या फिर शिमला के प्रवेश द्वार शोघी तारादेवी क्षेत्र हो हर जगह ट्रैफिक अव्यवस्था हादसों को न्यौता दे रही है। यही कारण है कि इस बार सेब सीजन के दौरान सड़कों की दयनीय स्थिति होने की वजह से बाहरी राज्यों से आने वाले दर्जनों ट्रक हादसे का शिकार हो गए।
शिमला शहर में भी सड़क किनारे अवैध अतिक्रमण और अवैध पार्किंग के कारण कई दुर्घटनाएं हो चुकी है। अगर समय रहते सरकार ने सड़कों की हालत में सुधार किया होता तो इन हादसों को टाला जा सकता था। बस हादसों में दुर्घटना का कारण ओवरलोडिंग और तेज रफ्तार से वाहन चलाना भी रहा। इसके बावजूद भी सड़कों में बने ब्लैक स्पॉट के लिए आज तक कोई उचित कदम नहीं उठाए गए हैं इससे इन स्थानों पर होने वाली दुर्घटनाओं को कम किया जा सके। राजधानी की अधिकतर सड़कों के किनारे किसी भी तरह की सुरक्षा रेलिंग न होने की वजह से आसानी से टेल जा सकने वाली दुर्घटनाये भी घातक सिद्ध हो रही हैं!
जाम भी दुर्घटना का कारण
शिमला शहर में जाम का एक सबसे बड़ा कारण व्यापारियों का लापरवाह रवैया भी है। कारोबारी शहर के व्यस्त मार्गो पर सामान की लोडिंग और अनलोडिंग करवाते हैं, इससे मार्गो पर लंबा ट्रैफिक जाम लगा रहता है। आलम यह है कि पुलिस द्वारा उक्त गाड़ियों के चालान काटने के बाद भी यह अपनी हरकतों से बाज नहीं आते हैं और एक व्यक्ति की गलती का खमियाजा शहर के सैकड़ों लोगों को उठाना पड़ता है कई बार इन मार्गो पर पैदल चलने वाले लोगों को भी जगह नहीं रहती। ऐसे में कई बार दुर्घटनाएं भी हो चुकी है।
Rash HRTC bus driver almost threw pedestrians off the road SHIMLA- Rash HRTC driver almost threw school kids and pedestrians off the road as he drove the bus insanely on Shimla roads. He was overtaking vehicles very dangerously. Some pedestrians even hurled abuses on him near Sarasvati Vidya Mandir School (if you notice it in video). To make the situation more lethal, our government hasn’t put even a single safety railing on dangerous curves. The school girls and pedestrians were pushed to edges of the roads, which is clearly visible in the video clip. HRTC drivers and pick-up drivers in particular do daily driver on busy roads. The license of such drivers must be cancelled before they cause any damage and inconvenience to others. Video recorded by my friend with his mobile on Saturday afternoon at about 3:30 PM an HRTC bus near #Vikasnagar to #Panthaghati road.#HRTC #RashDriving #HPPWD #GSBali
Posted by Himachal Watcher on Tuesday, April 28, 2015
राजधानी मुख्यालय से सटे राष्ट्रीय उच्च मार्ग पर स्थित तारादेवी में अतिक्रमण के कारण चलना मुश्किल हो गया है। यहां नगर निगम शिमला के प्रवेश द्वार एवं उपनगर तारादेवी के समीप मुख्य सड़क मार्ग पर स्थित मारूति कंपनी के डीलर गोयल मोटर व साथ ही भागड़ा इंडस्ट्री के सामने अक्सर वाहनों की कतार लगी होती है, इससे यहां किसी भी समय हादसे की आशंका बनी रहती है। यहां सड़क किनारे अव्यवस्थित ढंग से खड़े वाहनों को हटाने के लिए पुलिस व स्थानीय प्रशासन भी कुंभकरण की नींद सोया है। राष्ट्रीय उच्च मार्ग के कारण यहां वाहनों की आवाजाही भी बढ़ रही है, इससे यहां अक्सर यातायात जाम की स्थिति बनी रहती है व न केवल वाहन चालकों को अपितु पैदल चलने वालों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
यहां पास ही राजकीय मिडल स्कूल संकटमोचन भी स्थित जहां के लिए इसी मार्ग से होकर अधिकांश बच्चों को स्कूल पहुंचना पड़ता है। इन दोनों स्थलों पर जहां गोयल मोटर के सामने सड़क पर अनाधिकृत तौर पर वाहनों की लंबी लाइन लगी रहती है वहीं भागड़ा इंडस्ट्रीज के सामने भी मुख्य सड़क मार्ग पर जहां भवन निर्माण सामग्री को उतारने व लोड करने का क्रम जारी रहता है। वहीं सड़क किनारे ही अव्यवस्थित ढंग से सामान भी पड़ा रहता है। इससे यहां जाम की समस्या ज्यादा गहराती जा रही है।
ट्रैफिक सिग्नल खराब
राजधानी शिमला में चोराहों पर ट्रैफिक सिग्नल तो लगाए गए हैं लेकिन इन सिग्नल में अक्सर सिग्नल ही नहीं होता। ऐसे में चौराहों पर चालक बिना सिग्नल से ही चले जाते हैं। ऐसे में कई बार चौराहों पर दुर्घटनाएं होती हैं। लाखों रुपये की लागत से लगाए गए सिग्नल सफेद हाथी साबित हो रहे हैं। खंबों में ट्रैफिक लाइट्स लटकी पड़ी है न तो इन ट्रैफिक लाइटों की कभी मरम्मत की गई और न ही इनकी देख रेख और सुरक्षा का कोई इंतजाम किया गया है। इसका खामियाजा आम जनता को दुर्घटना के रूप में झेलना पड़ रहा है। इनमें खास कर ढली चौक, संजौली टनल, खलीनी चौक और विक्ट्री टनल में अक्सर ही ट्रैफिक सिग्नल खराब पड़े रहते हैं।
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सनवारा टोल प्लाजा पर अब और कटेगी जेब, अप्रैल से 10 से 45 रुपए तक अधिक चुकाना होगा टोल

शिमला- कालका-शिमला राष्ट्रीय राजमार्ग-5 पर वाहन चालकों से अब पहली अप्रैल से नई दरों से टोल वसूला जाएगा। केंद्रीय भूतल एवं परिवहन मंत्रालय की ओर से बढ़ी हुई दरों पर टोल काटने के आदेश जारी हो गए हैं। जारी आदेश के अनुसार कालका-शिमला एनएच-5 पर सनवारा टोल प्लाजा पर 10 से 45 रुपए तक की वृद्धि हुई है।
टोल प्लाजा संचालक कंपनी के मैनेजर ने बताया कि 1 अप्रैल से कार-जीप का एक तरफ शुल्क 65 और डबल फेयर में 95 रुपये देने होंगे।
लाइट कामर्शियल व्हीकल, लाइट गुड्स व्हीकल और मिनी बस को एक तरफ के 105, बस-ट्रक (टू एक्सेल) को एकतरफ के 215, थ्री एक्सेल कामर्शियल व्हीकल को एक तरफ के 235, हैवी कंस्ट्रक्शन मशीनरी को एकतरफ के 340 और ओवरसीज्ड व्हीकल को एकतरफ के 410 रुपये का शुल्क नई दरों के हिसाब से देना होगा।
सनवारा टोल गेट से 20 किलोमीटर के दायरे में आने वाले वाहन चालकों को पास की सुविधा भी नियमों के अनुसार दी जाती है। इस पास के लिए अब 280 की जगह 315 रुपये प्रति महीना चुकाना पड़ेगा।
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बच्चों से खतरनाक किस्म की मजदूरी कराना गंभीर अपराध:विवेक खनाल

शिमला- बच्चों से खतरनाक किस्म की मज़दूरी कराना गंभीर अपराध है। 14 साल के अधिक आयु के बच्चों से ढाबे में 6 घंटे से अधिक काम नहीं लिया जा सकता। उन्हें तीन घंटे के बाद एक घंटे का आराम दिया जाना जरूरी है। यह बात वह उमंग फाउंडेशन द्वारा “मज़दूरों के कानूनी अधिकार, समस्याएं और समाधान” विषय पर वेबिनार में वरिष्ठ सिविल जज एवं राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अतिरिक्त सचिव विवेक खनाल ने कही।
उन्होंने कहा कि असंगठित मजदूरों के शोषण का खतरा ज्यादा होता है। देश की जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद का 50% हिस्सा असंगठित मजदूरों के योगदान से ही अर्जित होता है।
विवेक खनाल ने संगठित एवं असंगठित श्रमिकों से जुड़े विभिन्न कानूनों की जानकारी दी। उन्होंने कहा की 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को खतरनाक किस्म के कामों में नहीं लगाया जा सकता। इनमें औद्योगिक राख, अंगारे, बंदरगाह, बूचड़खाना, बीड़ी, पटाखा, रेलवे निर्माण, कालीन, पेंटिंग एवं डाईंग आदि से जुड़े कार्य शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि 14 से 18 वर्ष तक के बच्चे रेस्टोरेंट या ढाबे में काम के तय 6 घंटे तक ही काम कर सकते हैं। शाम 7 बजे से सुबह 8 बजे के बीच उन से काम नहीं लिया जा सकता।
उन्होंने बताया कि भवन निर्माण एवं अन्य कामगार बोर्ड में पंजीकृत होने के बाद श्रमिकों को अनेक प्रकार की सुविधाएं एवं सामाजिक सुरक्षा मिल जाती है।
विवेक के अनुसार असंगठित मजदूरों के लिए कानून भी काफी कम हैं। जबकि उनकी स्थिति ज्यादा खराब होती है। उन्होंने बताया कि मनरेगा के अंतर्गत काम करने वाली महिला मजदूरों के बच्चों को संभालने के लिए उन्हीं में से एक वेतन देकर आया का काम भी दिया जाता है।
राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अतिरिक्त सचिव ने कहा कि कि प्राधिकरण की ओर से समाज के जिन वर्गों को मुफ्त कानूनी सहायता दी जाती है उसमें एक श्रेणी मजदूरों की भी है।
इसके अतिरिक्त महिला, दिव्यांग, ट्रांसजेंडर, बच्चे, अनुसूचित जाति एवं जनजाति, और तीन लाख से कम वार्षिक आय वाले बुजुर्ग इस योजना में शामिल हैं। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से बद्दी में मजदूरों के लिए एक विशेष प्रकोष्ठ स्थापित किया गया है।
इसके अलावा विभिन्न जिलों में वैकल्पिक विवाद समाधान केंद्र चलाए जा रहे हैं। एक अलग पोर्टल पर सरकार ई-श्रम कार्ड भी बना रही है।
इस दौरान उन्होंने युवाओं के सवालों के जवाब भी दिए।
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हिमाचल कैबिनेट के फैसले:प्रदेश में सस्ती मिलेगी देसी ब्रांड की शराब,पढ़ें सभी फैसले

शिमला- मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में आयोजित प्रदेश मंत्रीमंडल की बैठक में आज वर्ष 2022-23 के लिए आबकारी नीति को स्वीकृति प्रदान की गई।
इस नीति में वर्ष के दौरान 2,131 करोड़ रुपये के राजस्व प्राप्ति की परिकल्पना की गई है, जो कि वित्त वर्ष 2021-22 से 264 करोड़ रुपये अधिक होगा। यह राज्य आबकारी राजस्व में 14 प्रतिशत की कुल वृद्धि को दर्शाता है।
बैठक में वित्तीय वर्ष 2022-23 राज्य में प्रति इकाई चार प्रतिशत नवीनीकरण शुल्क पर खुदरा आबकारी ठेकों के नवीनीकरण को स्वीकृति प्रदान की गई। इसका उद्देश्य सरकारी राजस्व में पर्याप्त बढ़ोतरी प्राप्त करना और पड़ोसी राज्यों में दाम कम करके होने वाली देसी शराब की तस्करी पर रोक लगाना है।
लाइसेंस फीस कम होने के कारण देसी शराब ब्रांड सस्ती होगी। इससे उपभोक्ताओं को सस्ती दरों पर अच्छी गुणवत्ता की शराब उपलब्ध होगी और उन्हें अवैध शराब खरीदने के प्रलोभन से भी बचाया जा सकेगा और शुल्क चोरी पर भी निगरानी रखी जा सकेगी।
नई आबकारी नीति में खुदरा लाइसेंसधारियों को आपूर्ति की जाने वाली देसी शराब के निर्माताओं और बॉटलर्ज के लिए निर्धारित 15 प्रतिशत कोटा समाप्त कर दिया गया है। इस निर्णय से खुदरा लाइसेंसधारी अपना कोटा अपनी पसंद के आपूर्तिकर्ता से उठा सकेंगे और प्रतिस्पर्धात्मक मूल्यों पर अच्छी गुणवत्ता की देसी शराब की आपूर्ति सुनिश्चित होगी। देसी शराब का अधिकतम खरीद मूल्य मौजूदा मूल्य से 16 प्रतिशत सस्ता हो जाएगा।
इस वर्ष की नीति में गौवंश के कल्याण के लिए अधिक निधि प्रदान करने के दृष्टिगत गौधन विकास निधि में एक रुपये की बढ़ोतरी करते हुए इसे मौजूदा 1.50 रुपये से बढ़ाकर 2.50 रुपये किया गया है।
राज्य में कोविड-19 के मामलों में कमी को देखते हुए कोविड उपकर में मौजूदा से 50 प्रतिशत की कमी की गई है।
लाइसेंस शुल्क के क्षेत्र विशिष्ट स्लैब को समाप्त करके बार के निश्चित वार्षिक लाइसेंस शुल्क को युक्तिसंगत बनाया गया है। अब पूरे राज्य में होटलों में कमरों की क्षमता के आधार पर एक समान लाइसेंस स्लैब होंगे।
जनजातीय क्षेत्रों में आने वाले पर्यटकों को बेहतर सुविधा प्रदान करने और होटल उद्यमियों को राहत प्रदान करने के लिए जनजातीय क्षेत्रों में बार के वार्षिक निर्धारित लाइसेंस शुल्क की दरों में काफी कमी की गई है।
शराब के निर्माण, संचालन, थोक विक्रेताओं को इसके प्रेषण और बाद में खुदरा विक्रेताओं को बिक्री की निगरानी के लिए इन सभी हितधारकों को अपने प्रतिष्ठानों में सीसीटीवी कैमरे लगाना अनिवार्य किया गया है।
विभाग की ओर से हाल ही में शराब बॉटलिंग प्लांटों, थोक विक्रेताओं और खुदरा विक्रेताओं में पाई गई अनियमितताओं को ध्यान में रखते हुए हिमाचल प्रदेश आबकारी अधिनियम, 2011 को और सख्त किया गया है।
राज्य में एक प्रभावी एंड-टू-एंड ऑनलाईन आबकारी प्रशासन प्रणाली स्थापित की जाएगी जिसमें शराब की बोतलों की ट्रैक एंड टेक्स की सुविधा के अलावा निगरानी के लिए अन्य मॉडयूल शामिल होंगे।
मंत्रिमंडल ने वर्ष 2022-23 के लिए हिमाचल प्रदेश राज्य पथकर नीति को अपनी मंजूरी प्रदान की है जिसमें राज्य में सभी पथकर बेरियर की नीलामी व निविदा शामिल हैं। वर्ष 2021-22 के दौरान टोल राजस्व में गत वर्ष के राजस्व के मुकाबले 20 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
मंत्रिमंडल ने हिमाचल प्रदेश आपदा राहत नियमावली, 2012 में संशोधन को अपनी मंजूरी प्रदान की जिसमें मधुमक्खी, हॉरनेट और वैस्प के काटने से होने वाली मृत्यु, दुर्घटनाग्रस्त डूबने, और वाहन दुर्घटना मंे होने वाली मृत्यु के मामलोें को राहत नियमावली के अंतर्गत शामिल किया गया है।
मंत्रिमंडल ने लोक सेवा आयोग के माध्यम से राजस्व विभाग में नियमित आधार पर सीधी भर्ती के माध्यम से तहसीलदार श्रेणी-1 के 11 पदों को भरने की स्वीकृति प्रदान की।