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बर्बरतापूर्ण कार्यवाही के आरोपी बालूगंज थाना इंचार्ज के खिलाफ नहीं हुई कोई कार्रवाई, टूटू वासियों ने फिर लगायी राज्यपाल व मुख्यमंत्री से गुहार
शिमला- बालूगंज थाना इंचार्ज वीरी सिंह हटाओ मुहिम में आज व्यापार मण्डल टुटू,जागरूक नागरिक मंच टुटू ,विकास समिति टुटू व स्थानीय जनता का एक प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल से मिला!
व्यापार मण्डल टुटू अध्यक्ष,जागरूक नागरिक मंच टुटू अध्यक्ष,विकास समिति टुटू अध्यक्ष, टुटू के स्थानीय वासी व स्थानीय एडवोकेट ने एक सांझे ब्यान में राज्यपाल आचार्य देवव्रत से जनहित में मांग करते हुए कहा कि थाना बालूगंज के एसएचओ वीरीसिंह को तुरंत प्रभाव से उक्त थाने से हटाया जाये ताकि पुलिस उच्च अधिकारियों द्वारा की जाने वाली जांच प्रभावित न हो!
प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल के सामने अपनी बात रखते हुए कहा कि एसएचओ बालूगंज का अपराध बहुत ही घिनोना है तथा क्षमा के योग्य नहीं है और वह अपने पद पर रह कर जांच में शामिल गवाहों को व थाने में तैनात अधीनरत कर्मचारियों को झूठे ब्यान देने के लिए दवाब बना सकते हैं जिससे निष्पक्ष जांच न होने का अंदेशा बना हुआ है इसलिए तुरंत प्रभाव से एसएचओ को हटाना अति आवश्यक है!
यह भी पढ़ें: शिमला पुलिस पर सूचना देने वाले को बेरहमी से पीटने, धमकाने, व अपराधियों को बचाने का आरोप
टुटू प्रतिनिधिमंडल ने अपने एक जारी ब्यान में कहा कि नितेश गुप्ता के साथ एसएचओ ने बेवजह थाने में ब्यान लेने के बहाने बुलाकर मारकुटाई की है और बिना अपराध के सलाखों के पीछे धकेल दिया वह एक सभ्य परिवार का सदस्य है जिसके परिवार का पीढ़ी दर पीढ़ी कोई अपराधिक पुलिस रिकार्ड भी नहीं है!
प्रतिनिधिमंडल का यह भी कहना है कि जब कानून के रखवाले ही ऐसी बर्बरतापूर्ण कार्यवाही करेंगे तो आम आदमी कहाँ सुरक्षित है और यदि इस मामले की निष्पक्ष जांच न होगी तो शायद ही कोई व्यक्ति भविष्य में अन्याय के खिलाफ पुलिस व प्रशासन की मदद करेगा चाहे सड़क किनारे कोई बेगुनाह लहू-लूहान ही क्यों न पड़ा हो !
प्रतिनिधिमंडल ने ने बताया कि उनके द्वारा राज्यपाल को सौंपे ज्ञापन में मांग की है कि किसी निष्पक्ष जांच संस्था या पदासीन न्यायाधीश से जांच करवाई जाये ताकि प्रदेश सरकार द्वारा पुलिस विभाग के ऐसे आपराधिक अधिकारी के खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही अमल में लाई जा सके अन्यथा हमारा मानना है की ऐसे कानून के रखवाले जब समाज में शिकायतकर्ता के साथ ऐसा दुर्रव्यवहार करेंगे तो भविष्य में हम-हमारे परिवार, बहू-बेटियाँ भी इस देव भूमि हिमाचल में सुरक्षित न रहेंगे!
शिकायतकर्ता नितेश गुप्ता का कहना है कि उन्होने तो यह सोचा था की पुलिस प्रशासन लड़ाई-झगड़े की सूचना देने पर उन्हे प्रशंसा पत्र देने के लिए बुला रही है लेकिन पुलिस अधिकारी ने दादागिरी की ऐसी मिसाल कायम की है की उल्टा उन्हे जिन्दगी भर न भूलने वाले जख्म दे दिये यहाँ तक की बिना अपराध के सलाखों के पीछे धकेल दिया!
विकास समिति अध्यक्ष का कहना है कि अंग्रेजों के जुल्म से तो हम आजाद हो चुके हैं लेकिन ऐसे पुलिस विभाग में तैनात अँग्रेजी डंडा चलाने वाले अधिकारियों के कारण पूरा विभाग बदनाम हो जाता है जिससे कर्मठ कर्मचारियों व अधिकारियों पर भी सवालिया प्रश्न खड़े हो जाते हैं जिस कारण पुलिस प्रशासन जनता का विश्वास भी गंवा देती है!
ज्ञात रहे की दिनांक 17 मार्च, 2016 की शाम 6 बजे के करीब टुटू निवासी नितेश गुप्ता व उसके साथ स्कूटी में सवार मिस्त्री ने टुटू-हीरानगर के बीच (नाल्टू के जंगल ) में सड़क किनारे कुछ लोगों को एक व्यक्ति की बूरी तरह मारपीट करने की शिकायत पुलिस को दी थी जिस पर पुलिस ने मारपीट कर रहे तीन व्यक्तियों को तो वाहन सहित उसी समय सूचना मिलते ही बालूगंज में दबोच लिया था लेकिन घायल व्यक्ति का कोई अता-पता नहीं चलने पर झूठी शिकायत का ढौंग बताकर अगले दिन सुबह एस.एच.ओ. ने शिकायतकर्ता को ब्यान लेने के बहाने थाने में बुलाकर बेरहमी से पिटाई कर डाली जिसकी शिकायत शिकायतकर्ता व स्थानीय जनता ने 19.3.16 को पुलिस प्रमुख व जिला प्रशासन तथा प्रदेश सरकार को की है !
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हिमाचल की तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर लगे 76,000 से अधिक सेब के पौधे
शिमला- डॉ यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के विस्तार शिक्षा निदेशालय में पहाड़ी कृषि एवं ग्रामीण विकास एजेंसी(हार्प), शिमला द्वारा एक अनुभव-साझाकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस कार्यशाला में जिला किन्नौर के निचार विकास खंड के रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों के 34 किसानों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर जीएम नाबार्ड डॉ. सुधांशु मिश्रा मुख्य अतिथि रहे जबकि नौणी विवि के अनुसंधान निदेशक डॉ रविंदर शर्मा ने विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत की।
संस्था के अध्यक्ष डॉ. आर एस रतन ने कहा कि यह कार्यक्रम एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना के तहत रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों में वर्ष 2014 से आयोजित किया जा रहा है। परियोजना को नाबार्ड द्वारा वित्त पोषित किया गया है और इसे हार्प द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
उन्होंने यह बताया कि यह एक बागवानी आधारित आजीविका कार्यक्रम है जिसे किसानों की भागीदारी से लागू किया गया है। इन तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर 76,000 से अधिक सेब के पौधे लगाए गए हैं और 607 परिवार लाभान्वित हुए हैं।
डॉ. सुधांशु मिश्रा ने यह भी कहा कि नाबार्ड हमेशा सामाजिक-आर्थिक उत्थान कार्यक्रमों के संचालन में आगे रहा है। उन्होंने इस कार्यशाला में भाग लेने वाले किसानों से अपने सहयोग से विभिन्न कार्यक्रमों को सफल बनाने का आग्रह किया।
अनुसंधान निदेशक डॉ. रविंदर शर्मा और विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. दिवेंद्र गुप्ता ने नाबार्ड और हार्प के प्रयासों की सराहना की और किसानों को आश्वासन दिया कि विश्वविद्यालय किसानों को तकनीकी रूप से समर्थन देने के लिए हमेशा तैयार है।
डॉ. नरेद्र कुमार ठाकुर ने कहा कि हार्प ने कृषक समुदाय के समन्वय से दुर्गम क्षेत्रों में कठिन परिस्थितियों में काम किया है। इस अवसर पर एक किसान-वैज्ञानिक परिचर्चा का भी आयोजन किया गया जिसमें भाग लेने वाले किसानों के तकनीकी प्रश्नों को संबोधित किया गया।
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हिमाचल सरकार पुलिसकर्मियों का कर रही है शोषण
पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है,कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है,राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है,हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।
शिमला सीटू राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। कमेटी ने यह कहा है कि वह हिमाचल प्रदेश के पुलिसकर्मियों की मांगों का पूर्ण समर्थन करती है। आरोप लगाते हुए सीटू ने कहा है कि प्रदेश सरकार पुलिसकर्मियों का शोषण कर रही है।
राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार से यह मांग की है कि वर्ष 2013 के बाद नियुक्त पुलिसकर्मियों को पहले की भांति 5910 रुपये के बजाए 10300 रुपये संशोधित वेतन लागू किया जाए व उनकी अन्य सभी मांगों को बिना किसी विलंब के पूरा किया जाए।
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में भी कर्मचारियों की प्रमुख मांगों को अनदेखा किया गया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में पुलिसकर्मियों की मांगों को पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया है।
सीटू कमेटी ने कहा कि सबसे मुश्किल डयूटी करने वाले व चौबीस घण्टे डयूटी में कार्यरत पुलिसकर्मियों को इस बैठक से मायूसी ही हाथ लगी है। इसी से आक्रोशित होकर पुलिसकर्मी मुख्यमंत्री आवास पहुंचे थे। उनके द्वारा पिछले कुछ दिनों से मैस के खाने के बॉयकॉट से उनकी पीड़ा का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि पुलिस कर्मियों के साथ ही सभी सरकारी कर्मचारी नवउदारवादी नीतियों की मार से अछूते नहीं है। कमेटी ने कहा कि पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है। कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।
कमेटी ने यह भी कहा है कि थानों में स्टेशनरी के लिए बेहद कम पैसा है व आईओ को केस की पूरी फ़ाइल का सैंकड़ों रुपये का खर्चा अपनी ही जेब से करना पड़ता है। थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है। मैस मनी केवल दो सौ दस रुपये महीना है जबकि मैस में पूरा महीना खाना खाने का खर्चा दो हज़ार रुपये से ज़्यादा आता है। यह प्रति डाइट केवल साढ़े तीन रुपये बनता है, जोकि पुलिस जवानों के साथ घोर मज़ाक है। यह स्थिति मिड डे मील के लिए आबंटित राशि से भी कम है।
उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के जमाने के बने बहुत सारे थानों की स्थिति खंडहर की तरह प्रतीत होती है जहां पर कार्यालयों को टाइलें लगाकर तो चमका दिया गया है परन्तु कस्टडी कक्षों,बाथरूमों,बैरकों,स्टोरों,मेस की स्थिति बहुत बुरी है। इन वजहों से भी पुलिस जवान भारी मानसिक तनाव में रहते हैं।
सीटू ने कहा कि पुलिस में स्टाफ कि बहुत कमी है या यूं कह लें कि बेहद कम है व कुल अनुमानित नियुक्तियों की तुलना में आधे जवान ही भर्ती किये गए हैं जबकि प्रदेश की जनसंख्या पहले की तुलना में काफी बढ़ चुकी है यहाँ तक पुलिस के पास रिलीवर भी नहीं है।
आरोप लगाते हुए कमेटी ने कहा कि प्रदेश की राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है। वहीं पुलिस कर्मी निरन्तर ओवरटाइम डयूटी करते हैं। इसकी एवज में उन्हें केवल एक महीना ज़्यादा वेतन दिया जाता है। इस से प्रत्येक पुलिसकर्मी को वर्तमान वेतन की तुलना में दस से बारह हज़ार रुपये का नुकसान उठाना पड़ता है। उन्हें लगभग नब्बे साप्ताहिक अवकाश,सेकंड सैटरडे,राष्ट्रीय व त्योहार व अन्य छुट्टियों के मुकाबले में केवल पन्द्रह स्पेशल लीव दी जाती है।
सीटू कमेटी ने यह भी कहा कि वर्ष 2007 में हिमाचल प्रदेश में बने पुलिस एक्ट के पन्द्रह साल बीतने पर भी नियम नहीं बन पाए हैं। इस एक्ट के अनुसार पुलिसकर्मियों को सुविधा तो दी नहीं जाती है परन्तु कर्मियों को दंडित करने के लिए इसके प्रावधान बगैर नियमों के भी लागू किये जा रहे हैं जिसमें एक दिन डयूटी से अनुपस्थित रहने पर तीन दिन का वेतन काटना भी शामिल है। पुलिसकर्मियों की प्रोमोशन में भी कई विसंगतियां हैं व इसका टाइम पीरियड भी बहुत लंबा है। हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।
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किन्नौर में लापता पर्यटकों में से 2 और के शव बरामद, 2 की तालाश जारी,आभी तक कुल 7 शव बरामद
शिमला रिकोंगपिओ में 14 अक्तुबर को उत्तरकाशी के हर्षिल से छितकुल की ट्रैकिंग पर निकले 11 पर्यटकों में से लापता चार पर्वतारोहीयों में से दो पर्वतारोहियों के शवो को आई.टी.बी.पी व पुलिस दल द्वारा पिछले कल सांगला लाया गया था जहां सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सांगला में दोनों शवों का पोस्टमार्टम किया गया।
यह जानकारी देते हुए उपायुक्त किन्नौर अपूर्व देवगन ने बताया कि इन दोनों की पहचान कर ली गई है जिनमे मे एक उतरकाशी व दूसरा पश्चिम बंगाल से सम्बंधित था।
उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन किन्नौर द्वारा आज एक शव वाहन द्वारा उतरकाशी को भेज दिया गया है जहाँ शव को जिला प्रशासन उतरकाशी को सौंपा जाएगा। जब कि दूसरा शव वाहन द्वारा शिमला भेजा गया है जिसे शिमला में मृतक के परिजनों को सौंपा जायेगा।
उपायुक्त अपूर्व देवगन ने बताया कि अभी भी लापता दो पर्यटकों की तलाश आई.टी.बी.पी के जवानों द्वारा जारी है। उल्लेखनीय है कि गत दिनों उतरकाशी से छितकुल के लिये 11 पर्वतारोही ट्रेकिंग पर निकले थे जो बर्फबारी के कारण लमखंगा दर्रे में फंस गये थे जिसकी सूचना मिलने पर जिला प्रशासन द्वारा सेना के हेलीकॉप्टर व आई.टी.बी.पी के जवानों की सहायता से राहत व बचाव कार्य आरम्भ किया था। सेना व आई.टी.बी.पी के जवानों ने 21 अक्टूबर को दो पर्यटकों को सुरक्षित ढूंढ निकाला था। इसी दौरान उन्हें अलग अलग स्थानों पर पाँच ट्रेकरों के शव ढूंढ निकलने में सफलता मिली थी। जबकि 4 पर्यटक लापता थे जिसमे से राहत व बचाव दल को 22 अक्तुबर को 2 शव ढूढ़ निकालने में सफलता मिली थी। अभी भी दो पर्यटक लापता हैं जिनकी राहत व बचाव दल द्वारा तलाश जारी है।
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