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निगम शिमला शहर को दे रहा सिर्फ 15 दिन पानी, पर बिल फ्लैट रेट के अनुसार 30 दिन का: कांग्रेस

निगम पीलिया प्रभावित क्षेत्रों मे पानी के पूरे बिल माफ करे व जिन क्षेत्रों मे पीलिया का प्रभाव कम है व जहां 15 दिन ही पानी उपलब्ध करवाया जा रहा है उन क्षेत्रों मे पानी के बिल आधा करने का प्रावधान करे।
शिमला- शिमला नगर निगम द्वारा शिमला की जनता को नियमित रूप से रोजाना पानी उपलब्ध नहीं करवाया जा रहा है।पिछले काफी समय से जनता को एक दिन छोड़ कर पानी मिल रहा है। ये कहना है जिला कॉंग्रेस कमेटी शिमला शहरी के प्रवक्ता दीपक सुंदरियाल का उन्होंने कहा कि नगर निगम शहरवासियों को 15 दिन पानी मुहिया करवा रहा है लेकिन फ्लैट रेट के अनुसार 30 दिन का बिल जनता को देना होगा जो की अनुचित है।
सुंदरियाल ने कहा की एक ओर आम शहरी दूषित पानी की समस्या से जूझ रहा है उस पर कम पानी मिलना और उसका भी पूरा पैसा चुकाना ये तर्क संगत नहीं है। जिला कॉंग्रेस कमेटी ये मांग करती है कि शहर वासियों के पानी के बिलो को आधा किया जाए और यदि 15 दिन उन्हे पानी दिया जा रहा है तो पानी का बिल भी 15 दिनो के हिसाब से लिया जाये।
कॉंग्रेस कमेटी प्रवक्ता ने कहा कि पीलिया की समस्या से सभी शहर वासियों को एक जुट होकर लड़ना होगा। इस पर सियासी रोटियाँ सेकने की बजाय बेहतर है की शहर वासियों की समस्यों को गंभीरता से निगम सुने व उसका निदान करने मे तेजी दिखाये।
कमेटी प्रवक्ता का कहना है कि विपक्ष जगह-जगह जनता को जागरूक करने के नाम पर मुद्दे को राजनीतिक रंग देने की फिराक मे लोगो को गुमराह करने की कोशिश कर रहा है। शिमला की जनता पढ़ी लिखी है और वो भी यह जानते है कि हवन करके पीलिया का निदान नहीं होता उसके लिए दूषित पानी की सफाई का इंतजाम करना होगा और जनता को दूषित हवा व पानी से फेलने वाले रोगो से बचने के उपाए भी समझने होंगे।
दीपक सुंदरियाल का ये भी कहना है कि विपक्षी दलो द्वारा बाटे गए पर्चो मे पीलिया से बचने के उपाए से ज्यादा विपक्ष अपनी सफाई देता नजर आ रहा है। ये पहली मर्तबा नहीं है की शहर मे दूषित पानी से कोई रोग फेला है।
जिला कमेटी शिमला के प्रवक्ता ने कहा कि नगर निगम टंकी की सफाई का भी अतिरिकित आर्थिक बोझ आम जनता पर ही डाल रहा है जो की अनुचित है और दूषित पानी की समस्या के लिए जनता ज़िम्मेवार नहीं है उस पर तर्कहीन फरमान जारी करना ठीक नहीं है। जनता पहले ही बीमारी से त्रस्त है और लोगो को बेवजह अस्पताल के चक्कर काटने पड़ रहे है। लोगो को टंकी की सफाई भी खुद ही करवानी पड़ रही है जो की अनुचित है।
सुंदरियालका का कहना है कि जिला कॉंग्रेस कमेटी शिमला शहरी ये मांग करती है कि निगम पीलिया प्रभावित क्षेत्रों मे पानी के पूरे बिल माफ करे व जिन क्षेत्रों मे पीलिया का प्रभाव कम है व जहां 15 दिन ही पानी उपलब्ध करवाया जा रहा है उन क्षेत्रों मे पानी के बिल आधा करने का प्रावधान करे।
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मंडी जिला में एक निजी गौशाला में गाय की संदिग्ध मौत, अमानवीय कृत्य का आरोप

मंडी: सुंदरनगर उपमंडल के तहत आने वाली भौर पंचायत में 3 फरवरी को निजी गौशाला में एक गाय की संदिग्ध हालत में मृत्यु का मामला सामने आया है। आरोप है कि गाय के साथ पहले कुकर्म जैसे अमानवीय कृत्य को अंजाम दिया गया और उसके बाद गाय की हत्या कर दी गई। पूरे इलाके के लोग इस इस जघन्य अपराध से हैरान हैं।
जानकारी के अनुसार हलेल गांव निवासी रामकृष्ण की गौशाला में दिल को झकझोर करने वाली इस घटना को अंजाम दिया गया है। गाय के पिछले पैर रस्सी से बंधे हुए थे। गौशाला में गाय के साथ उसका छोटा बछड़ा भी बंधा था, जिसे किसी तरह का कोई नुक्सान नहीं पहुंचाया गया है। रामकृष्ण के बेटे तरुण ने सुबह गौशाला का दरवाजा खोला तो उसने गाय को फर्श पर पड़े देखा और गाय के मुंह से झाग निकली हुई थी। गाय का गला किसी ने मजबूती से लकड़ी के पिलर के साथ रस्सी मजबूती से बांध कर घोंट दिया था। रामकृष्ण ने गाय के साथ अमानवीय कृत्य के आरोप लगाते हुए आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग उठाई है।
मंडी जिला के धनोटू थाना के तहत यह मामला सामने आया है। घटना की सूचना मिलने के बाद थाना की टीम ने मामला दर्ज कर आगामी कार्रवाई शुरू कर दी है। फोरेंसिक टीम ने घटना स्थल पर कईं साक्ष्य जुटाएं हैं। वहीं पशुपालन विभाग द्नारा गाय का पोस्टमार्टम करने के उपरांत वेटनरी डॉक्टरों ने आगामी परीक्षण के लिए सैंपल पुलिस टीम को सौंप दिए हैं। BNS की धारा 325 और पशु क्रूरता अधिनियम 1960 के तहत यह मामला दर्ज किया गया है।
पुलिस अधीक्षक मंडी साक्षी वर्मा ने मामले में जल्द कार्रवाई का भरोसा दिया है। उनका कहना है “मामले की जांच जारी है। जांच के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।”
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अब सरल फार्म भरकर आसानी से प्राकृतिक खेती से जुड़ सकेंगे हिमाचल के किसान

शिमला -हिमाचल सरकार ने विधायक प्राथमिकता बैठक के दौरान राज्य में प्राकृतिक खेती में किसानों के पंजीकरण के लिए सरल फार्म लांच किया है। सरकार के अनुसार किसान ऑनलाइन या ऑफलाइन माध्यम से यह फार्म भर सकेंगे।
प्रदेश सरकार द्वारा जारी की गई जानकारी के अनुसार इच्छुक किसान अब इस फार्म को भरकर प्राकृतिक खेती से जुड़ सकते हैं। पंजीकरण फार्म में किसानों की भूमि, उगाई जाने वाली फसलों, पशुओं की नस्ल और प्राकृतिक खेती के प्रशिक्षण से संबंधित कुछ अन्य विवरण होंगे। यह फार्म प्रदेश की सभी पंचायतों में किसानों को वितरित किए जाएंगे। सरकार का कहना है कि इससे राज्य में वर्ष 2025-26 में प्राकृतिक खेती को और अधिक बढ़ावा मिलेगा।
आत्मा( ATMA) स्टाफ पंजीकृत फार्म का सत्यापन करेगा
कृषि एवं पशुपालन मंत्री चंद्र कुमार ने कहा कि आत्मा ( ATMA) स्टाफ किसानों द्वारा भरे गए फार्म का सत्यापन करेगा। उन्होंने कहा कि फार्म को PK3Y पोर्टल के सीटारा-एनएफ (प्राकृतिक खेती के कृषि संसाधन विशलेषण का प्रमाणित मूल्याकंन उपकरण) से जोड़ा जाएगा।
‘हिम भोग’ ब्रांड नाम से उपलब्ध है मक्की का आटा
जारी की गई जानकारी के अनुसार प्रदेश सरकार ने हाल ही में 1508 किसानों से 398.976 मीट्रिक टन प्राकृतिक रूप से उगाई गई मक्की 30 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से खरीदी है। प्रदेश, देश में मक्की पर सबसे अधिक न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रदान कर रहा है।
प्रदेश सरकार ने कहा कि आगामी सीजन में प्राकृतिक रूप से उत्पादित गेहूं की खरीद के लिए भी इसी तरह की प्रक्रिया अपनाई जाएगी, जिसका न्यूनतम समर्थन मूल्य 40 रुपये प्रति किलोग्राम निर्धारित किया गया है। लोगों को प्राकृतिक रूप से उत्पादित मक्की के आटे के एक किलोग्राम और पांच किलोग्राम के पैकेट ‘हिम भोग’ ब्रांड नाम से उपलब्ध करवाया जा रहा है।
प्रदेश सरकार ने कहा 1054 उचित मूल्य की दुकानों के माध्यम से 1 फरवरी, 2025 तक 38.225 मीट्रिक टन मक्की के आटे की बिक्री की गई है और हिमाचल प्रदेश राज्य नागरिक आपूर्ति निगम लिमिटेड की थोक इकाइयों के माध्यम से 73.52 मीट्रिक टन आटा बेचा गया है।
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बेटे ने दवा बताकर मां को लगा दी चिट्टे की लत, नशे के लिए बेच दिए गहने, बर्तन और पेड़

मंडी: हिमाचल प्रदेश में चिट्टे का जाल इस हद तक फैल चुका है कि कईं परिवार इसकी चपेट में आकर तबाह हो चुके है। चिट्टे की लत के कारण युवाओं के मां बाप से लड़ने झगड़ने ,चोरी-चकारी और तस्करी करने की खबरें आम हो चुकी हैं। पर अब एक चौंकानें वाला मामला सामने आया है जहां बेटे ने अपनी लत के चलते मां को ही चिट्टे की लत लगा दी।
सलापड़ क्षेत्र में एक ऐसा ही हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है जहां एक युवक ने घुटनों के दर्द की दवाई बताकर अपनी मां को चिट्टा देना शुरु किया। जब महिला को दर्द से राहत मिली तो उसने फिर से दवा की मांग की। इसी तरह बेटे ने अपनी मां को चिट्टे का आदि बना दिया। इसके बाद मां-बेटे ने नशे के लिए बार-बार रिश्तेदारों से उधार लेना शुरू कर दिया। हालात इतने बिगड़ गए है कि परिवार ने नशे के लिए गहने, बर्तन, यहां तक की पेड़ तक बेच दिए।
रिश्तेदारों ने भी एक वक्त के बाद उधार देने से मना कर दिया। रिश्तेदारों को मां-बेटे के व्यवहार पर शक होने लगा। रिश्तेदारों ने परिवार की शादीशुदा दो बेटियों को मां-बेटे के बारे में अवगत करवाया। अब परिवार की दोनों बेटियां अपनी मां और भाई को नशे की लत से बाहर निकालने की कोशिश में जुटी है।
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