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भाजपा ने प्रधानमंत्री मोदी की तुलना भगवान श्रीराम तक से कर डाली पर उनके समक्ष नहीं रखी प्रदेश के हित की एक भी मांग: कांग्रेस
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब 2014 के लोकसभा चुनावों के समय हिमाचल मे आये थे तो उन्होंनें हिमाचल प्रदेश को अपना दूसरा घर बताया और कहा कि मैं हिमाचल के कोने-कोने से वाकिफ हूं परन्तु प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेन्द्र मोदी पहली बार प्रदेश के दौरे पर आये परन्तु प्रदेश के लिए न कोई घोषणा की और न ही भविष्य में कोई बडी सौगात देन की बात
शिमला- हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने जारी बयान में कहा कि ऐसा पहली बार हुआ है कि देश के प्रधानमंत्री प्रदेश मे आये हो और प्रदेश के लिए कुछ भी न देकर चले गये और अपने आप को प्रदेश का हितैशी कहने वाली भारतीय जनता पार्टी के नेता पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल, प्रदेश से भाजपा के चारो सांसद व अन्य भाजपा नेता प्रदेश के हित की एक भी मांग प्रधानमंत्री के समक्ष नही रख सकें। इस दौरे से आस लागये बैठी प्रदेश की जनता के हिस्से मे सिर्फ मायूसी ही आई।
कांग्रेस पार्टी ने कहा की कांग्रेस और जनता भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश नेतृत्व से ये पुछना चाहती है कि उन्होनें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के समक्ष कोई मांग क्यो नही रखी। कांग्रेस ने यह भी कहा कि हिमाचल विकास के मामले में पहाडी राज्यों की प्रथम श्रेणी मे ही नही बल्कि देश के अन्य राज्यों में भी अग्रणी पक्ति में खडा है, लेकिन एक पहाडी राज्य होने के नाते इसके अपने सीमित संसाधन है, जिसे केन्द्र की सहायता की जरूरत है, परन्तु भाजपा का प्रदेश नेतृत्व प्रधानमंत्री के समक्ष प्रदेश के हितों के लिए पूरी तरह से असफल रहा है बल्कि भाजपा किसी भी तरह से मांग को प्रस्तुत ही नही कर सकी।
कांग्रेस का कहना है कि प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेन्द्र मोदी पहली बार प्रदेश के दौरे पर आये थे जिससे प्रदेश के आम लोगों में एक उत्साह और उम्मीद थी कि मोदी जी प्रदेश के लिए कोई बडी सौगात देकर जाएगें, परन्तु प्रधानमंत्री ने न ही प्रदेश के लिए कोई घोषणा की और न ही भविष्य में कोई बडी सौगात देन की बात कही। प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने जो मांग पत्र प्रधानमंत्री के समक्ष रखा था कम से कम उसी का ही समर्थन करते परन्तु यहां पर भाजपा नाकाम ही हुई।
कांग्रेस कमेटी ने तंज कसते हुए कहा कि प्रदेश के बहुत सारे मुदे है जैसे किसानो व बागवानों की समस्याएं, रेलवे का विस्तार, ठप पडी हवाई सेवाओं को सुचारू करना, पर्यटन क्षेत्र का विकास व बेरोजगार युवाओं को रोजगार का सृजन करना इत्यादी इन मुदो को प्रधानमंत्री के समक्ष उठया जाना चाहिए था, परन्तु पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल, प्रदेश के चारो सांसद व अन्य भाजपा के नेता प्रदेश की जनता के इन मुदो व मांगों को उठाने में पूरी तरह से नाकाम हुए है। जहां भाजपा के नेताओं को प्रदेश की जनता की आवाज प्रधानमंत्री तक पंहुचानी चाहिए थी मगर वहीं भाजपा के नेता मात्र प्रधानमंत्री की तारिफ करते ही नजर आये यहां तक की पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने सारी सीमाओं को लांघते हुए प्रधानमंत्री की तुलना भगवान श्रीराम तक से कर डाली।
कांग्रेस का यह भी कहना है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब 2014 के लोकसभा चुनावों के समय हिमाचल मे आये थे तो उन्होंनें हिमाचल प्रदेश को अपना दूसरा घर बताया और कहा कि मैं हिमाचल के कोने-कोने से वाकिफ हूं तथा मैं प्रदेश की भौगोलिक स्थीति से अच्छी तरह से परिचित हूं। साथ ही प्रधानमंत्री ने प्रदेश में पर्यटन के विकास, रेलवे के विस्तार तथा कृषि व बागवानी के विकास की बडी-बडी बाते कर प्रदेश के लोगों में एक उम्मीद जगाई थी, जिसके लिए लोगों ने प्रदेश की सभी चारों लोकसभा सीटों पर भाजपा को विजयी बनाया था, परन्तु आज ढाई साल पूरा होने के बाद भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रदेश की जनता से किये गये एक भी वायदे को पूरा नही किया है।
Photo: India.Com
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हिमाचल की तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर लगे 76,000 से अधिक सेब के पौधे
शिमला- डॉ यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के विस्तार शिक्षा निदेशालय में पहाड़ी कृषि एवं ग्रामीण विकास एजेंसी(हार्प), शिमला द्वारा एक अनुभव-साझाकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस कार्यशाला में जिला किन्नौर के निचार विकास खंड के रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों के 34 किसानों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर जीएम नाबार्ड डॉ. सुधांशु मिश्रा मुख्य अतिथि रहे जबकि नौणी विवि के अनुसंधान निदेशक डॉ रविंदर शर्मा ने विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत की।
संस्था के अध्यक्ष डॉ. आर एस रतन ने कहा कि यह कार्यक्रम एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना के तहत रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों में वर्ष 2014 से आयोजित किया जा रहा है। परियोजना को नाबार्ड द्वारा वित्त पोषित किया गया है और इसे हार्प द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
उन्होंने यह बताया कि यह एक बागवानी आधारित आजीविका कार्यक्रम है जिसे किसानों की भागीदारी से लागू किया गया है। इन तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर 76,000 से अधिक सेब के पौधे लगाए गए हैं और 607 परिवार लाभान्वित हुए हैं।
डॉ. सुधांशु मिश्रा ने यह भी कहा कि नाबार्ड हमेशा सामाजिक-आर्थिक उत्थान कार्यक्रमों के संचालन में आगे रहा है। उन्होंने इस कार्यशाला में भाग लेने वाले किसानों से अपने सहयोग से विभिन्न कार्यक्रमों को सफल बनाने का आग्रह किया।
अनुसंधान निदेशक डॉ. रविंदर शर्मा और विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. दिवेंद्र गुप्ता ने नाबार्ड और हार्प के प्रयासों की सराहना की और किसानों को आश्वासन दिया कि विश्वविद्यालय किसानों को तकनीकी रूप से समर्थन देने के लिए हमेशा तैयार है।
डॉ. नरेद्र कुमार ठाकुर ने कहा कि हार्प ने कृषक समुदाय के समन्वय से दुर्गम क्षेत्रों में कठिन परिस्थितियों में काम किया है। इस अवसर पर एक किसान-वैज्ञानिक परिचर्चा का भी आयोजन किया गया जिसमें भाग लेने वाले किसानों के तकनीकी प्रश्नों को संबोधित किया गया।
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हिमाचल सरकार पुलिसकर्मियों का कर रही है शोषण
पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है,कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है,राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है,हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।
शिमला सीटू राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। कमेटी ने यह कहा है कि वह हिमाचल प्रदेश के पुलिसकर्मियों की मांगों का पूर्ण समर्थन करती है। आरोप लगाते हुए सीटू ने कहा है कि प्रदेश सरकार पुलिसकर्मियों का शोषण कर रही है।
राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार से यह मांग की है कि वर्ष 2013 के बाद नियुक्त पुलिसकर्मियों को पहले की भांति 5910 रुपये के बजाए 10300 रुपये संशोधित वेतन लागू किया जाए व उनकी अन्य सभी मांगों को बिना किसी विलंब के पूरा किया जाए।
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में भी कर्मचारियों की प्रमुख मांगों को अनदेखा किया गया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में पुलिसकर्मियों की मांगों को पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया है।
सीटू कमेटी ने कहा कि सबसे मुश्किल डयूटी करने वाले व चौबीस घण्टे डयूटी में कार्यरत पुलिसकर्मियों को इस बैठक से मायूसी ही हाथ लगी है। इसी से आक्रोशित होकर पुलिसकर्मी मुख्यमंत्री आवास पहुंचे थे। उनके द्वारा पिछले कुछ दिनों से मैस के खाने के बॉयकॉट से उनकी पीड़ा का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि पुलिस कर्मियों के साथ ही सभी सरकारी कर्मचारी नवउदारवादी नीतियों की मार से अछूते नहीं है। कमेटी ने कहा कि पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है। कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।
कमेटी ने यह भी कहा है कि थानों में स्टेशनरी के लिए बेहद कम पैसा है व आईओ को केस की पूरी फ़ाइल का सैंकड़ों रुपये का खर्चा अपनी ही जेब से करना पड़ता है। थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है। मैस मनी केवल दो सौ दस रुपये महीना है जबकि मैस में पूरा महीना खाना खाने का खर्चा दो हज़ार रुपये से ज़्यादा आता है। यह प्रति डाइट केवल साढ़े तीन रुपये बनता है, जोकि पुलिस जवानों के साथ घोर मज़ाक है। यह स्थिति मिड डे मील के लिए आबंटित राशि से भी कम है।
उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के जमाने के बने बहुत सारे थानों की स्थिति खंडहर की तरह प्रतीत होती है जहां पर कार्यालयों को टाइलें लगाकर तो चमका दिया गया है परन्तु कस्टडी कक्षों,बाथरूमों,बैरकों,स्टोरों,मेस की स्थिति बहुत बुरी है। इन वजहों से भी पुलिस जवान भारी मानसिक तनाव में रहते हैं।
सीटू ने कहा कि पुलिस में स्टाफ कि बहुत कमी है या यूं कह लें कि बेहद कम है व कुल अनुमानित नियुक्तियों की तुलना में आधे जवान ही भर्ती किये गए हैं जबकि प्रदेश की जनसंख्या पहले की तुलना में काफी बढ़ चुकी है यहाँ तक पुलिस के पास रिलीवर भी नहीं है।
आरोप लगाते हुए कमेटी ने कहा कि प्रदेश की राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है। वहीं पुलिस कर्मी निरन्तर ओवरटाइम डयूटी करते हैं। इसकी एवज में उन्हें केवल एक महीना ज़्यादा वेतन दिया जाता है। इस से प्रत्येक पुलिसकर्मी को वर्तमान वेतन की तुलना में दस से बारह हज़ार रुपये का नुकसान उठाना पड़ता है। उन्हें लगभग नब्बे साप्ताहिक अवकाश,सेकंड सैटरडे,राष्ट्रीय व त्योहार व अन्य छुट्टियों के मुकाबले में केवल पन्द्रह स्पेशल लीव दी जाती है।
सीटू कमेटी ने यह भी कहा कि वर्ष 2007 में हिमाचल प्रदेश में बने पुलिस एक्ट के पन्द्रह साल बीतने पर भी नियम नहीं बन पाए हैं। इस एक्ट के अनुसार पुलिसकर्मियों को सुविधा तो दी नहीं जाती है परन्तु कर्मियों को दंडित करने के लिए इसके प्रावधान बगैर नियमों के भी लागू किये जा रहे हैं जिसमें एक दिन डयूटी से अनुपस्थित रहने पर तीन दिन का वेतन काटना भी शामिल है। पुलिसकर्मियों की प्रोमोशन में भी कई विसंगतियां हैं व इसका टाइम पीरियड भी बहुत लंबा है। हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।
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किन्नौर में लापता पर्यटकों में से 2 और के शव बरामद, 2 की तालाश जारी,आभी तक कुल 7 शव बरामद
शिमला रिकोंगपिओ में 14 अक्तुबर को उत्तरकाशी के हर्षिल से छितकुल की ट्रैकिंग पर निकले 11 पर्यटकों में से लापता चार पर्वतारोहीयों में से दो पर्वतारोहियों के शवो को आई.टी.बी.पी व पुलिस दल द्वारा पिछले कल सांगला लाया गया था जहां सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सांगला में दोनों शवों का पोस्टमार्टम किया गया।
यह जानकारी देते हुए उपायुक्त किन्नौर अपूर्व देवगन ने बताया कि इन दोनों की पहचान कर ली गई है जिनमे मे एक उतरकाशी व दूसरा पश्चिम बंगाल से सम्बंधित था।
उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन किन्नौर द्वारा आज एक शव वाहन द्वारा उतरकाशी को भेज दिया गया है जहाँ शव को जिला प्रशासन उतरकाशी को सौंपा जाएगा। जब कि दूसरा शव वाहन द्वारा शिमला भेजा गया है जिसे शिमला में मृतक के परिजनों को सौंपा जायेगा।
उपायुक्त अपूर्व देवगन ने बताया कि अभी भी लापता दो पर्यटकों की तलाश आई.टी.बी.पी के जवानों द्वारा जारी है। उल्लेखनीय है कि गत दिनों उतरकाशी से छितकुल के लिये 11 पर्वतारोही ट्रेकिंग पर निकले थे जो बर्फबारी के कारण लमखंगा दर्रे में फंस गये थे जिसकी सूचना मिलने पर जिला प्रशासन द्वारा सेना के हेलीकॉप्टर व आई.टी.बी.पी के जवानों की सहायता से राहत व बचाव कार्य आरम्भ किया था। सेना व आई.टी.बी.पी के जवानों ने 21 अक्टूबर को दो पर्यटकों को सुरक्षित ढूंढ निकाला था। इसी दौरान उन्हें अलग अलग स्थानों पर पाँच ट्रेकरों के शव ढूंढ निकलने में सफलता मिली थी। जबकि 4 पर्यटक लापता थे जिसमे से राहत व बचाव दल को 22 अक्तुबर को 2 शव ढूढ़ निकालने में सफलता मिली थी। अभी भी दो पर्यटक लापता हैं जिनकी राहत व बचाव दल द्वारा तलाश जारी है।
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