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गुनहगार अफसरों को बचाने के लिए कोर्ट से झूठ बोल रही सरकार, पुलिस एसआईटी रिपोर्ट में भी कई खामियां: हाईकोर्ट

एसआईटी की रिपोर्ट में खामियां स्पष्ट करते हुए कहा कि इसमें न तो यह बताया गया है कि पानी लिफ्ट करने से जुड़ी तमाम प्रक्रिया में वर्ष 2007 से कौन-कौन अधिकारी या कर्मचारी तैनात थे और न ही यह बताया गया है कि उनको तलाशने एवं उनके विरुद्ध जांच करने के लिए क्या किया जा रहा है।
शिमला- प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि पीलिया मामले में अफसरों ने जो रिपोर्ट दी है उसमें सही जानकारी नहीं है। उन्होंने कोर्ट से झूठ बोला है। उनके खिलाफ केस चलना चाहिए। राज्य सरकार को पीलिया के कारण मौत के मुंह में समाए लोगों के परिजनों को अंतरिम राहत के तौर पर दो-दो लाख रुपए देने के आदेश दिए हैं।
मुख्य न्यायाधीश मंसूर अहमद मीर और न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान की खंडपीठ ने पीलिया मामले में कड़ा संज्ञान लेते हुए कोर्ट को गुमराह करने वाले आला अधिकारियों को दंडित करने के उद्देश्य से अलग-अलग मामले चलाने के भी आदेश पारित किए।
एसआईटी रिपोर्ट में खामियां
कोर्ट ने इस मामले की जांच में जुटी एसआईटी की रिपोर्ट में खामियां स्पष्ट करते हुए कहा कि इसमें न तो यह बताया गया है कि पानी लिफ्ट करने से जुड़ी तमाम प्रक्रिया में वर्ष 2007 से कौन-कौन अधिकारी या कर्मचारी तैनात थे और न ही यह बताया गया है कि उनको तलाशने एवं उनके विरुद्ध जांच करने के लिए क्या किया जा रहा है।
रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट नहीं है कि दूषित पानी पिलाने के गुनहगार अधिकारी कौन हैं। कोर्ट ने खेद जताया कि अभी तक यह भी स्पष्ट नहीं किया गया है कि दोषियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई अमल में लाई जा रही है या नहीं।
एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि केवल चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ही पानी चेक करते थे और उच्चाधिकारियों की पानी जांचने में कोई रुचि ही नहीं थी। नगर निगम के उच्च अधिकारियों ने भी पानी जांचने की जहमत नहीं उठाई।
ठेकेदार की पेमेंट रोकी
कोर्ट ने सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांटों की देखरेख के लिए रखे गए ठेकेदार अक्षय डोगर को 31 जनवरी तक जारी की जाने वाली बकाया राशि 99 लाख 45 हजार के भुगतान पर भी रोक लगा दी है।
कोर्ट ने नई स्टेटस रिपोर्ट दायर करने के आदेश देते हुए कहा कि कोर्ट के आदेशों की अनुपालना में सरकार ने क्या कदम उठाए हैं, इसके बारे में बताएं। पीलिया से मरने वाले और अन्य पीड़ितों का ब्योरा मांगा गया है।
कोर्ट ने यह भी पूछा है कि जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई अमल में लाई गई है या नहीं। प्रदेश के सभी जिला दंडाधिकारियों व पुलिस अधीक्षकों को आदेश दिए कि वे जनसाधारण को पीलिया के बारे में जागरूक करें व इससे बचने के उपाय बताएं।
शिक्षा सचिव को आदेश दिए हैं कि वह प्राथमिक शिक्षा से विश्वविद्यालय के छात्रों को स्वच्छ व मिनरल वाटर मुहैया करवाना सुनिश्चित करंे। प्रदेश में पर्याप्त स्वच्छ पानी मुहैया करवाने के लिए एक स्वतंत्र वैधानिक संस्थान गठित करने के आदेश दिए हैं। मामले पर अगली सुनवाई 2 मार्च को होगी।
सचिव साथियों को बचाने के लिए कोर्ट को कर रही गुमराह
कोर्ट ने आईपीएच विभाग की सचिव अनुराधा ठाकुर को झूठा वक्तव्य देने का दोषी पाते हुए पूछा है कि क्यों न उसके खिलाफ गलत और विरोधाभासी वक्तव्य सामने रखने के लिए कार्रवाई अमल में लाई जाए। कोर्ट ने आशंका जाहिर की कि सचिव या तो अपने पुराने सहयोगियों, अधीनस्थ अधिकारियों को बचाने एवं उनके हक में मामला तैयार करने की कोशिश कर रहीं हैं या फिर कोर्ट को पूरी तरह गुमराह करने का प्रयत्न कर रही हैं। कोर्ट ने अधिकारी के वक्तव्य में पाया कि एक तरफ वह कह रही हैं कि अश्वनी खड्ड के बारे में कोर्ट की ओर से पारित पिछले आदेशों की अनुपालना की जाती रही और दूसरी तरफ कहती हैं कि अश्वनी खड्ड से पानी लिफ्ट करने के बाद प्लांट का उचित ढंग से रखरखाव नहीं किया जा रहा था इसलिए सप्लाई गंदी होने के कारण प्लांट को बंद कर दिया गया।
सचिव प्रदूषण बोर्ड ने समय पर नहीं दी अश्वनी खड्ड की रिपोर्ट
कोर्ट ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव विनीत कुमार पर भी ऐसे ही मामले चलाने के आदेश दिए। बोर्ड के सदस्य सचिव ने कोर्ट के आदेशानुसार अश्वनी खड्ड संबंधित रिपोर्ट हर तीन माह में कोर्ट में पेश नहीं की।
उन्होंने 18 सितंबर 2014 के बाद केवल एक बार रिपोर्ट पेश की, वो भी झूठी और गुमराह करने वाली पाई गई। कोर्ट ने अन्य अधिकारियों को भी अवमानना का दोषी पाया है, जिन्हें शिमला शहर में शुद्ध व पर्याप्त पानी वितरण करने के लिए समय-समय पर कोर्ट ने आवश्यक आदेश दिए थे, परंतु उन्होंने ऐसा नहीं किया।
कोर्ट ने महाधिवक्ता को आदेश दिए कि वह तीन दिन के भीतर ऐसे अधिकारियों के नाम अदालत को बताएं ताकि उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई चलाई जा सके।
दर्जनों अधिकारी बनाए प्रतिवादी
कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इसमें मुख्य सचिव सहित शहरी स्थानीय निकाय, स्वास्थ्य व शिक्षा विभाग के प्रधान सचिवों को भी प्रतिवादी बनाया। वहीं जन संपर्क विभाग के निदेशक, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव, सभी जिला दंडाधिकारी, सभी पुलिस अधीक्षक और सभी सीएमओ को भी प्रतिवादी बनाया है।
आईपीएच में इन्हें नोटिस
कोर्ट ने आईपीएच विभाग के इंजीनियर सुमन विक्रांत, सुनील जस्टा को भी नोटिस जारी कर यह स्पष्ट करने के आदेश दिए हैं कि क्यों न उनके खिलाफ कोर्ट के आदेशों की अवमानना का मामला चलाया जाए और क्यों न उनके खिलाफ झूठे हल्फनामे दायर करने के आरोप के तहत कार्रवाई की जाए।
strong>सीएस आैर सचिव आईपीएच से 2007 से अब तक की रिपोर्ट तलब
मुख्य सचिव व सचिव आईपीएच से कोर्ट ने जानकारी मांगी है कि कौन से अधिकारी वर्ष 2007 से आईपीएच विभाग में स्वच्छ पानी मुहैया करवाने के लिए तैनात किए गए थे। मुख्य अभियंता से चपरासी तक का ब्योरा मांगा गया है।
ठेकेदार को हस्तांतरित धन, प्रक्रिया तथा उसके बिल पास करने वाले अधिकारियों की जानकारी भी मांगी गई है।
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पुलिस की समयोचित कार्रवाई के बावजूद भाजपा का प्रदर्शन व आरोपी का घर जलाना ओछी राजनीति : मुख्यमंत्री

चंबा – मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने चम्बा जिला के सलूणी में हुए हत्याकांड के मामले में भारतीय जनता पार्टी द्वारा किए जा रहे प्रदर्शन पर गहरा क्षोभ व्यक्त करते हुए कहा कि यह शायद देश का पहला ऐसा मामला है जिसमें सभी आरोपियों को पकड़ा जा चुका है और पुलिस की समयोचित कार्रवाई के बावजूद भाजपा इस पर शोर-शराबा जारी रखे हुए है। उनका यह प्रदर्शन पूर्णतया अवांच्छित है और इसे न्यायसंगत नहीं कहा जा सकता।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस मामले में शामिल सभी लोगों की गिरफ्तारी के बावजूद घटना के पाँच दिनों के बाद भाजपा युवा मोर्चा से जुड़े लोगों ने आरोपी के घर को आग की भेंट चढ़ा दिया।
प्रदेश सरकार की ओर से बार-बार आश्वस्त किया गया है कि इस मामले में संलिप्त सभी दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा सुनिश्चित की जाएगी। उन्होंने कहा कि आरोपियों की गिरफ्तारी के बावजूद विरोध प्रदर्शन समझ से परे है और भाजपा इस मामले में ओछी राजनीति कर रही है।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि इस मामले की संवदेनशीलता को देखते हुए पुलिस ने चौबीस घंटों के भीतर सभी आरोपियों को हिरासत में ले लिया। उन्होंने कहा कि आरोपियों की गिरफ्तारी तथा सरकार द्वारा राष्ट्रीय जांच एजैंसी से मामले की जांच करवाने सम्बंधी मांग स्वीकार करने के बावजूद भाजपा द्वारा विरोध प्रदर्शन जारी रखना तर्कहीन है।
मुख्यमंत्री नें यह भी कहा कि केंद्र में सत्ता में होने के बावजूद भाजपा जांच को मुद्दा बना रही है जबकि नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर के लिए एक फोन कॉल पर यह जांच शुरू करवाना कोई बड़ी बात नहीं है। उन्होंने कहा कि इससे प्रतीत हो रहा है कि इस घटना को राजनीतिक रंग देते हुए भाजपा आगामी लोकसभा चुनाव-2024 को ध्यान में रखते हुए ऐसी तरकीबें अपना रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बेहतर यह होता कि भाजपा प्रदेश हित से जुड़े मामलों एवं हिमाचल के अधिकारों के लिए केंद्र के समक्ष आवाज उठाती, जिससे कि प्रदेशवासियों का भी भला होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के हितों को प्राथमिकता देने के लिए आन्दोलन में कांग्रेस पार्टी भी अपना पूर्ण सहयोग देगी। राज्य के हितों की रक्षा करने की दिशा में प्रदेश सरकार तथा विपक्ष की साझा जिम्मेदारी पर बल देते हुए उन्होंने जल उपकर तथा विभिन्न जल विद्युत परियोजनाओं में निःशुल्क बिजली की रॉयल्टी बढ़ाने जैसे मुद्दों पर भाजपा को प्रदेश सरकार का साथ देने का परामर्श भी दिया।
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अगर 25 वर्षों से आतंकीयों से जुड़े थे चंबा हत्याकांड के आरोपी के तार तो सरकारें क्यूँ देती रही शरण : आम आदमी पार्टी

चंबा- जिला चंबा के सलूनी इलाके में हुए (मनोहर, 21) हत्याकांड की घटना राजनीतिक रूप लेती जा रही है। पक्ष -विपक्ष में बयानबाजी का दौर जारी है। इलाके में तनावपूर्ण माहौल बना हुआ है।
इसी कड़ी में हिमाचल आम आदमी पार्टी ने चम्बा में हुई मनोहर की निर्मम हत्या की कड़ी निंदा की है। आम आदमी पार्टी नेता चमन राकेश आजटा ने पीड़ित परिवार के प्रति संवेदना प्रकट की और इस पूरी घटना की निष्पक्ष जांच एवं दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा देने की भी मांग की। साथ ही उन्होंने कहा कि इस घटनाक्रम को जिस प्रकार से राजनीतिक रंग देने की कोशिश की जा रही है वो बहुत ही चिंता का विषय है।
इसके साथ ही आजटा ने यह भी कहा कि यदि नेता विपक्ष जयराम ठाकुर जी के बयानों में सच्चाई है तो यह जांच का विषय है। आजटा नें पूछा कि अगर पिछले 25 वर्षो से इस घटना के लिए जिम्मेवार व्यक्ति गैरकानूनी तरीके से बेशुमार दौलत इक्कठी कर रहा था तो वहां का प्रशासन व राज्य सरकारें 25 वर्ष से उसे क्यों शरण दे रही थी?
“इस व्यक्ति के तार क्या किसी आतंकवादी संगठन से जुड़े हुए है , या किसी पार्टी और नेता विशेष की शरण में वो पलता रहा जिसका खामयाज़ा एक गरीब युवा को अपनी जान से हाथ धोकर भुगतना पड़ा। क्या इस आरोपी ने इस तरह की अन्य घटनाओं को भी अंजाम दिया था या उनमें संलिप्त रहा था।” आजटा ने जयराम पर यह सवाल उठाते हुए कहा।
आपको बता दें कि बीते दिन जयराम ठाकुर ने हत्या के इस मामले में गहरी साजिश की आशंका जताते हुए तथा आरोपियों के तार आतंकियों से जोड़ते हुए कहा था कि नोटबंदी के दौरान आरोपी ने 95 लाख नोट बदले व उसके खाते में दो करोड़ की राशि जमा है, जबकि आरोपी के पास इतना बड़ा कोई भी आय का साधन नहीं है।
जयराम ने आरोप लगाया था कि आरोपी के पास तीन बीघा ज़मीन है जबकि कब्जा 100 बीघा जमीन पर कर रखा है। यही नहीं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने यह भी आरोप लगाया था कि चंबा में 1998 में हुए सतरुंडी आतंकी हमले में 35 लोगों की मौत हुई थी और उससे भी आरोपी के तार जुड़े थे।
साथ ही आजटा ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह से कानून को हाथ में लेकर घरों को जलाने, गाडियां तोड़ने और माहौल खराब करने की घटना में संलिप्त लोगों के खिलाफ करवाई करने की अपील की है, ताकि राजनीति की आड़ में हिमाचल जैसे प्रदेश का नाम खराब न हो।
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चंबा हत्याकांड: धारा 144 तोड़ने से रोका तो धरने पर बैठे भाजपा नेता

चंबा-मनोहर हत्याकांड के सात दिन बाद भी इलाके में तनावपूर्ण माहौल बना हुआ है। पूरे इलाके में धारा 144 लागू कर दी गई है, एक स्थान पर चार से ज्यादा लोगों का एकीकृत होना मना है और साथ ही इलाके के आस पास के सभी स्कूलों को भी एक सप्ताह के लिए बंद कर दिया गया है।
भाजपा अध्यक्ष डॉ राजीव बिंदल ने कहा कि भाजपा ने तय किया है कि भाजपाई 17 जून को प्रदेश के सभी 12 जिला मुख्यालयों पर धरना-प्रदर्शन करेंगे।
सीएम के प्रधान मीडिया सलाहकार नरेश चौहान ने एक प्रेससवार्ता में कहा कि हत्या के कारणों की प्रशासन द्वारा पूरी जांच करवाई जा रही है। चौहान नें कहा कि जिन लोगों ने हत्या की है उनको गिरफ्तार कर लिया गया है और कानून निश्चित तौर पर अपना कार्य कर रहा है।
साथ ही उन्होंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर, तथा उनके साथी सदस्य जिस तरह से प्रदर्शन कर रहे हैं वह तर्कसंगत नहीं है। कानून द्वारा मुज़रिमों को हिरासत में ले लिया गया है, गुनहगार सलाखों के पीछे है तथा पूरे मामले की सख्ती से जांच कारवाई की जा रही है। चौहान ने नेता प्रतिपक्ष द्वारा एनआईए से जांच की मांग को लेकर कहा कि वह अगर लिखित में सरकार को मांग दे दें तो सरकार इसके लिए भी तैयार है।
चौहान ने जयराम पर सवाल उठाते हुए कहा कि वह पूर्व मुख्यमंत्री रहे है, एक जिम्मेदार नागरिक हैं, तथा धारा 144 का मतलब भी वह अच्छे से समझते हैं, फिर भी उसकी अवहेलना करने पर अड़े हैं। चौहान नें पूछा कि इसका क्या अर्थ निकलता है।
चौहान नें यह भी कहा कि इसके बावजूद भी पुलिस तथा प्रशासन द्वारा कानून के दायरे में रहते हुए नेता प्रतिपक्ष और कुछ चुने हुए लोगों को पीड़ित परिवार से मिलने की अनुमति दे दी गई थी, लेकिन विपक्ष फिर भी अपने साथ पूरी भीड़ को आगे ले जाने के लिए अड़ा रहा।
उन्होंने कहा कि विपक्ष के जिम्मेदार लोग अगर इसके बावजूद भी राजनीति करना चाहते हैं तो तो यह बिल्कुल भी तर्कसंगत नहीं है। उन्होंने विपक्ष की मंशा पर सवाल खड़े किये। उन्होंने पूछा कि वह सच मे पीड़ित परिवार से मिलना चाहते थे या इसस घटना को मात्र राजनीतिक दृष्टि से मुद्दा बनाना चाहते थे?
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