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पुलिस के इन 6 जवानों ने खड़ी की मानवता की मिसाल, पर अपने ही विभाग से नसीब नहीं हुए प्रोत्साहन के दो शब्द

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शिमला- हाल ही में पुलिस पुलिस लाइन भराड़ी के कुछ जवानों ने मानवता के लिए एक मिसाल खड़ी की। इन जवानों के साहस के कारण एक गर्भवती महिला और उसके होने वाले बच्चे की जान बाल-2 बची! पर यह बड़े दुःख की बात है कि समाचार पत्रों में इस खबर का उल्लेख आने के बाद भी इन जवानों को अपने ही विभाग अथवा प्रशासन से प्रोत्साहन तो दूर पर तारीफ के दो शब्द भी नसीब नहीं हुए।

इन जवानों ने किसी आधिकारिक आदेश के तहत यह काम नहीं किया। परन्तु मानवता की रक्षा के खातिर इन जवानों ने आदर्श नागरिक और पुलिसवाले होने का फ़र्ज़ अदा किया जो की हर तरह से सराहनीय है।

7 सात जनवरी 2017 यह वो दिन था जब शिमला और हिमाचल के पर्वतीय इलाको में भारी हिमपात हुआ। इस साल शिमला में हुई बर्फबारी ने कई सालो का रिकॉर्ड तोड़ दिया जहाँ एक ओर पर्यटकों के चहरे पर बर्फ देख कर मुस्कान आ गयी वहीँ दूसरी ओर सारे सरकारी इंतजाम बर्फबारी में जवाब दे गए जिसकी वजह से शिमला की रफ़्तार थम गयी और स्थनीय लोगो को बिजली, पानी, व जरुरत की चीजों से भी वंचित रहना पड़ा।यहाँ तक कि शिमला के उसके आसपास के इलाकों में अभी तक बिजली नहीं आयी है।

हिमाचल प्रदेश सरकार आपदा की स्तिथि से निपटने के लीजये समय समय पर औपचारिक आपदा ड्रिल करवा कर स्थनीय लोगो को यह विश्वास दिलवाती है की आपदा के समय किस तरह से सरकार व प्रशासन अपने सेवाएं देने के लिए मुस्तैद खड़ा है लेकिन इस बार हुई बर्फबारी ने सरकार व् स्थानीय प्रशासन की पोल खोल कर रख दी है।

वहीं शिमला जिले की भौंट पंचायत में दर्द से कहराती गर्भवती महिला कामिनी और उसके गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए के लिए पुलिस लाइन भराड़ी के छह जवान फरिश्ता बनकर मदद को आगे आए। 108 और अन्य एंबूलेंस सेवा ने जब बर्फ के बीच गाड़ी भेजने से इंकार कर दिया तो इन्हीं छह जवानों ने प्रसव पीड़ा से कहरा रही कामिनी (23) को कुर्सी में डंडे बांध महिला को कंबल के बीच लपेट कर सरद ठंडी हवाओं के बिच 10 किलोमीटर पैदल सफर कर कमला नेहरू अस्पताल समय से पहुंचाने का कार्य किया।

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बर्फीली ठण्ड में गर्भवती महिला को अस्पताल पहुँचाने वाले पुलिस के जवान

पुलिस के इन जांबाज जवानों ने हिमाचल वॉचर को फोन पर बताया कि रविवार को शाम करीब साढ़े पांच बजे गर्भवती महिला कामिनी को प्रसव पीड़ा शुरू हुई, उस समय घर पर कामिनी और उसकी मां सरला बिलकुल अकेली थी, पति स्वरूप भी घर से बाहर चंडीगढ़ था। सरला ने पहले लोगों से मदद मांगी, 108 एंबुलेंस को कॉल किया गया, मगर रास्ता ठीक न होने और उनका वाहन कहीं और फंसे होने की बात सुनने के बाद उसके पास कोई चारा शेष नहीं था। ऐसे में जैसे ही भराड़ी पुलिस लाइन के जवानों को सुचना मिली बिना समय गवाएं पुलिस के यह छह फरिश्ते गर्भवती महिला की मदद के लिए पहूंचे ,जवानों ने कहा कि उन्होंने स्थनीय लोगो से मदद करनी की गुहार लगायी पर यह बेहद दुःख की बात है कि कोई भी कोई भी गर्भवती महिला की मदद के लिए आगे नहीं आया।

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कड़कड़ाती बर्फीली ठण्ड में गर्भवती महिला को अस्पताल ले जाते हुए पुलिस के जवान

कंपकपाती ठण्ड के बीच यहाँ जवान गर्भवती महिला कामिनी को कुसी पर उठा कर करीब तीन घंटे बर्फ वाले रास्ते से महिला को कुर्सी पर बिठा कर अस्पताल तक पहुुंचाने में कामयाब हुए। इन्हीं की बदोलत मां और बच्चे दोनों की जान बच गई। वहीं कमला नेहरू अस्पताल के चिकित्सक संदीप ने भी माना कि यदि महिला को पहुंचाने में कुछ और देर होती तो दोनों की जान भी जा सकती थी। भौंट पंचायत के प्रधान कृष्ण दत्त, पूर्व उप प्रधान मुकुंद लाल और पंचारयत समिति सदस्य लता का कहना है कि ये दोनों जिंदगियां सिर्फ इन छह जवानों के कारण ही बची है। उन्होंने कहा कि वे प्रशासन और सरकार से सही मायने में जनता की मुसीबत में मदद करने वाले जवानों को प्रोत्साहित करे और उन्हें दो दो जाने बचाने और एक पेट में पल रहे बच्चे को सुरक्षित दुनिया में लाने की एवज में पुरस्कृत करने के लिए मांग करेंगे।

हिमाचल वॉचर को फोन पर पुलिस जवानों से पूछा कि अब तक उन्हें किन किन अधिकारियों ने उनसे इस घटना के बारे में पूछा है जिसके जवाब में पुलिस जवानों ने कहा कि अब तक किसी भी पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी ने उनसे इस मामले से सम्भन्दित कोई बात नहीं नहीं हुई है।

कमला नेहरू अस्पताल के चिकित्सक डा. संदीप ने माना कि महिला और बच्चे की यदि घर या रास्ते में ही डिलिवरी हो जाती तो उनकी जान को खतरा होता। जवानों की हिम्मत की बदोलत प्रसव पिड़ा से कहरा रही महिला समय से अस्पताल पहुंचाई गई इन्हीं की बदोलत मां और बच्चे दोनों की जान बच गई।

डॉक्टर ने बताया कि अस्पताल पहुँचाने के बाद यहां उसका ऑपरेशन प्रसव करवाया गया। अब जच्चा बच्चा दोनों की जान सुरक्षित है। उन्होंने लोगों से भी अपील की है कि डिलिवरी नजदीक होने के मामलों में अस्पताल से नजदीक ही रुकें , ताकि समय से गर्भवर्ती को अस्पताल पहुंचाया जा सके।

हिमाचल वॉचर की पुलिस विभाग और प्रशासन से यह दरख्वास्त है कि इन जवानों के इस कार्य को किसी न किसी रूप से सराहा जाये ताकि अन्य पुलिसकर्मी भी समाज की निष्पक्ष सेवा करने के लिए प्रोत्साहित होते रहे।

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हिमाचल की तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर लगे 76,000 से अधिक सेब के पौधे

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शिमला- डॉ यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के विस्तार शिक्षा निदेशालय में पहाड़ी कृषि एवं ग्रामीण विकास एजेंसी(हार्प), शिमला द्वारा एक अनुभव-साझाकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया।

इस कार्यशाला में जिला किन्नौर के निचार विकास खंड के रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों के 34 किसानों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर जीएम नाबार्ड डॉ. सुधांशु मिश्रा मुख्य अतिथि रहे जबकि नौणी विवि के अनुसंधान निदेशक डॉ रविंदर शर्मा ने विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत की।

संस्था के अध्यक्ष डॉ. आर एस रतन ने कहा कि यह कार्यक्रम एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना के तहत रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों में वर्ष 2014 से आयोजित किया जा रहा है। परियोजना को नाबार्ड द्वारा वित्त पोषित किया गया है और इसे हार्प द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।

उन्होंने यह बताया कि यह एक बागवानी आधारित आजीविका कार्यक्रम है जिसे किसानों की भागीदारी से लागू किया गया है। इन तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर 76,000 से अधिक सेब के पौधे लगाए गए हैं और 607 परिवार लाभान्वित हुए हैं।

डॉ. सुधांशु मिश्रा ने यह भी कहा कि नाबार्ड हमेशा सामाजिक-आर्थिक उत्थान कार्यक्रमों के संचालन में आगे रहा है। उन्होंने इस कार्यशाला में भाग लेने वाले किसानों से अपने सहयोग से विभिन्न कार्यक्रमों को सफल बनाने का आग्रह किया।

अनुसंधान निदेशक डॉ. रविंदर शर्मा और विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. दिवेंद्र गुप्ता ने नाबार्ड और हार्प के प्रयासों की सराहना की और किसानों को आश्वासन दिया कि विश्वविद्यालय किसानों को तकनीकी रूप से समर्थन देने के लिए हमेशा तैयार है।

डॉ. नरेद्र कुमार ठाकुर ने कहा कि हार्प ने कृषक समुदाय के समन्वय से दुर्गम क्षेत्रों में कठिन परिस्थितियों में काम किया है। इस अवसर पर एक किसान-वैज्ञानिक परिचर्चा का भी आयोजन किया गया जिसमें भाग लेने वाले किसानों के तकनीकी प्रश्नों को संबोधित किया गया।

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हिमाचल सरकार पुलिसकर्मियों का कर रही है शोषण

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पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है,कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है,राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है,हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।

शिमला सीटू राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। कमेटी ने यह कहा है कि वह हिमाचल प्रदेश के पुलिसकर्मियों की मांगों का पूर्ण समर्थन करती है। आरोप लगाते हुए सीटू ने कहा है कि प्रदेश सरकार पुलिसकर्मियों का शोषण कर रही है।

राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार से यह मांग की है कि वर्ष 2013 के बाद नियुक्त पुलिसकर्मियों को पहले की भांति 5910 रुपये के बजाए 10300 रुपये संशोधित वेतन लागू किया जाए व उनकी अन्य सभी मांगों को बिना किसी विलंब के पूरा किया जाए।

सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में भी कर्मचारियों की प्रमुख मांगों को अनदेखा किया गया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में पुलिसकर्मियों की मांगों को पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया है।

सीटू कमेटी ने कहा कि सबसे मुश्किल डयूटी करने वाले व चौबीस घण्टे डयूटी में कार्यरत पुलिसकर्मियों को इस बैठक से मायूसी ही हाथ लगी है। इसी से आक्रोशित होकर पुलिसकर्मी मुख्यमंत्री आवास पहुंचे थे। उनके द्वारा पिछले कुछ दिनों से मैस के खाने के बॉयकॉट से उनकी पीड़ा का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि पुलिस कर्मियों के साथ ही सभी सरकारी कर्मचारी नवउदारवादी नीतियों की मार से अछूते नहीं है। कमेटी ने कहा कि पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है। कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।

कमेटी ने यह भी कहा है कि थानों में स्टेशनरी के लिए बेहद कम पैसा है व आईओ को केस की पूरी फ़ाइल का सैंकड़ों रुपये का खर्चा अपनी ही जेब से करना पड़ता है। थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है। मैस मनी केवल दो सौ दस रुपये महीना है जबकि मैस में पूरा महीना खाना खाने का खर्चा दो हज़ार रुपये से ज़्यादा आता है। यह प्रति डाइट केवल साढ़े तीन रुपये बनता है, जोकि पुलिस जवानों के साथ घोर मज़ाक है। यह स्थिति मिड डे मील के लिए आबंटित राशि से भी कम है।

उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के जमाने के बने बहुत सारे थानों की स्थिति खंडहर की तरह प्रतीत होती है जहां पर कार्यालयों को टाइलें लगाकर तो चमका दिया गया है परन्तु कस्टडी कक्षों,बाथरूमों,बैरकों,स्टोरों,मेस की स्थिति बहुत बुरी है। इन वजहों से भी पुलिस जवान भारी मानसिक तनाव में रहते हैं।

सीटू ने कहा कि पुलिस में स्टाफ कि बहुत कमी है या यूं कह लें कि बेहद कम है व कुल अनुमानित नियुक्तियों की तुलना में आधे जवान ही भर्ती किये गए हैं जबकि प्रदेश की जनसंख्या पहले की तुलना में काफी बढ़ चुकी है यहाँ तक पुलिस के पास रिलीवर भी नहीं है।

आरोप लगाते हुए कमेटी ने कहा कि प्रदेश की राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है। वहीं पुलिस कर्मी निरन्तर ओवरटाइम डयूटी करते हैं। इसकी एवज में उन्हें केवल एक महीना ज़्यादा वेतन दिया जाता है। इस से प्रत्येक पुलिसकर्मी को वर्तमान वेतन की तुलना में दस से बारह हज़ार रुपये का नुकसान उठाना पड़ता है। उन्हें लगभग नब्बे साप्ताहिक अवकाश,सेकंड सैटरडे,राष्ट्रीय व त्योहार व अन्य छुट्टियों के मुकाबले में केवल पन्द्रह स्पेशल लीव दी जाती है।

सीटू कमेटी ने यह भी कहा कि वर्ष 2007 में हिमाचल प्रदेश में बने पुलिस एक्ट के पन्द्रह साल बीतने पर भी नियम नहीं बन पाए हैं। इस एक्ट के अनुसार पुलिसकर्मियों को सुविधा तो दी नहीं जाती है परन्तु कर्मियों को दंडित करने के लिए इसके प्रावधान बगैर नियमों के भी लागू किये जा रहे हैं जिसमें एक दिन डयूटी से अनुपस्थित रहने पर तीन दिन का वेतन काटना भी शामिल है। पुलिसकर्मियों की प्रोमोशन में भी कई विसंगतियां हैं व इसका टाइम पीरियड भी बहुत लंबा है। हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।

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किन्नौर में लापता पर्यटकों में से 2 और के शव बरामद, 2 की तालाश जारी,आभी तक कुल 7 शव बरामद

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शिमला रिकोंगपिओ में 14 अक्तुबर को उत्तरकाशी के हर्षिल से छितकुल की ट्रैकिंग पर निकले 11 पर्यटकों में से लापता चार पर्वतारोहीयों में से दो  पर्वतारोहियों के शवो को आई.टी.बी.पी व पुलिस दल द्वारा पिछले कल सांगला लाया गया था जहां सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सांगला में दोनों शवों का पोस्टमार्टम किया गया।

यह जानकारी देते हुए उपायुक्त किन्नौर अपूर्व देवगन ने बताया कि इन दोनों की पहचान कर ली गई है जिनमे मे एक उतरकाशी व दूसरा पश्चिम बंगाल से सम्बंधित था।

उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन किन्नौर द्वारा आज एक शव वाहन द्वारा उतरकाशी को भेज दिया गया है जहाँ शव को जिला प्रशासन उतरकाशी को सौंपा जाएगा। जब कि दूसरा शव वाहन द्वारा शिमला भेजा गया है जिसे शिमला में मृतक के परिजनों को सौंपा जायेगा।

उपायुक्त अपूर्व देवगन ने बताया कि अभी भी लापता दो  पर्यटकों की तलाश आई.टी.बी.पी के जवानों द्वारा जारी है। उल्लेखनीय है कि गत दिनों उतरकाशी से छितकुल के लिये 11 पर्वतारोही ट्रेकिंग पर निकले थे जो बर्फबारी के कारण लमखंगा दर्रे में फंस गये थे जिसकी सूचना मिलने पर जिला प्रशासन द्वारा सेना के हेलीकॉप्टर व आई.टी.बी.पी के जवानों की सहायता से राहत व बचाव कार्य आरम्भ किया था। सेना व आई.टी.बी.पी के जवानों ने 21 अक्टूबर को दो पर्यटकों को सुरक्षित ढूंढ निकाला था। इसी दौरान उन्हें अलग अलग स्थानों पर पाँच ट्रेकरों के शव ढूंढ निकलने में सफलता मिली थी। जबकि 4 पर्यटक लापता थे जिसमे से राहत व बचाव दल को 22 अक्तुबर को 2 शव ढूढ़ निकालने में सफलता मिली थी। अभी भी दो पर्यटक लापता हैं जिनकी राहत व बचाव दल द्वारा तलाश जारी है।

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