कमला नेहरू अस्पताल दयनीय हालत में : 1 बैड पर 3 मरीज, गर्भवती महिलाये जमीन पर सोने को मजबूर , छत से टपकता है पानी
वर्ष 1924 से इस अस्पताल में 174 बैड से ही काम चलाया जा रहा है
शिमला- राज्य मातृ एवं शिशु रोग अस्पताल कमला नेहरू में दिनोंदिन अव्यवस्था फैलती जा रही है। न तो सफाई व्यवस्था है और न ही अस्पताल में दाखिल होने वालों के लिए पर्याप्त बैड हैं, जिसके कारण आए दिन लोगों को परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं। वर्ष 1924 से इस अस्पताल में 174 बैड से ही काम चलाया जा रहा है। इन 92 वर्षो में अस्पताल में जहां ओपीडी व महिलाओं की संख्या बढ़ी है।
Photo: FIle Image Taken by HW, 2012
वहीं, दूसरी ओर तकनीक भी बदली, मगर बावजूद इसके बैड की संख्या 174 से आगे नहीं बढ़ सकी। आलम यह है कि कमला नेहरू अस्पताल को राज्य स्तरीय अस्पताल का दर्जा मिलने के बावजूद एक बैड पर दो से तीन महिलाओं को उनके नवजात शिशुओं को लेकर दिन गुजारने पड़ रहे हैं। ऐसे में संक्रमण का खतरा भी बढ़ जाता है। इससे जच्चा-बच्चा दोनों के स्वास्थ्य को खतरा रहता है।
सामान्य डिलीवरी के बाद जहां महिला को कुछ समय बाद घर भेज दिया जाता है, लेकिन कमला नेहरू अस्पताल में संक्रमण की वजह से महिलाओं को उसी बैड पर और दिन गुजारने पड़ रहे हैं। हालांकि अस्पताल का रिकॉर्ड खंगाला जाए तो हर वर्ष आने वाली महिलाओं की प्रतिशतता में वृद्धि हो रही है, जिसके चलते एक ओर जहां ओपीडी में चालीस से पचास प्रतिशत वृद्धि हुई है। वहीं, दाखिल महिलाओं की संख्या भी पांच वर्षो में ही हजारों में है।
कमला नेहरू अस्पताल में सफाई व्यवस्था खस्ताहालत है। अस्पताल के स्नानागार का पानी बाहर फर्श पर बह रहा होता है। इससे सारी गंदगी वार्ड तक चली जाती है। इतना ही नहीं शौचालय की नालियां बंद होने के कारण आसपास दुर्गध फैली रहती है, इससे लोगों का यहां पर खड़ा रहना भी मुश्किल होता है। गंदगी बीमारियों को न्योता दे रही है, लेकिन अस्पताल प्रशासन की ओर से इस ओर कोई कदम नहीं उठाया गया है।
कमला नेहरू अस्पताल के एंटीनेटल वार्ड में छत से पानी टपकता है। वार्ड में पहले ही एक बैड में तीन-तीन मरीज दाखिल किए गए हैं। ऊपर से छत से पानी टपकने के कारण मरीजों को और मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
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जमीन पर लेटते हैं मरीज
कमला नेहरू अस्पताल में एक बैड पर तीन-तीन महिलाएं होने के कारण महिलाओं को रात के समय जमीन पर लेटने को मजबूर होना पड़ रहा है। रात होते ही अपनी तलाई और कंबल लाकर महिलाएं जमीन पर ही बिस्तर बना देती है।
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जांच केंद्र की खस्ता हालत
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कमला नेहरू अस्पताल में एंटीनेटल वार्ड में बने एग्जामिनेशन रूम की हालत खस्ता है। बैड पर भी गंदगी फैली हुई है। कूड़ेदान गंदगी से भरे हुए हैं। दीवारे सीलन के कारण खराब हो गई हैं। इस सबके बावजूद प्रशासन का कभी इस ओर ध्यान नहीं गया।
बयान
कमला नेहरू अस्पताल में प्रतिवर्ष ओपीडी, डिलीवरी व अन्य स्वास्थ्य संबंधी क्रियाओं की प्रतिशतता में वृद्धि होती रही है, क्योंकि यहां महिलाओं को बेहतर इलाज मिलता है। बैड की संख्या 174 है, इससे अधिक बैड रखने के लिए यहां जगह भी नहीं है। सीजेरियन में महिलाओं को कुछ दिनों के लिए दाखिल किया जाता है। नॉर्मल डिलीवरी में सिर्फ महिला को रेस्ट के लिए बैड पर लाया जाता है, जिसमें संक्रमण का खतरा नहीं रहता।
सरकारी स्कूलों में प्रवेश प्रक्रिया के दौरान अध्यापकों ने परिजन और बच्चों को कोरोना संक्रमण व बचाव से करवाया अवगत
मंडी-बस सेवायें बंद होने के बावजूद हिमाचल प्रदेश सरकार ने पिछले सप्ताह ऑफलाइन प्रवेश प्रक्रिया शुरू कर दी। इसी कारण परिजनों और बच्चों और अध्यापकों को स्कूलों तक पहुँचने में दिक्कत का सामना करना पड़। स्कूलों में छात्रों और उनके परिजनों के बीच उचित दूरी बनाये रखना और उनके हाथ बार-बार सैनिटाइज करवाना भी स्कूलों के आगे एक चुनौती थी।
इस प्रवेश प्रक्रिया के दौरान राजकीय आदर्श कन्या वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला सुंदर नगर में भी 12 मई 2020 से 16 मई 2020 तक ऑफलाइन प्रवेश का दौर रहा। इस दौरान प्रधानाचार्य मनोज वालिया व समस्त स्टाफ ने बच्चों तथा अभिभावक गण को कोरोना वायरस के संक्रमण व उससे बचाव के बारे में अवगत करवाया।
प्रधानाचार्य मनोज वालिया ने जानकारी देते हुए कहा कि पाठशाला की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई की कार्यक्रम अधिकारी ललिता बंगिया व राजकुमारी तथा स्वयंसेवी छात्राओं ने नए सत्र की कक्षा में प्रवेश हेतु आई छात्राओं व उनके अभिभावकों को सामाजिक दूरी को बनाए रखने की व्यवस्था की गई तथा प्रवेश हेतु आई हुई छात्राओं व अभिभावकों के हाथ समय-समय पर सैनिटाइज करवाए गए।
होटल ईस्टबोर्न के 120 मजदूरों का इपीएफ 2016 के बाद नहीं हुआ जमा, ब्रिज व्यू रीजेंसी, ली रॉयल, तोशाली रॉयल व्यू रिजॉर्ट, वुडविले पैलेस में भी इपीएफ में गड़बड़
शिमला-आज दिनांक 22 अगस्त को हिमाचल के अलग-अलग होटलों से 200 कर्मचारियों ने ईपीएफओ विभाग के बाहर धरना प्रदर्शन कियाI
कर्मचारियों का कहना है कि यह धरना प्रदर्शन शिमला शहर के विभिन्न होटलों में इपीएफ की समस्याओं को लेकर किया गया जिसमें मुख्य समस्या होटल ईस्ट बोर्न, होटल ब्रिज व्यू रीजेंसी, होटल ली रॉयल, होटल तोशाली रॉयल व्यू रिजॉर्ट, होटल वुडविले पैलेस की हैI
हिमाचल होटल मजदूर लाल झंडा महासचिव विनोद ने कहा कि ईस्टबोर्न में लगभग 120 मजदूर कार्यरत है जिसका इपीएफ 2016 से प्रबंधन द्वारा अभी तक जमा नहीं किया गया है और वैसा ही हाल ब्रिज व्यू में भी हैI
वहां पर भी एक साल से प्रबंधक द्वारा पीएफ का पैसा जमा नहीं किया गया हैI विनोद ने कहा कि वही होटल ले रॉयल में मजदूरों का पीएफ का पैसा जिस एक्ट के तहत कटना चाहिए था वह मालिक नहीं काट रहा है और होटल ली रॉयल का इपीएफ वेस्ट बंगाल में जमा किया जाता है जिससे मजदूरों को समस्या का हो रही हैI विनोद ने कहा कि तोशाली में भी मजदूरों का पीएफ के पैसे में कटौती की जा रही है जोकि यूनियन को बिल्कुल मंजूर नहीं होगाी
विनोद ने कहा कि यूनियन ने पीएफ कमिश्नर को इन समस्याओं से अवगत करवाया और पीएफ कमिश्नर ने वादा किया कि 31 अगस्त तक सभी होटलों में प्रबंधन द्वारा की जा रही गड़बड़ियों की पूरी जांच की जाएगी और जहां भी मालिक को द्वारा मजदूरों का पैसा जमा नहीं किया जा रहा है उन मालिकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगीI
इस प्रदर्शन में सीटू राज्य सचिव विजेंद्र मेहरा, सीटू जिला सचिव अजय दुलटा, सीटू जिला प्रधान कुलदीप डोगरा, सीटू जिला उपाध्यक्ष किशोरी डलवालिया,अध्यक्ष बालकराम, कोषाध्यक्ष पवन शर्मा व अन्य साथी कपिल नेगी विक्रम शर्मा सतपाल राकेश चमन मौजूद थे
शिमला जिला में सड़क मार्ग सुचारू न होने से सेब सड़ने की कगार पर, बागवानों को सेब मंडियों तक पहुंचाने में में आ रही परेशानी
शिमला-हिमाचल प्रदेश में पिछले दिनों हुई भारी वर्षा से बहुत क्षति हुई हैी इस दौरान 63 जाने गई हैI प्रदेश में आज सैंकड़ो सड़के बन्द पड़ी है राष्ट्रीय उच्चमार्ग व अन्य मुख्य मार्गो पर भी सफर अभी तक जोखिम भरा है। इस आपदा से प्रदेश के लगभग सभी जिले प्रभावित हुए हैं परन्तु शिमला,कुल्लू, सिरमौर, किन्नौर,हमीरपुर, बिलासपुर, सोलन आदि जिले सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। अधिकांश क्षेत्रों में बिजली, पानी व सड़के सुचारू नही है। जिससे क्षेत्र के बागवानों को सेब मण्डिया तक पहुंचाने में बेहद परेशानी हो रही हैी
यह कहना है भारत की कम्युनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी) की ज़िला कमेटी शिमला के सचिव व पूर्व मेयर संजय चौहान का। उन्होंने प्रदेश सर्कार से इस क्षति का तुरंत आंकलन करवा कर इसकी क्षतिपूर्ति की मांग की है।
उन्होंने कहा कि शिमला जिला के चौपाल, रोहड़ू, रामपुर व ठियोग तहसीलों में अधिक जान व माल की क्षति हुई है। आज भी चौपाल, चिढ़गांव रामपुर तहसील के अधिकांश क्षेत्र अन्य हिस्सों से कटे हुए हैं। शिमला जिला में अधिकांश सम्पर्क मार्ग या तो बन्द है या सुचारू रूप से कार्य नहीं कर रहे हैं। जिला में सेब का सीजन पूरे यौवन पर है तथा सड़को का सुचारू रूप से कार्य न करना बागवानों के लिए बड़ी परेशानी का सबब बना हुआ है। सड़क मार्ग सुचारू न होने से सेब सड़ने की कगार पर आ गया है।
चौहान ने कहा कि रोहड़ू – देहरादून वाया हाटकोटी मार्ग बंद होने से बागवानों को बेहद परेशानी उठानी पड़ रही है क्योंकि जुब्बल,रोहड़ू,चिढ़गांव आदि क्षेत्रों से अधिकांश सेब इसी मार्ग से मण्डिया में भेजा जाता है।
पार्टी ने मांग की है कि आपदा से हुई इस क्षति का आंकलन तुरंत करवाया जाए तथा प्रभावितों को इसका उचित मुआवजा तुरंत दिया जाए। इसके अतिरिक्त बन्द पड़े सभी मुख्य व लिंक मार्गो को तुरंत खोला जाए ताकि बागवानों को उनका सेब मण्डिया तक पहुचाने में आ रही परेशानी को समाप्त किया जाए। चौहान ने कहा कि यदि सरकार समय रहते कदम नहीं उठती तो पार्टी आंदोलन के लिए मजबूर होगी।