शिमला-जिस प्रकार से हाल ही में कुल्लू जिला के बंजार व शिमला के झांझीडी में जो बस हादसे हुए हैं तथा 49 बेगुनाह जाने इसमे गई है इसने पूरे प्रदेश की जनता को झिंजोड कर रख दिया है। जिस प्रकार से सरकार को संजीदगी से इन हादसों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए वह आज भी दिखाई नहीं दे रहें हैं। सरकार केवल ऐसे बयान दिखावे के लिए दे रही हैं जिसके जमीनी स्तर पर कोई प्रभाव नहीं दिखाई दे रहा है। यह कहना है शिमला के पूर्व मेयर और भारत की कम्युनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी) की जिला कमेटी के सदस्य जिन्होंने प्रदेश में बढ़ रही सड़क दुर्घटनाओं पर गम्भीर चिंता व्यक्त की हैI
बंजार बस हादसे की सरकार द्वारा बैठाई गई जांच की रिपोर्ट में यह स्पष्ट हो गया है कि हादसे का मुख्य कारण सड़क की दशा व शिकार हुई बस खटारा थी तथा चलने की हालत में नहीं थी। परन्तु फिर भी यह बस लगभग 80 सवारियों को लेकर जा रही थी। जिसमें काफी संख्या में छात्र छात्राएं की थी और इनको सरकार की लापरवाही के कारण अपनी जान गवानी पड़ी। आज सरकार केवल कुछ अधिकारियों के विरुद्ध हलकी कार्यवाही व बस दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद उसका परमिट कैंसिल कर अपना पल्ला झाड़ रही है। जबकि जनता की जान व माल की सुरक्षा व सुरक्षित परिवहन व्यवस्था उपलब्ध करवाना सरकार उत्तरदायित्व हैं।
इन हादसों ने सरकार की कार्यप्रणाली पर कई सवालिया निशान खड़े किए हैं। सरकार ने इस बस हादसे से सबक लेते हुए अभी तक निजी व सरकार की खटारा व कंडम बसों को सड़क से हटाने के लिए न ही कोई निर्णय लिया है और न ही कोई निर्देश देकर ठोस कार्यवाही की हैं। आज भी ऐसी सैंकड़ो बसे चल रही है जोकि जनता के जीवन के साथ सरासर खिलवाड़ हैं।
चौहान का कहना है कि झांझीडी बस हादसे के पश्चात भी सरकार जिस प्रकार से कार्य कर रही हैं वह भी इन हादसों का उचित समाधान नहीं है। प्रथमदृष्टया इस हादसे का कारण सड़क किनारे खड़े वाहन व सड़क की दशा ही माना जा रहा है। कुछ मूल प्रशन जो इस हादसे से पैदा हुए हैं कि सड़क के किनारे यदि क्रैश बैरियर लगे होते तो शायद यह हादसा टाला जा सकता था। चौहान ने पूछा है कि यदि इस सड़क पर पार्किंग की मनाही थी तो प्रशासन इसको क्यों नहीं रोक पाया। जिस प्रकार से हादसे के बाद बस के परखच्चे उड़े है क्या यह बस सफर के लायक रह गई थी कि नहीं। इन प्रशनो का उत्तर सरकार को जनता को अवश्य देना होगा क्योंकि यह लोकतंत्र में जवाबदेही किसी भी चुनी हुई सरकार की ही बनती है।
चौहान ने कहा कि इन हादसों से उठे मूल प्रशनो का जवाब देने के बजाय तथा सरकार इन हादसों से सीख लेते हुए इस प्रकार के हादसों को रोकने के लिए कोई ठोस कदम तो नहीं उठा रही बल्कि शिमला शहर में सड़क किनारे पार्किंग की समस्या का स्थायी समाधान करने के बजाए उसको पैसे लेकर अधिकृत करने का कार्य किया जा रहा है। जिससे कि यह समस्या और विकराल रूप ले सकती है तथा शहरवासियों पर भी अतिरिक्त आर्थिक बोझ डालने की कवायद है। सड़क किनारे गाड़ी खड़ी करने से शिमला शहर में जाम की समस्या और अधिक विकराल होगी तथा जिनको इनमें स्थान नही मिलेगा इन गाड़ियों को कहां पार्क किया जाएगा इसके लिए सरकार व नगर निगम कोई भी प्रावधान नहीं कर रहा है। इससे लोगों की और अधिक परेशानी बढ़ेगी व आपसी सदभाव भी बिगड़ने की संभावना बनी रहेगी। चौहान का मानना है कि जिस प्रकार से कल नगर निगम ने सरकार के कहने पर छोटी गाड़ी के 600 रुपए से 2500 रुपए प्रति माह के रूप में दरें निर्धारित की है यह बिल्कुल भी तर्कसंगत नहीं है।
शिमला शहर में पूर्व नगर निगम द्वारा शहर में विभिन्न स्थान पार्किंग के लिये चिन्हित किये थे। वर्ष 2016 में 85 स्थान विभिन्न वार्डो में तथा 10 बड़ी पार्किंग जिनमे लिफ्ट, छोटा शिमला, संजौली, टूटीकंडी क्रॉसिंग,आई जी एम सी, स्नोव्यू, ढली, विकासनगर, एस डी ए कॉम्प्लेक्स, पंथाघाटी में कार्य किया जा रहा था और इसके लिए धन का प्रावधान भी उसी समय किया जा चुका था। लिफ्ट, छोटा शिमला, संजौली व टूटीकंडी क्रॉसिंग पार्किंग का निर्माण पूर्ण हो गया है। टूटीकंडी क्रॉसिंग पार्किंग का कार्य 5 माह पूर्व पूर्ण हो गया है परन्तु इसे अभी तक आरम्भ नहीं किया गया है। शेष पार्किंग का निर्माण कार्य या तो अभी आरम्भ ही नहीं किया गया है या फिर बेहद धीमी गति से चलाया जा रहा है। वर्तमान सरकार व नगर निगम इन परियोजनाओं की ओर कोई ध्यान नहीं दे रही है और इन्हें लटकाने का कार्य कर रही हैं।
सी.पी.एम. ने सरकार से मांग की है कि प्रदेश में सड़क हादसों व बस दुर्घटनाओं को रोकने के लिए संजीदगी से ठोस कदम उठाए। सड़को की दशा में तुरन्त सुधार करे तथा विशेष रूप से दुर्घटना संभावित क्षेत्रों को चिन्हित कर इनको युद्धस्तर पर दुरुस्त किया जाए। प्रत्येक सड़क में मजबूत क्रैश बैरियर लगाए जाए। निजी व सरकार की खटारा व कंडम बसों को तुरंत सेवा से हटाया जाए तथा नई बसों का प्रावधान किया जाए। सभी बसों का निरीक्षण उचित रूप से किया जाए तथा कोताही के लिए जिम्मेवार व्यक्ति के विरुद्ध कड़ी कानूनी कार्यवाही की जाए।
सड़क किनारे गाड़ी खड़ी करने की परंपरा को समाप्त करने के लिए बस्ती के स्तर पर सड़क के साथ स्थान चिन्हित कर पार्किंग का निर्माण तुरंत किया जाए। शिमला शहर में पार्किंग की विकराल होती समस्या को दूर करने के लिए सरकार क़ानून पारित करे जिनके घर सड़क के साथ बने हैं तथा उसमें पार्किंग नहीं है उनको पार्किंग फ्लोर बनाने का प्रावधान करें तथा उन्हें एक अतिरिक्त मंजिल का प्रावधान किया जाए। पार्टी ने कहा है कि यदि सरकार शीघ्र जनता को सुरक्षित व उचित परिवहन की व्यवस्था नहीं करती तो पार्टी 11 जुलाई, 2019 से सरकार के खिलाफ आंदोलन आरम्भ करेगी।