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चम्बा की कौशल्या ने की मिसाल कायम, 31साल से गांव-गांव घूमकर चला रही मातृत्व सुरक्षा मिशन
चम्बा- कौशल्या की उम्र गांव-गांव घूमकर मातृत्व की सुरक्षा के लिए उपाय करने की नहीं रही लेकिन इसके बावजूद वह तमाम परेशानियों के बावजूद बीते 31 साल से चम्बा जिले के गांवों की महिलाओं को स्वास्थय सुविधाएं मुहैया कराने के मिशन में जुटी हैं। कौशल्या मुख्य रूप से प्रसव, बाल स्वास्थ्य सेवा, अंतर्गर्भाशयी गर्भनिरोधक साधन और गर्भनिरोध से जुड़े अन्य साधनों को महिलाओं तक पहुंचाने का काम कर रही हैं।
58 साल की कौशल्या कालसुइन उप स्वास्थय केंद्र में कार्यरत हैं। यह चम्बा से 17 किलोमीटर दूर है। वह इस दुरुह स्थान पर बीते 28 साल से कार्यरत हैं। कौशल्या ने कहा कि, “यह अंत: प्रेरणा और अंतर्रात्मा की आवाज है, जो मुझे प्रसव पीड़ा से जूझ रही महिलाओं को मदद पहुंचाने के लिए मुझे बाध्य करती है। मुझे दफ्तर का काम खत्म होने के बाद भी काम करने में कोई परहेज नहीं। खराब मौसम भी कभी मेरी राह में आड़े नहीं आता। मैं 24 घंटे मातृत्व सम्बंधी स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लिए तैयार रहती हूं। ”
अपनी नौकरी के दौरान कौशल्या ने 3000 से अधिक प्रसव कराए हैं। साथ ही वह इससे कहीं अधिक प्रसव सम्बंधी कार्य कर चुकी हैं। खास बात यह है कि कौशल्या ने जितने भी मामलों में हाथ लगाया है, वहां उन्हें 100 फीसदी सफलता मिली है और एक भी मामले में जच्चा या बच्चा की मौत नहीं हुई है और न ही कोई गर्भपात हुआ है।
कई मौकों पर कौशल्या ने ऐसे हालात का भी सामना किया है, जहां कन्या भ्रूण हत्या के लएि जोर दिया गया लेकिन कौशल्या ने साहस के साथ ऐसे लोगों को समझाया है। कौशल्या के अथक प्रयासों का नतीजा है कि छोटे और मझौले किसानों से युक्त इस इलाके में राज्य सरकार ने चुरी प्रखंड में स्थित कालसुइन उप स्वास्थ्य केंद्र को राज्य के एकमात्र ‘प्रसव केंद्र’ का दर्जा दिया है। राज्य सरकार ने महिला प्रजनन स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए यह कदम उठाया है।
इस केंद्र में पांच बिस्तर हैं। यहां एक प्रसव कक्ष भी है और एक बेबी केयर रूम भी है। यहां एक महिला एवं एक पुरुष स्वास्थय कर्मी कार्यरत हैं। कौशल्या के मुताबिक बीते एक दशक में उन्होंने 2500 से अधिक प्रसव किए हैं तथा जनसंख्या नियंत्रण के लिए महिलाओं के अंदर 257 अंतर्गर्भाशयी गर्भनिरोधक साधन स्थापित किए हैं। कौशल्या का उप स्वास्थय केंद्र 18 गावों के 2000 लोगों को सेवाएं उपलब्ध कराता है।
अधिकांश समय में कौशल्या इस केंद्र पर कार्यरत एकमात्र स्वास्थयकर्मी होती हैं। यहां एक पुरुष स्वास्थय कर्मी की भी नियुक्ति का प्रावधान है लेकिन यहां कोई महिला रोग विशेषज्ञ या फिर बाल रोग विशेषज्ञ की नियुक्ति नहीं होती। कौशल्या ने यहां कई आपातकालीन मामलों को सफलतापूर्वक निपटाया है क्योंकि इस केंद्र में नियुक्त विशेषज्ञों को समय-समय पर यहां से हटा लिया जाता है।
इस साल दिसम्बर में सेवानिवृत हो रहीं कौैशल्या ने कहा, “मैंने यहां प्रसव से पूर्व और प्रसव के बाद के सभी काम बखूबी किए हैं।” साल 1985 में कौशल्या ने महिला स्वास्थ्य कर्मी के तौर पर राज्य स्वास्थ्य विभाग में काम शुरू किया था। शुरुआत में वह चम्बा जिले के बारमोर प्रखंड के डाल्ली में कार्यरत थीं।
तीन साल बाद कौशल्या को कालसुइन स्थानांतरित कर दिया गया। उस समय यहां का उप स्वास्थ्य केंद्र पंचायत की इमारत में था। इस केंद्र में मूलभूत सुविधाओं की कमी थी। कौशल्या ने तमाम कोशिशों के बाद इस स्वास्थ केंद्र को उपकरणों और सुविधाओं से सुसज्जित किया। बाद में यह स्वास्थ्य केंद्र नई इमारत में स्थानांतरित किया।
हिंदुस्तान लेटेक्स फेमिली प्लानिंग प्रोमोशन ट्रस्ट ने कौशल्या को प्रसव और बाल स्वास्थ्य सेवा के लिए प्रशिक्षित किया है। 1995 से कौशल्या ने घरों में जाकर प्रसव और बाल स्वास्थ्य सेवा का काम शुरू किया। 2005 से कौशल्या अपने उप केंद्र में प्रसव का काम देख रही हैं। राज्य सरकार ने कौशल्या के काम को पहचान देते हुए उन्हें 2010 में जिला स्तरीय पुरस्कार दिया और फिर 2011 में राज्य स्तरीय पुरस्कार से नवाजा।
हिमाचल प्रदेश देश का एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां 2011 की जनगणना के मुताबिक 89.96 प्रतिशत लोग आज भी गावों में रहते हैं। कौशल्या के काम को समझने के लिए किसी को काम्पट्रोलर एंड आडिटर जनरल ऑफ इंडिया की ताजातरीन रिपोर्ट को पढ़ने की जरूरत है, जिसमें कहा गया है कि स्वास्थय सेवा मुहैया कराने की दिशा में हिमाचल की स्थिति इतनी खराब है कि राष्ट्रीय ग्राणी स्वास्थ्य मिशन के तहत इसके 84 फीसदी प्राथमिक स्वास्थय केंद्रों में 24 घंटे प्रसव सुविधा नहीं है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य के 500 स्वास्थ्य केंद्रों में से 308 में प्रसव कक्ष नहीं है और 493 केंद्रों पर नवजात की देखभाल के लिए सुविधा नहीं है। 2010-2015 के दौरान राज्य में कुल 668,442 महिलाओं के गर्भवती होने का पंजीकरण कराया गया था। इनमें से 53 फीसदी (354,022) को ही सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में उपयुक्त प्रसव सेवा मिल सकी जबकि लक्ष्य 70 फीसदी (467.909) का रखा गया था।
Photo: Himachal Watcher/The Hans India
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हिमाचल की तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर लगे 76,000 से अधिक सेब के पौधे
शिमला- डॉ यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के विस्तार शिक्षा निदेशालय में पहाड़ी कृषि एवं ग्रामीण विकास एजेंसी(हार्प), शिमला द्वारा एक अनुभव-साझाकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस कार्यशाला में जिला किन्नौर के निचार विकास खंड के रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों के 34 किसानों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर जीएम नाबार्ड डॉ. सुधांशु मिश्रा मुख्य अतिथि रहे जबकि नौणी विवि के अनुसंधान निदेशक डॉ रविंदर शर्मा ने विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत की।
संस्था के अध्यक्ष डॉ. आर एस रतन ने कहा कि यह कार्यक्रम एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना के तहत रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों में वर्ष 2014 से आयोजित किया जा रहा है। परियोजना को नाबार्ड द्वारा वित्त पोषित किया गया है और इसे हार्प द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
उन्होंने यह बताया कि यह एक बागवानी आधारित आजीविका कार्यक्रम है जिसे किसानों की भागीदारी से लागू किया गया है। इन तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर 76,000 से अधिक सेब के पौधे लगाए गए हैं और 607 परिवार लाभान्वित हुए हैं।
डॉ. सुधांशु मिश्रा ने यह भी कहा कि नाबार्ड हमेशा सामाजिक-आर्थिक उत्थान कार्यक्रमों के संचालन में आगे रहा है। उन्होंने इस कार्यशाला में भाग लेने वाले किसानों से अपने सहयोग से विभिन्न कार्यक्रमों को सफल बनाने का आग्रह किया।
अनुसंधान निदेशक डॉ. रविंदर शर्मा और विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. दिवेंद्र गुप्ता ने नाबार्ड और हार्प के प्रयासों की सराहना की और किसानों को आश्वासन दिया कि विश्वविद्यालय किसानों को तकनीकी रूप से समर्थन देने के लिए हमेशा तैयार है।
डॉ. नरेद्र कुमार ठाकुर ने कहा कि हार्प ने कृषक समुदाय के समन्वय से दुर्गम क्षेत्रों में कठिन परिस्थितियों में काम किया है। इस अवसर पर एक किसान-वैज्ञानिक परिचर्चा का भी आयोजन किया गया जिसमें भाग लेने वाले किसानों के तकनीकी प्रश्नों को संबोधित किया गया।
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हिमाचल सरकार पुलिसकर्मियों का कर रही है शोषण
पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है,कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है,राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है,हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।
शिमला सीटू राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। कमेटी ने यह कहा है कि वह हिमाचल प्रदेश के पुलिसकर्मियों की मांगों का पूर्ण समर्थन करती है। आरोप लगाते हुए सीटू ने कहा है कि प्रदेश सरकार पुलिसकर्मियों का शोषण कर रही है।
राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार से यह मांग की है कि वर्ष 2013 के बाद नियुक्त पुलिसकर्मियों को पहले की भांति 5910 रुपये के बजाए 10300 रुपये संशोधित वेतन लागू किया जाए व उनकी अन्य सभी मांगों को बिना किसी विलंब के पूरा किया जाए।
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में भी कर्मचारियों की प्रमुख मांगों को अनदेखा किया गया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में पुलिसकर्मियों की मांगों को पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया है।
सीटू कमेटी ने कहा कि सबसे मुश्किल डयूटी करने वाले व चौबीस घण्टे डयूटी में कार्यरत पुलिसकर्मियों को इस बैठक से मायूसी ही हाथ लगी है। इसी से आक्रोशित होकर पुलिसकर्मी मुख्यमंत्री आवास पहुंचे थे। उनके द्वारा पिछले कुछ दिनों से मैस के खाने के बॉयकॉट से उनकी पीड़ा का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि पुलिस कर्मियों के साथ ही सभी सरकारी कर्मचारी नवउदारवादी नीतियों की मार से अछूते नहीं है। कमेटी ने कहा कि पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है। कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।
कमेटी ने यह भी कहा है कि थानों में स्टेशनरी के लिए बेहद कम पैसा है व आईओ को केस की पूरी फ़ाइल का सैंकड़ों रुपये का खर्चा अपनी ही जेब से करना पड़ता है। थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है। मैस मनी केवल दो सौ दस रुपये महीना है जबकि मैस में पूरा महीना खाना खाने का खर्चा दो हज़ार रुपये से ज़्यादा आता है। यह प्रति डाइट केवल साढ़े तीन रुपये बनता है, जोकि पुलिस जवानों के साथ घोर मज़ाक है। यह स्थिति मिड डे मील के लिए आबंटित राशि से भी कम है।
उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के जमाने के बने बहुत सारे थानों की स्थिति खंडहर की तरह प्रतीत होती है जहां पर कार्यालयों को टाइलें लगाकर तो चमका दिया गया है परन्तु कस्टडी कक्षों,बाथरूमों,बैरकों,स्टोरों,मेस की स्थिति बहुत बुरी है। इन वजहों से भी पुलिस जवान भारी मानसिक तनाव में रहते हैं।
सीटू ने कहा कि पुलिस में स्टाफ कि बहुत कमी है या यूं कह लें कि बेहद कम है व कुल अनुमानित नियुक्तियों की तुलना में आधे जवान ही भर्ती किये गए हैं जबकि प्रदेश की जनसंख्या पहले की तुलना में काफी बढ़ चुकी है यहाँ तक पुलिस के पास रिलीवर भी नहीं है।
आरोप लगाते हुए कमेटी ने कहा कि प्रदेश की राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है। वहीं पुलिस कर्मी निरन्तर ओवरटाइम डयूटी करते हैं। इसकी एवज में उन्हें केवल एक महीना ज़्यादा वेतन दिया जाता है। इस से प्रत्येक पुलिसकर्मी को वर्तमान वेतन की तुलना में दस से बारह हज़ार रुपये का नुकसान उठाना पड़ता है। उन्हें लगभग नब्बे साप्ताहिक अवकाश,सेकंड सैटरडे,राष्ट्रीय व त्योहार व अन्य छुट्टियों के मुकाबले में केवल पन्द्रह स्पेशल लीव दी जाती है।
सीटू कमेटी ने यह भी कहा कि वर्ष 2007 में हिमाचल प्रदेश में बने पुलिस एक्ट के पन्द्रह साल बीतने पर भी नियम नहीं बन पाए हैं। इस एक्ट के अनुसार पुलिसकर्मियों को सुविधा तो दी नहीं जाती है परन्तु कर्मियों को दंडित करने के लिए इसके प्रावधान बगैर नियमों के भी लागू किये जा रहे हैं जिसमें एक दिन डयूटी से अनुपस्थित रहने पर तीन दिन का वेतन काटना भी शामिल है। पुलिसकर्मियों की प्रोमोशन में भी कई विसंगतियां हैं व इसका टाइम पीरियड भी बहुत लंबा है। हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।
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किन्नौर में लापता पर्यटकों में से 2 और के शव बरामद, 2 की तालाश जारी,आभी तक कुल 7 शव बरामद
शिमला रिकोंगपिओ में 14 अक्तुबर को उत्तरकाशी के हर्षिल से छितकुल की ट्रैकिंग पर निकले 11 पर्यटकों में से लापता चार पर्वतारोहीयों में से दो पर्वतारोहियों के शवो को आई.टी.बी.पी व पुलिस दल द्वारा पिछले कल सांगला लाया गया था जहां सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सांगला में दोनों शवों का पोस्टमार्टम किया गया।
यह जानकारी देते हुए उपायुक्त किन्नौर अपूर्व देवगन ने बताया कि इन दोनों की पहचान कर ली गई है जिनमे मे एक उतरकाशी व दूसरा पश्चिम बंगाल से सम्बंधित था।
उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन किन्नौर द्वारा आज एक शव वाहन द्वारा उतरकाशी को भेज दिया गया है जहाँ शव को जिला प्रशासन उतरकाशी को सौंपा जाएगा। जब कि दूसरा शव वाहन द्वारा शिमला भेजा गया है जिसे शिमला में मृतक के परिजनों को सौंपा जायेगा।
उपायुक्त अपूर्व देवगन ने बताया कि अभी भी लापता दो पर्यटकों की तलाश आई.टी.बी.पी के जवानों द्वारा जारी है। उल्लेखनीय है कि गत दिनों उतरकाशी से छितकुल के लिये 11 पर्वतारोही ट्रेकिंग पर निकले थे जो बर्फबारी के कारण लमखंगा दर्रे में फंस गये थे जिसकी सूचना मिलने पर जिला प्रशासन द्वारा सेना के हेलीकॉप्टर व आई.टी.बी.पी के जवानों की सहायता से राहत व बचाव कार्य आरम्भ किया था। सेना व आई.टी.बी.पी के जवानों ने 21 अक्टूबर को दो पर्यटकों को सुरक्षित ढूंढ निकाला था। इसी दौरान उन्हें अलग अलग स्थानों पर पाँच ट्रेकरों के शव ढूंढ निकलने में सफलता मिली थी। जबकि 4 पर्यटक लापता थे जिसमे से राहत व बचाव दल को 22 अक्तुबर को 2 शव ढूढ़ निकालने में सफलता मिली थी। अभी भी दो पर्यटक लापता हैं जिनकी राहत व बचाव दल द्वारा तलाश जारी है।
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