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एचआरटीसी कर्मियों की प्रदेशव्यापी हड़ताल से निगम को एक ही दिन में 2 करोड़ का नुकसान, हाईकोर्ट ने तलब की हड़ताली कर्मचारियों की सूची

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HRTC

शिमला- हिमाचल परिवहन कर्मियों की हड़ताल से एक ही दिन में परिवहन निगम को दो करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। हाईकोर्ट के हड़ताल पर रोक के बावजूद परिवहन कर्मी नहीं माने। यही नहीं, बाहरी राज्यों से हिमाचल आने वाले सैलानियों की तरफ से करवाई गई वोल्वो बसों की बुकिंग भी कैंसिल करनी पड़ी हैं।

बीते 27 मई से सरकार के पास वैकल्पिक व्यवस्था के लिए लंबा वक्त था लेकिन इंतजाम शून्य रहे। सोमवार रात 12:00 बजे से शुरू हुई यह हड़ताल बुधवार को भी जारी रहेगी। मुसाफिरों की मुश्किलें अभी खत्म नहीं हुई हैं। राजधानी शिमला में संयुक्त समन्वय समिति के बनैर तले कर्मचारियों ने एचआरटीसी मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन किया।

सुबह 11:00 बजे ओल्ड बस अड्डे पर भी एकत्र होकर शाम पांच बजे तक प्रदेश सरकार और निगम प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी की गई। सभी जिला मुख्यालयों भी ड्राइवर-कंडक्टरों के अलावा दफ्तर में काम करने वाले कर्मचारी भी सड़क पर उतर आए। बाहरी राज्यों से आने वाली बसों को परवाणू में रोकने की कोशिश की गई, लेकिन ये बसें प्रदेश भर में करीब 500 रूटों पर दौड़ती रहीं।

GS-Bali-HP-Transport-Minister

दो दिन यानी 14 व 15 जून के लिए एचआरटीसी की वोल्वो बसों की 70 लाख रुपए की बुकिंग भी निगम प्रबंधन को कैंसिल करनी पड़ी है। हालांकि कई सैलानियों ने हड़ताल की सूचना मिलने के बाद खुद ही बुकिंग कैंसिल करवा दी थी। काउंटर बुकिंग व ऑनलाइन बुकिंग करवाने वाले यात्रियों को निगम प्रबंधन जल्द ही सारे पैसे लौटाएगा। निगम प्रबंधन के मुताबिक जिन लोगों ने काउंटरों पर एडवांस बुकिंग करवाई है, ऐसे यात्रियों को संबंधित काउंटर पर ही टिकट दिखाने पर पैसे लौटाए जाएंगे, जबकि ऑनलाइन बुकिंग करने वाले यात्रियों के खाते में 7 से 10 दिनों में पैसा आ जाएगा।

HRTC-Workers-Protest

बाहरी राज्यों के 700 रूट प्रभावित

हिमाचल पथ परिवहन निगम की बसें प्रदेश सहित बाहरी राज्यों में चलती हैं। कुल 2600 रूट्स में से सात सौ रूट्स बाहरी राज्यों हरियाणा, पंजाब, दिल्ली व राजस्थान के हैं। परिवहन कर्मियों ने हड़ताल का समय भी वो चुना, जब प्रदेश में तीन दिन का अवकाश खत्म हो रहा था। सेकेंड सेटरडे, संडे व मंडे को लोकल होलीडे होने के बाद बड़ी संख्या में कर्मचारी व अन्य लोग घरों को गए थे।

HRTC.-Protest

मंगलवार को हड़ताल के कारण उन्हें भारी परेशानी झेलनी पड़ी। प्रदेश व प्रदेश के बाहर सरकारी बसों में रोजाना 4 लाख से अधिक लोग सफर करते हैं। पर्यटन कारोबार को अलग से नुकसान हुआ है। हिमाचल आने वाले सैलानियों की रोजाना की संख्या बीस हजार से अधिक होती है। अकेले वोल्वो बसों की बुकिंग रद्द होने से हिमाचल में एक ही दिन में 2500 सैलानी नहीं आ पाए। हिमाचल के विभिन्न हिस्सों सहित बाहरी राज्य के लिए रोजाना 52 वोल्वो बसें आती-जाती हैं, लेकिन हड़ताल के कारण वोल्वो बसें भी खड़ी रही।

Old-ISBT-Shimla

एचआरटीसी के प्रबंध निदेशक अशोक तिवारी के अनुसार हड़ताल के कारण निगम को एक ही दिन में 2 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। उधर, हिमाचल पथ परिवहन निगम कर्मचारी संयुक्त समन्वय समिति के पदाधिकारी शंकर सिंह के अनुसार प्रबंधन उनकी जायज मांगों को मानने में टालमटोल करता रहा है।

कर्मचारियों को समय पर ओवरटाइम, रात्रि भत्ता, छुट्टियां नहीं मिलती हैं। चालकों-परिचालकों की कमी दूर नहीं हो रही। इसके अलावा परिवहन निगम को रोडवेज का दर्जा दिया जाना चाहिए। रिटायर कर्मियों को पेंशन व अन्य वित्तीय लाभ भी समय पर नहीं मिलते।

हाईकोर्ट ने तलब की हड़ताली कर्मचारियों की सूची

हिमाचल हाईकोर्ट ने आदेशों की धज्जियां उड़ाने पर एचआरटीसी के उन तमाम कर्मचारियों की सूची तलब की है, जो हड़ताल में शामिल थे। कोर्ट ने एचआरटीसी कर्मचारी संयुक्त समन्वयन समिति के अध्यक्ष पवन गुलेरिया, उपाध्यक्ष यशपाल सुल्तानपुरी, सचिव नील कमल गुप्ता, प्रवक्ता पृथ्वीराज कैथ, कोषाध्यक्ष ब्रिज लाल शर्मा और कार्यकारी सदस्य हरदयाल सिंह को प्रथम दृष्टया कोर्ट के आदेशों की अवमानना का दोषी पाते हुए कारण बताओ नोटिस जारी किया है।

हाईकोर्ट ने यह आदेश कम्युनिटी इनिशिएटिव ट्रस्ट की तरफ से दाखिल अवमानना याचिका की सुनवाई पर दिए। न्यायमूर्ति तरलोक चौहान व न्यायमूर्ति संदीप शर्मा की खंडपीठ ने हड़ताल पर गये एचआरटीसी कर्मचारियों को मंगलवार शाम तक अपनी हड़ताल वापिस लेने के आदेश देते हुए उन्हें चेतावनी दी है कि यदि वे फिर भी कोर्ट के स्थगन आदेश के बावजूद अपनी हड़ताल जारी रखते हैं तो उनके खिलाफ पहले ही की गयी कोर्ट की अवमाना को और अधिक सख्त बनाने पर आपराधिक मामले चलाये जाएंगे।

20 जून को होगी सुनवाई
अवमानना याचिका की सुनवाई के दौरान पाया कि एचआरटीसी कर्मचारियों ने प्रथम दृष्टया कोर्ट के आदेशों की अवमानना की है इसलिए पहले इन्हें हड़ताल को तुरंत वापस लेकर खुद को कोर्ट की अवमानना की कार्यवाही से बाहर निकालना होगा। अवमानना याचिका की सुनवाई पर अगली सुनवाई मुख्य मामले की सुनवाई के साथ 20 जून को निर्धारित की गई है।

हड़ताल पर रोक लगाते हुए ये कहा था हाईकोर्ट ने
कोई भी कानून कर्मचारियों को मांगें मनवाने के लिए हड़ताल पर जाने की इजाजत नहीं देता
सरकार और एचआरटीसी प्रशासन कर्मचारियों से बात कर तर्कसंगत मांगों को सुलझाए

With Inputs from Amar Ujala

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हिमाचल की तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर लगे 76,000 से अधिक सेब के पौधे

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nauni university himachal pradesh

शिमला- डॉ यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के विस्तार शिक्षा निदेशालय में पहाड़ी कृषि एवं ग्रामीण विकास एजेंसी(हार्प), शिमला द्वारा एक अनुभव-साझाकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया।

इस कार्यशाला में जिला किन्नौर के निचार विकास खंड के रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों के 34 किसानों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर जीएम नाबार्ड डॉ. सुधांशु मिश्रा मुख्य अतिथि रहे जबकि नौणी विवि के अनुसंधान निदेशक डॉ रविंदर शर्मा ने विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत की।

संस्था के अध्यक्ष डॉ. आर एस रतन ने कहा कि यह कार्यक्रम एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना के तहत रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों में वर्ष 2014 से आयोजित किया जा रहा है। परियोजना को नाबार्ड द्वारा वित्त पोषित किया गया है और इसे हार्प द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।

उन्होंने यह बताया कि यह एक बागवानी आधारित आजीविका कार्यक्रम है जिसे किसानों की भागीदारी से लागू किया गया है। इन तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर 76,000 से अधिक सेब के पौधे लगाए गए हैं और 607 परिवार लाभान्वित हुए हैं।

डॉ. सुधांशु मिश्रा ने यह भी कहा कि नाबार्ड हमेशा सामाजिक-आर्थिक उत्थान कार्यक्रमों के संचालन में आगे रहा है। उन्होंने इस कार्यशाला में भाग लेने वाले किसानों से अपने सहयोग से विभिन्न कार्यक्रमों को सफल बनाने का आग्रह किया।

अनुसंधान निदेशक डॉ. रविंदर शर्मा और विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. दिवेंद्र गुप्ता ने नाबार्ड और हार्प के प्रयासों की सराहना की और किसानों को आश्वासन दिया कि विश्वविद्यालय किसानों को तकनीकी रूप से समर्थन देने के लिए हमेशा तैयार है।

डॉ. नरेद्र कुमार ठाकुर ने कहा कि हार्प ने कृषक समुदाय के समन्वय से दुर्गम क्षेत्रों में कठिन परिस्थितियों में काम किया है। इस अवसर पर एक किसान-वैज्ञानिक परिचर्चा का भी आयोजन किया गया जिसमें भाग लेने वाले किसानों के तकनीकी प्रश्नों को संबोधित किया गया।

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हिमाचल सरकार पुलिसकर्मियों का कर रही है शोषण

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hp police

पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है,कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है,राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है,हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।

शिमला सीटू राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। कमेटी ने यह कहा है कि वह हिमाचल प्रदेश के पुलिसकर्मियों की मांगों का पूर्ण समर्थन करती है। आरोप लगाते हुए सीटू ने कहा है कि प्रदेश सरकार पुलिसकर्मियों का शोषण कर रही है।

राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार से यह मांग की है कि वर्ष 2013 के बाद नियुक्त पुलिसकर्मियों को पहले की भांति 5910 रुपये के बजाए 10300 रुपये संशोधित वेतन लागू किया जाए व उनकी अन्य सभी मांगों को बिना किसी विलंब के पूरा किया जाए।

सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में भी कर्मचारियों की प्रमुख मांगों को अनदेखा किया गया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में पुलिसकर्मियों की मांगों को पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया है।

सीटू कमेटी ने कहा कि सबसे मुश्किल डयूटी करने वाले व चौबीस घण्टे डयूटी में कार्यरत पुलिसकर्मियों को इस बैठक से मायूसी ही हाथ लगी है। इसी से आक्रोशित होकर पुलिसकर्मी मुख्यमंत्री आवास पहुंचे थे। उनके द्वारा पिछले कुछ दिनों से मैस के खाने के बॉयकॉट से उनकी पीड़ा का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि पुलिस कर्मियों के साथ ही सभी सरकारी कर्मचारी नवउदारवादी नीतियों की मार से अछूते नहीं है। कमेटी ने कहा कि पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है। कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।

कमेटी ने यह भी कहा है कि थानों में स्टेशनरी के लिए बेहद कम पैसा है व आईओ को केस की पूरी फ़ाइल का सैंकड़ों रुपये का खर्चा अपनी ही जेब से करना पड़ता है। थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है। मैस मनी केवल दो सौ दस रुपये महीना है जबकि मैस में पूरा महीना खाना खाने का खर्चा दो हज़ार रुपये से ज़्यादा आता है। यह प्रति डाइट केवल साढ़े तीन रुपये बनता है, जोकि पुलिस जवानों के साथ घोर मज़ाक है। यह स्थिति मिड डे मील के लिए आबंटित राशि से भी कम है।

उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के जमाने के बने बहुत सारे थानों की स्थिति खंडहर की तरह प्रतीत होती है जहां पर कार्यालयों को टाइलें लगाकर तो चमका दिया गया है परन्तु कस्टडी कक्षों,बाथरूमों,बैरकों,स्टोरों,मेस की स्थिति बहुत बुरी है। इन वजहों से भी पुलिस जवान भारी मानसिक तनाव में रहते हैं।

सीटू ने कहा कि पुलिस में स्टाफ कि बहुत कमी है या यूं कह लें कि बेहद कम है व कुल अनुमानित नियुक्तियों की तुलना में आधे जवान ही भर्ती किये गए हैं जबकि प्रदेश की जनसंख्या पहले की तुलना में काफी बढ़ चुकी है यहाँ तक पुलिस के पास रिलीवर भी नहीं है।

आरोप लगाते हुए कमेटी ने कहा कि प्रदेश की राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है। वहीं पुलिस कर्मी निरन्तर ओवरटाइम डयूटी करते हैं। इसकी एवज में उन्हें केवल एक महीना ज़्यादा वेतन दिया जाता है। इस से प्रत्येक पुलिसकर्मी को वर्तमान वेतन की तुलना में दस से बारह हज़ार रुपये का नुकसान उठाना पड़ता है। उन्हें लगभग नब्बे साप्ताहिक अवकाश,सेकंड सैटरडे,राष्ट्रीय व त्योहार व अन्य छुट्टियों के मुकाबले में केवल पन्द्रह स्पेशल लीव दी जाती है।

सीटू कमेटी ने यह भी कहा कि वर्ष 2007 में हिमाचल प्रदेश में बने पुलिस एक्ट के पन्द्रह साल बीतने पर भी नियम नहीं बन पाए हैं। इस एक्ट के अनुसार पुलिसकर्मियों को सुविधा तो दी नहीं जाती है परन्तु कर्मियों को दंडित करने के लिए इसके प्रावधान बगैर नियमों के भी लागू किये जा रहे हैं जिसमें एक दिन डयूटी से अनुपस्थित रहने पर तीन दिन का वेतन काटना भी शामिल है। पुलिसकर्मियों की प्रोमोशन में भी कई विसंगतियां हैं व इसका टाइम पीरियड भी बहुत लंबा है। हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।

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किन्नौर में लापता पर्यटकों में से 2 और के शव बरामद, 2 की तालाश जारी,आभी तक कुल 7 शव बरामद

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kinnaur trekker deaths

शिमला रिकोंगपिओ में 14 अक्तुबर को उत्तरकाशी के हर्षिल से छितकुल की ट्रैकिंग पर निकले 11 पर्यटकों में से लापता चार पर्वतारोहीयों में से दो  पर्वतारोहियों के शवो को आई.टी.बी.पी व पुलिस दल द्वारा पिछले कल सांगला लाया गया था जहां सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सांगला में दोनों शवों का पोस्टमार्टम किया गया।

यह जानकारी देते हुए उपायुक्त किन्नौर अपूर्व देवगन ने बताया कि इन दोनों की पहचान कर ली गई है जिनमे मे एक उतरकाशी व दूसरा पश्चिम बंगाल से सम्बंधित था।

उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन किन्नौर द्वारा आज एक शव वाहन द्वारा उतरकाशी को भेज दिया गया है जहाँ शव को जिला प्रशासन उतरकाशी को सौंपा जाएगा। जब कि दूसरा शव वाहन द्वारा शिमला भेजा गया है जिसे शिमला में मृतक के परिजनों को सौंपा जायेगा।

उपायुक्त अपूर्व देवगन ने बताया कि अभी भी लापता दो  पर्यटकों की तलाश आई.टी.बी.पी के जवानों द्वारा जारी है। उल्लेखनीय है कि गत दिनों उतरकाशी से छितकुल के लिये 11 पर्वतारोही ट्रेकिंग पर निकले थे जो बर्फबारी के कारण लमखंगा दर्रे में फंस गये थे जिसकी सूचना मिलने पर जिला प्रशासन द्वारा सेना के हेलीकॉप्टर व आई.टी.बी.पी के जवानों की सहायता से राहत व बचाव कार्य आरम्भ किया था। सेना व आई.टी.बी.पी के जवानों ने 21 अक्टूबर को दो पर्यटकों को सुरक्षित ढूंढ निकाला था। इसी दौरान उन्हें अलग अलग स्थानों पर पाँच ट्रेकरों के शव ढूंढ निकलने में सफलता मिली थी। जबकि 4 पर्यटक लापता थे जिसमे से राहत व बचाव दल को 22 अक्तुबर को 2 शव ढूढ़ निकालने में सफलता मिली थी। अभी भी दो पर्यटक लापता हैं जिनकी राहत व बचाव दल द्वारा तलाश जारी है।

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