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अनुराग ठाकुर और उनके भाई अरुण ठाकुर के खिलाफ मामला दर्ज

“हिमाचल प्रदेश क्रिकेट असोसिएशन (एचपीसीए) अध्यक्ष और बीजेपी नेता अनुराग ठाकुर और उनके छोटे भाई अरुण ठाकुर के खिलाफ फर्जीवाड़े का मामला दर्ज किया गया है, राज्य करप्शन और विजिलेंस ब्यूरो ने दोनों भाइयों पर जमीन खरीदने के लिए फर्जी कागजात बनवाने का आरोप लगाया है”
विजिलेंस ब्यूरो ने एचपीसीए के खिलाफ धर्मशाला में बने इंटरनैशनल क्रिकेट स्टेडियम के पास खेल विभाग की जमीन पर अवैध कब्जे का भी मामला दर्ज किया है।
विजिलेंस के एसपी (नॉर्थ ) बिमल गुप्ता ने बताया कि अनुराग और अरुण ने धर्मशाला के पास कलापुल में फर्जी कागज के आधार पर जमीन खरीदी थी। एसपी के मुताबिक ए यह आवंटित जमीन थी और इसे अगले बीस साल तक खरीदा बेचा नहीं जा सकता था।
गुप्ता ने बताया कि इसके अलावा एचपीसीए, जिसके प्रमुख अनुराग हैं, के खिलाफ धर्मशाला क्रिकेट स्टेडियम के पास खेल विभाग की 720 स्क्वायर फीट जमीन पर अवैध कब्जा करने का आरोप लगा है।
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ऑनलाइन उत्पाद बेच रहीं स्वयं सहायता समूह की महिलाएं,एक महीने में आए 1,000 से अधिक ऑर्डर

शिमला: हिमाचल प्रदेश में महिलाओं को सशक्त बनाने और उनकी आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए राज्य सरकार ने 3 जनवरी, 2025 को आधिकारिक ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म हिमईरा (https://himira.co.in/) लॉन्च किया था। राज्य सरकार की मानें तो हिमाचल प्रदेश की ग्रामीण महिलाओं के जीवन में इस पहल से सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं। ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से देश भर में लोगों के बीच हिमईरा उत्पादों की लोकप्रियता बढ़ रही है।
एक महीने में 1,000 से अधिक ऑर्डर
राज्य सरकार द्वारा जारी किये गए आंकड़ों के अनुसार ई-कॉमर्स हिमईरा प्लेटफॉर्म के लॉन्च के महज एक महीने के भीतर ही देश भर से 1,000 से अधिक ऑर्डर प्राप्त हुए हैं। केरल, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान जैसे राज्यों में ग्राहकों को 1,050 से अधिक ऑनलाइन ऑर्डर सफलतापूर्वक डिलीवर किए जा चुके हैं।
ई-कॉमर्स में एकीकरण के साथ, स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं द्वारा तैयार किए गए उत्पाद अब पेटीएम और माईस्टोर जैसे प्लेटफार्मों पर स्वचालित रूप से सूचीबद्ध हो जाते हैं। राज्य सरकार के अनुसार यह पहल ग्रामीण हिमाचल के शिल्प कौशल की समृद्धि और विविधता को भारत के हर कोने में ला रही है।
स्व-सहायता समूहों की महिलाओं को हो रहा लाभ: मुख्यमंत्री
इसी बारे में जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि “इस डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से राज्य भर में लगभग 30,000 स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को आजीविका के ऐसे अवसरों तक सीधी पहुँच मिली है। वेबसाइट पर हाथ से बुने हुए हिमाचली वस्त्रों से लेकर शुद्ध और प्राकृतिक खाद्य पदार्थों तक लगभग 30 उत्पादों की विविधतापूर्ण रेंज उपलब्ध है।”
महिलाओं की सफलता की कहानियां
सरकार द्वारा जारी जानकारी के अनुसार हिमईरा प्लेटफॉर्म से जुड़ी कई महिलाओं ने अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव देखे हैं। सोलन जिले की जसविंदर कौर, कांगड़ा जिले की मेघा देवी, लाहौल-स्पीति जिले की रिग्जिन छोदान और हमीरपुर जिले की अनीता देवी जैसी महिलाओं ने हिमईरा के माध्यम से अपनी आय में उल्लेखनीय वृद्धि की है और अब वे आत्मनिर्भर जीवन जी रहीं हैं।
सोलन जिले की जसविंदर कौर का कहना है कि उनके लिए साईनाथ एसएचजी में शामिल होना जीवन बदलने वाला रहा है। उन्होंने वित्तीय सहायता और पशुधन और गैर-कृषि गतिविधियों के लिए 60,000 रुपये के ऋण के साथ गोबर के उत्पाद बनाने का काम शुरू किया था। उनकी मासिक आय, जो कभी मात्र 1000 रुपये थी, अब बढ़कर 20,000 रुपये हो गई है। उन्होंने कहा कि इस मंच के माध्यम से मुझे जो कौशल मिले हैं, उन्होंने वास्तव में उनके जीवन को बदल दिया है। पशुधन और गोबर के उत्पाद बेचकर वह अपने बच्चों की शिक्षा का खर्च उठा सकती है।
कांगड़ा जिले की मेघा देवी की भी कुछ ऐसी ही कहानी है। श्री गणेश एसएचजी से जुड़ने के बाद उन्होंने डोना-पत्तल (पत्तल बनाने) का एक छोटा सा उद्यम शुरू किया। उनकी मासिक आय 5000 रुपये से बढ़कर 20000 रुपये हो गई है। एक समय वह पूरी तरह से अपने पति की आय पर निर्भर थीं, लेकिन अब उनकी आर्थिक स्थिति बदल गई है। मेघा कहती हैं, “अपने जुनून को आजीविका में बदलना लचीलेपन और विकास की यात्रा रही है। मेरी खुदरा दुकान से होने वाली हर बिक्री और मेरे द्वारा बनाए गए हर पत्तल के साथ, मैं न केवल लाभ बल्कि अपने बच्चों के सपनों को साकार होते हुए देखती हूँ।”
लाहौल-स्पीति जिले के केलांग में रिग्जिन छोदान को कंगला बेरी एसएचजी के माध्यम से कृषि, पशुपालन, हस्तशिल्प और हथकरघा से जुड़ी। उनकी मासिक आय 4000 रुपये से बढ़कर 25000 रुपये हो गई है। अब वह अपने उद्यम का विस्तार करने और ग्रामीण बाजारों में नए अवसरों की तलाश करने की योजना बना रही हैं। वह कहती हैं, “यह अविश्वसनीय है कि कैसे नए कौशल सीखने से मेरी कमाई ही नहीं बल्कि जीवन के प्रति मेरा पूरा दृष्टिकोण बदल गया है।”
हमीरपुर जिले के झमियाट गांव की अनीता देवी शुरू में एक निजी आईटी नौकरी पर निर्भर थीं और उन्हें हर महीने मात्र 5000 रुपये मिलते थे। SHG के साथ उनकी यात्रा बुनियादी बचत से शुरू हुई और मशरूम की खेती में NRLM प्रशिक्षण के माध्यम से, उनकी मासिक आय धीरे-धीरे बढ़कर 20000 रुपये हो गई। वह बताती हैं, “कड़ी मेहनत और अपने समूह और राज्य सरकार के समर्थन से, मैंने अपनी छोटी बचत को एक संपन्न व्यवसाय में बदल दिया। अब, मैं न केवल अपने परिवार का समर्थन करती हूँ, बल्कि दूसरों को भी उनकी क्षमता पर विश्वास करने के लिए सशक्त बनाती हूँ।”
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नागरिक सेवा पोर्टल: व्यापार लाईसेंस, सम्पत्ति कर प्रबंधन, शिकायत निवारण, सामुदायिक स्थानों की बुकिंग सहित अनेक सेवाएं होंगी ऑनलाइन

शिमला-राज्य सरकार ने शहरी विकास विभाग के कार्यक्रम ‘स्वच्छ शहर-समृद्ध शहर’ पहल और ‘नागरिक सेवा पोर्टल’ का शुभारम्भ किया। एक राज्य एक पोर्टल पहल के तहत यह पोर्टल citizenseva.hp.gov.in प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध होगा।
जारी की गई जानकारी के अनुसार स्वच्छ शहर-समृद्ध शहर कार्यक्रम के तहत शहरी स्थानीय निकायों में स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण और कचरे के प्रबन्धन के लिए विभिन्न पहल की जाएंगी। नागरिक सेवा पोर्टल के तहत विभिन्न ऑनलाईन जन सेवाएं भी प्रदान की जाएंगी।
नागरिक सेवा पोर्टल आरम्भ करने का उद्देश्य राज्य के सभी शहरी स्थानीय निकायों में एक एकीकृत एण्ड-टू-एण्ड ऑनलाइन समाधान प्रदान करना है। इसके माध्यम से पहले 9 आवश्यक सेवाएं प्रदान की जाएंगी, जिनमें से 7 सेवाएं नागरिकों की आवश्यकताओं के अनुरूप होंगी और दो शहरी स्थानीय निकायों के प्रबंधन के लिए डिजाइन की गई हैं। इसके माध्यम से व्यापार लाईसेंस, सम्पत्ति कर प्रबंधन, शिकायत निवारण, सामुदायिक स्थानों की बुकिंग सहित अनेक जन सेवाएं लोगों को ऑनलाइन उपलब्ध होंगी। आने वाले समय में इस प्लेटफार्म के माध्यम से 45 सेवाएं प्रदान की जाएंगी।
शहरी क्षेत्रों के घरों के गारबेज आई.डी. बनाए जाएंगे
सिटीजन सेवा पोर्टल के माध्यम से कूड़ा संग्रहण और बिल जारी करने के लिए शहरी क्षेत्रों के 2 लाख 82 हजार घरों के गारबेज आई.डी. बनाए जाएंगे। भविष्य में इन सभी पंजीकृत इकाइयों को डिजिटल पहचान प्लेट्स प्रदान की जाएंगी।
प्रदेश सरकार के अनुसार ईज़-ऑफ लिविंग को सर्वोच्च अधिमान दे रही है। पहले सभी स्थानीय निकायों में कार्य परम्परागत रूप से ही किए जा रहे थे। अब इनकी कार्यशैली मेें बदलाव लाया गया है, जिससे इनकी दक्षता में भी बढ़ोतरी हुई है।
शिमला शहर को ईज़-ऑफ लिविंग इंडेक्स में पहला स्थान प्राप्त
सरकार के अनुसार शिमला शहर को ईज़-ऑफ लिविंग इंडेक्स में पहला स्थान प्राप्त हुआ है और आपसी सहयोग से हिमाचल प्रदेश को ई-गवर्नेंस और नागरिक सशक्तिकरण का मॉडल राज्य बनाया जाएगा।
शिमला शहर में पायलट आधार पर प्रोजेक्ट होगा शुरू
शिमला शहर में पेयजल को स्वच्छ बनानेे के लिए पायलट आधार पर प्रोजेक्ट शुरू किया जाएगा, जिसमें ओजोन और यूवी तकनीक का उपयोग किया जाएगा। 10 फरवरी, 2025 से सभी शहरी स्थानीय निकायों में सार्वजनिक शिकायतों के समाधान के लिए वार्ड स्तर पर समाधान शिविर आयोजित किए जाएंगे। सभी शहरी स्थानीय निकायों में स्वच्छ शहर समृद्ध शहर के रूप में दो माह तक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
नवनिर्मित शहरी स्थानीय निकायों को कचरा संग्रहण वाहन खरीदने के लिए 10.62 लाख रुपये प्रति निकाय वित्तीय सहायता कर प्रावधान किया गया है। साथ ही स्थानीय निकायों को ऑनलाईन भुगतान के लिए पीओएस मशीनें भी प्रदान की गई।
सरकार के अनुसार शहरी विकास विभाग ने आईआईटी रोपड़ और जीआईजेड के साथ शहरी सतत पहलों के दृष्टिगत दो समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए। इसका उद्देश्य शोध, नवाचार कचरा प्रबन्धन तकनीकों सहित अन्य विषयों पर आपसी साझेदारी व समन्वय से कार्य करना है ताकि स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में व्यापक स्तर पर सकारात्मक बदलाव लाए जा सकें।
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हिमाचल प्रदेश में बनेगा उत्तर भारत का पहला एक मेगावाट ग्रीन हाईड्रोजन संयंत्र

सोलन: बुधवार को नालागढ़ तहसील के दभोटा में उत्तर भारत के पहले एक मेगावाट क्षमता के ग्रीन हाईड्रोजन संयंत्र की आधारशिला रखी गई। राज्य सरकार द्वारा जारी की गई जानकारी के अनुसार 9.04 करोड़ रुपये की इस परियोजना को हिमाचल प्रदेश पॉवर कार्पोरेशन लिमिटेड द्वारा ऑयल इंडिया लिमिटेड के संयुक्त तत्वावधान से विकसित किया जा रहा है। राज्य सरकार द्वारा अधिकारियों को एक वर्ष की समयावधि के भीतर इस परियोजना को पूरा करने के निर्देश दिए है।
जानकारी के अनुसार प्रदेश सरकार ने 26 अप्रैल, 2023 को आयल इंडिया लिमिटेड के साथ एक समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित किया गया है। जिसके तहत सौर ऊर्जा, जियो थर्मल ऊर्जा और कम्प्रेस्ड बायो गैस के विकास की दिशा में कार्य किया जाएगा।
इस संयंत्र के लिए दभोटा में 4 हजार वर्ग मीटर की भूमि का चयन किया गया है। यह संयंत्र इलेक्ट्रोलाइट के रूप में क्षारीय पोटाशियम हाइड्रोक्साइड घोल का उपयोग कर इलेक्ट्रोलाइसिस के माध्यम से नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के उपयोग से हाइड्रोजन का उत्पादन करेगा। इस विधि से ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में कमी आएगी और स्वच्छ ऊर्जा पारिस्थितिकीय तंत्र का निर्माण होगा।
इस संयंत्र की प्रतिदिन 423 किलोग्राम ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन की क्षमता है जिसके लिए प्रति किलोग्राम हाइड्रोजन के उत्पादन के लिए 13 लीटर पानी की आवश्यकता होगी। भूमिगत जल के रूप में ट्यूबवेल के माध्यम से पानी की आवश्यकता को पूरा किया जाएगा। उत्पादन की प्रक्रिया के दौरान प्रति किलोग्राम हाइड्रोजन के लिए लगभग 52.01 यूनिट बिजली की खपत होगी। संयंत्र द्वारा वार्षिक 1,54,395 किलोग्राम ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादित होने की संभावना है।
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