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हिमाचल रोजगार देने में फिसड्डी, शिक्षित बेरोजगार युवा नौकरी के लिए दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर

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Youth for Right to Employment

हिमाचल में 9 लाख से ज्यादा युवा बेरोजगार है। उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि देश में हिमाचल प्रदेश शिक्षा प्रदान करने के क्षेत्र में चौथे पायदान पर है,लेकिन रोजगार देने में सबसे पीछे है।

शिमला- 19 जुलाई भारत में शिक्षित बेरोजगार युवाओं का आंकड़ा कई करोड़ पहुंच गया है। देश का ऐसा कोई राज्य नहीं है,जहां शिक्षित बेरोजगार युवा वर्ग रोजगार की तलाश में दर-दर की ठोकरें नहीं खा रहा है। जबकि विश्व में भारत ही ऐसा देश हैं,जहां 65 प्रतिशत आबादी 35 वर्ष से कम युवाओं की है। देश में बढ़ रही बेरोजगारी की समस्या को दूर करने के लिए अब रोजगार को मौलिक अधिकार में शामिल करने तथा रोजगार आयोग का गठन किया जाना अनिवार्य है।

यह बात पूरे देश में यूथ फॉर राइट टू एम्प्लॉयमेंट अभियान चला रहे दिल्ली विश्वविद्यालय के पांच छात्रों ने शिमला में आयोजित बैठक के दौरान कही। इस मौके पर दिल्ली विवि के छात्र लक्षणम यादव ने कहा कि आज पुरे देश में बेरोजगारी बहुत बड़ा मुद्दा है इस मुद्दे पर किसी भी पार्टी की सरकार गंभीरता से कार्य नहीं कर रही है।

उन्होंने कहा कि इस अभियान को पिछले एक साल से पुरे देश में चलाया गया है। यूथ फॉर राइट टू एम्प्लॉयमेंट अभियान के माध्यम से वह राज्य व केंद्र सरकार से यही मांग करते आ रहे हैं कि रोजगार को मोलिक अधिकार बनाया जाए। साथ ही एक रोजगार आयोग का गठन किया जाए,ताकि शिक्षित बेरोजगार युवाओं को उनकी योग्यता के आधार पर रोजगार मुहैया हो सके। लक्षमण यादव ने कहा कि बेरोजगारी देश में सबसे ज्वलंत एवं बड़ा मुद्दा बनकर सामने आया है। उन्होंने कहा कि देश में बेरोजगार युवाओं का आंकड़ा दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है।

छात्रों ने ये भी कहा कि उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद भी युवा रोजगार की तलाश में दर-दर की ठोकरें खाने को विवश है। उन्होंने कहा कि केंद्र तथा राज्य सरकारें बेरोजगार युवाओं को रोजगार देने में विफल साबित हो रही है। यही वजह है कि अदद रोजगार न मिलने की वजह से आज का युवा वर्ग नशे सहित अन्य आपराधिक गतिविधियों की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि यूथ फॉर राइट टू एम्पलॉयमेंट का मकसद शिक्षित युवाओं को उनके मौलिक अधिकारों के प्रति जागरूक करना है। साथ ही देश में निरंतर बढ़ रही बेरोजगारी के खिलाफ एक जनआंदोलन खड़ा करना है,ताकि शिक्षित युवाओं को उनके संवैधानिक अधिकार मिल सके।

अभियान चला रहे छात्रों का ये भी कहना है कि हिमाचल प्रदेश में उन्होंने जिला सोलन से अपने जनआंदोलन को शुरू किया है और हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में ये दूसरी बैठक है। आगामी दिनों में यूथ फॉर राइट टू एम्प्लॉयमेंट प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में जाकर कार्यक्रमों का आयोजन करेगी तथा ज्यादा से ज्यादा युवाओं को इस अभियान से जोड़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि जिस देश की जीडीपी लगातार बढ़ रही हो उस देश में रोजगार दर में गिरावट चिंता का विषय है। उन्होंने आंकड़ों को सामने रखते हुए कहा कि जनगणना 2011 के मुताबिक देश में बेरोजगारी की दर 2001 के 6.8 फिसदी बढ़कर 2011 में 9.6 फीसदीहो चुकी है।

जहां तक नौकरियों की बात है तो एनएसएसओ के आंकड़े बताते हैं कि पिछली तीमाही में रोजगार दर पिछले कई वर्षों की तुलना में सबसे नीचे है। छात्रों का कहना है कि वित्त वर्ष 2010 में 11 लाख नौकरियां सृजित की गई थीं, वहीं वित्त वर्ष 2015 में यह संख्या घटकर 5 लाख पर आ गई है। यही नहीं,बल्कि पिछली तिमाही में यह आंकड़ा घट कर 91 हजार रह गया है। उन्होंने कहा कि केंद्र तथा राज्यों में लाखों पद विभिन्न श्रेणियों के रिक्त पड़े हैं,लेकिन उन पदों को भरने की प्रक्रिया लगभग बंद है। जबकि यह सभी पद स्वीकृत है। यानि कि स्वीकृत सभी पदों के लिए वेतन भत्ता वार्षिक बजट में आबंटित होता है। बावजूद इसके इन पदों को सृजित नहीं किया जा रहा है।

हिमाचल प्रदेश का उदाहरण देते हुए छात्रों ने कहा कि इस राज्य में 9 लाख से ज्यादा युवा बेरोजगार है। उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि देश में हिमाचल प्रदेश शिक्षा प्रदान करने के क्षेत्र में चौथे पायदान पर है,लेकिन रोजगार देने में सबसे पीछे है। उन्होंने केंद्र तथा राज्य सरकारों से मांग की है कि रोजगार को मौलिक अधिकार बनाया जाए, केंद्र व राज्यों में रिक्त पड़े लाखा पदों को शीघ्र भरने के लिए एक आयोग का गठन किया जाए, रोजगार के नए अवसर सृजित किए जाए तथा ठोस सेवा शर्तों को बनाया जाए,जहां सरकारी, अर्ध सरकारी, निजी सभी क्षेत्र समान जवाबदेही और शर्तों से संचालित हो।

Photo: The News Himachal

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हिमाचल की तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर लगे 76,000 से अधिक सेब के पौधे

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nauni university himachal pradesh

शिमला- डॉ यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के विस्तार शिक्षा निदेशालय में पहाड़ी कृषि एवं ग्रामीण विकास एजेंसी(हार्प), शिमला द्वारा एक अनुभव-साझाकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया।

इस कार्यशाला में जिला किन्नौर के निचार विकास खंड के रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों के 34 किसानों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर जीएम नाबार्ड डॉ. सुधांशु मिश्रा मुख्य अतिथि रहे जबकि नौणी विवि के अनुसंधान निदेशक डॉ रविंदर शर्मा ने विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत की।

संस्था के अध्यक्ष डॉ. आर एस रतन ने कहा कि यह कार्यक्रम एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना के तहत रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों में वर्ष 2014 से आयोजित किया जा रहा है। परियोजना को नाबार्ड द्वारा वित्त पोषित किया गया है और इसे हार्प द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।

उन्होंने यह बताया कि यह एक बागवानी आधारित आजीविका कार्यक्रम है जिसे किसानों की भागीदारी से लागू किया गया है। इन तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर 76,000 से अधिक सेब के पौधे लगाए गए हैं और 607 परिवार लाभान्वित हुए हैं।

डॉ. सुधांशु मिश्रा ने यह भी कहा कि नाबार्ड हमेशा सामाजिक-आर्थिक उत्थान कार्यक्रमों के संचालन में आगे रहा है। उन्होंने इस कार्यशाला में भाग लेने वाले किसानों से अपने सहयोग से विभिन्न कार्यक्रमों को सफल बनाने का आग्रह किया।

अनुसंधान निदेशक डॉ. रविंदर शर्मा और विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. दिवेंद्र गुप्ता ने नाबार्ड और हार्प के प्रयासों की सराहना की और किसानों को आश्वासन दिया कि विश्वविद्यालय किसानों को तकनीकी रूप से समर्थन देने के लिए हमेशा तैयार है।

डॉ. नरेद्र कुमार ठाकुर ने कहा कि हार्प ने कृषक समुदाय के समन्वय से दुर्गम क्षेत्रों में कठिन परिस्थितियों में काम किया है। इस अवसर पर एक किसान-वैज्ञानिक परिचर्चा का भी आयोजन किया गया जिसमें भाग लेने वाले किसानों के तकनीकी प्रश्नों को संबोधित किया गया।

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हिमाचल सरकार पुलिसकर्मियों का कर रही है शोषण

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hp police

पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है,कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है,राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है,हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।

शिमला सीटू राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। कमेटी ने यह कहा है कि वह हिमाचल प्रदेश के पुलिसकर्मियों की मांगों का पूर्ण समर्थन करती है। आरोप लगाते हुए सीटू ने कहा है कि प्रदेश सरकार पुलिसकर्मियों का शोषण कर रही है।

राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार से यह मांग की है कि वर्ष 2013 के बाद नियुक्त पुलिसकर्मियों को पहले की भांति 5910 रुपये के बजाए 10300 रुपये संशोधित वेतन लागू किया जाए व उनकी अन्य सभी मांगों को बिना किसी विलंब के पूरा किया जाए।

सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में भी कर्मचारियों की प्रमुख मांगों को अनदेखा किया गया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में पुलिसकर्मियों की मांगों को पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया है।

सीटू कमेटी ने कहा कि सबसे मुश्किल डयूटी करने वाले व चौबीस घण्टे डयूटी में कार्यरत पुलिसकर्मियों को इस बैठक से मायूसी ही हाथ लगी है। इसी से आक्रोशित होकर पुलिसकर्मी मुख्यमंत्री आवास पहुंचे थे। उनके द्वारा पिछले कुछ दिनों से मैस के खाने के बॉयकॉट से उनकी पीड़ा का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि पुलिस कर्मियों के साथ ही सभी सरकारी कर्मचारी नवउदारवादी नीतियों की मार से अछूते नहीं है। कमेटी ने कहा कि पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है। कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।

कमेटी ने यह भी कहा है कि थानों में स्टेशनरी के लिए बेहद कम पैसा है व आईओ को केस की पूरी फ़ाइल का सैंकड़ों रुपये का खर्चा अपनी ही जेब से करना पड़ता है। थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है। मैस मनी केवल दो सौ दस रुपये महीना है जबकि मैस में पूरा महीना खाना खाने का खर्चा दो हज़ार रुपये से ज़्यादा आता है। यह प्रति डाइट केवल साढ़े तीन रुपये बनता है, जोकि पुलिस जवानों के साथ घोर मज़ाक है। यह स्थिति मिड डे मील के लिए आबंटित राशि से भी कम है।

उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के जमाने के बने बहुत सारे थानों की स्थिति खंडहर की तरह प्रतीत होती है जहां पर कार्यालयों को टाइलें लगाकर तो चमका दिया गया है परन्तु कस्टडी कक्षों,बाथरूमों,बैरकों,स्टोरों,मेस की स्थिति बहुत बुरी है। इन वजहों से भी पुलिस जवान भारी मानसिक तनाव में रहते हैं।

सीटू ने कहा कि पुलिस में स्टाफ कि बहुत कमी है या यूं कह लें कि बेहद कम है व कुल अनुमानित नियुक्तियों की तुलना में आधे जवान ही भर्ती किये गए हैं जबकि प्रदेश की जनसंख्या पहले की तुलना में काफी बढ़ चुकी है यहाँ तक पुलिस के पास रिलीवर भी नहीं है।

आरोप लगाते हुए कमेटी ने कहा कि प्रदेश की राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है। वहीं पुलिस कर्मी निरन्तर ओवरटाइम डयूटी करते हैं। इसकी एवज में उन्हें केवल एक महीना ज़्यादा वेतन दिया जाता है। इस से प्रत्येक पुलिसकर्मी को वर्तमान वेतन की तुलना में दस से बारह हज़ार रुपये का नुकसान उठाना पड़ता है। उन्हें लगभग नब्बे साप्ताहिक अवकाश,सेकंड सैटरडे,राष्ट्रीय व त्योहार व अन्य छुट्टियों के मुकाबले में केवल पन्द्रह स्पेशल लीव दी जाती है।

सीटू कमेटी ने यह भी कहा कि वर्ष 2007 में हिमाचल प्रदेश में बने पुलिस एक्ट के पन्द्रह साल बीतने पर भी नियम नहीं बन पाए हैं। इस एक्ट के अनुसार पुलिसकर्मियों को सुविधा तो दी नहीं जाती है परन्तु कर्मियों को दंडित करने के लिए इसके प्रावधान बगैर नियमों के भी लागू किये जा रहे हैं जिसमें एक दिन डयूटी से अनुपस्थित रहने पर तीन दिन का वेतन काटना भी शामिल है। पुलिसकर्मियों की प्रोमोशन में भी कई विसंगतियां हैं व इसका टाइम पीरियड भी बहुत लंबा है। हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।

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किन्नौर में लापता पर्यटकों में से 2 और के शव बरामद, 2 की तालाश जारी,आभी तक कुल 7 शव बरामद

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kinnaur trekker deaths

शिमला रिकोंगपिओ में 14 अक्तुबर को उत्तरकाशी के हर्षिल से छितकुल की ट्रैकिंग पर निकले 11 पर्यटकों में से लापता चार पर्वतारोहीयों में से दो  पर्वतारोहियों के शवो को आई.टी.बी.पी व पुलिस दल द्वारा पिछले कल सांगला लाया गया था जहां सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सांगला में दोनों शवों का पोस्टमार्टम किया गया।

यह जानकारी देते हुए उपायुक्त किन्नौर अपूर्व देवगन ने बताया कि इन दोनों की पहचान कर ली गई है जिनमे मे एक उतरकाशी व दूसरा पश्चिम बंगाल से सम्बंधित था।

उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन किन्नौर द्वारा आज एक शव वाहन द्वारा उतरकाशी को भेज दिया गया है जहाँ शव को जिला प्रशासन उतरकाशी को सौंपा जाएगा। जब कि दूसरा शव वाहन द्वारा शिमला भेजा गया है जिसे शिमला में मृतक के परिजनों को सौंपा जायेगा।

उपायुक्त अपूर्व देवगन ने बताया कि अभी भी लापता दो  पर्यटकों की तलाश आई.टी.बी.पी के जवानों द्वारा जारी है। उल्लेखनीय है कि गत दिनों उतरकाशी से छितकुल के लिये 11 पर्वतारोही ट्रेकिंग पर निकले थे जो बर्फबारी के कारण लमखंगा दर्रे में फंस गये थे जिसकी सूचना मिलने पर जिला प्रशासन द्वारा सेना के हेलीकॉप्टर व आई.टी.बी.पी के जवानों की सहायता से राहत व बचाव कार्य आरम्भ किया था। सेना व आई.टी.बी.पी के जवानों ने 21 अक्टूबर को दो पर्यटकों को सुरक्षित ढूंढ निकाला था। इसी दौरान उन्हें अलग अलग स्थानों पर पाँच ट्रेकरों के शव ढूंढ निकलने में सफलता मिली थी। जबकि 4 पर्यटक लापता थे जिसमे से राहत व बचाव दल को 22 अक्तुबर को 2 शव ढूढ़ निकालने में सफलता मिली थी। अभी भी दो पर्यटक लापता हैं जिनकी राहत व बचाव दल द्वारा तलाश जारी है।

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