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हिमाचल प्रदेश की वार्षिक योजना 4100 करोड़ रुपये निर्धारित

“हिमाचल प्रदेश की वर्ष 2013.14 की वार्षिक योजना 4100 करोड़ रुपये निर्धारित की गई है, यह गत वर्ष की वार्षिक योजना की तुलना में 400 करोड़ रुपये अधिक है”
मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह आहलुवालिया के मध्य आज नई दिल्ली स्थित योजना भवन में आयोजित बैठक में हिमाचल प्रदेश की वार्षिक योजना को अंतिम रूप दिया गया।
वीरभद्र सिंह ने कहा कि प्रथम अप्रैल से आरम्भ हुए नए वित्त वर्ष की वार्षिक योजना का आकार पिछले वर्ष की वार्षिक योजना से लगभग 11 प्रतिशत अधिक है। वर्ष 2012.2013 की वार्षिक योजना 3700 करोड़ रुपये थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वार्षिक योजना में सामाजिक क्षेत्र पहली ए परिवहन एवं संचार दूसरी तथा ऊर्जा क्षेत्र तीसरी प्राथमिकता निर्धारित की गई है। कुल योजना आकार में से सामाजिक सेवा क्षेत्र के लिए 1371.40 करोड़ रुपये अर्थात 33.45 प्रतिशत ए परिवहन एवं संचार क्षेत्र के लिए 865. 14 करोड़ रुपये अर्थात 21. 10 प्रतिशत और ऊर्जा क्षेत्र के लिए 624.68 करोड़ रुपये अर्थात 15. 24 प्रतिशत निर्धारित किए गए हैं।
वीरभ्रद सिंह ने कहा कि 12 वीं योजना के लिए प्रदेश की आर्थिकी की वृद्धि दर 9 प्रतिशत निर्धारित की गई है। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति उप योजना के अन्तर्गत 1013. 52 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए हैं ताकि अनुसूचित जाति जनसंख्या के उत्थान के लिए विभिन्न योजनाओं का कार्यान्वयन किया जा सके। जनजातीय क्षेत्र उपयोजना के लिए योजना आकार में 369 करोड़ रुपये अर्थात 9 प्रतिशत निर्धारित किए गए हैं जबकि घोषित पिछड़े क्षेत्रों में विभिन्न विकास परियोजनाओं के लिए 37 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि एवं संबद्ध गतिविधियों के लिए 530. 84 करोड़ रुपये और सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण के लिए 301. 14 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि 12वीं पंचवर्षीय योजना के अन्तर्गत प्रदेश में 5009 अतिरिक्त जल विद्युत का दोहन किया जाएगा। इसमें से वार्षिक योजना 2013.14 में 1918 मेगावाट जल विद्युत के दोहन का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने देश भर को ग्रिड से जोड़ने और कम कीमत पर बिजली उपलब्ध करवाने की आवश्यकता पर बल दिया ताकि देश के विभिन्न भागों में अतिरिक्त बिजली को उचित मूल्य पर उपभोक्ताओं तक पहुंचाया जा सके।
वीरभद्र सिंह ने कहा कि मध्य हिमालय जलागम परियोजना की परियोजना लागत को संशोधित कर 596. 25 करोड़ रुपये कर दिया गया है। पहले यह राशि 365 करोड़ रुपये थी। अब इस परियोजना के अन्तर्गत राज्य के 10 जिलों के 44 खण्डों की 704 ग्राम पंचायतों को लाया जाएगा और 272 सूक्ष्म जलागम परियोजनाएं भी तैयार की जाएंगी ताकि प्राकृतिक संसाधनों के क्षरण को रोका जा सके और उनकी उत्पादकता को बढ़ाया जा सके। इससे ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों की आय में भी वृद्धि होगी।
उन्होंने कहा कि ऊना जिला में कृषि भूमि के संरक्षण , कृषि पैदावार में बढ़ौतरी और जलागम क्षेत्र में वन क्षेत्रों को बढ़ाने के लिए ऊना जिले में चलाई जा रही स्वां नदी एकीकृत जलागम प्रबंधन योजना के लिए इस वर्ष 35 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए हैं। इस परियोजना की लागत को संशोधित कर 215 करोड़ रुपये किया गया है। पहले यह लागत 160 करोड़ रुपये थी। परियोजना के समाप्त होने की तिथि को भी बढ़ाकर मार्च, 2015 तक कर दिया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में आधारभूत पर्यटन सुविधाओं जैसे सूचना केंद्र , कूड़ा.कचरा प्रबंधन , कैंपिंग साईट , पार्किंग सुविधा , शौचालय , सौंदर्यकरण, लैंड स्केपिंग, सड़क सुधार और परियोजना क्षेत्र में पर्यटन क्षेत्रों के विकास के लिए एशिया विकास बैंक के सहयोग से 428. 22 करोड़ रुपये की एक परियोजना चलाई जा रही है। इससे राज्य में धार्मिक, घरेलु और अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों की आमद में बढ़ौतरी होगी।
वीरभद्र सिंह ने कहा कि प्रदेश की जल विद्युत परियोजनाओं में सृजित बड़े जलाश्यों में हाउस बोट का परिचालन आरम्भ किया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में आने वाले 150 लाख पर्यटकों में से अधिकांश लोकप्रिय पर्यटक स्थलों पर जाना पसंद करते हैं। राज्य सरकार पर्यटकों को नये अनछुए क्षेत्रों की ओर ले जाने के लिए प्रयासरत है। इसके लिए होम.स्टे जैसी अनेक योजनाएं आरम्भ की गई हैं। उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि शिमला, कांगड़ा और कुल्लू सभी हवाई अड्डों पर हवाई सेवाएं आरम्भ की जाएं ताकि ग्रीष्मकालीन पर्यटन मौसम में प्रदेश में आने वाले धनाढ्य वर्ग के पर्यटकों को सुविधा मिल सके।
मुख्यमंत्री ने आग्रह किया कि बिलासपुर.लेह वाया मनाली रेल लाईन को सामरिक दृष्टि से राष्ट्रीय महत्व की परियोजना घोषित किया जाए। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के उपरांत राज्य में केवल 44 किलोमीटर रेल लाईन का ही निर्माण हो पाया है और माल
मनरेगा के तहत कार्य निष्पादन के लिए श्रम एवं पंजी घटक के अनुपात में छूट देकर इसे 60ः40 से 50ः50 करने की मांग की। उन्होंने मनरेगा के तहत दिहाड़ी को 138 रुपये से बढ़ाकर 150 रुपये करने का आग्रह भी किया।
वीरभद्र सिंह ने प्रदेश में औद्योगिकरण को गति देने के लिए प्रदेश के लिए औद्योगिक पैकेज को बहाल करने का आग्रह किया। उन्होंने शाहनहर परियोजना का अतिरिक्त केंद्रीय सहायता के रूप में बकाया 62 करोड़ रुपये उपलब्ध करवाने पर केंद्र सरकार का आभार व्यक्त किया और आग्रह किया कि केंद्रीय सहायता तुरंत जारी की जाए।
उन्होंने पहाड़ी क्षेत्रों की कठिन भौगोलिक परिस्थितियों और सीमित कार्य दिवसों के दृष्टिगत त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम ;एआईबीपी के अन्तर्गत योजनाओं को पूरा करने की समयावधि और लागत मानकों को संशोधित करने की मांग की। उन्होंने लघु सिंचाई के लिए बनाए गए कार्यकारी समूह द्वारा दी गई संस्तुतियों को लागू करने की मांग करते हुए स्तही सूक्ष्म सिंचाई योजनाओं के अन्तर्गत 3.5 लाख रुपये प्रति हैक्टेयर के लागत मानक में संशोधन का आग्रह किया।
उन्होंने केंद्रीय प्रायोजित योजनाओं के अन्तर्गत सभी विशेष श्रेणी राज्यों के लिए 90ः10 के आधार पर समान वित्तपोषण का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश का वित्तपोषण भी एक समान भौगोलिक एवं पहाड़ी परिस्थितियों के आधार पर अन्य उत्तर पूर्वी राज्यों के समान किया जाना चाहिए।
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सनवारा टोल प्लाजा पर अब और कटेगी जेब, अप्रैल से 10 से 45 रुपए तक अधिक चुकाना होगा टोल

शिमला- कालका-शिमला राष्ट्रीय राजमार्ग-5 पर वाहन चालकों से अब पहली अप्रैल से नई दरों से टोल वसूला जाएगा। केंद्रीय भूतल एवं परिवहन मंत्रालय की ओर से बढ़ी हुई दरों पर टोल काटने के आदेश जारी हो गए हैं। जारी आदेश के अनुसार कालका-शिमला एनएच-5 पर सनवारा टोल प्लाजा पर 10 से 45 रुपए तक की वृद्धि हुई है।
टोल प्लाजा संचालक कंपनी के मैनेजर ने बताया कि 1 अप्रैल से कार-जीप का एक तरफ शुल्क 65 और डबल फेयर में 95 रुपये देने होंगे।
लाइट कामर्शियल व्हीकल, लाइट गुड्स व्हीकल और मिनी बस को एक तरफ के 105, बस-ट्रक (टू एक्सेल) को एकतरफ के 215, थ्री एक्सेल कामर्शियल व्हीकल को एक तरफ के 235, हैवी कंस्ट्रक्शन मशीनरी को एकतरफ के 340 और ओवरसीज्ड व्हीकल को एकतरफ के 410 रुपये का शुल्क नई दरों के हिसाब से देना होगा।
सनवारा टोल गेट से 20 किलोमीटर के दायरे में आने वाले वाहन चालकों को पास की सुविधा भी नियमों के अनुसार दी जाती है। इस पास के लिए अब 280 की जगह 315 रुपये प्रति महीना चुकाना पड़ेगा।
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बच्चों से खतरनाक किस्म की मजदूरी कराना गंभीर अपराध:विवेक खनाल

शिमला- बच्चों से खतरनाक किस्म की मज़दूरी कराना गंभीर अपराध है। 14 साल के अधिक आयु के बच्चों से ढाबे में 6 घंटे से अधिक काम नहीं लिया जा सकता। उन्हें तीन घंटे के बाद एक घंटे का आराम दिया जाना जरूरी है। यह बात वह उमंग फाउंडेशन द्वारा “मज़दूरों के कानूनी अधिकार, समस्याएं और समाधान” विषय पर वेबिनार में वरिष्ठ सिविल जज एवं राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अतिरिक्त सचिव विवेक खनाल ने कही।
उन्होंने कहा कि असंगठित मजदूरों के शोषण का खतरा ज्यादा होता है। देश की जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद का 50% हिस्सा असंगठित मजदूरों के योगदान से ही अर्जित होता है।
विवेक खनाल ने संगठित एवं असंगठित श्रमिकों से जुड़े विभिन्न कानूनों की जानकारी दी। उन्होंने कहा की 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को खतरनाक किस्म के कामों में नहीं लगाया जा सकता। इनमें औद्योगिक राख, अंगारे, बंदरगाह, बूचड़खाना, बीड़ी, पटाखा, रेलवे निर्माण, कालीन, पेंटिंग एवं डाईंग आदि से जुड़े कार्य शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि 14 से 18 वर्ष तक के बच्चे रेस्टोरेंट या ढाबे में काम के तय 6 घंटे तक ही काम कर सकते हैं। शाम 7 बजे से सुबह 8 बजे के बीच उन से काम नहीं लिया जा सकता।
उन्होंने बताया कि भवन निर्माण एवं अन्य कामगार बोर्ड में पंजीकृत होने के बाद श्रमिकों को अनेक प्रकार की सुविधाएं एवं सामाजिक सुरक्षा मिल जाती है।
विवेक के अनुसार असंगठित मजदूरों के लिए कानून भी काफी कम हैं। जबकि उनकी स्थिति ज्यादा खराब होती है। उन्होंने बताया कि मनरेगा के अंतर्गत काम करने वाली महिला मजदूरों के बच्चों को संभालने के लिए उन्हीं में से एक वेतन देकर आया का काम भी दिया जाता है।
राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अतिरिक्त सचिव ने कहा कि कि प्राधिकरण की ओर से समाज के जिन वर्गों को मुफ्त कानूनी सहायता दी जाती है उसमें एक श्रेणी मजदूरों की भी है।
इसके अतिरिक्त महिला, दिव्यांग, ट्रांसजेंडर, बच्चे, अनुसूचित जाति एवं जनजाति, और तीन लाख से कम वार्षिक आय वाले बुजुर्ग इस योजना में शामिल हैं। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से बद्दी में मजदूरों के लिए एक विशेष प्रकोष्ठ स्थापित किया गया है।
इसके अलावा विभिन्न जिलों में वैकल्पिक विवाद समाधान केंद्र चलाए जा रहे हैं। एक अलग पोर्टल पर सरकार ई-श्रम कार्ड भी बना रही है।
इस दौरान उन्होंने युवाओं के सवालों के जवाब भी दिए।
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हिमाचल कैबिनेट के फैसले:प्रदेश में सस्ती मिलेगी देसी ब्रांड की शराब,पढ़ें सभी फैसले

शिमला- मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में आयोजित प्रदेश मंत्रीमंडल की बैठक में आज वर्ष 2022-23 के लिए आबकारी नीति को स्वीकृति प्रदान की गई।
इस नीति में वर्ष के दौरान 2,131 करोड़ रुपये के राजस्व प्राप्ति की परिकल्पना की गई है, जो कि वित्त वर्ष 2021-22 से 264 करोड़ रुपये अधिक होगा। यह राज्य आबकारी राजस्व में 14 प्रतिशत की कुल वृद्धि को दर्शाता है।
बैठक में वित्तीय वर्ष 2022-23 राज्य में प्रति इकाई चार प्रतिशत नवीनीकरण शुल्क पर खुदरा आबकारी ठेकों के नवीनीकरण को स्वीकृति प्रदान की गई। इसका उद्देश्य सरकारी राजस्व में पर्याप्त बढ़ोतरी प्राप्त करना और पड़ोसी राज्यों में दाम कम करके होने वाली देसी शराब की तस्करी पर रोक लगाना है।
लाइसेंस फीस कम होने के कारण देसी शराब ब्रांड सस्ती होगी। इससे उपभोक्ताओं को सस्ती दरों पर अच्छी गुणवत्ता की शराब उपलब्ध होगी और उन्हें अवैध शराब खरीदने के प्रलोभन से भी बचाया जा सकेगा और शुल्क चोरी पर भी निगरानी रखी जा सकेगी।
नई आबकारी नीति में खुदरा लाइसेंसधारियों को आपूर्ति की जाने वाली देसी शराब के निर्माताओं और बॉटलर्ज के लिए निर्धारित 15 प्रतिशत कोटा समाप्त कर दिया गया है। इस निर्णय से खुदरा लाइसेंसधारी अपना कोटा अपनी पसंद के आपूर्तिकर्ता से उठा सकेंगे और प्रतिस्पर्धात्मक मूल्यों पर अच्छी गुणवत्ता की देसी शराब की आपूर्ति सुनिश्चित होगी। देसी शराब का अधिकतम खरीद मूल्य मौजूदा मूल्य से 16 प्रतिशत सस्ता हो जाएगा।
इस वर्ष की नीति में गौवंश के कल्याण के लिए अधिक निधि प्रदान करने के दृष्टिगत गौधन विकास निधि में एक रुपये की बढ़ोतरी करते हुए इसे मौजूदा 1.50 रुपये से बढ़ाकर 2.50 रुपये किया गया है।
राज्य में कोविड-19 के मामलों में कमी को देखते हुए कोविड उपकर में मौजूदा से 50 प्रतिशत की कमी की गई है।
लाइसेंस शुल्क के क्षेत्र विशिष्ट स्लैब को समाप्त करके बार के निश्चित वार्षिक लाइसेंस शुल्क को युक्तिसंगत बनाया गया है। अब पूरे राज्य में होटलों में कमरों की क्षमता के आधार पर एक समान लाइसेंस स्लैब होंगे।
जनजातीय क्षेत्रों में आने वाले पर्यटकों को बेहतर सुविधा प्रदान करने और होटल उद्यमियों को राहत प्रदान करने के लिए जनजातीय क्षेत्रों में बार के वार्षिक निर्धारित लाइसेंस शुल्क की दरों में काफी कमी की गई है।
शराब के निर्माण, संचालन, थोक विक्रेताओं को इसके प्रेषण और बाद में खुदरा विक्रेताओं को बिक्री की निगरानी के लिए इन सभी हितधारकों को अपने प्रतिष्ठानों में सीसीटीवी कैमरे लगाना अनिवार्य किया गया है।
विभाग की ओर से हाल ही में शराब बॉटलिंग प्लांटों, थोक विक्रेताओं और खुदरा विक्रेताओं में पाई गई अनियमितताओं को ध्यान में रखते हुए हिमाचल प्रदेश आबकारी अधिनियम, 2011 को और सख्त किया गया है।
राज्य में एक प्रभावी एंड-टू-एंड ऑनलाईन आबकारी प्रशासन प्रणाली स्थापित की जाएगी जिसमें शराब की बोतलों की ट्रैक एंड टेक्स की सुविधा के अलावा निगरानी के लिए अन्य मॉडयूल शामिल होंगे।
मंत्रिमंडल ने वर्ष 2022-23 के लिए हिमाचल प्रदेश राज्य पथकर नीति को अपनी मंजूरी प्रदान की है जिसमें राज्य में सभी पथकर बेरियर की नीलामी व निविदा शामिल हैं। वर्ष 2021-22 के दौरान टोल राजस्व में गत वर्ष के राजस्व के मुकाबले 20 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
मंत्रिमंडल ने हिमाचल प्रदेश आपदा राहत नियमावली, 2012 में संशोधन को अपनी मंजूरी प्रदान की जिसमें मधुमक्खी, हॉरनेट और वैस्प के काटने से होने वाली मृत्यु, दुर्घटनाग्रस्त डूबने, और वाहन दुर्घटना मंे होने वाली मृत्यु के मामलोें को राहत नियमावली के अंतर्गत शामिल किया गया है।
मंत्रिमंडल ने लोक सेवा आयोग के माध्यम से राजस्व विभाग में नियमित आधार पर सीधी भर्ती के माध्यम से तहसीलदार श्रेणी-1 के 11 पदों को भरने की स्वीकृति प्रदान की।