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प्रदेश सरकार समान तथा त्वरित विकास के प्रति वचनबद्: मुख्यमंत्री

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धर्मशाला: मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि प्रदेश सरकार राज्य के समान तथा त्वरित विकास के प्रति वचनबद्घ है। उनकी सरकार भेदभाव में विश्वास नहीं रखती और प्रदेश के सभी क्षेत्रों को विकास के मामले में समान प्राथमिकता दी जा रही है। मुख्यमंत्री आज कांगड़ा जिले के बैजनाथ के मेला मैदान में एक जनसभा को सम्बोधित कर रहे थे।

वीरभद्र सिंह ने कहा कि उनके पूर्व कार्यकाल में हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड तथा हिमाचल प्रदेश तकनीकी शिक्षा बोर्ड जैसे अनेक कार्यालय शिमला से धर्मशाला स्थानान्तरित किए गए थे। विद्युतए लोक निर्माण तथा सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग के मुख्य अभियन्ता कार्यालय भी धर्मशाला में खोले गए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार के अथक प्रयासों से कांगड़ा जिला में केन्द्रीय विश्वविद्यालय भी खोला गया है। इसका मुख्यालय धर्मशाला में है। उनके पूर्व कार्यकाल में ही टांडा में डॉ. राजेन्द्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज स्थापित किया गया था ताकि क्षेत्रवासियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध हो सकें।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने ही प्रदेश के निचले क्षेत्रों के लोगों के घर-द्वार पर समस्याएं सुलझाने के लिए शीतकालीन प्रवास की प्रथा आरम्भ की थी और उनके पिछले कार्यकाल में धर्मशाला के तपोवन के समीप विधानसभा भवन का निर्माण किया गया था। वह पिछले कई दिनों से ऊना ए कांगड़ा और हमीरपुर जिलों के साथ.साथ प्रदेश के निचले क्षेत्रों का सघन दौरा कर रहे हैं ताकि क्षेत्रवासियों की समस्याएं उनके घर-द्वार पर तुरंत सुलझाई जा सकें और विकास कार्यों को गति मिले।

वीरभद्र सिंह ने कहा कि कांग्रेस सरकार विविधता में एकता में विश्वास रखती है और क्षेत्रवादए धर्म तथा भाषा जैसी संर्कीण मानसिकता के नाम पर हमें कोई नहीं बांट सकता। उन्होंने कहा कि कुछ लोग राजनीतिक लाभ उठाने और अपने स्वार्थों की पूर्ति के लिए प्रदेश वासियों को बांटना चाहते हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वह मण्डी संसदीय क्षेत्र से सांसद रह चुके हैं और उस समय बैजनाथ इस संसदीय क्षेत्र का हिस्सा हुआ करता था। उन्होंने बैजनाथ क्षेत्र के गांव-गांव का दौरा किया है। इस क्षेत्र में किसी समय न तो सड़कें थी, न स्कूल और न ही अन्य आधारभूत सुविधाएं। विभिन्न कांग्रेस सरकारों और पूर्व मंत्री स्वर्गीय संत राम के प्रयासों से बैजनाथ क्षेत्र में अभूतपूर्व विकास हुआ। वर्तमान में बैजनाथ क्षेत्र में एक डिग्री कॉलेज,नागरिक अस्पताल, सड़कें, स्कूल तथा अन्य सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं।

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर चढिय़ार में उप तहसील खोलनेए राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला चढिय़ार और संसाल में विज्ञान की कक्षाएं आरम्भ करने तथा स्वर्गीय पंडित संत राम राजकीय कॉलेज बैजनाथ में दो विषयों में स्नातकोत्तर कक्षाएं आरम्भ करने की घोषणाएं की। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार विशेषज्ञों से तकनीकी सलाह प्राप्त करने के बाद बैजनाथ में कार्टन फैक्टरी को पुनरू खोलने पर विचार करेगी। उन्होंने चलेड़ा स्थित राजकीय उच्च पाठशाला को वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला के रूप में स्तरोन्नत करनेए नागरिक अस्पताल बैजनाथ को 50 बिस्तरों से 60 बिस्तरों के अस्पताल के रूप में स्तरोन्नत करने और चढिय़ार तथा मुल्थान में पुलिस चौकियां खोलने की घोषणा की।

उन्होंने कहा कि यदि क्षेत्र के लोग सहमत हों तो प्रदेश सरकार बैजनाथए पपरोला पंचायत को नगर पंचायत का दर्जा प्रदान करेगी। उन्होंने राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला भुलाणा में विज्ञान तथा नवीन खण्ड निर्मित करने तथा राजकीय माध्यमिक पाठशाला जंडपुर, सगूर, उस्तेहड़ और रजोट को उच्च पाठशाला के रूप में स्तरोन्नत करने की घोषणा की।

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इससे पूर्व मुख्यमंत्री ने चामुण्डा नंदीकेश्वर धाम में पूजा-अर्चना की।

उन्होंने सकड़ी में 74 लाख रुपये की लागत से निर्मित प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र भवन का लोकार्पण किया और नगेहड़ में 42.78 लाख रुपये की लागत से निर्मित होने वाले प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की आधारशिला रखी।
विधायक श्री किशोरी लाल ने क्षेत्र के दौरे के लिए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त करते हुये कहा कि बैजनाथ क्षेत्र के सम्पूर्ण विकास का श्रेय कांग्रेस सरकार तथा पूर्व मंत्री स्वर्गीय पंडित संत राम को जाता है। उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि बैजनाथ स्थित विख्यात शिव मंदिर के साथ लगते क्षेत्र में मृद्वा क्षरण तथा भू-स्खलन को रोकने के लिए सम्बन्धित अधिकारियों को समुचित कार्यवाही के निर्देश दें।

उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार के पूर्व कार्यकाल में नागरिक अस्पताल बैजनाथ में केवल एक चिकित्सक थाए जबकि वर्तमान कांग्रेस सरकार ने इस अस्पताल में चिकित्सकों के सभी खाली पड़े पदों को भर दिया है। उन्होंने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि क्षेत्र में आवारा पशुओं और वानरों की समस्या से निजात दिलाने के लिए प्रभावी पग उठाएं।

खण्ड कांग्रेस समिति बैजनाथ के अध्यक्ष कैप्टन जगदीश राणा ने मुख्यमंत्री का स्वागत किया।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री कौल सिंह ठाकुर, परिवहन मंत्री जी.एस.बाली, शहरी विकास मंत्री सुधीर शर्मा, कांगड़ा केन्द्रीय सहकारी बैंक के अध्यक्ष जगदीश सिपहिया, हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष बलबीर टेगटा, राज्य महिला कांग्रेस की अध्यक्ष मनभरी देवी, उपायुक्त कांगड़ा सी.पालरासू, पुलिस अधीक्षक बलबीर ठाकुरए मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. डी.एस. गुरंग तथा क्षेत्र के अन्य गणमान्य व्यक्ति इस अवसर पर उपस्थित थे।

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मुख्यमंत्री ने तदोपरांत चौधरी सरवण कुमार कृषि विश्वविद्यालयए पालमपुर में दो करोड़ रुपये की लागत से निर्मित पार्वती कन्या छात्रावास का लोकार्पण किया। इस छात्रावास में 56 लड़कियों के रहने की सुविधा है।
मुख्यमंत्री को इस अवसर पर चौधरी सरवण कुमार कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के कुलपति डॉ. के.के. कटोच तथा अध्यापक एवं गैर अध्यापक कर्मचारियों की ओर से मुख्यमंत्री राहत कोष के लिए 10 लाख 80 हजार रुपये का चैक भेंट किया गया।

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सनवारा टोल प्लाजा पर अब और कटेगी जेब, अप्रैल से 10 से 45 रुपए तक अधिक चुकाना होगा टोल

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शिमला- कालका-शिमला राष्ट्रीय राजमार्ग-5 पर वाहन चालकों से अब पहली अप्रैल से नई दरों से टोल वसूला जाएगा। केंद्रीय भूतल एवं परिवहन मंत्रालय की ओर से बढ़ी हुई दरों पर टोल काटने के आदेश जारी हो गए हैं। जारी आदेश के अनुसार कालका-शिमला एनएच-5 पर सनवारा टोल प्लाजा पर 10 से 45 रुपए तक की वृद्धि हुई है।

टोल प्लाजा संचालक कंपनी के मैनेजर ने बताया कि 1 अप्रैल से कार-जीप का एक तरफ शुल्क 65 और डबल फेयर में 95 रुपये देने होंगे।

लाइट कामर्शियल व्हीकल, लाइट गुड्स व्हीकल और मिनी बस को एक तरफ के 105, बस-ट्रक (टू एक्सेल) को एकतरफ के 215, थ्री एक्सेल कामर्शियल व्हीकल को एक तरफ के 235, हैवी कंस्ट्रक्शन मशीनरी को एकतरफ के 340 और ओवरसीज्ड व्हीकल को एकतरफ के 410 रुपये का शुल्क नई दरों के हिसाब से देना होगा।

सनवारा टोल गेट से 20 किलोमीटर के दायरे में आने वाले वाहन चालकों को पास की सुविधा भी नियमों के अनुसार दी जाती है। इस पास के लिए अब 280 की जगह 315 रुपये प्रति महीना चुकाना पड़ेगा।

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बच्चों से खतरनाक किस्म की मजदूरी कराना गंभीर अपराध:विवेक खनाल

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शिमला- बच्चों से खतरनाक किस्म की मज़दूरी कराना गंभीर अपराध है। 14 साल के अधिक आयु के बच्चों से ढाबे में 6 घंटे से अधिक काम नहीं लिया जा सकता। उन्हें तीन घंटे के बाद एक घंटे का आराम दिया जाना जरूरी है। यह बात वह उमंग फाउंडेशन द्वारा “मज़दूरों के कानूनी अधिकार, समस्याएं और समाधान” विषय पर वेबिनार में वरिष्ठ सिविल जज एवं राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अतिरिक्त सचिव विवेक खनाल ने कही।

उन्होंने कहा कि असंगठित मजदूरों के शोषण का खतरा ज्यादा होता है। देश की जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद का 50% हिस्सा असंगठित मजदूरों के योगदान से ही अर्जित होता है।

विवेक खनाल ने संगठित एवं असंगठित श्रमिकों से जुड़े विभिन्न कानूनों की जानकारी दी। उन्होंने कहा की 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को खतरनाक किस्म के कामों में नहीं लगाया जा सकता। इनमें औद्योगिक राख, अंगारे, बंदरगाह, बूचड़खाना, बीड़ी, पटाखा, रेलवे निर्माण, कालीन, पेंटिंग एवं डाईंग आदि से जुड़े कार्य शामिल हैं।

उन्होंने बताया कि 14 से 18 वर्ष तक के बच्चे रेस्टोरेंट या ढाबे में काम के तय 6 घंटे तक ही काम कर सकते हैं। शाम 7 बजे से सुबह 8 बजे के बीच उन से काम नहीं लिया जा सकता।

उन्होंने बताया कि भवन निर्माण एवं अन्य कामगार बोर्ड में पंजीकृत होने के बाद श्रमिकों को अनेक प्रकार की सुविधाएं एवं सामाजिक सुरक्षा मिल जाती है। 

विवेक के अनुसार असंगठित मजदूरों के लिए कानून भी काफी कम हैं। जबकि उनकी स्थिति ज्यादा खराब होती है। उन्होंने बताया कि मनरेगा के अंतर्गत काम करने वाली महिला मजदूरों के बच्चों को संभालने के लिए उन्हीं में से एक वेतन देकर आया का काम भी दिया जाता है। 

राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अतिरिक्त सचिव ने कहा कि कि प्राधिकरण की ओर से समाज के जिन वर्गों को मुफ्त कानूनी सहायता दी जाती है उसमें एक श्रेणी मजदूरों की भी है।

इसके अतिरिक्त महिला, दिव्यांग, ट्रांसजेंडर, बच्चे, अनुसूचित जाति एवं जनजाति, और तीन लाख से कम वार्षिक आय वाले बुजुर्ग इस योजना में शामिल हैं। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से बद्दी में मजदूरों के लिए एक विशेष प्रकोष्ठ स्थापित किया गया है।

इसके अलावा विभिन्न जिलों में वैकल्पिक विवाद समाधान केंद्र चलाए जा रहे हैं। एक अलग पोर्टल पर सरकार ई-श्रम कार्ड भी बना रही है।

इस दौरान उन्होंने युवाओं के सवालों के जवाब भी दिए।

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हिमाचल कैबिनेट के फैसले:प्रदेश में सस्ती मिलेगी देसी ब्रांड की शराब,पढ़ें सभी फैसले

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शिमला- मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में आयोजित प्रदेश मंत्रीमंडल की बैठक में आज वर्ष 2022-23 के लिए आबकारी नीति को स्वीकृति प्रदान की गई।

इस नीति में वर्ष के दौरान 2,131 करोड़ रुपये के राजस्व प्राप्ति की परिकल्पना की गई है, जो कि वित्त वर्ष 2021-22 से 264 करोड़ रुपये अधिक होगा। यह राज्य आबकारी राजस्व में 14 प्रतिशत की कुल वृद्धि को दर्शाता है।

बैठक में वित्तीय वर्ष 2022-23 राज्य में प्रति इकाई चार प्रतिशत नवीनीकरण शुल्क पर खुदरा आबकारी ठेकों के नवीनीकरण को स्वीकृति प्रदान की गई। इसका उद्देश्य सरकारी राजस्व में पर्याप्त बढ़ोतरी प्राप्त करना और पड़ोसी राज्यों में दाम कम करके होने वाली देसी शराब की तस्करी पर रोक लगाना है।

लाइसेंस फीस कम होने के कारण देसी शराब ब्रांड सस्ती होगी। इससे उपभोक्ताओं को सस्ती दरों पर अच्छी गुणवत्ता की शराब उपलब्ध होगी और उन्हें अवैध शराब खरीदने के प्रलोभन से भी बचाया जा सकेगा और शुल्क चोरी पर भी निगरानी रखी जा सकेगी।

नई आबकारी नीति में खुदरा लाइसेंसधारियों को आपूर्ति की जाने वाली देसी शराब के निर्माताओं और बॉटलर्ज के लिए निर्धारित 15 प्रतिशत कोटा समाप्त कर दिया गया है। इस निर्णय से खुदरा लाइसेंसधारी अपना कोटा अपनी पसंद के आपूर्तिकर्ता से उठा सकेंगे और प्रतिस्पर्धात्मक मूल्यों पर अच्छी गुणवत्ता की देसी शराब की आपूर्ति सुनिश्चित होगी। देसी शराब का अधिकतम खरीद मूल्य मौजूदा मूल्य से 16 प्रतिशत सस्ता हो जाएगा।

इस वर्ष की नीति में गौवंश के कल्याण के लिए अधिक निधि प्रदान करने के दृष्टिगत गौधन विकास निधि में एक रुपये की बढ़ोतरी करते हुए इसे मौजूदा 1.50 रुपये से बढ़ाकर 2.50 रुपये किया गया है।

राज्य में कोविड-19 के मामलों में कमी को देखते हुए कोविड उपकर में मौजूदा से 50 प्रतिशत की कमी की गई है।

लाइसेंस शुल्क के क्षेत्र विशिष्ट स्लैब को समाप्त करके बार के निश्चित वार्षिक लाइसेंस शुल्क को युक्तिसंगत बनाया गया है। अब पूरे राज्य में होटलों में कमरों की क्षमता के आधार पर एक समान लाइसेंस स्लैब होंगे।

जनजातीय क्षेत्रों में आने वाले पर्यटकों को बेहतर सुविधा प्रदान करने और होटल उद्यमियों को राहत प्रदान करने के लिए जनजातीय क्षेत्रों में बार के वार्षिक निर्धारित लाइसेंस शुल्क की दरों में काफी कमी की गई है।

शराब के निर्माण, संचालन, थोक विक्रेताओं को इसके प्रेषण और बाद में खुदरा विक्रेताओं को बिक्री की निगरानी के लिए इन सभी हितधारकों को अपने प्रतिष्ठानों में सीसीटीवी कैमरे लगाना अनिवार्य किया गया है।

विभाग की ओर से हाल ही में शराब बॉटलिंग प्लांटों, थोक विक्रेताओं और खुदरा विक्रेताओं में पाई गई अनियमितताओं को ध्यान में रखते हुए हिमाचल प्रदेश आबकारी अधिनियम, 2011 को और सख्त किया गया है।

राज्य में एक प्रभावी एंड-टू-एंड ऑनलाईन आबकारी प्रशासन प्रणाली स्थापित की जाएगी जिसमें शराब की बोतलों की ट्रैक एंड टेक्स की सुविधा के अलावा निगरानी के लिए अन्य मॉडयूल शामिल होंगे।

मंत्रिमंडल ने वर्ष 2022-23 के लिए हिमाचल प्रदेश राज्य पथकर नीति को अपनी मंजूरी प्रदान की है जिसमें राज्य में सभी पथकर बेरियर की नीलामी व निविदा शामिल हैं। वर्ष 2021-22 के दौरान टोल राजस्व में गत वर्ष के राजस्व के मुकाबले 20 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।

मंत्रिमंडल ने हिमाचल प्रदेश आपदा राहत नियमावली, 2012 में संशोधन को अपनी मंजूरी प्रदान की जिसमें मधुमक्खी, हॉरनेट और वैस्प के काटने से होने वाली मृत्यु, दुर्घटनाग्रस्त डूबने, और वाहन दुर्घटना मंे होने वाली मृत्यु के मामलोें को राहत नियमावली के अंतर्गत शामिल किया गया है।

मंत्रिमंडल ने लोक सेवा आयोग के माध्यम से राजस्व विभाग में नियमित आधार पर सीधी भर्ती के माध्यम से तहसीलदार श्रेणी-1 के 11 पदों को भरने की स्वीकृति प्रदान की।

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