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बिजली बोर्ड ने बेबकूफ बना दिया मुख्यमंत्री का – नागेन्द्र गुप्ता (CM से की लिखित में शिकायत)

देखें पुराने व् नए चित्र —
मुख्यमंत्री के निजी सलाहकार को गुमराह करना मतलब मुख्यमंत्री को गुमराह करना —
एक ही कार्यालय दो-दो स्थानो पर — एस,ई (ई.एस)–एक एयरपोर्ट रोड पर दूसरा मनाली रोड पर
बाहर एस.ई.कार्यालय का बोर्ड –भीतर कारें खड़ी हैं — गुमराह किया मुख्यमंत्री के सलाहकार को
अवैध कब्जा बहाल करवाया जाए –जनहित मांग ( भूमि प्रदेश सरकार की और अवैध कब्जा बिजली बोर्ड का )
दिखावे के लिए खड़े कर दिए दो वाहन — कार्यालय नहीं अफसरों की निजी कार पार्किंग बनी है यह पुरानी वर्कशाप —
यह आरोप बिजली बोर्ड के अधिकारियों पर विकास समिति टूटू के अध्यक्ष नागेन्द्र गुप्ता ने लगाए हैं ! नागेन्द्र गुप्ता ने कहा कि अभी हाल ही में अनोखी डाली के मुख्यमंत्री के दौरे पर टूटू की जनता ने टूटू में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खोले जाने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन सौंपा था जिसे खोलने के लिए समिति ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन के साथ एक चित्र लगाकर पिछले 15-20 वर्षों से खाली पडी वर्कशाप को स्वास्थ्य विभाग को दिए जाने का भी सुझाव दिया था ! नागेन्द्र गुप्ता ने कहा कि मौके का चित्र देखकर मुख्यमंत्री ने उन्हें आश्वासन दिया था कि यह भवन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के उपयोग में लाया जा सकता है जिसके लिए कुछ पार्टीशन इत्यादि लगा कर इसे तैयार कर दिया जाएगा जिसके लिए कुछ समय लगेगा ! समिति अध्यक्ष ने कहा कि जैसे ही इसकी भनक बिजली बोर्ड के अधिकारियों को लगी उन्होंने वर्षों बंद पड़ी इस पुरानी वर्कशाप के बाहर एक कार्यालय पट्टिका बिना कार्यालय स्थापित किये टांग दी और एक शटर खोल दिया तथा एक चौकीदार बिठा दिया ताकि किसी उच्च अधिकारियों के निरीक्षण के दौरान ऐसा लगे कि इस भवन में तो पहले से ही कोई कार्यालय चल रहा है !
नागेन्द्र गुप्ता ने आरोप लगाया है कि यह वर्कशाप नहीं बल्कि पिछले कई वर्षों से बिजली बोर्ड के अधिकारियों / कर्मचारियों के निजी वाहनो के गैराज के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है जहां मात्र दिखावे के लिए कभी कभी एक-दो सरकारी वाहन या खटारे खड़े कर दिए जाते हैं !
समिति अध्यक्ष नागेन्द्र गुप्ता ने कहा कि पिछले दिनों टूटू का एक प्रतिनिधिमंडल जिसमे अध्यक्ष व्यापार मंडल दिनेश कपूर सहित अन्य पदाधिकारी भी मौजूद थे उन्होंने मुख्यमंत्री से इस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र टूटू की नोटिफिकेशन जारी होने पर उनका आभार प्रकट किया और जल्द इस वर्कशाप के पुराने भवन को स्वास्थ्य विभाग को देने की मांग को दौहराया उन्होंने चर्चा के दौरान यह भी बताया कि बिजली विभाग का इस भूमि पर पिछले कई वर्षों से अवैध कब्जा है जबकि राजस्व विभाग के दस्तावेजों के अनुसार यह भूमि प्रदेश सरकार की है !
मुख्यमंत्री के आदेशों पर पिछले दिनों मुख्यमंत्री के निजी सलाहकार टी.जी.नेगी को मौके पर निरीक्षण के दौरान यह कह कर विद्युत् विभाग के अधिकारियों ने गुमराह कर दिया कि इस भवन में तो पहले से ही कार्यालय चल रहा है तथा इस भवन को स्वास्थ्य विभाग को नहीं दिया जा सकता है !
विकास समिति टूटू के अध्यक्ष नागेन्द्र गुप्ता तथा टूटू व्यापार मंडल के अध्यक्ष दिनेश कपूर ने विद्युत् विभाग पर आरोप लगाया है कि विभाग के उच्च अधिकारियों ने मुख्यमंत्री के निजी सलाहकार को नहीं बल्कि उनके अधिकृत अधिकारी के माध्यम से सीधे तौर पर मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को गुमराह किया है और वस्तु स्थिति को छिपाया है ! उन्होंने एक सांझा ब्यान में कहा कि अधीक्षण अभियंता इलैक्ट्रीकल सिस्टम कार्यालय का बोर्ड पुराने भवन में मात्र 15 दिन पहले लटकाया गया है जबकि यह कार्यालय पिछले 25 वर्षो से शिमला -नालागढ़ रोड पर पूर्ण बिल्डिंग में चल रहा है जो कि पहले ट्रांसमिशन सर्कल के नाम से जाना जाता था !
समिति अध्यक्ष नागेन्द्र गुप्ता ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर बिजली विभाग के उच्च अधिकारियों के खिलाफ मुख्यमंत्री को परोक्ष व् अपरोक्ष रूप से गुमराह करने की कार्यवाही करने की मांग की है तथा जनहित में इस भवन को अवैध कब्जे से मुक्त करवाने की भी मांग की है !
वहीं दूसरी ओर ढैंडा निवासी तथा महिला कांग्रेस महासचिव प्रभा वर्मा ने भी इस स्वास्थ्य केंद्र को यादगार स्थित पुरानी वर्कशाप बिल्डिंग में चलाने की मांग की है ! मुख्यमंत्री को लिखे एक पत्र में उन्होंने कहा कि इस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को टूटू के सैंट्रल जोन में खोलने से जतोग छावनी क्षेत्र के सिविल लोगों तथा चायली पंचायत के ढैंडा,गीरब,क्यार,हीरानगर की स्थानीय लोगों को भी इसका लाभ होगा और बेहत्तर स्वास्थ्य सुविधाएं मिलेगी ! चायली पंचायत प्रधान संजीव ठाकुर ने भी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र टूटू को यादगार में स्थापित करने की मांग की है ताकि उनके क्षेत्र की जनता को भी उचित स्वास्थ्य लाभ मिल सके !
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सनवारा टोल प्लाजा पर अब और कटेगी जेब, अप्रैल से 10 से 45 रुपए तक अधिक चुकाना होगा टोल

शिमला- कालका-शिमला राष्ट्रीय राजमार्ग-5 पर वाहन चालकों से अब पहली अप्रैल से नई दरों से टोल वसूला जाएगा। केंद्रीय भूतल एवं परिवहन मंत्रालय की ओर से बढ़ी हुई दरों पर टोल काटने के आदेश जारी हो गए हैं। जारी आदेश के अनुसार कालका-शिमला एनएच-5 पर सनवारा टोल प्लाजा पर 10 से 45 रुपए तक की वृद्धि हुई है।
टोल प्लाजा संचालक कंपनी के मैनेजर ने बताया कि 1 अप्रैल से कार-जीप का एक तरफ शुल्क 65 और डबल फेयर में 95 रुपये देने होंगे।
लाइट कामर्शियल व्हीकल, लाइट गुड्स व्हीकल और मिनी बस को एक तरफ के 105, बस-ट्रक (टू एक्सेल) को एकतरफ के 215, थ्री एक्सेल कामर्शियल व्हीकल को एक तरफ के 235, हैवी कंस्ट्रक्शन मशीनरी को एकतरफ के 340 और ओवरसीज्ड व्हीकल को एकतरफ के 410 रुपये का शुल्क नई दरों के हिसाब से देना होगा।
सनवारा टोल गेट से 20 किलोमीटर के दायरे में आने वाले वाहन चालकों को पास की सुविधा भी नियमों के अनुसार दी जाती है। इस पास के लिए अब 280 की जगह 315 रुपये प्रति महीना चुकाना पड़ेगा।
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बच्चों से खतरनाक किस्म की मजदूरी कराना गंभीर अपराध:विवेक खनाल

शिमला- बच्चों से खतरनाक किस्म की मज़दूरी कराना गंभीर अपराध है। 14 साल के अधिक आयु के बच्चों से ढाबे में 6 घंटे से अधिक काम नहीं लिया जा सकता। उन्हें तीन घंटे के बाद एक घंटे का आराम दिया जाना जरूरी है। यह बात वह उमंग फाउंडेशन द्वारा “मज़दूरों के कानूनी अधिकार, समस्याएं और समाधान” विषय पर वेबिनार में वरिष्ठ सिविल जज एवं राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अतिरिक्त सचिव विवेक खनाल ने कही।
उन्होंने कहा कि असंगठित मजदूरों के शोषण का खतरा ज्यादा होता है। देश की जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद का 50% हिस्सा असंगठित मजदूरों के योगदान से ही अर्जित होता है।
विवेक खनाल ने संगठित एवं असंगठित श्रमिकों से जुड़े विभिन्न कानूनों की जानकारी दी। उन्होंने कहा की 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को खतरनाक किस्म के कामों में नहीं लगाया जा सकता। इनमें औद्योगिक राख, अंगारे, बंदरगाह, बूचड़खाना, बीड़ी, पटाखा, रेलवे निर्माण, कालीन, पेंटिंग एवं डाईंग आदि से जुड़े कार्य शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि 14 से 18 वर्ष तक के बच्चे रेस्टोरेंट या ढाबे में काम के तय 6 घंटे तक ही काम कर सकते हैं। शाम 7 बजे से सुबह 8 बजे के बीच उन से काम नहीं लिया जा सकता।
उन्होंने बताया कि भवन निर्माण एवं अन्य कामगार बोर्ड में पंजीकृत होने के बाद श्रमिकों को अनेक प्रकार की सुविधाएं एवं सामाजिक सुरक्षा मिल जाती है।
विवेक के अनुसार असंगठित मजदूरों के लिए कानून भी काफी कम हैं। जबकि उनकी स्थिति ज्यादा खराब होती है। उन्होंने बताया कि मनरेगा के अंतर्गत काम करने वाली महिला मजदूरों के बच्चों को संभालने के लिए उन्हीं में से एक वेतन देकर आया का काम भी दिया जाता है।
राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अतिरिक्त सचिव ने कहा कि कि प्राधिकरण की ओर से समाज के जिन वर्गों को मुफ्त कानूनी सहायता दी जाती है उसमें एक श्रेणी मजदूरों की भी है।
इसके अतिरिक्त महिला, दिव्यांग, ट्रांसजेंडर, बच्चे, अनुसूचित जाति एवं जनजाति, और तीन लाख से कम वार्षिक आय वाले बुजुर्ग इस योजना में शामिल हैं। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से बद्दी में मजदूरों के लिए एक विशेष प्रकोष्ठ स्थापित किया गया है।
इसके अलावा विभिन्न जिलों में वैकल्पिक विवाद समाधान केंद्र चलाए जा रहे हैं। एक अलग पोर्टल पर सरकार ई-श्रम कार्ड भी बना रही है।
इस दौरान उन्होंने युवाओं के सवालों के जवाब भी दिए।
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हिमाचल कैबिनेट के फैसले:प्रदेश में सस्ती मिलेगी देसी ब्रांड की शराब,पढ़ें सभी फैसले

शिमला- मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में आयोजित प्रदेश मंत्रीमंडल की बैठक में आज वर्ष 2022-23 के लिए आबकारी नीति को स्वीकृति प्रदान की गई।
इस नीति में वर्ष के दौरान 2,131 करोड़ रुपये के राजस्व प्राप्ति की परिकल्पना की गई है, जो कि वित्त वर्ष 2021-22 से 264 करोड़ रुपये अधिक होगा। यह राज्य आबकारी राजस्व में 14 प्रतिशत की कुल वृद्धि को दर्शाता है।
बैठक में वित्तीय वर्ष 2022-23 राज्य में प्रति इकाई चार प्रतिशत नवीनीकरण शुल्क पर खुदरा आबकारी ठेकों के नवीनीकरण को स्वीकृति प्रदान की गई। इसका उद्देश्य सरकारी राजस्व में पर्याप्त बढ़ोतरी प्राप्त करना और पड़ोसी राज्यों में दाम कम करके होने वाली देसी शराब की तस्करी पर रोक लगाना है।
लाइसेंस फीस कम होने के कारण देसी शराब ब्रांड सस्ती होगी। इससे उपभोक्ताओं को सस्ती दरों पर अच्छी गुणवत्ता की शराब उपलब्ध होगी और उन्हें अवैध शराब खरीदने के प्रलोभन से भी बचाया जा सकेगा और शुल्क चोरी पर भी निगरानी रखी जा सकेगी।
नई आबकारी नीति में खुदरा लाइसेंसधारियों को आपूर्ति की जाने वाली देसी शराब के निर्माताओं और बॉटलर्ज के लिए निर्धारित 15 प्रतिशत कोटा समाप्त कर दिया गया है। इस निर्णय से खुदरा लाइसेंसधारी अपना कोटा अपनी पसंद के आपूर्तिकर्ता से उठा सकेंगे और प्रतिस्पर्धात्मक मूल्यों पर अच्छी गुणवत्ता की देसी शराब की आपूर्ति सुनिश्चित होगी। देसी शराब का अधिकतम खरीद मूल्य मौजूदा मूल्य से 16 प्रतिशत सस्ता हो जाएगा।
इस वर्ष की नीति में गौवंश के कल्याण के लिए अधिक निधि प्रदान करने के दृष्टिगत गौधन विकास निधि में एक रुपये की बढ़ोतरी करते हुए इसे मौजूदा 1.50 रुपये से बढ़ाकर 2.50 रुपये किया गया है।
राज्य में कोविड-19 के मामलों में कमी को देखते हुए कोविड उपकर में मौजूदा से 50 प्रतिशत की कमी की गई है।
लाइसेंस शुल्क के क्षेत्र विशिष्ट स्लैब को समाप्त करके बार के निश्चित वार्षिक लाइसेंस शुल्क को युक्तिसंगत बनाया गया है। अब पूरे राज्य में होटलों में कमरों की क्षमता के आधार पर एक समान लाइसेंस स्लैब होंगे।
जनजातीय क्षेत्रों में आने वाले पर्यटकों को बेहतर सुविधा प्रदान करने और होटल उद्यमियों को राहत प्रदान करने के लिए जनजातीय क्षेत्रों में बार के वार्षिक निर्धारित लाइसेंस शुल्क की दरों में काफी कमी की गई है।
शराब के निर्माण, संचालन, थोक विक्रेताओं को इसके प्रेषण और बाद में खुदरा विक्रेताओं को बिक्री की निगरानी के लिए इन सभी हितधारकों को अपने प्रतिष्ठानों में सीसीटीवी कैमरे लगाना अनिवार्य किया गया है।
विभाग की ओर से हाल ही में शराब बॉटलिंग प्लांटों, थोक विक्रेताओं और खुदरा विक्रेताओं में पाई गई अनियमितताओं को ध्यान में रखते हुए हिमाचल प्रदेश आबकारी अधिनियम, 2011 को और सख्त किया गया है।
राज्य में एक प्रभावी एंड-टू-एंड ऑनलाईन आबकारी प्रशासन प्रणाली स्थापित की जाएगी जिसमें शराब की बोतलों की ट्रैक एंड टेक्स की सुविधा के अलावा निगरानी के लिए अन्य मॉडयूल शामिल होंगे।
मंत्रिमंडल ने वर्ष 2022-23 के लिए हिमाचल प्रदेश राज्य पथकर नीति को अपनी मंजूरी प्रदान की है जिसमें राज्य में सभी पथकर बेरियर की नीलामी व निविदा शामिल हैं। वर्ष 2021-22 के दौरान टोल राजस्व में गत वर्ष के राजस्व के मुकाबले 20 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
मंत्रिमंडल ने हिमाचल प्रदेश आपदा राहत नियमावली, 2012 में संशोधन को अपनी मंजूरी प्रदान की जिसमें मधुमक्खी, हॉरनेट और वैस्प के काटने से होने वाली मृत्यु, दुर्घटनाग्रस्त डूबने, और वाहन दुर्घटना मंे होने वाली मृत्यु के मामलोें को राहत नियमावली के अंतर्गत शामिल किया गया है।
मंत्रिमंडल ने लोक सेवा आयोग के माध्यम से राजस्व विभाग में नियमित आधार पर सीधी भर्ती के माध्यम से तहसीलदार श्रेणी-1 के 11 पदों को भरने की स्वीकृति प्रदान की।