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सेब के दामों में लगातार हो रही गिरावट व लागत वस्तुओं की कीमतों मे भारी वृद्धि के चलते बढ़ी बागवानों की परेशानियां

शिमला– किसान सभा ने प्रदेश सरकार पर हाल ही मे सेब के दामों में लगातार हो रही गिरावट के चलते बागवानों की परेशानी को बढ़ाने का आरोप लगाया है। राज्याध्यक्ष कुलदीप सिंह तंवर ने कहा कि प्रदेश सरकार बागवानों के हितों की रक्षा करने मे पूरी तरह विफल रही है और कॉरपोरेट घरानों के साथ खड़ी होकर उनको खुली छूट दी जा रही है ।
उन्होंने कहा कि हाल ही मे अडानी समूह द्वारा सेब के जो दाम तय किये हैं जिसमें बीते साल 80-100 फीसदी रंग वाले सेब के दाम 85 रुपये प्रति किलो था जबकि इस बार इसी सेब का रेट 72 रुपये प्रति किलो है। इसी तरह दूसरे दर के सेब के रेट में भी भारी गिरावट की गई है।इतने कम रेट में किसानों को अपने बागीचे का खर्च निकालना मुश्किल हो जाएगा।
तंवर ने कहा है कि प्रदेश सरकार बड़े बड़े घरानों के साथ खड़ी होकर बागवानों का शोषण कर रही है। उन्होंने कहा कि एक तरफ तो प्रदेश सरकार ने किसानों व बागवानों को मिलने वाली सब्सिडी को खत्म कर दिया है। जिससे कि लागत बढ़ रही है। आज किसान बाजार से महंगी दवाई खरीदने को मजबूर हैं, वहीं दूसरी तरफ किसानों व बागवानों को बाजार मे सेब के उचित दाम नहीं मिल रहे हैं। आज के समय में उत्पादन लागत मे कई गुना वृद्धि हुई है, जिससे कि आज इनकी आजीविका का संकट ओर गहरा हो रहा है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश इस आर्थिकी को बचाने मे पूरी तरह विफल रही है। प्रदेश सरकार का बड़े बड़े कॉरपोरेट पर कोई नियंत्रण नहीं है। उन्हें खुली छूट दी जा रही है। सरकार को चाहिए कि वह इन कॉरपोरेट घरानों की इस मनमर्जी पर रोक लगाये। उन्होंने कहा कि सेब के दामों में आई गिरावट से व निरन्तर लागत वस्तुओं की कीमतों मे भारी वृद्धि के कारण सेब की 5 हजार करोड़ की आर्थिकी भी गहरे संकट में चली गयी है।
किसान सभा ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि इस संकट के समय मे बागवानों को संकट से बाहर निकालने के लिए जम्मू कश्मीर की तर्ज पर एम आई एस (मंडी मध्यस्थता योजना) के तहत सेब खरीदना चाहिए। जिसमें ए० ग्रेड के लिये 60 रुपये प्रति किलो बी ग्रेड के लिए 44 रुपये व सी ग्रेड के लिए 24 रुपये प्रति किलो के हिसाब से एच.पी.एम.सी. हिम्फेड व अन्य सहकारी समितियों के माध्यम से सेब खरीदना चाहिए।
जिलाध्यक्ष सत्यवान पुण्डीर ने कहा कि प्रदेश सरकार की लचर कार्यप्रणाली के कारण एच.पी.एम.सी. कानून की खुली अवहेलना पर रोक लगानी चाहिए, कानून के प्रावधानों को सही तरीके से लागू करना चाहिए। मंडियों में जिनके पास लाइसेंस व परमिट हैं केवल उन्हें ही कारोबार करने की इजाजत देनी चाहिए तथा किसानों को जिस दिन उनका उत्पाद बिकता है उसी दिन खरीददार व आढ़ती द्वारा भुगतान के प्रावधान को लागू करना चाहिए।
किसान सभा के नेताओं ने कहा है कि 30 अगस्त को शिमला में संयुक्त किसान मंच द्वारा आयोजित अधवेशन में किसान सभा बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेगी। तथा किसान-बागवानों की समस्याओं को लेकर आगामी रणनीति तैयार करेगी।
कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर ने भी आरोप लगाया है कि सरकार की मिलीभगत से सेब के दाम गिराए गए है। उन्होंने आरोप लगाया कि लदानी, अदानी को सरकार का पूरा सरंक्षण है।उन्होंने सरकार से मांग की कि वह इसकी जांच करें और इस पर हस्तक्षेप करते हुए बागवानों के हितों की रक्षा करें। राठौर ने बागवानी मंत्री को आड़े हाथ लेते हुए कहा है कि उन्होंने 1135 करोड़ के बागवानी प्रोजेक्ट पर कुंडली मारते हुए बागवानों के साथ अन्याय किया है।
वंही भाजपा प्रदेश प्रवक्ता विनोद ठाकुर का कहना है कि मांग और आपूर्ति के अनुपात में ज्यादा अंतर आने से मार्किट में दाम गिरना स्वाभाविक प्रक्रिया है। इसे रेगुलेट करने के लिए ही सरकार ने बागवानों को तुड़ान की गति धीमी करने का सुझाव दिया है। जिस तरह से विपक्षी नेता इस मामले को तूल दे रहे हैं, भ्रम फैला रहे हैं, उससे बागवानों का कतई भला नहीं होने वाला। सरकार हर स्तर पर इस मामले में गंभीरता से काम कर रही है। प्रदेश में उच्च गुणवत्ता सेब के दाम में कोई गिरावट नहीं आई है। इस बार प्रदेश में हुई बंपर फसल के कारण पिछले कुछ दिनों में आपूर्ति एकदम बढ़ गई है, जिससे मांग सीमित होने के कारण दाम में थोड़ी गिरावट दर्ज की गई है। बागवानों को इससे घबराने की जरूरत कतई नहीं है।
उन्होंने कहा कि सेब खरीद के लिए जल्द ही रिलायंस, बिग बास्केट और सफल जैसी कंपनियां मार्केट में उतरने वाली हैं। खरीद में प्रतिस्पर्धा बढ़ने का फायदा बागवानों को ही होगा। अभी सेब सीजन शुरू ही हुआ है, ऐसे में जो हालात बने हैं उन्हें ज्यादा गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं है।
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सनवारा टोल प्लाजा पर अब और कटेगी जेब, अप्रैल से 10 से 45 रुपए तक अधिक चुकाना होगा टोल

शिमला- कालका-शिमला राष्ट्रीय राजमार्ग-5 पर वाहन चालकों से अब पहली अप्रैल से नई दरों से टोल वसूला जाएगा। केंद्रीय भूतल एवं परिवहन मंत्रालय की ओर से बढ़ी हुई दरों पर टोल काटने के आदेश जारी हो गए हैं। जारी आदेश के अनुसार कालका-शिमला एनएच-5 पर सनवारा टोल प्लाजा पर 10 से 45 रुपए तक की वृद्धि हुई है।
टोल प्लाजा संचालक कंपनी के मैनेजर ने बताया कि 1 अप्रैल से कार-जीप का एक तरफ शुल्क 65 और डबल फेयर में 95 रुपये देने होंगे।
लाइट कामर्शियल व्हीकल, लाइट गुड्स व्हीकल और मिनी बस को एक तरफ के 105, बस-ट्रक (टू एक्सेल) को एकतरफ के 215, थ्री एक्सेल कामर्शियल व्हीकल को एक तरफ के 235, हैवी कंस्ट्रक्शन मशीनरी को एकतरफ के 340 और ओवरसीज्ड व्हीकल को एकतरफ के 410 रुपये का शुल्क नई दरों के हिसाब से देना होगा।
सनवारा टोल गेट से 20 किलोमीटर के दायरे में आने वाले वाहन चालकों को पास की सुविधा भी नियमों के अनुसार दी जाती है। इस पास के लिए अब 280 की जगह 315 रुपये प्रति महीना चुकाना पड़ेगा।
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बच्चों से खतरनाक किस्म की मजदूरी कराना गंभीर अपराध:विवेक खनाल

शिमला- बच्चों से खतरनाक किस्म की मज़दूरी कराना गंभीर अपराध है। 14 साल के अधिक आयु के बच्चों से ढाबे में 6 घंटे से अधिक काम नहीं लिया जा सकता। उन्हें तीन घंटे के बाद एक घंटे का आराम दिया जाना जरूरी है। यह बात वह उमंग फाउंडेशन द्वारा “मज़दूरों के कानूनी अधिकार, समस्याएं और समाधान” विषय पर वेबिनार में वरिष्ठ सिविल जज एवं राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अतिरिक्त सचिव विवेक खनाल ने कही।
उन्होंने कहा कि असंगठित मजदूरों के शोषण का खतरा ज्यादा होता है। देश की जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद का 50% हिस्सा असंगठित मजदूरों के योगदान से ही अर्जित होता है।
विवेक खनाल ने संगठित एवं असंगठित श्रमिकों से जुड़े विभिन्न कानूनों की जानकारी दी। उन्होंने कहा की 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को खतरनाक किस्म के कामों में नहीं लगाया जा सकता। इनमें औद्योगिक राख, अंगारे, बंदरगाह, बूचड़खाना, बीड़ी, पटाखा, रेलवे निर्माण, कालीन, पेंटिंग एवं डाईंग आदि से जुड़े कार्य शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि 14 से 18 वर्ष तक के बच्चे रेस्टोरेंट या ढाबे में काम के तय 6 घंटे तक ही काम कर सकते हैं। शाम 7 बजे से सुबह 8 बजे के बीच उन से काम नहीं लिया जा सकता।
उन्होंने बताया कि भवन निर्माण एवं अन्य कामगार बोर्ड में पंजीकृत होने के बाद श्रमिकों को अनेक प्रकार की सुविधाएं एवं सामाजिक सुरक्षा मिल जाती है।
विवेक के अनुसार असंगठित मजदूरों के लिए कानून भी काफी कम हैं। जबकि उनकी स्थिति ज्यादा खराब होती है। उन्होंने बताया कि मनरेगा के अंतर्गत काम करने वाली महिला मजदूरों के बच्चों को संभालने के लिए उन्हीं में से एक वेतन देकर आया का काम भी दिया जाता है।
राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अतिरिक्त सचिव ने कहा कि कि प्राधिकरण की ओर से समाज के जिन वर्गों को मुफ्त कानूनी सहायता दी जाती है उसमें एक श्रेणी मजदूरों की भी है।
इसके अतिरिक्त महिला, दिव्यांग, ट्रांसजेंडर, बच्चे, अनुसूचित जाति एवं जनजाति, और तीन लाख से कम वार्षिक आय वाले बुजुर्ग इस योजना में शामिल हैं। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से बद्दी में मजदूरों के लिए एक विशेष प्रकोष्ठ स्थापित किया गया है।
इसके अलावा विभिन्न जिलों में वैकल्पिक विवाद समाधान केंद्र चलाए जा रहे हैं। एक अलग पोर्टल पर सरकार ई-श्रम कार्ड भी बना रही है।
इस दौरान उन्होंने युवाओं के सवालों के जवाब भी दिए।
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हिमाचल कैबिनेट के फैसले:प्रदेश में सस्ती मिलेगी देसी ब्रांड की शराब,पढ़ें सभी फैसले

शिमला- मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में आयोजित प्रदेश मंत्रीमंडल की बैठक में आज वर्ष 2022-23 के लिए आबकारी नीति को स्वीकृति प्रदान की गई।
इस नीति में वर्ष के दौरान 2,131 करोड़ रुपये के राजस्व प्राप्ति की परिकल्पना की गई है, जो कि वित्त वर्ष 2021-22 से 264 करोड़ रुपये अधिक होगा। यह राज्य आबकारी राजस्व में 14 प्रतिशत की कुल वृद्धि को दर्शाता है।
बैठक में वित्तीय वर्ष 2022-23 राज्य में प्रति इकाई चार प्रतिशत नवीनीकरण शुल्क पर खुदरा आबकारी ठेकों के नवीनीकरण को स्वीकृति प्रदान की गई। इसका उद्देश्य सरकारी राजस्व में पर्याप्त बढ़ोतरी प्राप्त करना और पड़ोसी राज्यों में दाम कम करके होने वाली देसी शराब की तस्करी पर रोक लगाना है।
लाइसेंस फीस कम होने के कारण देसी शराब ब्रांड सस्ती होगी। इससे उपभोक्ताओं को सस्ती दरों पर अच्छी गुणवत्ता की शराब उपलब्ध होगी और उन्हें अवैध शराब खरीदने के प्रलोभन से भी बचाया जा सकेगा और शुल्क चोरी पर भी निगरानी रखी जा सकेगी।
नई आबकारी नीति में खुदरा लाइसेंसधारियों को आपूर्ति की जाने वाली देसी शराब के निर्माताओं और बॉटलर्ज के लिए निर्धारित 15 प्रतिशत कोटा समाप्त कर दिया गया है। इस निर्णय से खुदरा लाइसेंसधारी अपना कोटा अपनी पसंद के आपूर्तिकर्ता से उठा सकेंगे और प्रतिस्पर्धात्मक मूल्यों पर अच्छी गुणवत्ता की देसी शराब की आपूर्ति सुनिश्चित होगी। देसी शराब का अधिकतम खरीद मूल्य मौजूदा मूल्य से 16 प्रतिशत सस्ता हो जाएगा।
इस वर्ष की नीति में गौवंश के कल्याण के लिए अधिक निधि प्रदान करने के दृष्टिगत गौधन विकास निधि में एक रुपये की बढ़ोतरी करते हुए इसे मौजूदा 1.50 रुपये से बढ़ाकर 2.50 रुपये किया गया है।
राज्य में कोविड-19 के मामलों में कमी को देखते हुए कोविड उपकर में मौजूदा से 50 प्रतिशत की कमी की गई है।
लाइसेंस शुल्क के क्षेत्र विशिष्ट स्लैब को समाप्त करके बार के निश्चित वार्षिक लाइसेंस शुल्क को युक्तिसंगत बनाया गया है। अब पूरे राज्य में होटलों में कमरों की क्षमता के आधार पर एक समान लाइसेंस स्लैब होंगे।
जनजातीय क्षेत्रों में आने वाले पर्यटकों को बेहतर सुविधा प्रदान करने और होटल उद्यमियों को राहत प्रदान करने के लिए जनजातीय क्षेत्रों में बार के वार्षिक निर्धारित लाइसेंस शुल्क की दरों में काफी कमी की गई है।
शराब के निर्माण, संचालन, थोक विक्रेताओं को इसके प्रेषण और बाद में खुदरा विक्रेताओं को बिक्री की निगरानी के लिए इन सभी हितधारकों को अपने प्रतिष्ठानों में सीसीटीवी कैमरे लगाना अनिवार्य किया गया है।
विभाग की ओर से हाल ही में शराब बॉटलिंग प्लांटों, थोक विक्रेताओं और खुदरा विक्रेताओं में पाई गई अनियमितताओं को ध्यान में रखते हुए हिमाचल प्रदेश आबकारी अधिनियम, 2011 को और सख्त किया गया है।
राज्य में एक प्रभावी एंड-टू-एंड ऑनलाईन आबकारी प्रशासन प्रणाली स्थापित की जाएगी जिसमें शराब की बोतलों की ट्रैक एंड टेक्स की सुविधा के अलावा निगरानी के लिए अन्य मॉडयूल शामिल होंगे।
मंत्रिमंडल ने वर्ष 2022-23 के लिए हिमाचल प्रदेश राज्य पथकर नीति को अपनी मंजूरी प्रदान की है जिसमें राज्य में सभी पथकर बेरियर की नीलामी व निविदा शामिल हैं। वर्ष 2021-22 के दौरान टोल राजस्व में गत वर्ष के राजस्व के मुकाबले 20 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
मंत्रिमंडल ने हिमाचल प्रदेश आपदा राहत नियमावली, 2012 में संशोधन को अपनी मंजूरी प्रदान की जिसमें मधुमक्खी, हॉरनेट और वैस्प के काटने से होने वाली मृत्यु, दुर्घटनाग्रस्त डूबने, और वाहन दुर्घटना मंे होने वाली मृत्यु के मामलोें को राहत नियमावली के अंतर्गत शामिल किया गया है।
मंत्रिमंडल ने लोक सेवा आयोग के माध्यम से राजस्व विभाग में नियमित आधार पर सीधी भर्ती के माध्यम से तहसीलदार श्रेणी-1 के 11 पदों को भरने की स्वीकृति प्रदान की।