6 महीनो से बेघर चरान खड्ड से उजाडें गए 291 बस्ती वालों की मानवाअधिकार आयोग से सर के ऊपर छत दिलाने की गुहार
प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत नगर निगम धर्मशाला व प्रशासन को इन विस्तापितो के निवास के लिए उचित प्रबंध करना चहिये था लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। जिस कारण 30 साल पुरानी धर्मशाला बस्ती में रहने वाले करीब 1,500 प्रवासी दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हो गए
काँगड़ा- अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस की पुर्व संघ्या पर चरान खड्ड बस्ती पुर्नवास समिति तथा कांगडा अधिकार मंच द्वारा जिलाधीश कार्यालय में शांतिपूर्वक धरना दिया गया और सरकार से मांग की गयी कि चरान खडड से उजाडें गए 291 परिवारों में से अधिकतर परिवार आज भी बेघर हैं ।
आपको बता दें कि जिला कांगड़ा के धर्मशाला का केंद्र सरकार के स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में चयन होने के बाद यहां चरान खड्ड के किनारे रहने वाले करीब डेढ़ हजार प्रवासियों की आफत ही आ गई। चरान खड्ड में पिछले 35 साल से बसे राजस्थान व महाराश्ट्र के दलित,अनुसूचित जाति के बेघर व गरीब निवासीयों को 16 व 17 जून को नगर निगम व धर्मशाला प्रशासन द्वारा बगैर किसी वैक्लपिक पुनार्वास के हटाया दिया गया था तथा प्रशासन द्वारा उनकी झोंपड़ पट्टी तोड़ दी गयी थी।
प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत नगर निगम धर्मशाला व प्रशासन को इन विस्तापितो के निवास के लिए उचित प्रबंध करना चहिये था लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। जिस कारण 30 साल पुरानी धर्मशाला बस्ती में रहने वाले करीब 1,500 प्रवासी दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हो गए। अपने आशियानों के उजडऩे से गुस्साये यह प्रवासी स्थानीय नगर निगम से अपना हक़ मांग रहे है लेकिन प्रशासन के कानों में जूं तक नहीं रेंगी है।
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यहां से हटाये गये लोंगों के लिये नगर निगम कोई पुर्नवास निति लेकर नहीं आया। जिससे आज यह लोग सडक़ पर हैं। शिक्षा के अधिकार से किसी को भी वंचित नहीं किया जा सकता लेकिन चरान खड्ड से हटाए गए झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले 115 बच्चों की पढ़ाई बंद हो गई है। चरान में पिछले कई दशक से 291 परिवार रह रहे थे जिसके करीब 200 बच्चे टोंगलेन संस्था में तहत पढ़ाई कर रहे हैं। इनमें 115 बच्चे क्षेत्र के सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे थे, लेकिन चरान से हटाने के बाद इन बच्चों की पढ़ाई बंद हो गई।
मानवाअधिकार दिवस के अवसर पर समिति ने कहा कि वे फिर सरकार को याद दिलाना चाहते हैं कि आवास अधिकार उनका संवेधानिक अधिकार है और बिना पुर्नवास के जिस तरह से चरान खड्ड निवासीयों को रातोंरात सड़क पर डाल दिया गया यह मानवाअधिकारो का घोर उलधंन है और हिमाचल सरकार की जिम्मेदारी है कि शहर निर्माता के रूप में कार्य करने वाले और उसे अजीविका चलाने वाले मजदूर, ग़रिब, महीलाओं को आवास की सुविधा औरस्थाई रोजगार उपल्बध करवायें। इसके साथ-साथ चरान खड्ड विस्थापन की वजह से लगभग 300 बच्चें जो सरकारी और अन्य स्कूलों में पढ़ते थे उनकी शिक्षा के अधिकार का भी हनन हुआ है सरकार को बच्चों के भविष्य को घ्यान में रखते हुए तुरन्त कदम उठाना चहिए।
चरान खड्ड पुनर्वास समिति ने कहा कि उन्होंने राष्ट्रीय मानवाअधिकार आयोग में भी शिकायत दर्ज करवाई है। और आयोग ने हिमाचल सरकार और सम्बन्धित जिलाधीश से इस सम्बन्ध में जवाब भी माँगा है 17 नवम्बर को पुनर्वास समीति और नागरिक अधिकार मचं कांगड़ा के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री को भी पुनर्वास की मांग का ज्ञापन सौंपा था। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने जिलाधीश कांगड़ा को इस बारे में उचित कार्यवाही करने का मौखिकआदेश दिया था। धर्मशाला को यदि हिमाचल सरकार सही मायनो में स्मार्ट सिटी बनाना चाहती है तो यहां के सभी शहरी गरीब व मजदूरों के मानवाधिकारों की सुरक्षा और उनके स्थाई आवास की व्यवस्था करना सबसे अनिवार्य है।
समिति ने कहा कि चरान खड्ड में 35 साल से बसे राजस्थान व महाराश्ट्र के दलित, अनुसूचित जाति के बेघर व गरीब निवासीयों को 16,17 जुन को नगर निगम व प्रशासन धर्मशाला द्वारा बगैर किसी वैक्लपिक पुनार्वास के हटाया जाने का समिति ने विरोध किया है।
सरकारी स्कूलों में प्रवेश प्रक्रिया के दौरान अध्यापकों ने परिजन और बच्चों को कोरोना संक्रमण व बचाव से करवाया अवगत
मंडी-बस सेवायें बंद होने के बावजूद हिमाचल प्रदेश सरकार ने पिछले सप्ताह ऑफलाइन प्रवेश प्रक्रिया शुरू कर दी। इसी कारण परिजनों और बच्चों और अध्यापकों को स्कूलों तक पहुँचने में दिक्कत का सामना करना पड़। स्कूलों में छात्रों और उनके परिजनों के बीच उचित दूरी बनाये रखना और उनके हाथ बार-बार सैनिटाइज करवाना भी स्कूलों के आगे एक चुनौती थी।
इस प्रवेश प्रक्रिया के दौरान राजकीय आदर्श कन्या वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला सुंदर नगर में भी 12 मई 2020 से 16 मई 2020 तक ऑफलाइन प्रवेश का दौर रहा। इस दौरान प्रधानाचार्य मनोज वालिया व समस्त स्टाफ ने बच्चों तथा अभिभावक गण को कोरोना वायरस के संक्रमण व उससे बचाव के बारे में अवगत करवाया।
प्रधानाचार्य मनोज वालिया ने जानकारी देते हुए कहा कि पाठशाला की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई की कार्यक्रम अधिकारी ललिता बंगिया व राजकुमारी तथा स्वयंसेवी छात्राओं ने नए सत्र की कक्षा में प्रवेश हेतु आई छात्राओं व उनके अभिभावकों को सामाजिक दूरी को बनाए रखने की व्यवस्था की गई तथा प्रवेश हेतु आई हुई छात्राओं व अभिभावकों के हाथ समय-समय पर सैनिटाइज करवाए गए।
होटल ईस्टबोर्न के 120 मजदूरों का इपीएफ 2016 के बाद नहीं हुआ जमा, ब्रिज व्यू रीजेंसी, ली रॉयल, तोशाली रॉयल व्यू रिजॉर्ट, वुडविले पैलेस में भी इपीएफ में गड़बड़
शिमला-आज दिनांक 22 अगस्त को हिमाचल के अलग-अलग होटलों से 200 कर्मचारियों ने ईपीएफओ विभाग के बाहर धरना प्रदर्शन कियाI
कर्मचारियों का कहना है कि यह धरना प्रदर्शन शिमला शहर के विभिन्न होटलों में इपीएफ की समस्याओं को लेकर किया गया जिसमें मुख्य समस्या होटल ईस्ट बोर्न, होटल ब्रिज व्यू रीजेंसी, होटल ली रॉयल, होटल तोशाली रॉयल व्यू रिजॉर्ट, होटल वुडविले पैलेस की हैI
हिमाचल होटल मजदूर लाल झंडा महासचिव विनोद ने कहा कि ईस्टबोर्न में लगभग 120 मजदूर कार्यरत है जिसका इपीएफ 2016 से प्रबंधन द्वारा अभी तक जमा नहीं किया गया है और वैसा ही हाल ब्रिज व्यू में भी हैI
वहां पर भी एक साल से प्रबंधक द्वारा पीएफ का पैसा जमा नहीं किया गया हैI विनोद ने कहा कि वही होटल ले रॉयल में मजदूरों का पीएफ का पैसा जिस एक्ट के तहत कटना चाहिए था वह मालिक नहीं काट रहा है और होटल ली रॉयल का इपीएफ वेस्ट बंगाल में जमा किया जाता है जिससे मजदूरों को समस्या का हो रही हैI विनोद ने कहा कि तोशाली में भी मजदूरों का पीएफ के पैसे में कटौती की जा रही है जोकि यूनियन को बिल्कुल मंजूर नहीं होगाी
विनोद ने कहा कि यूनियन ने पीएफ कमिश्नर को इन समस्याओं से अवगत करवाया और पीएफ कमिश्नर ने वादा किया कि 31 अगस्त तक सभी होटलों में प्रबंधन द्वारा की जा रही गड़बड़ियों की पूरी जांच की जाएगी और जहां भी मालिक को द्वारा मजदूरों का पैसा जमा नहीं किया जा रहा है उन मालिकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगीI
इस प्रदर्शन में सीटू राज्य सचिव विजेंद्र मेहरा, सीटू जिला सचिव अजय दुलटा, सीटू जिला प्रधान कुलदीप डोगरा, सीटू जिला उपाध्यक्ष किशोरी डलवालिया,अध्यक्ष बालकराम, कोषाध्यक्ष पवन शर्मा व अन्य साथी कपिल नेगी विक्रम शर्मा सतपाल राकेश चमन मौजूद थे
शिमला जिला में सड़क मार्ग सुचारू न होने से सेब सड़ने की कगार पर, बागवानों को सेब मंडियों तक पहुंचाने में में आ रही परेशानी
शिमला-हिमाचल प्रदेश में पिछले दिनों हुई भारी वर्षा से बहुत क्षति हुई हैी इस दौरान 63 जाने गई हैI प्रदेश में आज सैंकड़ो सड़के बन्द पड़ी है राष्ट्रीय उच्चमार्ग व अन्य मुख्य मार्गो पर भी सफर अभी तक जोखिम भरा है। इस आपदा से प्रदेश के लगभग सभी जिले प्रभावित हुए हैं परन्तु शिमला,कुल्लू, सिरमौर, किन्नौर,हमीरपुर, बिलासपुर, सोलन आदि जिले सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। अधिकांश क्षेत्रों में बिजली, पानी व सड़के सुचारू नही है। जिससे क्षेत्र के बागवानों को सेब मण्डिया तक पहुंचाने में बेहद परेशानी हो रही हैी
यह कहना है भारत की कम्युनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी) की ज़िला कमेटी शिमला के सचिव व पूर्व मेयर संजय चौहान का। उन्होंने प्रदेश सर्कार से इस क्षति का तुरंत आंकलन करवा कर इसकी क्षतिपूर्ति की मांग की है।
उन्होंने कहा कि शिमला जिला के चौपाल, रोहड़ू, रामपुर व ठियोग तहसीलों में अधिक जान व माल की क्षति हुई है। आज भी चौपाल, चिढ़गांव रामपुर तहसील के अधिकांश क्षेत्र अन्य हिस्सों से कटे हुए हैं। शिमला जिला में अधिकांश सम्पर्क मार्ग या तो बन्द है या सुचारू रूप से कार्य नहीं कर रहे हैं। जिला में सेब का सीजन पूरे यौवन पर है तथा सड़को का सुचारू रूप से कार्य न करना बागवानों के लिए बड़ी परेशानी का सबब बना हुआ है। सड़क मार्ग सुचारू न होने से सेब सड़ने की कगार पर आ गया है।
चौहान ने कहा कि रोहड़ू – देहरादून वाया हाटकोटी मार्ग बंद होने से बागवानों को बेहद परेशानी उठानी पड़ रही है क्योंकि जुब्बल,रोहड़ू,चिढ़गांव आदि क्षेत्रों से अधिकांश सेब इसी मार्ग से मण्डिया में भेजा जाता है।
पार्टी ने मांग की है कि आपदा से हुई इस क्षति का आंकलन तुरंत करवाया जाए तथा प्रभावितों को इसका उचित मुआवजा तुरंत दिया जाए। इसके अतिरिक्त बन्द पड़े सभी मुख्य व लिंक मार्गो को तुरंत खोला जाए ताकि बागवानों को उनका सेब मण्डिया तक पहुचाने में आ रही परेशानी को समाप्त किया जाए। चौहान ने कहा कि यदि सरकार समय रहते कदम नहीं उठती तो पार्टी आंदोलन के लिए मजबूर होगी।