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जल संकट भूल केरल सैर की तैयारी में शिमला शहर के पार्षद, बंद दरवाजे भीतर की बैठक
शिमला- नगर निगम के इतिहास में पहली बार सोमवार को शहर में जल संकट जैसे ज्वलंत मुद्दे पर नगर निगम प्रशासन और पार्षदों ने चोरी छिपे बैठक की। इसके पीछे की वजह पार्षदों को केरल टूअर का लालीपाप देना था। बात बात पर शोर मचाने वाले पार्षदों के भी सोमवार को हाउस के दौरान होंठ सिले रह गए।
इस रहस्यमयी खामोशी के राज से पर्दा हाउस खत्म होने के बाद उठा। जिसमें पार्षदों को हाउस में मीडिया के सामने पानी से जुड़ा मुद्दा न उठाने के लिए कहा गया था। पिकनिक के चक्कर में आम जनता द्वार चुने गए पार्षद पानी के ज्वलंत मुद्दे को भूल कर टूअर प्रोग्राम पर जाने के ख्वाब बुनने लगे।
हाउस खत्म होने के बाद मीडिया की गैर मौजूदगी में टाउन हाल के खिड़की दरवाजे भीतर से बंद कर बैठक की गई। नगर निगम के पार्षदों और अफसरों के अक्तूबर माह में प्रस्तावित केरल टूअर को लेकर भी बैठक में प्लानिंग की गई। अमृत मिशन के तहत पाषर्दों और अफसरों को केरल की सैर करवाई जानी है।
अफसरों के कहने पर मौन हुए सभी हल्ला करने वाले पार्षद
गुपचुप तरीके से की गई इस बैठक का मकसद शहर को लोगों को पानी की किल्लत की समस्या को लेकर अंधेरे में रखना भी था। निगम के अफसरों ने एक-एक पार्षद को फोन कर हाउस में पानी का मुद्दा न उठाने का आग्रह किया। इतना ही नहीं रविवार को छुट्टी के बावजूद कांग्रेस और भाजपा के वरिष्ठ पार्षदों को निगम कार्यालय बुला कर सोमवार को हाउस में पानी की किल्लत पर चर्चा न करने को लेकर विश्वास में लिया गया।
योजना के मुताबिक सोमवार को हाउस के दौरान छोटी छोटी बातों पर बवाल काटने वाले नगर निगम के पार्षद शहर में जल संकट जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर चुप्पी साधे रहे। करीब सवा दो घंटे चली हाउस की कार्यवाही के दौरान फागली के पार्षद कल्याण चंद धीमान को छोड़ कर किसी भी पार्षद ने पानी का मुद्दा नहीं उठाया। शहर के लोगों के प्रति अपनी जवाबदेही भूल कर पार्षद पब्लिक की आवाज उठाने की जगह मौन ही रहे।
इसलिए भी चोरी छिपे करनी पड़ी बैठक
मंगलवार को न्यायालय में युग मामले को लेकर होने वाली सुनवाई से पहले मीडिया में जल संकट की खबरों की रिपोर्टिंग से बचने की भी निगम प्रशासन ने खूब कोशिश की। हाउस में पार्षद पानी की किल्लत का मुद्दा न उठाएं और अखबारों में जल संकट की खबरें न छपे इसके लिए निगम प्रशासन ने हाउस से एक दिन पहले ही तैयारियां शुरू कर दी थी।
बैठक में फैसला, एक दिन छोड़ कर देंगे पब्लिक को पानी
मीडिया से चोरी छिपे बुलाई गई इस बैठक में शहर की पब्लिक को एक दिन छोड़ कर पानी की सप्लाई देने का फैसला लिया गया। बैठक के दौरान पार्षदों की आईपीएच डिवीजन के अफसरों से इंट्रोडक्शन करवाई गई। फोन नंबरों का आदान प्रदान भी हुआ ताकि पब्लिक को मिले न मिले पार्षदाें के घर में पानी की सप्लाई जरूर हो।
बैठक में फील्ड स्टॉफ, नोडल अफसरों और अन्य अधिकारियों को पार्षदों के फोन जरूर सुनने की हिदायत दी गई। चर्चा के दौरान निगम प्रशासन ने जल संकट के लिए अपनी लापरवाही को माना। पिछले करीब पांच महीनों से लटक रहे लीक डिटेक्शन डिवाइस की खरीद को लेकर भी चर्चा की गई।
शहर में अब सभी को मिलेगा पानी का अपना कनेक्शन
राजधानी शिमला में अब बिजली की तर्ज पर सभी लोगों को पानी के कनेक्शन दिए जाएंगे। नगर निगम ने वाटर बायलॉज में संशोधन कर पानी का कनेक्शन लेने की औपचारिकताएं कम कर दी हैं। ढारा मालिक भी अगर कनेक्शन के लिए आवेदन करेंगे तो उन्हें भी कनेक्शन दिए जाएंगे। हालांकि कनेक्शन लेने वाले को एनओसी प्रस्तुत करने होंगे।
टैक्स डिपार्टमेंट और मकान मालिक का एनओसी लेने के बाद ही पानी का कनेक्शन मिलेगा। साइट प्लान बनना भी पूर्व की तरह अनिवार्य होगा। नगर निगम ऐसे कनेक्शनों को कॉमर्शियल दरों पर पानी की सप्लाई देगा। हालांकि, पब्लिक टैप के लिए नियम पहले जैसे ही रहेंगे।
अक्तूबर के पहले हफ्ते से शुरू होगी ग्रीन फीस
निगम आयुक्त ने जानकारी देते हुए बताया कि शहर में ग्रीन फीस पहली अक्तूबर से शुरू की जाएगी। उन्होंने बताया कि एमसी एक्ट के सेक्शन 85 के तहत नगर निगम को फीस लगाने का अधिकार है। इसी सेक्शन के तहत जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है। डीजीपी के साथ बैठक कर ग्रीन फीस को लेकर वाहनों का निरीक्षण करने और फीस न देने वालों को जुर्माना करने का अधिकार ट्रैफिक पुलिस के कर्मियों को सौंपने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए ट्रैफिक पुलिस के एएसआई स्तर के अधिकारियों को ट्रेनिंग भी दी जाएगी।
शिमला में लागू होगा डीजिटल डोर नंबर सिस्टम
राजधानी शिमला के सभी भवनों को डीजिटल डोर नंबर सिस्टम से जोड़ा जाएगा। आधार कार्ड की तर्ज पर हर मकान का अलग कोर्ड जारी होगा। शिमला से पहले हैदराबाद में यह माडल लागू किया जा चुका है। शहर की सड़कों को वर्गों में बांट कर जिप्पर कोर्ड सिस्टम लागू किया जाएगा। शहर की जीआईएस मेपिंग भी की जाएगी।
सर्कल बनने के बाद से सीवरेज का काम बंद
नगर निगम के अधीन जब से पानी और सीवरेज का अलग सर्कल बना है सीवरेज प्रोजेक्ट का एक भी टेंडर नहीं हुआ। यह आरोप पार्षदों ने हाउस के दौरान निगम प्रशासन पर लगाया। पार्षद सुशांत कपरेट, सुरेंद्र चौहान और नरेंद्र निट्टूू ने बताया कि थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन की शर्त मनमाने तरीके से टेंडर में जोड़ दी गई है। तंग जगहों में भी चैंबर का साइज बढ़ाने के निर्देश दिए जा रहे हैं। वार्डों में एक ही कांट्रेक्टर को अधिकतर काम दिए जा रहे हैं। आयुक्त पंकज राय ने बताया कि सीवरेज के प्रोजेक्ट अमृत मिशन में शामिल किए गए हैं। जल्द ही पार्षदों के साथ बैठक कर लंबित प्रोजेक्टों पूरा करने का प्लान तैयार किया जाएगा।
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हिमाचल की तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर लगे 76,000 से अधिक सेब के पौधे
शिमला- डॉ यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के विस्तार शिक्षा निदेशालय में पहाड़ी कृषि एवं ग्रामीण विकास एजेंसी(हार्प), शिमला द्वारा एक अनुभव-साझाकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस कार्यशाला में जिला किन्नौर के निचार विकास खंड के रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों के 34 किसानों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर जीएम नाबार्ड डॉ. सुधांशु मिश्रा मुख्य अतिथि रहे जबकि नौणी विवि के अनुसंधान निदेशक डॉ रविंदर शर्मा ने विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत की।
संस्था के अध्यक्ष डॉ. आर एस रतन ने कहा कि यह कार्यक्रम एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना के तहत रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों में वर्ष 2014 से आयोजित किया जा रहा है। परियोजना को नाबार्ड द्वारा वित्त पोषित किया गया है और इसे हार्प द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
उन्होंने यह बताया कि यह एक बागवानी आधारित आजीविका कार्यक्रम है जिसे किसानों की भागीदारी से लागू किया गया है। इन तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर 76,000 से अधिक सेब के पौधे लगाए गए हैं और 607 परिवार लाभान्वित हुए हैं।
डॉ. सुधांशु मिश्रा ने यह भी कहा कि नाबार्ड हमेशा सामाजिक-आर्थिक उत्थान कार्यक्रमों के संचालन में आगे रहा है। उन्होंने इस कार्यशाला में भाग लेने वाले किसानों से अपने सहयोग से विभिन्न कार्यक्रमों को सफल बनाने का आग्रह किया।
अनुसंधान निदेशक डॉ. रविंदर शर्मा और विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. दिवेंद्र गुप्ता ने नाबार्ड और हार्प के प्रयासों की सराहना की और किसानों को आश्वासन दिया कि विश्वविद्यालय किसानों को तकनीकी रूप से समर्थन देने के लिए हमेशा तैयार है।
डॉ. नरेद्र कुमार ठाकुर ने कहा कि हार्प ने कृषक समुदाय के समन्वय से दुर्गम क्षेत्रों में कठिन परिस्थितियों में काम किया है। इस अवसर पर एक किसान-वैज्ञानिक परिचर्चा का भी आयोजन किया गया जिसमें भाग लेने वाले किसानों के तकनीकी प्रश्नों को संबोधित किया गया।
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हिमाचल सरकार पुलिसकर्मियों का कर रही है शोषण
पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है,कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है,राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है,हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।
शिमला सीटू राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। कमेटी ने यह कहा है कि वह हिमाचल प्रदेश के पुलिसकर्मियों की मांगों का पूर्ण समर्थन करती है। आरोप लगाते हुए सीटू ने कहा है कि प्रदेश सरकार पुलिसकर्मियों का शोषण कर रही है।
राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार से यह मांग की है कि वर्ष 2013 के बाद नियुक्त पुलिसकर्मियों को पहले की भांति 5910 रुपये के बजाए 10300 रुपये संशोधित वेतन लागू किया जाए व उनकी अन्य सभी मांगों को बिना किसी विलंब के पूरा किया जाए।
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में भी कर्मचारियों की प्रमुख मांगों को अनदेखा किया गया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में पुलिसकर्मियों की मांगों को पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया है।
सीटू कमेटी ने कहा कि सबसे मुश्किल डयूटी करने वाले व चौबीस घण्टे डयूटी में कार्यरत पुलिसकर्मियों को इस बैठक से मायूसी ही हाथ लगी है। इसी से आक्रोशित होकर पुलिसकर्मी मुख्यमंत्री आवास पहुंचे थे। उनके द्वारा पिछले कुछ दिनों से मैस के खाने के बॉयकॉट से उनकी पीड़ा का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि पुलिस कर्मियों के साथ ही सभी सरकारी कर्मचारी नवउदारवादी नीतियों की मार से अछूते नहीं है। कमेटी ने कहा कि पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है। कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।
कमेटी ने यह भी कहा है कि थानों में स्टेशनरी के लिए बेहद कम पैसा है व आईओ को केस की पूरी फ़ाइल का सैंकड़ों रुपये का खर्चा अपनी ही जेब से करना पड़ता है। थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है। मैस मनी केवल दो सौ दस रुपये महीना है जबकि मैस में पूरा महीना खाना खाने का खर्चा दो हज़ार रुपये से ज़्यादा आता है। यह प्रति डाइट केवल साढ़े तीन रुपये बनता है, जोकि पुलिस जवानों के साथ घोर मज़ाक है। यह स्थिति मिड डे मील के लिए आबंटित राशि से भी कम है।
उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के जमाने के बने बहुत सारे थानों की स्थिति खंडहर की तरह प्रतीत होती है जहां पर कार्यालयों को टाइलें लगाकर तो चमका दिया गया है परन्तु कस्टडी कक्षों,बाथरूमों,बैरकों,स्टोरों,मेस की स्थिति बहुत बुरी है। इन वजहों से भी पुलिस जवान भारी मानसिक तनाव में रहते हैं।
सीटू ने कहा कि पुलिस में स्टाफ कि बहुत कमी है या यूं कह लें कि बेहद कम है व कुल अनुमानित नियुक्तियों की तुलना में आधे जवान ही भर्ती किये गए हैं जबकि प्रदेश की जनसंख्या पहले की तुलना में काफी बढ़ चुकी है यहाँ तक पुलिस के पास रिलीवर भी नहीं है।
आरोप लगाते हुए कमेटी ने कहा कि प्रदेश की राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है। वहीं पुलिस कर्मी निरन्तर ओवरटाइम डयूटी करते हैं। इसकी एवज में उन्हें केवल एक महीना ज़्यादा वेतन दिया जाता है। इस से प्रत्येक पुलिसकर्मी को वर्तमान वेतन की तुलना में दस से बारह हज़ार रुपये का नुकसान उठाना पड़ता है। उन्हें लगभग नब्बे साप्ताहिक अवकाश,सेकंड सैटरडे,राष्ट्रीय व त्योहार व अन्य छुट्टियों के मुकाबले में केवल पन्द्रह स्पेशल लीव दी जाती है।
सीटू कमेटी ने यह भी कहा कि वर्ष 2007 में हिमाचल प्रदेश में बने पुलिस एक्ट के पन्द्रह साल बीतने पर भी नियम नहीं बन पाए हैं। इस एक्ट के अनुसार पुलिसकर्मियों को सुविधा तो दी नहीं जाती है परन्तु कर्मियों को दंडित करने के लिए इसके प्रावधान बगैर नियमों के भी लागू किये जा रहे हैं जिसमें एक दिन डयूटी से अनुपस्थित रहने पर तीन दिन का वेतन काटना भी शामिल है। पुलिसकर्मियों की प्रोमोशन में भी कई विसंगतियां हैं व इसका टाइम पीरियड भी बहुत लंबा है। हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।
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किन्नौर में लापता पर्यटकों में से 2 और के शव बरामद, 2 की तालाश जारी,आभी तक कुल 7 शव बरामद
शिमला रिकोंगपिओ में 14 अक्तुबर को उत्तरकाशी के हर्षिल से छितकुल की ट्रैकिंग पर निकले 11 पर्यटकों में से लापता चार पर्वतारोहीयों में से दो पर्वतारोहियों के शवो को आई.टी.बी.पी व पुलिस दल द्वारा पिछले कल सांगला लाया गया था जहां सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सांगला में दोनों शवों का पोस्टमार्टम किया गया।
यह जानकारी देते हुए उपायुक्त किन्नौर अपूर्व देवगन ने बताया कि इन दोनों की पहचान कर ली गई है जिनमे मे एक उतरकाशी व दूसरा पश्चिम बंगाल से सम्बंधित था।
उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन किन्नौर द्वारा आज एक शव वाहन द्वारा उतरकाशी को भेज दिया गया है जहाँ शव को जिला प्रशासन उतरकाशी को सौंपा जाएगा। जब कि दूसरा शव वाहन द्वारा शिमला भेजा गया है जिसे शिमला में मृतक के परिजनों को सौंपा जायेगा।
उपायुक्त अपूर्व देवगन ने बताया कि अभी भी लापता दो पर्यटकों की तलाश आई.टी.बी.पी के जवानों द्वारा जारी है। उल्लेखनीय है कि गत दिनों उतरकाशी से छितकुल के लिये 11 पर्वतारोही ट्रेकिंग पर निकले थे जो बर्फबारी के कारण लमखंगा दर्रे में फंस गये थे जिसकी सूचना मिलने पर जिला प्रशासन द्वारा सेना के हेलीकॉप्टर व आई.टी.बी.पी के जवानों की सहायता से राहत व बचाव कार्य आरम्भ किया था। सेना व आई.टी.बी.पी के जवानों ने 21 अक्टूबर को दो पर्यटकों को सुरक्षित ढूंढ निकाला था। इसी दौरान उन्हें अलग अलग स्थानों पर पाँच ट्रेकरों के शव ढूंढ निकलने में सफलता मिली थी। जबकि 4 पर्यटक लापता थे जिसमे से राहत व बचाव दल को 22 अक्तुबर को 2 शव ढूढ़ निकालने में सफलता मिली थी। अभी भी दो पर्यटक लापता हैं जिनकी राहत व बचाव दल द्वारा तलाश जारी है।
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