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शर्मनाक:सुंदरनगर में स्वच्छता अभियान की जम कर उड़ाई जा रही धज्जिया, घांगल खडड में फेकी जा रही डंपिग यार्ड की गन्दगी, मृत पशु

जनता को नसीहत खुद फजीहत
स्वच्छता अभियान की सुंदरनगर में जम कर उड़ाई जा रही धज्जिया,खुले में फैके जा रहे मृत पशु, खडड में फेकी जा रही डंपिग यार्ड की गन्दगी,ग्रीन ट्रिब्युनल के दिशा र्निदेशो की जा रही अवेहलना,सुंदरनगर में नाम का है कुड़ा कचरा प्रबधन,सरकार प्रशासन व नगरपरिषद के खिलाफ हुई जम कर नारेबाजी
सुंदरनगर– पिछले कई वर्षो से सुंदरनगर में प्रशासन की नाक तले स्वच्छता अभियान की जम कर धज्जिया उडा़ई जा रही है। लेकिन हैरानी की बात है कि मामले की पुरी जानकारी होने के बावजुद ना तो प्रशासन और ना ही नगरपरिषद कुड़ा कचरा प्रबधन पर आज तक कोई कार्य कर पाया है। हालाकि नगरपरिषद को विभिन्न मंदो के तहत प्रत्येक वर्ष करोड़ो रूपये प्राप्त होते है बावजुद इसके यंहा पर कुड़ा कचरा निष्पादन का कोई इंतजाम नही है। हाल यह है कि अब ड़पिग साईट नेरचौक,रिवालसर व सुंदरनगर के विभिन्न क्षेत्रो से लाए जा रहे कुड़े के चलते लबालब हो चुकी है।
वही नेशनल ग्रीन ट्रियबुनल के दिशा र्निदेशो की भी धज्जिय उड़ाते हुए अब कुड़ा साथ लगती घांगल खडड की और धकेला जा रहा है। जिसके चलते यह बह कर जंहा लोगो के खेत खलियानो को बर्बाद करता हुआ मंडी पुहच कर शहर से लगते व्यास दरिया को भी दुषित कर रहा है।
खुले में फैके जा रहे मृत पशु
ड़पिग साईट पर मृत पशुओ को खुले में ही फेका जा रहा है। जिन्हे दफनाने व ठिकाने लगाने का कोई भी प्रबध नही है। जिसके चलते यंहा पर चारो और दुर्गध फली हुई है। वही यंहा पर जैविक,ठोस व तरल कचरे के निष्पादन का भी उचित प्रबध ना होने के चलते उपिंग साईट का साथ लगती खडड की और विस्तार कर दिया गया है।
मंडी जिला को मिल चुका है स्वच्छता आर्वाड! सुंदरनगर में स्वच्छता अभियान की खुली पोल
हाल ही में मंडी जिला को देश व्यापी स्वच्छता अभियान में बेहतर कार्यों के लिए देश के टॉप टेन जिलों में शामिल किया गया है। जिसके तहत दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री वीरेंद्र सिंह ने उपायुक्त मंडी को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया था। लेकिन यदि हम स्वच्छता को लेकर जमीनी हकीकत की बात करे तो इसकी कलई सुंदरनगर में पुरी तरह से खुल कर सामने आ जाती है।
यहाँ की हालात कुछ और ही ब्यान करती है। स्वच्छता अभियान पर दुसरो को नसीहत देने वाला शहरी विकास विभाग खुद ही इसकी फजीयत में जुटा हुआ है। जंहा संबधित विभाग उपमंडल,जिला व राज्य स्तरीय अभियान चला कर शहर वासियो को कुढ़े को अलग-अलग एकत्रित करने की नसीहत देता है वही इसके विपरीत सुंदरनगर में डंपिग साईट पर कुड़ा कचरा का अलग-अलग निष्पादन तो दुर ठिकाने लगाने का कोई भी प्रबध नही है।
ग्रामीणो को झेलनी पड़ रही भारी परेशानी
सुंदरनगर की चंदपुर डंपिग साईट कुड़ा कचरा निष्पादन का कोई भी प्रबध ना होने के चलते इसका खामियाजा साथ लगते हजारो ग्रामीणो को झेलना पड़ रहा है। डंपिग साईट से फैल रही दुर्गंघ से ग्रामीणो को सांस लेने के साथ खेतो में काम करना मुश्किल हो गया है। साईट के साथ लगते
रोपा,जुगाहण,कलोहड,भुरझवाणु,नौण,जरल,कोटाली,कलौहड,घांगल,तलवाली,भौणवाड़ी,तलवाली,काटलीइत्यादि क्षेत्रो के हजारो ग्रामीण इससे से प्रभावित है।
ग्राम पंचायत जुगाहण की प्रधान,उपप्रधान,पुर्व बीडीसी व वार्ड सदस्य का कहना है कि वह पिछले कई वर्षो से एसडीएम सुंदरनगर सहित नगरपिरषद को समस्या का समाधान कर उन्हे राहत देने की मांग कर चुके है लेकिन इसके उल्टा अन्य क्षेत्रो से भी कुड़ा ला कर यंहा फैका जा रहा है। जिसके चलते अब कुड़ा सरेआम खडडो में बहाया जा रहा है जिसके चलते जंहा उनके खेत खलियानों में कुड़ा पहुच रहा है वही खडड में जगह-जगह कांच फेल चुका है जिस कारण खडड को पार करना भी खतरे से खाली नही रह गया।
श्मशनघाट में लगे मुर्दाबाद के नारे
मंडी बचाओ सर्घष समिति के अध्यक्ष व विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रो के लोगो ने पुराने श्मशनघाट व चंदपुर डंपिग साईट का निरीक्षण किया। इस द्वौरान लोगो ने सरकार प्रशासन व नगरपरिषद के खिलाफ रोश व्यक्त करते हुए लंबे समय से कुड़ा कचरा प्रबधन का ठोस उपाय ना करने पर जम कर नारेबाजी की और मुर्दाबाद के नारे लगाए। इस मौके पर निरीक्षण उपरांत सर्घष समिति के अध्यक्ष ने आरेाप लगाया कि मंडी जिला के उच्चअधिकारियो ने मात्र सुर्खिया बटोरने के लिए स्वच्छता अभियान को चलाया हुआ है। जबकि कुड़ा कचरा प्रबधन कही भी नजर नही आता है।
उन्होने ने जानकारी देते हुए बताया कि सुंदरनगर में जल व वायु प्रदुषण अधिनियम सहित ग्रीन ट्रिब्युनल के दिशा र्निदेशो की जम कर धज्जिया उड़ाई्र जा रही है। जिसके लिए सीघे तौर पर सुंदरनगर व मंडी जिला प्रशासन सहित नगरपरिषद जिम्मेवार है। वह शीघ्र ही नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल सहित मामले को न्यायालय में ले जाएगें।
डंपिग साईट पर कुड़ा कचरा निष्पादन के उचित प्रबध ना होने के चलते ग्रामीणो को पेश आ रही समस्या की जानकारी मिली है। इस बारे में शीघ्र ही उचित कदम उठाए जाएगें।
वेद प्रकाश,तहसीलदार
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हिमाचल की तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर लगे 76,000 से अधिक सेब के पौधे

शिमला- डॉ यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के विस्तार शिक्षा निदेशालय में पहाड़ी कृषि एवं ग्रामीण विकास एजेंसी(हार्प), शिमला द्वारा एक अनुभव-साझाकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस कार्यशाला में जिला किन्नौर के निचार विकास खंड के रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों के 34 किसानों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर जीएम नाबार्ड डॉ. सुधांशु मिश्रा मुख्य अतिथि रहे जबकि नौणी विवि के अनुसंधान निदेशक डॉ रविंदर शर्मा ने विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत की।
संस्था के अध्यक्ष डॉ. आर एस रतन ने कहा कि यह कार्यक्रम एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना के तहत रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों में वर्ष 2014 से आयोजित किया जा रहा है। परियोजना को नाबार्ड द्वारा वित्त पोषित किया गया है और इसे हार्प द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
उन्होंने यह बताया कि यह एक बागवानी आधारित आजीविका कार्यक्रम है जिसे किसानों की भागीदारी से लागू किया गया है। इन तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर 76,000 से अधिक सेब के पौधे लगाए गए हैं और 607 परिवार लाभान्वित हुए हैं।
डॉ. सुधांशु मिश्रा ने यह भी कहा कि नाबार्ड हमेशा सामाजिक-आर्थिक उत्थान कार्यक्रमों के संचालन में आगे रहा है। उन्होंने इस कार्यशाला में भाग लेने वाले किसानों से अपने सहयोग से विभिन्न कार्यक्रमों को सफल बनाने का आग्रह किया।
अनुसंधान निदेशक डॉ. रविंदर शर्मा और विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. दिवेंद्र गुप्ता ने नाबार्ड और हार्प के प्रयासों की सराहना की और किसानों को आश्वासन दिया कि विश्वविद्यालय किसानों को तकनीकी रूप से समर्थन देने के लिए हमेशा तैयार है।
डॉ. नरेद्र कुमार ठाकुर ने कहा कि हार्प ने कृषक समुदाय के समन्वय से दुर्गम क्षेत्रों में कठिन परिस्थितियों में काम किया है। इस अवसर पर एक किसान-वैज्ञानिक परिचर्चा का भी आयोजन किया गया जिसमें भाग लेने वाले किसानों के तकनीकी प्रश्नों को संबोधित किया गया।
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हिमाचल सरकार पुलिसकर्मियों का कर रही है शोषण

पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है,कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है,राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है,हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।
शिमला सीटू राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। कमेटी ने यह कहा है कि वह हिमाचल प्रदेश के पुलिसकर्मियों की मांगों का पूर्ण समर्थन करती है। आरोप लगाते हुए सीटू ने कहा है कि प्रदेश सरकार पुलिसकर्मियों का शोषण कर रही है।
राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार से यह मांग की है कि वर्ष 2013 के बाद नियुक्त पुलिसकर्मियों को पहले की भांति 5910 रुपये के बजाए 10300 रुपये संशोधित वेतन लागू किया जाए व उनकी अन्य सभी मांगों को बिना किसी विलंब के पूरा किया जाए।
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में भी कर्मचारियों की प्रमुख मांगों को अनदेखा किया गया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में पुलिसकर्मियों की मांगों को पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया है।
सीटू कमेटी ने कहा कि सबसे मुश्किल डयूटी करने वाले व चौबीस घण्टे डयूटी में कार्यरत पुलिसकर्मियों को इस बैठक से मायूसी ही हाथ लगी है। इसी से आक्रोशित होकर पुलिसकर्मी मुख्यमंत्री आवास पहुंचे थे। उनके द्वारा पिछले कुछ दिनों से मैस के खाने के बॉयकॉट से उनकी पीड़ा का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि पुलिस कर्मियों के साथ ही सभी सरकारी कर्मचारी नवउदारवादी नीतियों की मार से अछूते नहीं है। कमेटी ने कहा कि पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है। कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।
कमेटी ने यह भी कहा है कि थानों में स्टेशनरी के लिए बेहद कम पैसा है व आईओ को केस की पूरी फ़ाइल का सैंकड़ों रुपये का खर्चा अपनी ही जेब से करना पड़ता है। थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है। मैस मनी केवल दो सौ दस रुपये महीना है जबकि मैस में पूरा महीना खाना खाने का खर्चा दो हज़ार रुपये से ज़्यादा आता है। यह प्रति डाइट केवल साढ़े तीन रुपये बनता है, जोकि पुलिस जवानों के साथ घोर मज़ाक है। यह स्थिति मिड डे मील के लिए आबंटित राशि से भी कम है।
उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के जमाने के बने बहुत सारे थानों की स्थिति खंडहर की तरह प्रतीत होती है जहां पर कार्यालयों को टाइलें लगाकर तो चमका दिया गया है परन्तु कस्टडी कक्षों,बाथरूमों,बैरकों,स्टोरों,मेस की स्थिति बहुत बुरी है। इन वजहों से भी पुलिस जवान भारी मानसिक तनाव में रहते हैं।
सीटू ने कहा कि पुलिस में स्टाफ कि बहुत कमी है या यूं कह लें कि बेहद कम है व कुल अनुमानित नियुक्तियों की तुलना में आधे जवान ही भर्ती किये गए हैं जबकि प्रदेश की जनसंख्या पहले की तुलना में काफी बढ़ चुकी है यहाँ तक पुलिस के पास रिलीवर भी नहीं है।
आरोप लगाते हुए कमेटी ने कहा कि प्रदेश की राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है। वहीं पुलिस कर्मी निरन्तर ओवरटाइम डयूटी करते हैं। इसकी एवज में उन्हें केवल एक महीना ज़्यादा वेतन दिया जाता है। इस से प्रत्येक पुलिसकर्मी को वर्तमान वेतन की तुलना में दस से बारह हज़ार रुपये का नुकसान उठाना पड़ता है। उन्हें लगभग नब्बे साप्ताहिक अवकाश,सेकंड सैटरडे,राष्ट्रीय व त्योहार व अन्य छुट्टियों के मुकाबले में केवल पन्द्रह स्पेशल लीव दी जाती है।
सीटू कमेटी ने यह भी कहा कि वर्ष 2007 में हिमाचल प्रदेश में बने पुलिस एक्ट के पन्द्रह साल बीतने पर भी नियम नहीं बन पाए हैं। इस एक्ट के अनुसार पुलिसकर्मियों को सुविधा तो दी नहीं जाती है परन्तु कर्मियों को दंडित करने के लिए इसके प्रावधान बगैर नियमों के भी लागू किये जा रहे हैं जिसमें एक दिन डयूटी से अनुपस्थित रहने पर तीन दिन का वेतन काटना भी शामिल है। पुलिसकर्मियों की प्रोमोशन में भी कई विसंगतियां हैं व इसका टाइम पीरियड भी बहुत लंबा है। हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।
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किन्नौर में लापता पर्यटकों में से 2 और के शव बरामद, 2 की तालाश जारी,आभी तक कुल 7 शव बरामद

शिमला रिकोंगपिओ में 14 अक्तुबर को उत्तरकाशी के हर्षिल से छितकुल की ट्रैकिंग पर निकले 11 पर्यटकों में से लापता चार पर्वतारोहीयों में से दो पर्वतारोहियों के शवो को आई.टी.बी.पी व पुलिस दल द्वारा पिछले कल सांगला लाया गया था जहां सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सांगला में दोनों शवों का पोस्टमार्टम किया गया।
यह जानकारी देते हुए उपायुक्त किन्नौर अपूर्व देवगन ने बताया कि इन दोनों की पहचान कर ली गई है जिनमे मे एक उतरकाशी व दूसरा पश्चिम बंगाल से सम्बंधित था।
उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन किन्नौर द्वारा आज एक शव वाहन द्वारा उतरकाशी को भेज दिया गया है जहाँ शव को जिला प्रशासन उतरकाशी को सौंपा जाएगा। जब कि दूसरा शव वाहन द्वारा शिमला भेजा गया है जिसे शिमला में मृतक के परिजनों को सौंपा जायेगा।
उपायुक्त अपूर्व देवगन ने बताया कि अभी भी लापता दो पर्यटकों की तलाश आई.टी.बी.पी के जवानों द्वारा जारी है। उल्लेखनीय है कि गत दिनों उतरकाशी से छितकुल के लिये 11 पर्वतारोही ट्रेकिंग पर निकले थे जो बर्फबारी के कारण लमखंगा दर्रे में फंस गये थे जिसकी सूचना मिलने पर जिला प्रशासन द्वारा सेना के हेलीकॉप्टर व आई.टी.बी.पी के जवानों की सहायता से राहत व बचाव कार्य आरम्भ किया था। सेना व आई.टी.बी.पी के जवानों ने 21 अक्टूबर को दो पर्यटकों को सुरक्षित ढूंढ निकाला था। इसी दौरान उन्हें अलग अलग स्थानों पर पाँच ट्रेकरों के शव ढूंढ निकलने में सफलता मिली थी। जबकि 4 पर्यटक लापता थे जिसमे से राहत व बचाव दल को 22 अक्तुबर को 2 शव ढूढ़ निकालने में सफलता मिली थी। अभी भी दो पर्यटक लापता हैं जिनकी राहत व बचाव दल द्वारा तलाश जारी है।
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