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लोअर बाजार अग्निकांड: शिमला पुलिस के संदेह की सुई दुकान मालिक की ओर,10 जनवरी तक दुकान खाली करने था आदेश

शिमला- राजधानी शिमला के लोअर बाजार में हुए अग्निकांड में तीन दुकाने पूरी तरह जल कर राख हो चुकी है। लेकिन ये समझ नहीं आ रहा है कि ये अग्निकांड है या फिर आगजनी। करोड़ों रुपये के नुकसान होने बाद भी अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज है। दुकानदारों ने दो व्यक्तियों के ऊपर इस मामले में संलिप्त होने के आरोप लगाए। पुलिस एवं अग्निशमन विभाग की प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार शॉर्ट सर्किट का मामला नहीं लग रहा है। असल में घटना स्थल पर पेट्रोल की गंध तब आ रही थी जब तड़के ही आग बुझाने काम शुरू हुआ। ऐसे में पुलिस को संदेह आगजनी की ओर काफी बढ़ रहा है।
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मिली जानकारी के अनुसार कोर्ट ने एक दुकानदार को दुकान खाली करने का आदेश दिया था। दुकान के मालिक ने हाइकोर्ट में याचिका की हुई थी। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए 10 जनवरी तक दुकान खाली करने के आदेश पारित किए हैं। पिछले दो दिनों से दुकानदार 90 फीसदी सामान दुकान से उठा चुका था। वीरवार रात नौ बजे के करीब दुकान को ताला लगाने के बाद घर चला गया। सुबह तड़के तीन बजे आग फैलने का मामला सामने आया। दुकानों के नीचे घरों में रहने वाले लोगों ने एक दूसरे को सूचना दी। इस दुकान को खाली करवाया जाना था। उसका दुकान मालिक नौ बजे पहुंचा। जबकि अन्य सभी दुकान चार बजे के आसपास ही पहुंचे। जबकि मालिक कालीबाड़ी के नजदीक रहता था। पुलिस के संदेह की सुई अब मालिक की और भी घूम रही है।
क्या हो सकता है कारण
इस मामले में दुकानदारों ने आरोप दो व्यक्तियों पर लगाए है। सूत्रों के मुताबिक भवन कई वर्षो पुराना है। ऐसे दोबारा निर्माण करवाने के लिए नक्शा पास होना अनिवार्य है। निगम में नक्शे आसानी से पास नहीं हो रहे है। लेकिन अब जब भवन आग की चपेट में आया गया। तो नक्शा पास होने की संभावना काफी बढ़ गई है। वहीं दुकान का मालिक घटना स्थल पर देरी पहुंचा, जबकि भवन पूरी तरह जल कर राख हो गया। इतनी देरी से पहुंचना किसी को गले नहीं उतर रहा है।
फोरसिंक रिपोर्ट से खुलेंगे राज
फोरेसिंक टीम ने मौके का निरीक्षण करते हुए सैंपल ले लिए है। ऐसे में रिपोर्ट आने के बाद ही खुलासा हो पाएगा कि आग लगाई गई थी या फिर नहीं। रिपोर्ट आने में करीब एक महीने का समय लगेगा। वहीं पुलिस को काल के डंप डाटा से भी पता लगाएगी कि दो बजे से लेकर तीन बजे के भीतर घटना स्थल में कौन कौन से मोबाइल नंबर इस्तेमाल हुए है।
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प्रशासन ने दी आर्थिक सहायता
देर रात शिमला सब्जी मंडी में हुई आगजनी की घटना से प्रभावित परिवारों को प्रशासन ने तुरंत सहायता के रूप में दो लाख 45 हजार रुपये की राशि प्रदान की गई। यह जानकारी उप मंडलाधिकारी शिमला हिमस नेगी ने यहा दी ।
उन्होंने बताया कि 38 प्रभावित परिवारों को यह सहायता प्रदान की गई है। अजय कुठियाल को 15 हजार की राशि, नौ परिवारों को 10 हजार रुपये की राशि, इसमें रविंद्र, मोहित, राजकुमार, परसराम, राधाश्याम, मदनलाल शर्मा, निर्मला सूद, सुशील सूद व नरेश गंधारी शामिल हैं, उनको कुल 90 हजार रुपये की राशि दी गई है। 28 अन्य प्रभावित परिवारों को पाच हजार रुपये प्रति परिवार की दर से एक लाख 40 हजार रूपए की राशि दी गई है। इसमें सुरेश, हेमराज, बलबीर कुमार, नरेश धमीजा, अश्वनी कुमार, नारायण दास यशपाल, द्वारिकादास सूद, देवेंद्र पाल, विपिन कुमार, श्याम खन्ना, विजय राणा, कुलभूषण, सुरेशचंद, अश्वनी राणा, नरेश, हरीदास, नागेश, ज्ञानचंद, अशोक कुमार, अशोक गर्ग, राकेश कुमार, पुनीत गोयल, अमित अग्रवाल, राजकुमार,भूपेन्द्र गोस्वामी, योगेश गुप्ता, गोवर्धन व अनिल शामिल है। उन्होंने बताया कि कानूनगो जयपाल चौहान व पटवारी प्रताप ठाकुर द्वारा यह राशि प्रभावितों को मौके पर दी गई।
रिज टैंक में नहीं था पानी
अगर रिज मैदान के पानी के टैंक में पानी होता तो शायद लाखों रुपये नुकसान न होता। जब अग्निशमन दल टैंक से पानी लेने के लिए पहुंचा तो पानी का स्तर काफी कम था। यहीं नहीं आइपीएच कार्यालय में आधे घंटे तक फोन करते रहे। लेकिन किसी भी फोन उठाया ही नहीं। इसके बाद संजौली से पानी लाया गया। इस वजह से राहत कार्य देरी से शुरू किया गया।
हैरानी तो इस बात की है कि बाजार होने के कारण संवेदनशील क्षेत्र के लिए पानी स्टोर ही नहीं किया जाता है। दमकल विभाग के 50 कर्मचारियों ने आग बुझाने के लिए काम किया। इनमें मालरोड़, छोटा शिमला, बालुगंज अग्निशमन ऑफिस के कर्मचारी मौजूद रहे। वहीं लोअर बाजार में एक हाइड्रेंट चला ही नहीं। इस वजह से दल को काफी दिक्कतें पेश आई। स्थानीय लोगों ने अतिरिक्त फायर डाइड्रेंट लगाने की मांग की।
घटना स्थल पर पहुंचे मुख्यमंत्री
लोअर बाजार में लगी आग के दौरान हिमाचल प्रदेश मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह मौके पर पहुंचे। उन्होंने करीब 10 मिनट तक आग का जायजा लेते वक्त बताया कि यह एक बहुत बड़ी घटना है। इस तरह की घटना बाजार के अंदर होना एक बहुत बड़ी बात है। इससे अन्य दुकानों को भी खतरा हो सकता था। उन्होंने बताया कि पुलिस द्वारा इसका जल्द से पता लगाया जाए की आग किस कारण लगी है। इसके अलावा स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ठाकुर, स्थानीय विधायक सुरेश भारद्वाज भी कुछ समय बाद मौके पर पहुचे। इसके अलावा नगर निगम महापौर संजय चौहान, उप महापौर टिकेंद्र पंवर आदि भी मौजूद रहे।
इससे पहले यहा पर लगी थी आग
शिमला इससे पहले कई जगह पर आग लगी है। इसमें की कई लोगों की मौत भी हुई है। बीते महीने न्यू शिमला में आग सरोज विशिष्ट के घर में आग लगी थी। इसमें की सरोज विशिष्ट की मौत हो गई थी। वहीं पिछले साल मारोड़ के समीप एजी ऑफिस में आग लगी थी इसमें भी काफी नुकसान हुआ था। इसके अलावा संजौली, मशोबरा भी आग लगने का मामला सामने आया था।
जल्द ही लगाया जाएगा आग लगने का पता
शिमला एसपी डीडब्ल्यू नेगी का कहना है कि लोअर बाजार में दुकान में आग लगने का मामला सामने आया है। इसमें तीन दुकाने जलकर राख हुई है। लेकिन आग लगने का कारण नहीं लग पाया है। पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है। जल्द ही आग लगने का पता लगाया जाएंगा।
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सनवारा टोल प्लाजा पर अब और कटेगी जेब, अप्रैल से 10 से 45 रुपए तक अधिक चुकाना होगा टोल

शिमला- कालका-शिमला राष्ट्रीय राजमार्ग-5 पर वाहन चालकों से अब पहली अप्रैल से नई दरों से टोल वसूला जाएगा। केंद्रीय भूतल एवं परिवहन मंत्रालय की ओर से बढ़ी हुई दरों पर टोल काटने के आदेश जारी हो गए हैं। जारी आदेश के अनुसार कालका-शिमला एनएच-5 पर सनवारा टोल प्लाजा पर 10 से 45 रुपए तक की वृद्धि हुई है।
टोल प्लाजा संचालक कंपनी के मैनेजर ने बताया कि 1 अप्रैल से कार-जीप का एक तरफ शुल्क 65 और डबल फेयर में 95 रुपये देने होंगे।
लाइट कामर्शियल व्हीकल, लाइट गुड्स व्हीकल और मिनी बस को एक तरफ के 105, बस-ट्रक (टू एक्सेल) को एकतरफ के 215, थ्री एक्सेल कामर्शियल व्हीकल को एक तरफ के 235, हैवी कंस्ट्रक्शन मशीनरी को एकतरफ के 340 और ओवरसीज्ड व्हीकल को एकतरफ के 410 रुपये का शुल्क नई दरों के हिसाब से देना होगा।
सनवारा टोल गेट से 20 किलोमीटर के दायरे में आने वाले वाहन चालकों को पास की सुविधा भी नियमों के अनुसार दी जाती है। इस पास के लिए अब 280 की जगह 315 रुपये प्रति महीना चुकाना पड़ेगा।
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बच्चों से खतरनाक किस्म की मजदूरी कराना गंभीर अपराध:विवेक खनाल

शिमला- बच्चों से खतरनाक किस्म की मज़दूरी कराना गंभीर अपराध है। 14 साल के अधिक आयु के बच्चों से ढाबे में 6 घंटे से अधिक काम नहीं लिया जा सकता। उन्हें तीन घंटे के बाद एक घंटे का आराम दिया जाना जरूरी है। यह बात वह उमंग फाउंडेशन द्वारा “मज़दूरों के कानूनी अधिकार, समस्याएं और समाधान” विषय पर वेबिनार में वरिष्ठ सिविल जज एवं राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अतिरिक्त सचिव विवेक खनाल ने कही।
उन्होंने कहा कि असंगठित मजदूरों के शोषण का खतरा ज्यादा होता है। देश की जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद का 50% हिस्सा असंगठित मजदूरों के योगदान से ही अर्जित होता है।
विवेक खनाल ने संगठित एवं असंगठित श्रमिकों से जुड़े विभिन्न कानूनों की जानकारी दी। उन्होंने कहा की 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को खतरनाक किस्म के कामों में नहीं लगाया जा सकता। इनमें औद्योगिक राख, अंगारे, बंदरगाह, बूचड़खाना, बीड़ी, पटाखा, रेलवे निर्माण, कालीन, पेंटिंग एवं डाईंग आदि से जुड़े कार्य शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि 14 से 18 वर्ष तक के बच्चे रेस्टोरेंट या ढाबे में काम के तय 6 घंटे तक ही काम कर सकते हैं। शाम 7 बजे से सुबह 8 बजे के बीच उन से काम नहीं लिया जा सकता।
उन्होंने बताया कि भवन निर्माण एवं अन्य कामगार बोर्ड में पंजीकृत होने के बाद श्रमिकों को अनेक प्रकार की सुविधाएं एवं सामाजिक सुरक्षा मिल जाती है।
विवेक के अनुसार असंगठित मजदूरों के लिए कानून भी काफी कम हैं। जबकि उनकी स्थिति ज्यादा खराब होती है। उन्होंने बताया कि मनरेगा के अंतर्गत काम करने वाली महिला मजदूरों के बच्चों को संभालने के लिए उन्हीं में से एक वेतन देकर आया का काम भी दिया जाता है।
राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अतिरिक्त सचिव ने कहा कि कि प्राधिकरण की ओर से समाज के जिन वर्गों को मुफ्त कानूनी सहायता दी जाती है उसमें एक श्रेणी मजदूरों की भी है।
इसके अतिरिक्त महिला, दिव्यांग, ट्रांसजेंडर, बच्चे, अनुसूचित जाति एवं जनजाति, और तीन लाख से कम वार्षिक आय वाले बुजुर्ग इस योजना में शामिल हैं। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से बद्दी में मजदूरों के लिए एक विशेष प्रकोष्ठ स्थापित किया गया है।
इसके अलावा विभिन्न जिलों में वैकल्पिक विवाद समाधान केंद्र चलाए जा रहे हैं। एक अलग पोर्टल पर सरकार ई-श्रम कार्ड भी बना रही है।
इस दौरान उन्होंने युवाओं के सवालों के जवाब भी दिए।
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हिमाचल कैबिनेट के फैसले:प्रदेश में सस्ती मिलेगी देसी ब्रांड की शराब,पढ़ें सभी फैसले

शिमला- मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में आयोजित प्रदेश मंत्रीमंडल की बैठक में आज वर्ष 2022-23 के लिए आबकारी नीति को स्वीकृति प्रदान की गई।
इस नीति में वर्ष के दौरान 2,131 करोड़ रुपये के राजस्व प्राप्ति की परिकल्पना की गई है, जो कि वित्त वर्ष 2021-22 से 264 करोड़ रुपये अधिक होगा। यह राज्य आबकारी राजस्व में 14 प्रतिशत की कुल वृद्धि को दर्शाता है।
बैठक में वित्तीय वर्ष 2022-23 राज्य में प्रति इकाई चार प्रतिशत नवीनीकरण शुल्क पर खुदरा आबकारी ठेकों के नवीनीकरण को स्वीकृति प्रदान की गई। इसका उद्देश्य सरकारी राजस्व में पर्याप्त बढ़ोतरी प्राप्त करना और पड़ोसी राज्यों में दाम कम करके होने वाली देसी शराब की तस्करी पर रोक लगाना है।
लाइसेंस फीस कम होने के कारण देसी शराब ब्रांड सस्ती होगी। इससे उपभोक्ताओं को सस्ती दरों पर अच्छी गुणवत्ता की शराब उपलब्ध होगी और उन्हें अवैध शराब खरीदने के प्रलोभन से भी बचाया जा सकेगा और शुल्क चोरी पर भी निगरानी रखी जा सकेगी।
नई आबकारी नीति में खुदरा लाइसेंसधारियों को आपूर्ति की जाने वाली देसी शराब के निर्माताओं और बॉटलर्ज के लिए निर्धारित 15 प्रतिशत कोटा समाप्त कर दिया गया है। इस निर्णय से खुदरा लाइसेंसधारी अपना कोटा अपनी पसंद के आपूर्तिकर्ता से उठा सकेंगे और प्रतिस्पर्धात्मक मूल्यों पर अच्छी गुणवत्ता की देसी शराब की आपूर्ति सुनिश्चित होगी। देसी शराब का अधिकतम खरीद मूल्य मौजूदा मूल्य से 16 प्रतिशत सस्ता हो जाएगा।
इस वर्ष की नीति में गौवंश के कल्याण के लिए अधिक निधि प्रदान करने के दृष्टिगत गौधन विकास निधि में एक रुपये की बढ़ोतरी करते हुए इसे मौजूदा 1.50 रुपये से बढ़ाकर 2.50 रुपये किया गया है।
राज्य में कोविड-19 के मामलों में कमी को देखते हुए कोविड उपकर में मौजूदा से 50 प्रतिशत की कमी की गई है।
लाइसेंस शुल्क के क्षेत्र विशिष्ट स्लैब को समाप्त करके बार के निश्चित वार्षिक लाइसेंस शुल्क को युक्तिसंगत बनाया गया है। अब पूरे राज्य में होटलों में कमरों की क्षमता के आधार पर एक समान लाइसेंस स्लैब होंगे।
जनजातीय क्षेत्रों में आने वाले पर्यटकों को बेहतर सुविधा प्रदान करने और होटल उद्यमियों को राहत प्रदान करने के लिए जनजातीय क्षेत्रों में बार के वार्षिक निर्धारित लाइसेंस शुल्क की दरों में काफी कमी की गई है।
शराब के निर्माण, संचालन, थोक विक्रेताओं को इसके प्रेषण और बाद में खुदरा विक्रेताओं को बिक्री की निगरानी के लिए इन सभी हितधारकों को अपने प्रतिष्ठानों में सीसीटीवी कैमरे लगाना अनिवार्य किया गया है।
विभाग की ओर से हाल ही में शराब बॉटलिंग प्लांटों, थोक विक्रेताओं और खुदरा विक्रेताओं में पाई गई अनियमितताओं को ध्यान में रखते हुए हिमाचल प्रदेश आबकारी अधिनियम, 2011 को और सख्त किया गया है।
राज्य में एक प्रभावी एंड-टू-एंड ऑनलाईन आबकारी प्रशासन प्रणाली स्थापित की जाएगी जिसमें शराब की बोतलों की ट्रैक एंड टेक्स की सुविधा के अलावा निगरानी के लिए अन्य मॉडयूल शामिल होंगे।
मंत्रिमंडल ने वर्ष 2022-23 के लिए हिमाचल प्रदेश राज्य पथकर नीति को अपनी मंजूरी प्रदान की है जिसमें राज्य में सभी पथकर बेरियर की नीलामी व निविदा शामिल हैं। वर्ष 2021-22 के दौरान टोल राजस्व में गत वर्ष के राजस्व के मुकाबले 20 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
मंत्रिमंडल ने हिमाचल प्रदेश आपदा राहत नियमावली, 2012 में संशोधन को अपनी मंजूरी प्रदान की जिसमें मधुमक्खी, हॉरनेट और वैस्प के काटने से होने वाली मृत्यु, दुर्घटनाग्रस्त डूबने, और वाहन दुर्घटना मंे होने वाली मृत्यु के मामलोें को राहत नियमावली के अंतर्गत शामिल किया गया है।
मंत्रिमंडल ने लोक सेवा आयोग के माध्यम से राजस्व विभाग में नियमित आधार पर सीधी भर्ती के माध्यम से तहसीलदार श्रेणी-1 के 11 पदों को भरने की स्वीकृति प्रदान की।