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राज्य के 65 हजार युवाओं को रोजगार प्रदान करेगा हि.प्र. कौशल विकास निगम
राज्य में 650 करोड़ की परियोजना की जाएगी कार्यान्वित,राज्य मुख्यालय पर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस सृजित किया जाएगा
शिमला- हिमाचल प्रदेश कौशल विकास निगम ने आगामी पांच वर्षों के दौरान राज्य के 65 हजार युवाओं को फ्लैगशिप कार्यक्रम तथा रोजगार सहयोग प्रदान करने का लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसके लिए 80 व 20 के अनुपात में एशियन विकास बैंक द्वारा वित्तपोषित 650 करोड़ रुपये एक महत्वकांक्षी परियोजना क्रियान्वित की जा रही है और राज्य सरकार ने 130 करोड़ रुपये का राज्य हिस्सा पहले ही प्रदान कर दिया है।
हिमाचल प्रदेश कौशल विकास निगम के प्रबन्ध निदेशक राजेश शर्मा ने कहा कि युवाओं को औद्योगिक क्षेत्र में रोजगार मिल सके जिसके लिए कौशल विकास निगम युवाओं को गुणात्मक प्रशिक्षण प्रदान करने के प्रयास कर रहा है तथा जो संस्थान राष्ट्रीय मानदण्डों एवं आवश्यकताओं के अनुरूप प्रशिक्षण प्रदान नहीं कर रहे हैं, उन्हें बन्द कर दिया जाएगा। युवाओं के लिए समुचा प्रशिक्षण निःशुल्क है और राज्य सरकार इससे जुड़े सभी खर्चों का वहन कर रही है। अधिकांश युवा सरकारी नौकरी के इच्छुक हैं, जिसके चलते निगम को इन्हें स्वरोजगार तथा कम्पनियों में नौकरी के अनुरूप प्रशिक्षण के लिए तैयार करना एक बड़ी चुनौती है। हालांकि निगम गांवों में जाकर युवाओं के चयन के लिए अभिभावकों की कांउसलिंग कर रहा है और बच्चे की क्षमता एवं रूचि के अनुसार प्रशिक्षण में प्रवेश करवा रहा है।
हिमाचल प्रदेश कौशल विकास निगम ने 70 प्रतिशत प्रशिक्षित युवाओं को विभिन्न कम्पनियों में नौकरी प्रदान करवाने के लिए वचनबद्ध है। प्रदेश के 1600 युवाओं को विभिन्न व्यावसायों में प्रशिक्षण प्रदान करवाया जा चुका है और इनमें से 30 प्रतिशत युवाओं को नौकरी भी प्रदान करवाई जा चुकी है, जबकि अन्य युवाओं का विभिन्न कम्पनियों में चयन की प्रक्रिया जारी है।
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राज्य के 50 एससीवीटी मान्यता प्राप्त आईटीआई अब राष्ट्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण परिषद से संबद्ध किए जा चुके हैं और मानकों के अनुसार उपकरण भी उपलब्ध करवाए गए हैं। वहीं ऊना जिला में मॉडल केरियर सेंटर स्थापित किया गया है और सभी जिलों में इस तर्ज पर सेंटर स्थापित किए जाएंगे
हिमाचल प्रदेश कौशल विकास निगम निदेशक मण्डल के निदेशक विक्रमादित्य सिंह ने कौशल विकास की परियोजना के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि कौशल उन्नयन, वरिष्ठ माध्यमिक स्तर उतीर्ण करने वाले विद्यार्थियों के लिए प्रशिक्षण एवं रोजगार, स्कूल छोड़ने वाले बच्चों, अकुशल कामगारों, वेरोजगार युवाओं, अनौपचारिक क्षेत्र के कामगारों, महिलाओं, दिव्यांगजनों तथा अन्य सुविधाहीन समूहों के लिए एक रोड़ मैप तैयार किया जा रहा है।
राज्य हस्तशिल्प एवं हथकरघा की अलग विशिष्टता है, जो समाप्त होने के कगार पर है और इस क्षेत्र में युवाओं के लिए स्वरोजगार की अपार संभावनाएं हैं। तथा इस क्षेत्र में ग्रामीण युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान कर इन्हें पुनर्जीवित करने तथा आर्थिक तौर पर संबल बनाने पर निगम बल देगा। प्रदेश भर में 7 ग्रामीण आजीविका केन्द्रों की स्थापना की गई है। 11 रोजगार कार्यालयों को आदर्श कैरियर केन्द्रों में स्तरोन्नत किया जाएगा। केरल तथा राजस्थान के बाद हिमाचल प्रदेश तीसरा राज्य है जो युवाओं के कौशल प्रदान करेगा ।
राज्य मुख्यालय शिमला में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना की जाएगी और शीघ्र ही इसकी आधारशिला रखी जाएगी। राज्य के कुशल युवाओं को रोजगार प्रदान करने के लिए बाजारों का विश्लेषण करने के उद्देश्य से एक प्रयोजन सलाहकार समिति का पहले ही गठन किया जा चुका है।
हिमाचल प्रदेश कौशल विकास निगम के प्रबन्ध निदेशक राजेश शर्मा ने कहा कि युवाओं को औद्योगिक क्षेत्र में रोजगार मिल सके जिसके लिए कौशल विकास निगम युवाओं को गुणात्मक प्रशिक्षण प्रदान करने के प्रयास कर रहा है तथा जो संस्थान राष्ट्रीय मानदण्डों एवं आवश्यकताओं के अनुरूप प्रशिक्षण प्रदान नहीं कर रहे हैं, उन्हें बन्द कर दिया जाएगा। युवाओं के लिए समुचा प्रशिक्षण निःशुल्क है और राज्य सरकार इससे जुड़े सभी खर्चों का वहन कर रही है। अधिकांश युवा सरकारी नौकरी के इच्छुक हैं, जिसके चलते निगम को इन्हें स्वरोजगार तथा कम्पनियों में नौकरी के अनुरूप प्रशिक्षण के लिए तैयार करना एक बड़ी चुनौती है। हालांकि निगम गांवों में जाकर युवाओं के चयन के लिए अभिभावकों की कांउसलिंग कर रहा है और बच्चे की क्षमता एवं रूचि के अनुसार प्रशिक्षण में प्रवेश करवा रहा है।
हिमाचल प्रदेश कौशल विकास निगम ने 70 प्रतिशत प्रशिक्षित युवाओं को विभिन्न कम्पनियों में नौकरी प्रदान करवाने के लिए वचनबद्ध है। प्रदेश के 1600 युवाओं को विभिन्न व्यावसायों में प्रशिक्षण प्रदान करवाया जा चुका है और इनमें से 30 प्रतिशत युवाओं को नौकरी भी प्रदान करवाई जा चुकी है, जबकि अन्य युवाओं का विभिन्न कम्पनियों में चयन की प्रक्रिया जारी है।
राज्य के 50 एससीवीटी मान्यता प्राप्त आईटीआई अब राष्ट्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण परिषद से संबद्ध किए जा चुके हैं और मानकों के अनुसार उपकरण भी उपलब्ध करवाए गए हैं। वहीं ऊना जिला में मॉडल केरियर सेंटर स्थापित किया गया है और सभी जिलों में इस तर्ज पर सेंटर स्थापित किए जाएंगे।
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हिमाचल की तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर लगे 76,000 से अधिक सेब के पौधे
शिमला- डॉ यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के विस्तार शिक्षा निदेशालय में पहाड़ी कृषि एवं ग्रामीण विकास एजेंसी(हार्प), शिमला द्वारा एक अनुभव-साझाकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस कार्यशाला में जिला किन्नौर के निचार विकास खंड के रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों के 34 किसानों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर जीएम नाबार्ड डॉ. सुधांशु मिश्रा मुख्य अतिथि रहे जबकि नौणी विवि के अनुसंधान निदेशक डॉ रविंदर शर्मा ने विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत की।
संस्था के अध्यक्ष डॉ. आर एस रतन ने कहा कि यह कार्यक्रम एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना के तहत रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों में वर्ष 2014 से आयोजित किया जा रहा है। परियोजना को नाबार्ड द्वारा वित्त पोषित किया गया है और इसे हार्प द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
उन्होंने यह बताया कि यह एक बागवानी आधारित आजीविका कार्यक्रम है जिसे किसानों की भागीदारी से लागू किया गया है। इन तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर 76,000 से अधिक सेब के पौधे लगाए गए हैं और 607 परिवार लाभान्वित हुए हैं।
डॉ. सुधांशु मिश्रा ने यह भी कहा कि नाबार्ड हमेशा सामाजिक-आर्थिक उत्थान कार्यक्रमों के संचालन में आगे रहा है। उन्होंने इस कार्यशाला में भाग लेने वाले किसानों से अपने सहयोग से विभिन्न कार्यक्रमों को सफल बनाने का आग्रह किया।
अनुसंधान निदेशक डॉ. रविंदर शर्मा और विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. दिवेंद्र गुप्ता ने नाबार्ड और हार्प के प्रयासों की सराहना की और किसानों को आश्वासन दिया कि विश्वविद्यालय किसानों को तकनीकी रूप से समर्थन देने के लिए हमेशा तैयार है।
डॉ. नरेद्र कुमार ठाकुर ने कहा कि हार्प ने कृषक समुदाय के समन्वय से दुर्गम क्षेत्रों में कठिन परिस्थितियों में काम किया है। इस अवसर पर एक किसान-वैज्ञानिक परिचर्चा का भी आयोजन किया गया जिसमें भाग लेने वाले किसानों के तकनीकी प्रश्नों को संबोधित किया गया।
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हिमाचल सरकार पुलिसकर्मियों का कर रही है शोषण
पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है,कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है,राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है,हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।
शिमला सीटू राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। कमेटी ने यह कहा है कि वह हिमाचल प्रदेश के पुलिसकर्मियों की मांगों का पूर्ण समर्थन करती है। आरोप लगाते हुए सीटू ने कहा है कि प्रदेश सरकार पुलिसकर्मियों का शोषण कर रही है।
राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार से यह मांग की है कि वर्ष 2013 के बाद नियुक्त पुलिसकर्मियों को पहले की भांति 5910 रुपये के बजाए 10300 रुपये संशोधित वेतन लागू किया जाए व उनकी अन्य सभी मांगों को बिना किसी विलंब के पूरा किया जाए।
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में भी कर्मचारियों की प्रमुख मांगों को अनदेखा किया गया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में पुलिसकर्मियों की मांगों को पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया है।
सीटू कमेटी ने कहा कि सबसे मुश्किल डयूटी करने वाले व चौबीस घण्टे डयूटी में कार्यरत पुलिसकर्मियों को इस बैठक से मायूसी ही हाथ लगी है। इसी से आक्रोशित होकर पुलिसकर्मी मुख्यमंत्री आवास पहुंचे थे। उनके द्वारा पिछले कुछ दिनों से मैस के खाने के बॉयकॉट से उनकी पीड़ा का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि पुलिस कर्मियों के साथ ही सभी सरकारी कर्मचारी नवउदारवादी नीतियों की मार से अछूते नहीं है। कमेटी ने कहा कि पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है। कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।
कमेटी ने यह भी कहा है कि थानों में स्टेशनरी के लिए बेहद कम पैसा है व आईओ को केस की पूरी फ़ाइल का सैंकड़ों रुपये का खर्चा अपनी ही जेब से करना पड़ता है। थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है। मैस मनी केवल दो सौ दस रुपये महीना है जबकि मैस में पूरा महीना खाना खाने का खर्चा दो हज़ार रुपये से ज़्यादा आता है। यह प्रति डाइट केवल साढ़े तीन रुपये बनता है, जोकि पुलिस जवानों के साथ घोर मज़ाक है। यह स्थिति मिड डे मील के लिए आबंटित राशि से भी कम है।
उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के जमाने के बने बहुत सारे थानों की स्थिति खंडहर की तरह प्रतीत होती है जहां पर कार्यालयों को टाइलें लगाकर तो चमका दिया गया है परन्तु कस्टडी कक्षों,बाथरूमों,बैरकों,स्टोरों,मेस की स्थिति बहुत बुरी है। इन वजहों से भी पुलिस जवान भारी मानसिक तनाव में रहते हैं।
सीटू ने कहा कि पुलिस में स्टाफ कि बहुत कमी है या यूं कह लें कि बेहद कम है व कुल अनुमानित नियुक्तियों की तुलना में आधे जवान ही भर्ती किये गए हैं जबकि प्रदेश की जनसंख्या पहले की तुलना में काफी बढ़ चुकी है यहाँ तक पुलिस के पास रिलीवर भी नहीं है।
आरोप लगाते हुए कमेटी ने कहा कि प्रदेश की राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है। वहीं पुलिस कर्मी निरन्तर ओवरटाइम डयूटी करते हैं। इसकी एवज में उन्हें केवल एक महीना ज़्यादा वेतन दिया जाता है। इस से प्रत्येक पुलिसकर्मी को वर्तमान वेतन की तुलना में दस से बारह हज़ार रुपये का नुकसान उठाना पड़ता है। उन्हें लगभग नब्बे साप्ताहिक अवकाश,सेकंड सैटरडे,राष्ट्रीय व त्योहार व अन्य छुट्टियों के मुकाबले में केवल पन्द्रह स्पेशल लीव दी जाती है।
सीटू कमेटी ने यह भी कहा कि वर्ष 2007 में हिमाचल प्रदेश में बने पुलिस एक्ट के पन्द्रह साल बीतने पर भी नियम नहीं बन पाए हैं। इस एक्ट के अनुसार पुलिसकर्मियों को सुविधा तो दी नहीं जाती है परन्तु कर्मियों को दंडित करने के लिए इसके प्रावधान बगैर नियमों के भी लागू किये जा रहे हैं जिसमें एक दिन डयूटी से अनुपस्थित रहने पर तीन दिन का वेतन काटना भी शामिल है। पुलिसकर्मियों की प्रोमोशन में भी कई विसंगतियां हैं व इसका टाइम पीरियड भी बहुत लंबा है। हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।
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किन्नौर में लापता पर्यटकों में से 2 और के शव बरामद, 2 की तालाश जारी,आभी तक कुल 7 शव बरामद
शिमला रिकोंगपिओ में 14 अक्तुबर को उत्तरकाशी के हर्षिल से छितकुल की ट्रैकिंग पर निकले 11 पर्यटकों में से लापता चार पर्वतारोहीयों में से दो पर्वतारोहियों के शवो को आई.टी.बी.पी व पुलिस दल द्वारा पिछले कल सांगला लाया गया था जहां सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सांगला में दोनों शवों का पोस्टमार्टम किया गया।
यह जानकारी देते हुए उपायुक्त किन्नौर अपूर्व देवगन ने बताया कि इन दोनों की पहचान कर ली गई है जिनमे मे एक उतरकाशी व दूसरा पश्चिम बंगाल से सम्बंधित था।
उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन किन्नौर द्वारा आज एक शव वाहन द्वारा उतरकाशी को भेज दिया गया है जहाँ शव को जिला प्रशासन उतरकाशी को सौंपा जाएगा। जब कि दूसरा शव वाहन द्वारा शिमला भेजा गया है जिसे शिमला में मृतक के परिजनों को सौंपा जायेगा।
उपायुक्त अपूर्व देवगन ने बताया कि अभी भी लापता दो पर्यटकों की तलाश आई.टी.बी.पी के जवानों द्वारा जारी है। उल्लेखनीय है कि गत दिनों उतरकाशी से छितकुल के लिये 11 पर्वतारोही ट्रेकिंग पर निकले थे जो बर्फबारी के कारण लमखंगा दर्रे में फंस गये थे जिसकी सूचना मिलने पर जिला प्रशासन द्वारा सेना के हेलीकॉप्टर व आई.टी.बी.पी के जवानों की सहायता से राहत व बचाव कार्य आरम्भ किया था। सेना व आई.टी.बी.पी के जवानों ने 21 अक्टूबर को दो पर्यटकों को सुरक्षित ढूंढ निकाला था। इसी दौरान उन्हें अलग अलग स्थानों पर पाँच ट्रेकरों के शव ढूंढ निकलने में सफलता मिली थी। जबकि 4 पर्यटक लापता थे जिसमे से राहत व बचाव दल को 22 अक्तुबर को 2 शव ढूढ़ निकालने में सफलता मिली थी। अभी भी दो पर्यटक लापता हैं जिनकी राहत व बचाव दल द्वारा तलाश जारी है।
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