एक तरफ कैड़ल मार्च , दुसरी तरफ नहीं रुक रही है असमाजिक तत्वों की छेड़छाड़
एक और पुरा देश दिल्ली में हुए गैंग रेप की घटना को लेकर इंसाफ की गुहार लगाने और घटना के आरोपियों को कड़ी सजा दिलवाने के लिए दिल्ली सहित देश के अलग – अलग शहरों में प्रदर्शन कर है।दिल्ली की घटना केवल वहीं की समस्या नहीं है लड़कियों को ऐसी घटनाओं का शिकार होना, अब तो छोटे शहरों में भी आम हो गया है,राह चलते हुए महिलाओं पर भद्वे कमेंट करना तो आम बात हो गई है।ऐसा ही कुछ देखने को मिला शिमला शहर में जब दिल्ली की घटना के आरोपियों को सख्त सजा दिलाने के विरोध में स्कूली छात्र -छात्राएं कंेडल मार्च निकाल रहे थे ,तो बाहरी राज्य पंजाब से शिमला घूमने आए कुछ लड़को ने मार्च में शामिल लड़कियों को भद्वे कमेंट करना शुरु कर दिया और जब लड़कियों ने इसका विरोध जताया तो उन लड़को ने उन्हें गालियों से नवाजने में कोई कसर तक न छोड़ी ,जब शिमला पुलिस ने ये सब देखा और लड़को के खिलाफ सख्त कार्यवाही की गई।सोचने की बात तो ये है कि इतनी बड़ी घटना होने के बावजुद की कोई सबक नहीं लेना चाहता ,जिस देश में दिन के उजाले में महिलाए सुरक्षित नहीं है वहां उनका शाम के अंधेरे में घर से बाहर निकलना उनके लिए कैसे सुरक्षित हो सकता है। जिन्हें ये सब कुछ सहना पड़ता है उनका कसुर है भी तो क्या कि वो एक महिला है?
अमेरिका की इस हिमाचली सभा मे मिली प्रदेश की संस्कृति की झलक
17 सितम्बर 2016 को अमेरिका के न्यू जर्सी मे इक हिमाचली सभा का आयोजन काँगड़ा ज़िले के श्रीमान विरेंद्र ठाकुर जी और उनकी धर्म पत्नी श्रीमती मिनाक्षि कटोच ने किया।
शिमला- “हिमाचल प्रदेश” एक ऐसा प्रदेश जिसका नाम लेते ही हिमालय की बर्फ़ीली चोटियों, हरे भरे वनों का विस्मरण होनेलगता है। इस प्रदेश मे विभिन्न समुदायों का वास है। विभिन धर्मों के समुदाय के लोग, यहाँ प्रेम और सौहार्द के साथ वास करते हैं।
भारत एक धर्म निरपेक्ष देश है और उसकी धर्म निरपेक्षता का एक उचतम उदाहरण हिमाचल प्रदेश है हिमाचल प्रदेश आज भौतिकता के युग मे इक्सवीं सदी के विकसित प्रदेशों मे अपनी एक अलग पहचान बना चुका है । आज देश माएँ ही नहीं अपितु विदेश मार ही हिमाचल अपनी प्रकाषठा स्थापित कर चुका है ।
आज के इस भौतिक समय मे भी ये प्रदेश अपनी संस्कृति और रीति रिवाजों को संजोये हुए है। इस छोटे से प्रदेश मे भी संस्कृति और सामाजिक की विभिनता को देखा जा सकता है। जिसके अपने ही अस्तित्व की विस्मायतित प्रकाषठा है। इन विभिनताओं के बना भी इस प्रदेश के लोग प्रेम और सौहार्द के इक सूत्र मे बँधे हुए हैं।
दूर विदेश माएँ बेठे हुए हर स्वदेशी अपने देश की मिट्टी के लिए हर समय व्याकुल रहताहै क्यूँकि उस प्रेम और अपनेपन का स्पर्श अंतर आत्मा तक ना पहुँचे तब तक संतोष का अनुभव होना कठिन है। मुझे विदेश आए हुए एक साल हो चला था और मेरी अवस्था भी कुछ इसी प्रकारथी। प्रदेशी तो दूर में तो किस्सी स्वदेशी समुदाय के सम्पर्क मे आने के लिए व्याकुल थी। परंतु मेरी इस प्रतीक्षा का शीघ् ही अंत हुआ , और मुझे विदेश मे प्रदेश मिला ।
17 सितम्बर 2016 को अमेरिका के न्यू जर्सी मे इक हिमाचली सभा का आयोजन हुआ। इस्स सभा का आयोजन हिमाचल मे काँगड़ा ज़िले के श्रीमान विरेंद्र ठाकुर जी और उनकी धर्म पत्नी श्रीमती मिनाक्षि कटोच ने किया। यहाँ हिमाचल के विभिन्न भागों से आए हुए कई महानुभावों से मिलने का और उन्हें जांने का मौक़ा मिला। मुझे विदेश मे अपना प्रदेश मिला।
हिमाचल की संस्कृति वी झलक मिली उसे कभी अपने घर मे मैंने कभी सराहा ही नहीं। यहाँ दूर विदेश मे उन्हें इसे संजोकर इक ही सूत्र मे पिरोकर रखने के प्रयास से मैं स्वयं बहुत प्रभावित हुई और अपने हिमाचाली होने पर गर्व भी हुआ। दूर विदेश मार अपने प्रदेश का होना अपने आप मे ही एक गौरव पूर्ण बात है।
राेहडू-ठियाेग-हाटकाेटी सड़क नाेबल पुरस्कार जीतने लायक, मुख्यमंत्री विकास के मसीहा
इस लिए बस यही कहते आए हैं आैर कहते रहेगें कि “राजा साहब सब ठीक है ! आप विकास के मसीहा है आैर राेहडू में विकास के जाे आयाम स्थापित हुए हैं उससे राेहडू की जनता गद गद है
शिमला- सच में राेहडू व जुबबल काेटखाई वाले सहनशीलता की मिसाल हैं। सहनशीलता की कैटेगिरी में अगर काेई नाेबल पुरस्कार मिलता है उसके सही हक़दार हम है। राेहडू वालाें काे लायलटी का नाेबल पुरस्कार अलग से मिलना चाहिए। देखिए न आठ सालाें से राेहडू ठियाेग हाटकाेटी सड़क की दूरदशा झेल रहे हैं उफ़ तक नहीं करते। बेचारे राजनीति के गलियारे में चहलक़दमी करने वाले नेता है बस जिनका दिल हमारी मासूमियत पर पसीज जाता है।
भाजपा की सरकार हाे ताे कांग्रेस से हमारा हाल नहीं देखा जाता कांग्रेस की सरकार हाे ताे भाजपा का कलेजा फट जाता है पर हम कुछ नहीं बाेलेगें अरे भई हम सब जानते हैं इसमें हमारा क्या राेल है। वर्ल्ड बैंक का पराेजैकट है टेंडर लग चुका है कंपनी काे काँप साैंपा गया है इसमें ताे सरकार भी कुछ नहीं कर सकती । सहनशीलता आैर उस पर ये समझदारी क्या बात है जी ताे फिर नाेबल पुरस्कार ताे बनता ही है न। रही बात राेहडू वालाें की हम ताे लायलटी की वह मिसाल है कि दुनियाँ में नहीं मिलेगी। टूरिज़म के नाम पर हमें बाबा जी का ठूललू मिला, राेहडू शिमला सडक की दूरदशा मिली, पार्किंग है नहीं, शाैचलय उपलब्ध नहीं, अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं पर हम लायल है पहले मुख्यमंत्री देते रहे अब वाे जिसे कहें उसे जीताते रहेंगे। ये लायलटी की बेमिसाल मिसाल हुई की नहीं।
फाइल चित्र
ऐसा नहीं है कि हमारे पास कुशल नेतृत्व या नेता नहीं है ! बहुत है! भाजपा में भी है आैर कांग्रेस में भी है। गिनना है ताे पीडब्ल्यूडी व आईपीएच के कांट्रेक्टराें की सूचि ले लिजिए। नेतृत्व की ऐसी क्षमता है इन सभी नेताआें में कि अपने टैंडराें के अलावा हर विकास कार्य के बारे में बहुत दूरदर्शी हैं ये। ये जाे सडक बन रही है या यूँ कहिए कि बन ही नहीं रही इन नेताआें काे दे दी जाती ताे बहुत सालाें पहले बन गई हाेती। चांशल पर एशिया का सबसे बढ़ा सकी सलाेप विकसित हाे गया हाेता!
चंदरनाहन, मुरालडंडा, गिरी गंगा में अब तक पर्यटन स्थल विकसित हाे गए हाेते बस अगर यह सब ठेकेदारी प्रथा से हाेता। ख़ैर जाे है साे है कैसे कह दें कि हम खुश नहीं हैं। आख़िर लायलटी भी काेई चीज़ है। इस लिए बस यही कहते आए हैं आैर कहते रहेगें कि “राजा साहब सब ठीक है ! आप विकास के मसीहा है आैर राेहडू में विकास के जाे आयाम स्थापित हुए हैं उससे राेहडू की जनता गद गद है
मुख्यमंत्री वीरभद्र की 108 दिन से भूख हड़ताल पर बैठे एचपीयू छात्रों पर असंवेदनशील टिपण्णी का जवाब
शिमला- आज सुबह जब मैने भारी बरिश में खुले आसमान के नीचे तम्बू लगाकर 108 दिनो से 48-48 घण्टो तक भूख हड़ताल पर बैठे छात्रों के साथ सारे समाचार पत्रों पर मुख्यमंत्री की पिछ्ले कल छात्रों पर की गई कडी टिप्पणियो को पढ़ा तो निशि्चत तौर पर बहुत दुख हुआ। जिसमें कल मुख्यमंत्री साहब ने कहा कि ये लोग पुरी साल भर तम्बू लगाकर ना तो खुद पढते है और ना तो ओरों को पढ़ने देतें हैं। पहले तो हम ये पूछना चाहते है कि हमने पूरी साल भर कब तम्बू लगाया? रही बात पढ़ाई की तो मुख्यमंत्री साहब और कुलपति साहब पिछ्ले कई सालों और वर्त्तमान का रिकॉर्ड देखें सबसें ज़्यादा टॉपर, नेट (NET) सेट (SET) और जेआरएफ (JRF) इन्हीं छात्रों से है।छात्रों की मांगो के लिये लड़ने वाले छात्रों को प्रोफ़ेशनल लोग कहा गया। सीएम साहब छात्र् क़भी प्रोफेशनल नही हो सकते वे सिर्फ़ एमए (MA),एमएससी (MSC), एम फिल (M.PHIL), पीएचडी तक की पढाई करने के लिए किसी भी विश्वविद्यालय में जाते हैं फिर किसी और फील्ड में आगे काम करते हैं इसीलिये छात्र् कभी भी प्रोफ़ेशनल नही हो सकते।
जिस रूसा को सीएम साहब और कुलपति साहब अपनी सबसे बडी उपलब्धि बता रहे हैं तो बताएं की हर रोज हर एक कालेज के छात्र को प्रदेश विश्वविद्यालय के चक्कर क्यूं काटने पड़ते हैं?
सबसे बडे लोकतंत्र में एससीए चुनाव चुनावों को बंद करके कहा जा रहा है की आओ मैदान में,हम तो कब से कह रहें है की चुनाव करवाओ उतारो अपनी एनएसयूआई को दिखते हैं किसकी हार और जीत होती हैं।
जहाँ कल बात होनी चाहिए थी की हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में कितने बजट की कमी है और 250 से अधिक अध्यापकों के पद कब भरे जाएंगे?, इनके ऊपर किसी भी प्रकार की बात न करते हुए सिर्फ़ छात्र संगठन एसएफआई को टारगेट किया गया। कहा गया की इनमे संस्कार की कमी हैं । सीएम साहब आपका बेटा तो हर किसी के ऑफिस में मारता है और लोगों की आखों को फोड़ता हैं। हम तो सिर्फ़ अपनी मांगों के लिये शान्ति पूर्वक तरीक़ो से 108 दिनों से भूखहड़ताल कर रहे है।
हम बोल रहे है हमें अध्यापकों ,कक्षाएं छात्रवास, बसें, एससीए चुनाव और हाई पावर कमेटी की रिपोर्ट दो ताकि हम लोग अपनी पढाई को सुचारु रूप से आगे कर सके।
मुख्यमंत्री साहब हमें भी खुले आसमान के नीचे भूखें पेट सोने का शौक नही हैं।