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आरटीआई में खुलासा: करोड़ों के क़र्ज़ में डूबे हिमाचल के मंत्री सपरिवार कर रहे विदेश की सैर

आरटीआई में खुलासा: मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और विद्या स्टोक्स को छोड़ सभी ने क्लेम किया लाखों का डीए,सपरिवार की विदेश की सैर या फिर जमे रहे हलकों में, शांडिल को छोड़ किसी को नहीं मिली सचिवालय में बैठने की फुरसत
संसाधनों की कमी से साल दर साल करोड़ों के कर्ज में दब कर गरीब होते हिमाचल प्रदेश के विकास की इबारत विश्व बैंक, नाबार्ड और भारत सरकार की विभिन्न एजेंसियों से उधार लेकर लिखी जा रही है। लेकिन कई मंत्री मंत्री इस हालत को जानते हुए भी समझने को तैयार नहीं हैं। हां, विद्या स्टोक्स की तरह दरियादिली कोई नहीं दिखा रहा। सचिवालय प्रशासन विभाग का 2015 में छह माह का रिकॉर्ड बताता है कि दौरों में मंत्रियों की कमाई भी मोटी हो रही है।
मंत्री सिडनी, बैंकॉक, दुबई, न्यूयार्क, बोस्टन, यूरोप, स्पेन, इंग्लैंड जैसे देशों की सैर करने में रुचि दिखा रहे हैं लेकिन शिमला सचिवालय के कार्यालयों बैठना अधिकतर को पंसद नहीं।
क्लेम किया जा रहा डीए सरकारी खजाने में लाखों की सेंध लगा रहा है। प्रदेश या अन्य राज्यों में विभागीय कार्यों की एवज में जो दैनिक भत्ते मंत्री क्लेम कर रहे हैं, उन पैसों को लेने में तो जैसे मंत्रियों में होड़ लगी हैं। अन्य राज्यों में भी जनसुनवाई के हवाले से लाखों वसूले जो रहे हैं।
एक मंत्री ने प्रदेश के बाहर अपना नियमित स्वास्थ्य चैकअप और टेस्ट जहां करवाए, उस राज्य के सबसे बड़े चिकित्सा संस्थान के निदेशक और दूसरे पदाधिकारियों से बैठक का हवाला डीए क्लेम करने के लिए दिया। अगले ही दिन साहब उस राज्य के निजी स्वास्थ्य संस्थान में दाखिल हुए।
कई मंत्रियों ने उडनख़टोलों में की विदेशों की सैर के लिए लाखों रुपये का डीए लिया। एक मंत्री ने देश के भीतर अपने पूरे परिवार को दिल्ली से हिमाचल की सैर उडनख़टोले में करवाई पर खर्चा पूरा सरकार से ही लिया। एक अन्य मंत्री ने जीवन संगिनी को सैर करवाई। कई ने विदेश जाकर निजी दौरे के नाम पर कई दिन सरकारी घोषित किए। वहां की योजनाएं यहां के पहाड़ पर कितनी चढ़ीं, जनता उसे जानती है और इंतजार में है। और तो और, शताब्दी में खाए खाने का भी डीए लिया। काबिले-जिक्र यह कि यह डीए, गाडिय़ों, पेट्रोल, मंत्री स्टाफ सहित अन्य के लाखों खर्च का यह मात्र चुटकी भर है।
हिमाचल मंत्रियों का चंद दिनों का दैनिक भत्ता
मंत्री का नाम | दैनिक भत्ता (रुपये) | अवधि | |
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मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह | 1,39,248 | 85 |
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उद्योग मंत्री मुकेश अग्निहोत्री | 93,000 | 32 |
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वन मंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी | 2,49,802 | 134 |
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शहरी विकास मंत्री सुधीर शर्मा | 2,83,018 | 174 |
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सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग धनीराम शांडिल | 1,67,335 | 185 |
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पंचायती राज मंत्री अनिल शर्मा | 3,70,750 | 177 |
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परिवहन एवं खाद्य आपूर्ति मंत्री जीएस बाली | 2,51,637 | 76 |
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आबकारी एवं कराधान मंत्री प्रकाश चौधरी | 2,74,627 | 154 |
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स्वास्थ्य एवं राजस्व मंत्री ठाकुर कौल सिंह | 2,18,576 | 151 |
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ऊर्जा मंत्री सुजान सिंह पठानिया | 1,40,850 | 163 |
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आईपीएच मंत्री विद्या स्टोक्स | – | – |
राहत यह है कि सरकार के वरिष्ठ मंत्री इस लिहाज से समझदार हैं। विद्या स्टोक्स ऐसा कोई पैसा नहीं लेती तो मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह इस मामले में सबसे शालीन हैं। उन्होंने सबसे कम दैनिक भत्ता क्लेम किया है। दूसरे नंबर पर ऊर्जा मंत्री व तीसरे स्थान पर धनी राम शांडिल हैं। जबकि विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान अधिकतर मंत्रियों ने वहां डीए क्लेम नहीं किया हैं। एक मंत्री की जानकारी देने में जीएडी ने गुरेज किया।
प्रकाश चौधरी ने की विदेश की सैर
प्रकाश चौधरी औसतन बीस प्रतिशत ही शिमला में सचिवालय में अपने स्टाफ के साथ बैठे। अस्सी फीसद दौरे उनके विदेश, दिल्ली, चंड़ीगढ़ सहित अपने विधानसभा क्षेत्रों में ही रहे। 24 सितंबर को शिमला से विदेश के लिए रवाना हुए। एक दिन बाद दिल्ली एयरपोर्ट से बैंकाक के लिए निकले, फिर यहां से सिडनी पहुंचे। इतने सफर तक उन्होंने हिमाचल प्रदेश सरकार के डॉलर खर्चे। मगर इसके बाद सिडनी में वेलिंगटन घूमे। चार से लेकर दस अक्टूबर तक उन्होंने टीए-डीए क्लेम नहीं किया और ऑकलैंड में रुके। उन्होंने यह निजी दौरा बताया है। वापस दिल्ली पहुंचे। 14 अक्टूबर को शिमला पहुंचे। धर्मशाला में शीतकालीन विधानसभा सत्र के दौरान अपने दम पर रहे, कोई सरकारी खर्च नहीं लिया।
भरमौरी को भाता है भरमौर में रहना
प्रदेश के वन मंत्री अपने विधानसभा क्षेत्रों के लोगों के बीच रहना पंसद करते हैं। अक्तूबर में तो दो दिन ही वन मंत्री शिमला आए हैं। दिल्ली और चंडीगढ़ के दौरों पर भी कम ही जाते हैं। घरेलू एयरपोर्ट से चंडीगढ़ दिल्ली में हवाई सेवाएं अगस्त महीने में बैठकों के लिए उपयोग की। मुख्यमंत्री के साथ हेलीकॉप्टर में भी घूमे, उनके साथ जनसभाओं में गए। दिल्ली दौरे के दौरान हालांकि अपने साथ एक सहयोगी को भी हवाई यात्रा सरकारी खर्च पर करवाई। अपने विधानसभा क्षेत्र में दौरे किए। 19 से लेकर 23 नवंबर 2015 तक निजी गाड़ी में घूमे, मगर डीए लेना नहीं भूले।
सचिवालय में बैठने का रिकॉर्ड शांडिल के नाम
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग मंत्री अधिक सचिवालय में बैठना पंसद करते हैं। अन्य मंत्रियों में सबसे अधिक सचिवालय में बैठने का उनका रिकॉर्ड रहा हैं। जुलाई महीने में 27 दिन तक वह शिमला सचिवालय में बैठे, एक साथ इतने दिनों तक सचिवालय में मौजूदगी का रिकॉर्ड उपरोक्त अवधि में अन्य किसी के नाम नही रहा हैं। अन्य महीनों में औसतन 6 माह में तीस फीसद तक सचिवालय में मौजूद रहे जबकि पचास प्रतिशत तक अपने विधानसभा क्षेत्र और शेष में बाहरी राज्यों के दौरों और मंत्रालय के साथ बैठकों में गए। नई दिल्ली और चंडीगढ़ दौरों के दौरान बोर्डिंग पास पर 5500 रुपये के लिए क्लेम सरकार से लिया। सितंबर में प्रदेश के बाहर के दौरों के लिए हवाई सेवा टिकट क्लेम किया है। विदेश दौरे पर नहीं गए।
अक्टूबर में एक ही दिन शिमला रहे सुधीर
शहरी विकास मंत्री सुधीर शर्मा अधिकतम समय शिमला से बाहर ही रहें हैं। दिल्ली चड़ीगढ़ के दौरे विभागीय बैठकों के नाम पर थे। इस दौरान एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया से हिमाचल में एयरपोर्ट विस्तार, विभाग की विभिन्न योजनाओं के फॉलोअप कई मंत्रालयों में किए। अक्तूबर में तो सिर्फ एक दिन शिमला सचिवालय में बैठे। बैजनाथ में पैराग्लाइडिंग वल्र्ड कप की मेजबानी में भी व्यस्तता रही। नौ अक्टूबर को शिमला से दिल्ली रवाना हुए और फिर पूरे महीने शिमला ही नहीं आए। हां दिल्ली में मुख्यमंत्री के इर्द-गिर्द रहे।
नवंबर अंत से लेकर मध्य दिसंबर तक चंडीगढ़ दिल्ली में अपने परिवार के साथ रहे। 21 नवंबर को धर्मशाला से गग्गल तक 10,955 रूपए की टिकट , फिर 22 से लेकर 28 नवंबर तक विभिन्न मंत्रालयों में योजनाओं का फीडबैक लिया और प्रदेश का पक्ष रखा। अगले दिन अपनी बेटी आध्या और पत्नी रीना के साथ दिल्ली से गग्गल पहुंचे। इस दौरान 8,027 रूपए क्लेम किए। शीतकालीन विधानसभा सत्र के बाद सात दिसंबर को परिवार सहित दिल्ली गए, 21 हजार रुपए की टिकट लगी और वापसी 13 दिसंबर को भी हवाई सेवा से की उसके टिकट भी 16000 के आसपास दिए।
दिल्ली में हुई कैबिनेट बैठक में गए सुजान
प्राप्त जानकारी में सुजान सिंह पठानिया ने एक टुअर ऐसा भी डीए के लिए क्लेम किया हैं जिसका जिक्र अन्य मंत्रियों ने अपने दिल्ली दौरे के दौरान नहीं किया हैं। 19 सितंबर को शिमला से दिल्ली सरकारी गाड़ी में रवाना हुए और बीस को वहां कैबिनेट बैठक में भाग लिया और मुख्यमंत्री के साथ रहे। उसके बाद अगले दिन शिमला पहुंचे। विदेश सैर नहीं की, शिमला सचिवालय में बैठना भी अधिक पंसद नहीं किया। मगर दिल्ली चंडीगढ़ का दौरे विभागीय कार्यो के लिए हवाई सेवाओं के जरिए खूब की। फतेहपुर में ही अधिक जमे रहे।
अपना खर्च करते हैं मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह शिमला में कम बैठे, दिल्ली, चंडीगढ़ के दौरे विभागीय कार्यो के चलते अधिक किए। अन्य राज्यों में भी गए मगर, उन्होंने अन्य मंत्रियों के लिए मिसाल कायम की कि निजी दौरों के लिए सरकारी खर्च के लिए क्लेम नहीं किया। अधिकतर दौरों का स्वयं भुगतान किया, जो निजी दौरे घोषित किए हैं। 19 जुलाई को लखनऊ बाई एयर, 25 जुलाई को सड़क मार्ग से जालंधर, मगर स्वयं खर्च उठाया।
दिल्ली, चंडीगढ़ और नगरोटा में रहे बाली
परिवहन एवं खाद्य आपूर्ति मंत्री जीएस बाली इस अवधि में औसतन दस प्रतिशत ही सचिवालय में रहे। अधिकतर अपने विधानसभा क्षेत्र और दिल्ली चंडीगढ़ के दौरे पर रहे। सभी दौरों में दिल्ली चंडीगढ़ में अपनी निजी गाड़ी का प्रयोग किया, मगर डीए का लाभ लेना परिवहन मंत्री नहीं भूले हैं। सरकारी गाड़ी का प्रयोग नहीं किया।
अरे वाह पेरिस, इंग्लैंड घूम आए अनिल शर्मा
अनिल शर्मा का लंदन और पेरिस में निजी दौरे पर रहे हैं। इस दौरान उनकी पत्नी सुनीता शर्मा उनके साथ रहीं। कालका से दिल्ली शताब्दी एक्सप्रैस में नौ जुलाई को गए और 23 को दिल्ली से इसी माध्यम से वापस चंडीगढ़ पहुंचे। उसके बाद सरकारी गाड़ी में शिमला पहुंचे। टीए नियम दो सेक्शन एक के तहत दो लाख रुपये की एवज में 208500 रुपये दो सीटों के लिए क्लेम किए। 14 से 27 नवंबर तक इंग्लैंड की यात्रा पर रहे,सरकारी खर्चा नहीं मांगा।
बस दिल्ली, चंडीगढ़ में ही रहे मुकेश
उद्योग मंत्री मुकेश अग्निहोत्री अस्सी प्रतिशत तक दिल्ली चंडीगढ़ में ही रहे। दस प्रतिशत शिमला और इतनी ही फीसद में अपने हलके में गए। जीएडी ने उनकी जानकारी मात्र 32 दिनों की ही दी है। जून अंत से लेकर जुलाई 2015 तक की जानकारी सचिवालय सामान्य प्रशासन विभाग ने इस संबंध में दी हैं।
स्वास्थ्य एवं राजस्व मंत्री कौल सिंह ठाकुर दुबई, न्यूयार्क घूमे
स्वास्थ्य मंत्री ने विदेश दौरा किया। हालांकि इस अवधि में बीमार भी थे। विधानसभा क्षेत्र में तीस प्रतिशत तक ही जा पाए। 8 नवंबर को दुबई रवाना हुए। 14 नवंबर को वापस दिल्ली आए। इसके बाद विशाखापतनम, हैदराबाद, तिरुपति के लिए उड़ान भरी, डीए भी लिया। विशाखापटनम के लिए 11843 रुपये फ्लाइट टिकट के लिए क्लेम किया। यहां रात्रि विश्राम रहा और अगले दिन 19 नवंबर को डिजास्टर मैनेजमेंट विषय पर दूसरे विश्व सम्मेलन में पहुंचे। यहां से हैदराबाद गए, इसके लिए 5177 तथा तिरुपति के लिए 2883 रुपये क्लेम किए। रोचक यह रहा कि ट्रीटमेंट पर जाने से पहले जब चंडीगढ़ में रहे तो पीजीआई निदेशक और अन्य अथॉरिटी के साथ मैराथन बैठकें की थी। 10 से 14 जुलाई तक वे वहीं रुके। इस दौरान पांच दिन का डीए 1500 रुपये के हिसाब से लिया। अगले दिन से वह फोर्टिस में दाखिल हुए और 3 अगस्त तक वहीं रहे। इस दौरान टीए, डीए एडवांस में लिया था। दो सितंबर को शताब्दी से ट्रेन से दिल्ली गए।
स्टोक्स नहीं लेती कोई खर्च
सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य मंत्री विद्या स्टोक्स सरकारी खर्चा दौरों के लिए लेती ही नहीं हैं। शिमला में अन्य मंत्रियों और मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से अधिक वह सचिवालय कार्यालय में मौजूद रहती हैं। प्रदेश से बाहर दौरों पर कम ही रही है,अपने विधानसभा क्षेत्र में भी शिमला से कम दिखी है।
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सनवारा टोल प्लाजा पर अब और कटेगी जेब, अप्रैल से 10 से 45 रुपए तक अधिक चुकाना होगा टोल

शिमला- कालका-शिमला राष्ट्रीय राजमार्ग-5 पर वाहन चालकों से अब पहली अप्रैल से नई दरों से टोल वसूला जाएगा। केंद्रीय भूतल एवं परिवहन मंत्रालय की ओर से बढ़ी हुई दरों पर टोल काटने के आदेश जारी हो गए हैं। जारी आदेश के अनुसार कालका-शिमला एनएच-5 पर सनवारा टोल प्लाजा पर 10 से 45 रुपए तक की वृद्धि हुई है।
टोल प्लाजा संचालक कंपनी के मैनेजर ने बताया कि 1 अप्रैल से कार-जीप का एक तरफ शुल्क 65 और डबल फेयर में 95 रुपये देने होंगे।
लाइट कामर्शियल व्हीकल, लाइट गुड्स व्हीकल और मिनी बस को एक तरफ के 105, बस-ट्रक (टू एक्सेल) को एकतरफ के 215, थ्री एक्सेल कामर्शियल व्हीकल को एक तरफ के 235, हैवी कंस्ट्रक्शन मशीनरी को एकतरफ के 340 और ओवरसीज्ड व्हीकल को एकतरफ के 410 रुपये का शुल्क नई दरों के हिसाब से देना होगा।
सनवारा टोल गेट से 20 किलोमीटर के दायरे में आने वाले वाहन चालकों को पास की सुविधा भी नियमों के अनुसार दी जाती है। इस पास के लिए अब 280 की जगह 315 रुपये प्रति महीना चुकाना पड़ेगा।
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बच्चों से खतरनाक किस्म की मजदूरी कराना गंभीर अपराध:विवेक खनाल

शिमला- बच्चों से खतरनाक किस्म की मज़दूरी कराना गंभीर अपराध है। 14 साल के अधिक आयु के बच्चों से ढाबे में 6 घंटे से अधिक काम नहीं लिया जा सकता। उन्हें तीन घंटे के बाद एक घंटे का आराम दिया जाना जरूरी है। यह बात वह उमंग फाउंडेशन द्वारा “मज़दूरों के कानूनी अधिकार, समस्याएं और समाधान” विषय पर वेबिनार में वरिष्ठ सिविल जज एवं राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अतिरिक्त सचिव विवेक खनाल ने कही।
उन्होंने कहा कि असंगठित मजदूरों के शोषण का खतरा ज्यादा होता है। देश की जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद का 50% हिस्सा असंगठित मजदूरों के योगदान से ही अर्जित होता है।
विवेक खनाल ने संगठित एवं असंगठित श्रमिकों से जुड़े विभिन्न कानूनों की जानकारी दी। उन्होंने कहा की 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को खतरनाक किस्म के कामों में नहीं लगाया जा सकता। इनमें औद्योगिक राख, अंगारे, बंदरगाह, बूचड़खाना, बीड़ी, पटाखा, रेलवे निर्माण, कालीन, पेंटिंग एवं डाईंग आदि से जुड़े कार्य शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि 14 से 18 वर्ष तक के बच्चे रेस्टोरेंट या ढाबे में काम के तय 6 घंटे तक ही काम कर सकते हैं। शाम 7 बजे से सुबह 8 बजे के बीच उन से काम नहीं लिया जा सकता।
उन्होंने बताया कि भवन निर्माण एवं अन्य कामगार बोर्ड में पंजीकृत होने के बाद श्रमिकों को अनेक प्रकार की सुविधाएं एवं सामाजिक सुरक्षा मिल जाती है।
विवेक के अनुसार असंगठित मजदूरों के लिए कानून भी काफी कम हैं। जबकि उनकी स्थिति ज्यादा खराब होती है। उन्होंने बताया कि मनरेगा के अंतर्गत काम करने वाली महिला मजदूरों के बच्चों को संभालने के लिए उन्हीं में से एक वेतन देकर आया का काम भी दिया जाता है।
राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अतिरिक्त सचिव ने कहा कि कि प्राधिकरण की ओर से समाज के जिन वर्गों को मुफ्त कानूनी सहायता दी जाती है उसमें एक श्रेणी मजदूरों की भी है।
इसके अतिरिक्त महिला, दिव्यांग, ट्रांसजेंडर, बच्चे, अनुसूचित जाति एवं जनजाति, और तीन लाख से कम वार्षिक आय वाले बुजुर्ग इस योजना में शामिल हैं। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से बद्दी में मजदूरों के लिए एक विशेष प्रकोष्ठ स्थापित किया गया है।
इसके अलावा विभिन्न जिलों में वैकल्पिक विवाद समाधान केंद्र चलाए जा रहे हैं। एक अलग पोर्टल पर सरकार ई-श्रम कार्ड भी बना रही है।
इस दौरान उन्होंने युवाओं के सवालों के जवाब भी दिए।
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हिमाचल कैबिनेट के फैसले:प्रदेश में सस्ती मिलेगी देसी ब्रांड की शराब,पढ़ें सभी फैसले

शिमला- मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में आयोजित प्रदेश मंत्रीमंडल की बैठक में आज वर्ष 2022-23 के लिए आबकारी नीति को स्वीकृति प्रदान की गई।
इस नीति में वर्ष के दौरान 2,131 करोड़ रुपये के राजस्व प्राप्ति की परिकल्पना की गई है, जो कि वित्त वर्ष 2021-22 से 264 करोड़ रुपये अधिक होगा। यह राज्य आबकारी राजस्व में 14 प्रतिशत की कुल वृद्धि को दर्शाता है।
बैठक में वित्तीय वर्ष 2022-23 राज्य में प्रति इकाई चार प्रतिशत नवीनीकरण शुल्क पर खुदरा आबकारी ठेकों के नवीनीकरण को स्वीकृति प्रदान की गई। इसका उद्देश्य सरकारी राजस्व में पर्याप्त बढ़ोतरी प्राप्त करना और पड़ोसी राज्यों में दाम कम करके होने वाली देसी शराब की तस्करी पर रोक लगाना है।
लाइसेंस फीस कम होने के कारण देसी शराब ब्रांड सस्ती होगी। इससे उपभोक्ताओं को सस्ती दरों पर अच्छी गुणवत्ता की शराब उपलब्ध होगी और उन्हें अवैध शराब खरीदने के प्रलोभन से भी बचाया जा सकेगा और शुल्क चोरी पर भी निगरानी रखी जा सकेगी।
नई आबकारी नीति में खुदरा लाइसेंसधारियों को आपूर्ति की जाने वाली देसी शराब के निर्माताओं और बॉटलर्ज के लिए निर्धारित 15 प्रतिशत कोटा समाप्त कर दिया गया है। इस निर्णय से खुदरा लाइसेंसधारी अपना कोटा अपनी पसंद के आपूर्तिकर्ता से उठा सकेंगे और प्रतिस्पर्धात्मक मूल्यों पर अच्छी गुणवत्ता की देसी शराब की आपूर्ति सुनिश्चित होगी। देसी शराब का अधिकतम खरीद मूल्य मौजूदा मूल्य से 16 प्रतिशत सस्ता हो जाएगा।
इस वर्ष की नीति में गौवंश के कल्याण के लिए अधिक निधि प्रदान करने के दृष्टिगत गौधन विकास निधि में एक रुपये की बढ़ोतरी करते हुए इसे मौजूदा 1.50 रुपये से बढ़ाकर 2.50 रुपये किया गया है।
राज्य में कोविड-19 के मामलों में कमी को देखते हुए कोविड उपकर में मौजूदा से 50 प्रतिशत की कमी की गई है।
लाइसेंस शुल्क के क्षेत्र विशिष्ट स्लैब को समाप्त करके बार के निश्चित वार्षिक लाइसेंस शुल्क को युक्तिसंगत बनाया गया है। अब पूरे राज्य में होटलों में कमरों की क्षमता के आधार पर एक समान लाइसेंस स्लैब होंगे।
जनजातीय क्षेत्रों में आने वाले पर्यटकों को बेहतर सुविधा प्रदान करने और होटल उद्यमियों को राहत प्रदान करने के लिए जनजातीय क्षेत्रों में बार के वार्षिक निर्धारित लाइसेंस शुल्क की दरों में काफी कमी की गई है।
शराब के निर्माण, संचालन, थोक विक्रेताओं को इसके प्रेषण और बाद में खुदरा विक्रेताओं को बिक्री की निगरानी के लिए इन सभी हितधारकों को अपने प्रतिष्ठानों में सीसीटीवी कैमरे लगाना अनिवार्य किया गया है।
विभाग की ओर से हाल ही में शराब बॉटलिंग प्लांटों, थोक विक्रेताओं और खुदरा विक्रेताओं में पाई गई अनियमितताओं को ध्यान में रखते हुए हिमाचल प्रदेश आबकारी अधिनियम, 2011 को और सख्त किया गया है।
राज्य में एक प्रभावी एंड-टू-एंड ऑनलाईन आबकारी प्रशासन प्रणाली स्थापित की जाएगी जिसमें शराब की बोतलों की ट्रैक एंड टेक्स की सुविधा के अलावा निगरानी के लिए अन्य मॉडयूल शामिल होंगे।
मंत्रिमंडल ने वर्ष 2022-23 के लिए हिमाचल प्रदेश राज्य पथकर नीति को अपनी मंजूरी प्रदान की है जिसमें राज्य में सभी पथकर बेरियर की नीलामी व निविदा शामिल हैं। वर्ष 2021-22 के दौरान टोल राजस्व में गत वर्ष के राजस्व के मुकाबले 20 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
मंत्रिमंडल ने हिमाचल प्रदेश आपदा राहत नियमावली, 2012 में संशोधन को अपनी मंजूरी प्रदान की जिसमें मधुमक्खी, हॉरनेट और वैस्प के काटने से होने वाली मृत्यु, दुर्घटनाग्रस्त डूबने, और वाहन दुर्घटना मंे होने वाली मृत्यु के मामलोें को राहत नियमावली के अंतर्गत शामिल किया गया है।
मंत्रिमंडल ने लोक सेवा आयोग के माध्यम से राजस्व विभाग में नियमित आधार पर सीधी भर्ती के माध्यम से तहसीलदार श्रेणी-1 के 11 पदों को भरने की स्वीकृति प्रदान की।