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पर्यावरण में होने वाले बदलावों को लेकर आयोजित की गई कार्यशाला

“कार्यशाला में प्रदेश द्वारा पर्यावरण बदलाव के खतरों एवं परिणामों से निपटने के लिए किए गए सार्थक प्रयासों के परिणामस्वरूप विभिन्न हिमालयी राज्यों को एकजुट कर 12 प्रमुख कार्यों पर सहमति बना कर इसे शिमला घोषणा का नाम दिया गया”
पर्यावरण में होने वाले बदलावों को लेकर हिम एवं हिमखण्ड तथा हिमालयी नदी प्रणाली विषय पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया है जिसका शुभारम्भ मुख्य सचिव एस. राॅय ने किया।
कार्यशाला का आयोजन राज्य विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं पर्यावरण परिषद के राज्य केन्द्र द्वारा किया गया।
राॅय ने इस अवसर पर सभी संस्थानों एवं सरकारी कार्यान्वयन एजेंसियों का आह्वान किया कि वे सरकार द्वारा राज्य को कार्बन न्यूट्रल बनाए जाने के लक्ष्य के अनुरूप अपने शोध एवं योजना प्रोत्साहनों को तैयार करें और इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए प्रभावी पग उठाएं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में बागवानीए कृषि एवं वन आधारित ग्रामीण आर्थिकी पर मौजूदा पर्यावरण बदलाव के दृष्टिगत विपरीप प्रभाव पड़ सकते हैं।
उन्होंने कहा कि वैश्विक ऊष्मीकरण के साथ.साथ अनेक ऐसे कारण हैंए जो हिमखण्डों के कम होने के लिए उत्तरदायी हैं। उन्होंने कहा कि हमारा यह प्रयास रहना चाहिए कि विभिन्न गतिविधियां पर्यावरण मित्र हों। पर्यावरण बदलाव के मामले अन्तर्राष्ट्रीय स्तर से जुड़े हैं, जो हमारे पर्वतीय पर्यावरण के लिए बड़ी चुनौती हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि पर्यावरण में भिन्नता को लेकर पर्वतीय पारिस्थितिकीय काफी संवेदनशील है।
राॅय ने कहा कि राज्य में पर्यावरण बदलाव को लेकर ठोस प्रयास किए जा रहे हैं तथा इसको लेकर राज्य कार्य योजना भी तैयार की गई हैए जो कि आरंभ होने के अंतिम चरण में है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण बदलाव से हिमालयी क्षेत्र को काफी खतरा है तथा पर्यावरण में हल्के से बदलाव पर दक्षिणी एशिया क्षेत्र में रहने वाले करोड़ों लोग इससे सीधे तौर पर प्रभावित होंगे।
पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र में पर्यावरण बदलाव के खतरों एवं परिणामों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य में इस चुनौती से निपटने के लिए अनेक अग्रिम प्रयास किए गए हैं। प्रदेश द्वारा किए गए सार्थक प्रयासों के परिणामस्वरूप विभिन्न हिमालयी राज्यों को एकजुट कर 12 प्रमुख कार्यों पर सहमति बना कर इसे शिमला घोषणा का नाम दिया गया।
मुख्य सचिव की अध्यक्षता में प्रदेश में राज्य पर्यावरण बदलाव परिषद तथा राज्य पर्यावरण बदलाव केन्द्र स्थापित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि हिमालयी पारिस्थितिकीय व्यवस्था पर पर्यावरण बदलाव के प्रभावों को जानने तथा पर्वत केन्द्रित योजनाओं के कार्यान्वयन के द्वारा इसके प्रभावों को कम करने की सोच के साथ पर्यावरण बदलाव पर राज्य केन्द्र स्थापित किया गया है।
एस. राॅय ने वैज्ञानिकों से भावी पीढ़ी के लिए स्वच्छए स्थाई एवं सत्त पर्यावरण के लिए कार्य करने का आह्वान किया।
इससे पूर्व ,निदेशक पर्यावरण एवं राज्य विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं पर्यावरण परिषद के सदस्य सचिव डाॅ. एस . एस. नेगी ने मुख्य सचिव का स्वागत किया।
दून विश्वविद्यालय देहरादून के कुलपति प्रो . वी . के. जैन ने इस अवसर पर हिमखण्डों के अनुश्रवण, वायु प्रदूषण,प्राथमिक एवं द्वितीय प्रदूषक तत्व तथा विकिरण के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
विभिन्न विश्वविद्यालयों, संस्थाओं के प्रतिनिधि तथा विद्यार्थी कार्यशाला में भाग ले रहे हैं।
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पुलिस की समयोचित कार्रवाई के बावजूद भाजपा का प्रदर्शन व आरोपी का घर जलाना ओछी राजनीति : मुख्यमंत्री

चंबा – मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने चम्बा जिला के सलूणी में हुए हत्याकांड के मामले में भारतीय जनता पार्टी द्वारा किए जा रहे प्रदर्शन पर गहरा क्षोभ व्यक्त करते हुए कहा कि यह शायद देश का पहला ऐसा मामला है जिसमें सभी आरोपियों को पकड़ा जा चुका है और पुलिस की समयोचित कार्रवाई के बावजूद भाजपा इस पर शोर-शराबा जारी रखे हुए है। उनका यह प्रदर्शन पूर्णतया अवांच्छित है और इसे न्यायसंगत नहीं कहा जा सकता।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस मामले में शामिल सभी लोगों की गिरफ्तारी के बावजूद घटना के पाँच दिनों के बाद भाजपा युवा मोर्चा से जुड़े लोगों ने आरोपी के घर को आग की भेंट चढ़ा दिया।
प्रदेश सरकार की ओर से बार-बार आश्वस्त किया गया है कि इस मामले में संलिप्त सभी दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा सुनिश्चित की जाएगी। उन्होंने कहा कि आरोपियों की गिरफ्तारी के बावजूद विरोध प्रदर्शन समझ से परे है और भाजपा इस मामले में ओछी राजनीति कर रही है।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि इस मामले की संवदेनशीलता को देखते हुए पुलिस ने चौबीस घंटों के भीतर सभी आरोपियों को हिरासत में ले लिया। उन्होंने कहा कि आरोपियों की गिरफ्तारी तथा सरकार द्वारा राष्ट्रीय जांच एजैंसी से मामले की जांच करवाने सम्बंधी मांग स्वीकार करने के बावजूद भाजपा द्वारा विरोध प्रदर्शन जारी रखना तर्कहीन है।
मुख्यमंत्री नें यह भी कहा कि केंद्र में सत्ता में होने के बावजूद भाजपा जांच को मुद्दा बना रही है जबकि नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर के लिए एक फोन कॉल पर यह जांच शुरू करवाना कोई बड़ी बात नहीं है। उन्होंने कहा कि इससे प्रतीत हो रहा है कि इस घटना को राजनीतिक रंग देते हुए भाजपा आगामी लोकसभा चुनाव-2024 को ध्यान में रखते हुए ऐसी तरकीबें अपना रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बेहतर यह होता कि भाजपा प्रदेश हित से जुड़े मामलों एवं हिमाचल के अधिकारों के लिए केंद्र के समक्ष आवाज उठाती, जिससे कि प्रदेशवासियों का भी भला होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के हितों को प्राथमिकता देने के लिए आन्दोलन में कांग्रेस पार्टी भी अपना पूर्ण सहयोग देगी। राज्य के हितों की रक्षा करने की दिशा में प्रदेश सरकार तथा विपक्ष की साझा जिम्मेदारी पर बल देते हुए उन्होंने जल उपकर तथा विभिन्न जल विद्युत परियोजनाओं में निःशुल्क बिजली की रॉयल्टी बढ़ाने जैसे मुद्दों पर भाजपा को प्रदेश सरकार का साथ देने का परामर्श भी दिया।
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अगर 25 वर्षों से आतंकीयों से जुड़े थे चंबा हत्याकांड के आरोपी के तार तो सरकारें क्यूँ देती रही शरण : आम आदमी पार्टी

चंबा- जिला चंबा के सलूनी इलाके में हुए (मनोहर, 21) हत्याकांड की घटना राजनीतिक रूप लेती जा रही है। पक्ष -विपक्ष में बयानबाजी का दौर जारी है। इलाके में तनावपूर्ण माहौल बना हुआ है।
इसी कड़ी में हिमाचल आम आदमी पार्टी ने चम्बा में हुई मनोहर की निर्मम हत्या की कड़ी निंदा की है। आम आदमी पार्टी नेता चमन राकेश आजटा ने पीड़ित परिवार के प्रति संवेदना प्रकट की और इस पूरी घटना की निष्पक्ष जांच एवं दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा देने की भी मांग की। साथ ही उन्होंने कहा कि इस घटनाक्रम को जिस प्रकार से राजनीतिक रंग देने की कोशिश की जा रही है वो बहुत ही चिंता का विषय है।
इसके साथ ही आजटा ने यह भी कहा कि यदि नेता विपक्ष जयराम ठाकुर जी के बयानों में सच्चाई है तो यह जांच का विषय है। आजटा नें पूछा कि अगर पिछले 25 वर्षो से इस घटना के लिए जिम्मेवार व्यक्ति गैरकानूनी तरीके से बेशुमार दौलत इक्कठी कर रहा था तो वहां का प्रशासन व राज्य सरकारें 25 वर्ष से उसे क्यों शरण दे रही थी?
“इस व्यक्ति के तार क्या किसी आतंकवादी संगठन से जुड़े हुए है , या किसी पार्टी और नेता विशेष की शरण में वो पलता रहा जिसका खामयाज़ा एक गरीब युवा को अपनी जान से हाथ धोकर भुगतना पड़ा। क्या इस आरोपी ने इस तरह की अन्य घटनाओं को भी अंजाम दिया था या उनमें संलिप्त रहा था।” आजटा ने जयराम पर यह सवाल उठाते हुए कहा।
आपको बता दें कि बीते दिन जयराम ठाकुर ने हत्या के इस मामले में गहरी साजिश की आशंका जताते हुए तथा आरोपियों के तार आतंकियों से जोड़ते हुए कहा था कि नोटबंदी के दौरान आरोपी ने 95 लाख नोट बदले व उसके खाते में दो करोड़ की राशि जमा है, जबकि आरोपी के पास इतना बड़ा कोई भी आय का साधन नहीं है।
जयराम ने आरोप लगाया था कि आरोपी के पास तीन बीघा ज़मीन है जबकि कब्जा 100 बीघा जमीन पर कर रखा है। यही नहीं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने यह भी आरोप लगाया था कि चंबा में 1998 में हुए सतरुंडी आतंकी हमले में 35 लोगों की मौत हुई थी और उससे भी आरोपी के तार जुड़े थे।
साथ ही आजटा ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह से कानून को हाथ में लेकर घरों को जलाने, गाडियां तोड़ने और माहौल खराब करने की घटना में संलिप्त लोगों के खिलाफ करवाई करने की अपील की है, ताकि राजनीति की आड़ में हिमाचल जैसे प्रदेश का नाम खराब न हो।
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चंबा हत्याकांड: धारा 144 तोड़ने से रोका तो धरने पर बैठे भाजपा नेता

चंबा-मनोहर हत्याकांड के सात दिन बाद भी इलाके में तनावपूर्ण माहौल बना हुआ है। पूरे इलाके में धारा 144 लागू कर दी गई है, एक स्थान पर चार से ज्यादा लोगों का एकीकृत होना मना है और साथ ही इलाके के आस पास के सभी स्कूलों को भी एक सप्ताह के लिए बंद कर दिया गया है।
भाजपा अध्यक्ष डॉ राजीव बिंदल ने कहा कि भाजपा ने तय किया है कि भाजपाई 17 जून को प्रदेश के सभी 12 जिला मुख्यालयों पर धरना-प्रदर्शन करेंगे।
सीएम के प्रधान मीडिया सलाहकार नरेश चौहान ने एक प्रेससवार्ता में कहा कि हत्या के कारणों की प्रशासन द्वारा पूरी जांच करवाई जा रही है। चौहान नें कहा कि जिन लोगों ने हत्या की है उनको गिरफ्तार कर लिया गया है और कानून निश्चित तौर पर अपना कार्य कर रहा है।
साथ ही उन्होंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर, तथा उनके साथी सदस्य जिस तरह से प्रदर्शन कर रहे हैं वह तर्कसंगत नहीं है। कानून द्वारा मुज़रिमों को हिरासत में ले लिया गया है, गुनहगार सलाखों के पीछे है तथा पूरे मामले की सख्ती से जांच कारवाई की जा रही है। चौहान ने नेता प्रतिपक्ष द्वारा एनआईए से जांच की मांग को लेकर कहा कि वह अगर लिखित में सरकार को मांग दे दें तो सरकार इसके लिए भी तैयार है।
चौहान ने जयराम पर सवाल उठाते हुए कहा कि वह पूर्व मुख्यमंत्री रहे है, एक जिम्मेदार नागरिक हैं, तथा धारा 144 का मतलब भी वह अच्छे से समझते हैं, फिर भी उसकी अवहेलना करने पर अड़े हैं। चौहान नें पूछा कि इसका क्या अर्थ निकलता है।
चौहान नें यह भी कहा कि इसके बावजूद भी पुलिस तथा प्रशासन द्वारा कानून के दायरे में रहते हुए नेता प्रतिपक्ष और कुछ चुने हुए लोगों को पीड़ित परिवार से मिलने की अनुमति दे दी गई थी, लेकिन विपक्ष फिर भी अपने साथ पूरी भीड़ को आगे ले जाने के लिए अड़ा रहा।
उन्होंने कहा कि विपक्ष के जिम्मेदार लोग अगर इसके बावजूद भी राजनीति करना चाहते हैं तो तो यह बिल्कुल भी तर्कसंगत नहीं है। उन्होंने विपक्ष की मंशा पर सवाल खड़े किये। उन्होंने पूछा कि वह सच मे पीड़ित परिवार से मिलना चाहते थे या इसस घटना को मात्र राजनीतिक दृष्टि से मुद्दा बनाना चाहते थे?
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