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चंबा बस हादसे में मरने वालों की संख्या 17, 10 से ज्यादा लोगों की हालत बेहद गंभीर
प्राइवेट बस के खाई में गिरने से 17 लोगों की मौत हो गई है,बताया जा रहा है कि हादसे में 10 से ज्यादा लोगों की हालत बेहद गंभीर बनी हुई है
शिमला- हिमाचल के चंबा में डलहौजी के पास हुए बस हादसे में मरने वालों की संख्या 17 हो गई है। तीन और घायलों ने दम तोड़ दिया है। तीनों घायलों का अस्पताल में ईलाज चल रहा था मगर देर रात इन्होंने दम तोड़ दिया। बताया जा रहा है कि हादसे में कई लोग अभी भी गंभीर रूप से जख्मी हैं। पुलिस के अनुसार सलूणी उपमंडल के संघणी से डलहौजी जा रही एक निजी बस शुक्रवार शाम पांच बजे चौहड़ा डैम के पास करीब सौ मीटर गहरी खाई में लुढ़क गई थी। हादसे में 14 लोगों की मौत हो गई जबकि 34 घायल हैं। अब मृतकों का आंकड़ा 17 तक पहुंच गया है।
हादसा इतना खतरनाक था कि पलटे खाने के बाद बस की छत उखड़ गई और उसके परखच्चे उड़ गए। सात लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। एक महिला और दो बच्चों ने अस्पताल ले जाते समय दम तोड़ दिया। जबकि चार घायलों की अस्पताल में मौत हो गई।
घायलों में कइयों की हालत गंभीर बनी हुई है। हादसे में चालक की भी मौत हो गई है। मरने वालों में अधिकतर स्थानीय जबकि दो पंजाब के संगरूर निवासी हैं। पुलिस की शुरूआती छानबीन में पता चला है कि अचानक चालक ने नियंत्रण खो दिया और बस खाई में गिर गई।
हादसे से बस के उड़े परखच्चे
42 सीटर बस में 48 लोग सवार थे। पुलिस ने मामला दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी है। उपायुक्त सुदेश मोख्टा ने बस हादसे की जांच के आदेश दे दिए हैं। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने हादसे पर शोक जताया है। परिवहन मंत्री जीएस बाली ने एसडीएम और आरटीओ की संयुक्त जांच कमेटी गठित करने के आदेश दिए हैं।
कमेटी एक सप्ताह में हादसे के कारणों की रिपोर्ट देगी। पुलिस के अनुसार शुक्रवार शाम करीब पांच बजे हादसा उस समय हुआ जब निजी बस चौहड़ा डैम के पास से गुजर रही थी। चालक ने अचानक बस से नियंत्रण खो दिया और बस गहरी खाई में जा गिरी। जोरधार धमाके बाद बस में बैठे लोग खाई में इधर-उधर बिखर गए।
हादसे की भनक लगते ही आसपास के लोग मौके पर जुट गए और घायलों को बाहर निकालने में मदद की। चमेरा पावर स्टेशन की एंबुलेंस और स्थानीय लोगों की गाडि़यों की मदद से घायलों को नजदीकी अस्पताल बाथरी, बनीखेत और डलहौजी पहुंचाया गया है। एसपी चंबा विरेंद्र तोमर ने हादसे की पुष्टि की कि खबर मिलते ही पुलिस बल मौके पर भेज दिया गया है। घायलों के बयान दर्ज कर आगामी कार्रवाई होगी।
देरी से पहुंचे अधिकारी, ग्रामीणों का हंगामा
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार हादसे के काफी देर बाद प्रशासनिक अधिकारी और सरकारी मदद पहुंची। अधिकारियों के लेट पहुंचने पर खफा ग्रामीणों ने हंगामा किया। हालांकि बाद में डलहौजी और सलूणी से प्रशासनिक अमला पहुंच गया था।
सलूणी के एसडीएम अजय पराशर ने बताया कि प्रशासन ने तत्काल राहत व बचाव कार्य शुरू कर दिया है। डलहौजी प्रशासन के सहयोग से नजदीकी अस्पतालों में चिकित्सकों के प्रबंध किए गए। मृतकों के परिजनों को दस-दस हजार जबकि घायलों को पांच-पांच हजार रुपये की फौरी राहत दी है।
सलूणी के एसडीएम अजय पराशर ने बताया कि प्रशासन ने तत्काल राहत व बचाव कार्य शुरू कर दिया है। डलहौजी प्रशासन के सहयोग से नजदीकी अस्पतालों में चिकित्सकों के प्रबंध किए गए हैं। उन्होंने बताया कि मृतकों के परिजनों को दस-दस हजार रुपये की फौरी मदद जबकि घायलों को पांच-पांच हजार रुपये की मदद दी गई है।
पुलिस दल मौके पर रवाना-एसपी
वहीं, पुलिस अधीक्षक विरेंद्र तौमर का कहना है कि हादसे की खबर मिलते ही पुलिस बल मौके पर भेज दिया गया है। पुलिस राहत व बचाव कार्य में जुटी है। जल्द ही घायलों के बयान दर्ज कर आगामी कार्रवाई होगी।
Photo: Balkrishan Prashar/TNS/Amar Ujala
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हिमाचल की तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर लगे 76,000 से अधिक सेब के पौधे
शिमला- डॉ यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के विस्तार शिक्षा निदेशालय में पहाड़ी कृषि एवं ग्रामीण विकास एजेंसी(हार्प), शिमला द्वारा एक अनुभव-साझाकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस कार्यशाला में जिला किन्नौर के निचार विकास खंड के रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों के 34 किसानों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर जीएम नाबार्ड डॉ. सुधांशु मिश्रा मुख्य अतिथि रहे जबकि नौणी विवि के अनुसंधान निदेशक डॉ रविंदर शर्मा ने विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत की।
संस्था के अध्यक्ष डॉ. आर एस रतन ने कहा कि यह कार्यक्रम एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना के तहत रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों में वर्ष 2014 से आयोजित किया जा रहा है। परियोजना को नाबार्ड द्वारा वित्त पोषित किया गया है और इसे हार्प द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
उन्होंने यह बताया कि यह एक बागवानी आधारित आजीविका कार्यक्रम है जिसे किसानों की भागीदारी से लागू किया गया है। इन तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर 76,000 से अधिक सेब के पौधे लगाए गए हैं और 607 परिवार लाभान्वित हुए हैं।
डॉ. सुधांशु मिश्रा ने यह भी कहा कि नाबार्ड हमेशा सामाजिक-आर्थिक उत्थान कार्यक्रमों के संचालन में आगे रहा है। उन्होंने इस कार्यशाला में भाग लेने वाले किसानों से अपने सहयोग से विभिन्न कार्यक्रमों को सफल बनाने का आग्रह किया।
अनुसंधान निदेशक डॉ. रविंदर शर्मा और विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. दिवेंद्र गुप्ता ने नाबार्ड और हार्प के प्रयासों की सराहना की और किसानों को आश्वासन दिया कि विश्वविद्यालय किसानों को तकनीकी रूप से समर्थन देने के लिए हमेशा तैयार है।
डॉ. नरेद्र कुमार ठाकुर ने कहा कि हार्प ने कृषक समुदाय के समन्वय से दुर्गम क्षेत्रों में कठिन परिस्थितियों में काम किया है। इस अवसर पर एक किसान-वैज्ञानिक परिचर्चा का भी आयोजन किया गया जिसमें भाग लेने वाले किसानों के तकनीकी प्रश्नों को संबोधित किया गया।
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हिमाचल सरकार पुलिसकर्मियों का कर रही है शोषण
पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है,कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है,राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है,हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।
शिमला सीटू राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। कमेटी ने यह कहा है कि वह हिमाचल प्रदेश के पुलिसकर्मियों की मांगों का पूर्ण समर्थन करती है। आरोप लगाते हुए सीटू ने कहा है कि प्रदेश सरकार पुलिसकर्मियों का शोषण कर रही है।
राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार से यह मांग की है कि वर्ष 2013 के बाद नियुक्त पुलिसकर्मियों को पहले की भांति 5910 रुपये के बजाए 10300 रुपये संशोधित वेतन लागू किया जाए व उनकी अन्य सभी मांगों को बिना किसी विलंब के पूरा किया जाए।
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में भी कर्मचारियों की प्रमुख मांगों को अनदेखा किया गया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में पुलिसकर्मियों की मांगों को पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया है।
सीटू कमेटी ने कहा कि सबसे मुश्किल डयूटी करने वाले व चौबीस घण्टे डयूटी में कार्यरत पुलिसकर्मियों को इस बैठक से मायूसी ही हाथ लगी है। इसी से आक्रोशित होकर पुलिसकर्मी मुख्यमंत्री आवास पहुंचे थे। उनके द्वारा पिछले कुछ दिनों से मैस के खाने के बॉयकॉट से उनकी पीड़ा का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि पुलिस कर्मियों के साथ ही सभी सरकारी कर्मचारी नवउदारवादी नीतियों की मार से अछूते नहीं है। कमेटी ने कहा कि पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है। कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।
कमेटी ने यह भी कहा है कि थानों में स्टेशनरी के लिए बेहद कम पैसा है व आईओ को केस की पूरी फ़ाइल का सैंकड़ों रुपये का खर्चा अपनी ही जेब से करना पड़ता है। थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है। मैस मनी केवल दो सौ दस रुपये महीना है जबकि मैस में पूरा महीना खाना खाने का खर्चा दो हज़ार रुपये से ज़्यादा आता है। यह प्रति डाइट केवल साढ़े तीन रुपये बनता है, जोकि पुलिस जवानों के साथ घोर मज़ाक है। यह स्थिति मिड डे मील के लिए आबंटित राशि से भी कम है।
उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के जमाने के बने बहुत सारे थानों की स्थिति खंडहर की तरह प्रतीत होती है जहां पर कार्यालयों को टाइलें लगाकर तो चमका दिया गया है परन्तु कस्टडी कक्षों,बाथरूमों,बैरकों,स्टोरों,मेस की स्थिति बहुत बुरी है। इन वजहों से भी पुलिस जवान भारी मानसिक तनाव में रहते हैं।
सीटू ने कहा कि पुलिस में स्टाफ कि बहुत कमी है या यूं कह लें कि बेहद कम है व कुल अनुमानित नियुक्तियों की तुलना में आधे जवान ही भर्ती किये गए हैं जबकि प्रदेश की जनसंख्या पहले की तुलना में काफी बढ़ चुकी है यहाँ तक पुलिस के पास रिलीवर भी नहीं है।
आरोप लगाते हुए कमेटी ने कहा कि प्रदेश की राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है। वहीं पुलिस कर्मी निरन्तर ओवरटाइम डयूटी करते हैं। इसकी एवज में उन्हें केवल एक महीना ज़्यादा वेतन दिया जाता है। इस से प्रत्येक पुलिसकर्मी को वर्तमान वेतन की तुलना में दस से बारह हज़ार रुपये का नुकसान उठाना पड़ता है। उन्हें लगभग नब्बे साप्ताहिक अवकाश,सेकंड सैटरडे,राष्ट्रीय व त्योहार व अन्य छुट्टियों के मुकाबले में केवल पन्द्रह स्पेशल लीव दी जाती है।
सीटू कमेटी ने यह भी कहा कि वर्ष 2007 में हिमाचल प्रदेश में बने पुलिस एक्ट के पन्द्रह साल बीतने पर भी नियम नहीं बन पाए हैं। इस एक्ट के अनुसार पुलिसकर्मियों को सुविधा तो दी नहीं जाती है परन्तु कर्मियों को दंडित करने के लिए इसके प्रावधान बगैर नियमों के भी लागू किये जा रहे हैं जिसमें एक दिन डयूटी से अनुपस्थित रहने पर तीन दिन का वेतन काटना भी शामिल है। पुलिसकर्मियों की प्रोमोशन में भी कई विसंगतियां हैं व इसका टाइम पीरियड भी बहुत लंबा है। हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।
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किन्नौर में लापता पर्यटकों में से 2 और के शव बरामद, 2 की तालाश जारी,आभी तक कुल 7 शव बरामद
शिमला रिकोंगपिओ में 14 अक्तुबर को उत्तरकाशी के हर्षिल से छितकुल की ट्रैकिंग पर निकले 11 पर्यटकों में से लापता चार पर्वतारोहीयों में से दो पर्वतारोहियों के शवो को आई.टी.बी.पी व पुलिस दल द्वारा पिछले कल सांगला लाया गया था जहां सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सांगला में दोनों शवों का पोस्टमार्टम किया गया।
यह जानकारी देते हुए उपायुक्त किन्नौर अपूर्व देवगन ने बताया कि इन दोनों की पहचान कर ली गई है जिनमे मे एक उतरकाशी व दूसरा पश्चिम बंगाल से सम्बंधित था।
उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन किन्नौर द्वारा आज एक शव वाहन द्वारा उतरकाशी को भेज दिया गया है जहाँ शव को जिला प्रशासन उतरकाशी को सौंपा जाएगा। जब कि दूसरा शव वाहन द्वारा शिमला भेजा गया है जिसे शिमला में मृतक के परिजनों को सौंपा जायेगा।
उपायुक्त अपूर्व देवगन ने बताया कि अभी भी लापता दो पर्यटकों की तलाश आई.टी.बी.पी के जवानों द्वारा जारी है। उल्लेखनीय है कि गत दिनों उतरकाशी से छितकुल के लिये 11 पर्वतारोही ट्रेकिंग पर निकले थे जो बर्फबारी के कारण लमखंगा दर्रे में फंस गये थे जिसकी सूचना मिलने पर जिला प्रशासन द्वारा सेना के हेलीकॉप्टर व आई.टी.बी.पी के जवानों की सहायता से राहत व बचाव कार्य आरम्भ किया था। सेना व आई.टी.बी.पी के जवानों ने 21 अक्टूबर को दो पर्यटकों को सुरक्षित ढूंढ निकाला था। इसी दौरान उन्हें अलग अलग स्थानों पर पाँच ट्रेकरों के शव ढूंढ निकलने में सफलता मिली थी। जबकि 4 पर्यटक लापता थे जिसमे से राहत व बचाव दल को 22 अक्तुबर को 2 शव ढूढ़ निकालने में सफलता मिली थी। अभी भी दो पर्यटक लापता हैं जिनकी राहत व बचाव दल द्वारा तलाश जारी है।
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