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ढाण्डा क्षेत्र बनता जा रहा है कूड़े-कचरे का ढेर
“चायली पंचायत के अंदर आने वाला क्षेत्र ढान्डा जो जूझ रहा है समस्याओं से ,समस्याएं जो बेहद आम है पर सही समय और सही समाधान के आभाव के चलते इस क्षेत्र में कुड़ा -कचरा हर जगह फैला हुआ दिखाई देता है, वहीं पंचायत प्रधान की अनदेखी और जनता की लापरवाही भी इस समस्या को बढ़ा रही है”
चायली पंचायत के अंदर आने वाला क्षेत्र ढान्डा ,जहां सड़क के एक ओर फैकें गए कूडे़-कचरे को देखकर कोई भी ये आसानी से समझ सकता है कि ढान्डा में रहने वाले लोगों के लिए कचरा फैंकने के लिए किसी भी तरह का कोई उचित प्रंबध यहां की पंचायत द्वारा नहीं किया गया है।
इस क्षेत्र में रहने वाले लोग अपने घरों का सारा कूड़ा कचरा सकड़ के किनारे फैंकने के लिए मजबुर है और जिसका परिणाम अब ये हो गया है कि ढान्ड़ा क्षेत्र के लोग हर कहीं अपने घरों का कचरा डाल रहें है जिससे जंहा तहां देखने पर सड़को पर और हर जगह कचरा फैला हुआ दिखाई देता है।
सड़क के किनारे लगती खाली जमीन को ढाण्ड़ा क्षेत्र में रहने वाले लोग कचरा फैंकने के लिए तकरिबन 10 सालों से इस्तेमाल में ला रहें है और वो भी तब जब उस स्थान पर कचरा डालने और उस कचरे को इधर उधर फैलने से रोकने के लिए किसी भी तरह के कचरा एकत्र करने वाले डिब्बों का कोई भी प्रावधान नहीं है और जिस वजह से ये कचरा सड़क के इर्द गिर्द चारों और फैला हुआ है । पर अफसोस न तो पंचायत प्रधान द्वारा इस समस्या पर कोई कदम उठाया गया है और न ही ढाण्डा क्षेत्र की जनता द्वारा जो बिना सोचे समझे अपने ही क्षेत्र को कुडे के ढेर में परिवर्तित करते जा रहे है।
शायद उनकी मानसिकता इतनी ही है कि अपने घर का कचरा घर से बाहर निकाल दो फिर चाहे वो कचरा उन के अपने घर से बाहर निकल कर पुरे क्षेत्र को भले ही गंदा क्यों न कर रहा हो पर इसकी परवाह शायद ही किसी को है।
इतने साल बित गए पर अभी तक न ही कचरा फैंकने के स्थान में परिवर्तन हुआ है और न ही हालात में , हां इतना जरुर कहा और देखा जा सकता है कि हालात पहले से ज्यादा खराब जरुर हो रहे है। जो कचरा पहले एक जगह को गंदा कर रहा था अब वही कचरा ढाण्ड़ा से टुटु जाने वाली सड़क के किनारे लगभग 300 मीटर के एरिया में फैल चुका है अब लोगों का जहां मन बन पड़े वो वहीं कचरा फैंक देते है, जिसकी वजह से अब इस क्षेत्र में कुड़ा-कचरा हर किसी जगह पर फैला हुआ दिखाई देता है ।
जनता की लापरवाही तो साफ दिखती है पर इस एरिया के पंचायत प्रधान की लापरवाही भी इस समस्या को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार है जिनकी आंख के सामने उनकी पंचायत के ढाण्ड़ा क्षेत्र का ये हाल है कि यहां लोग अपने घर के कचरे को सड़को के किनारे हर कहीं डालने पर मजबूर है।
एक तरफ जहां ग्रामीण क्षेत्र में हर पंचायत संपूर्ण स्वछता अभियान के तहत कार्य कर अपनी पंचायत से जुड़े क्षेत्रों को सुदंर और स्वच्छ बनाने की ओर अग्रसर है तो वहीं दूसरी ओर चायली पंचायत के ढाण्ड़ा क्षेत्र को देख कर तो यही लगता है ,कि इस क्षेत्र में पंचायत सेवकों द्वारा संपूर्ण स्वस्छता अभियान लागु करना तो दूर पर सड़क के किनारे फैंले कचरे जिसने क्षेत्र में गंदगी फैलाने के साथ ही आवारा पशुओं और बंदरो की तादात को भी बढ़ावा दिया है को सही जगह डालने के लिए भी किसी तरह का कोई इंतजाम नहीं किया है। क्षेत्र में फैले इस कचरे से क्षेत्र में बंदरो और आवारा पशुओं के साथ साथ कुत्तों की तादाद को भी बढ़ा दिया है।
वहीं चायली पंचायत के प्रधान संजीव वर्मा द्वारा ढाण्ड़ा क्षेत्र की समस्याओं की अनदेखी की जा रही है और समस्याओं को सुलझाने के प्रति उनकी गंभीरता कहीं नजर भी नहीं आ रही है।
“हिमाचल वॉचर का एक ओर प्रयास”
करिब एक साल पहले भी ‘हिमाचल वॉचर’ ने ढाण्ड़ा में फैंल रहे इस कचरे की समस्या के बारे में लिखा था, जिसके चलते इस समस्या को सुलझाने के लिए तो किसी तरह का कोई प्रयास नहीं किया गया पर हां समस्या को छुपाने का प्रयास जरुर किया गया है और जो कचरा पहले सड़क के किनारे और सड़क पर फैला रहता था उस कचरे को धकेल कर सड़क के किनारे खाली पड़ी जमीन पर डाल दिया गया, ताकि सड़क पर आने जाने वालों की नजर उस कचरे पर ना जाए। अब इस कचरे को सड़क से नीचे धकेलने से ये कचरा और ज्यादा क्षेत्र में फैल गया है।
वहीं इस समस्या से निपटने के लिए स्थानीय लोगों द्वारा कदम तो उठाया गया जो समस्या से निपटने के लिए कारगर साबित नहीं हो सका। इस समाधान के तहज ढाण्ड़ा में सिटी लाईफ स्कूल के साथ सड़क के दूसरी ओर कूड़ा एकत्र करने के लिए एक ओपन डस्टबिन लगाया गया जिसमें कचरा डालने के साथ उसे एकत्र करने के लिए सही प्रावधान न होने के कारण सारा कचरा सड़क पर ही गिरने लगा। जिसे बाद में सही समाधान साबित न होता देख उस स्थान से हटा दिया गया और उसके बाद से स्थानीय लोग सड़क के किनारे फैले कचरे के ढेर में ही कचरा फैंकने के लिए मजबूर है और साथ ही अपने क्षेत्र को गंदा करने के लिए भी।
”समस्याएं ओर भी है“
वहीं एक दूसरी समस्या जो जनता के सामने आ रही है वो ये है कि सड़क के किनारे खोदी गई नाली जिसे इतना चौड़ा खौदा गया है कि वह नाली वहां लोगों को वाहन में चढ़ने और उतरने के समय पर परेशानी की वजह बन गई है।
वर्षा शालिका ढाण्ड़ा के सामने से खोदी गई ये नाली इतनी चौड़ी है कि वहां बस रुकने पर यात्रियों को सड़क के किनारे खड़े रहने का भी स्थान नहीं मिलता है और जिस कारण बस मे चढ़ने और उतरने के लिए यात्रियों को असुविधा उठानी पड़ रही है और न चाहते हुए भी यात्री सड़क के किनारे खोदी गई और अकसर गंदी रहने वाली नाली में उतरने के लिए मजबूर है। इतना ही नहीं इस नाली और सड़क के लेवल के बीच भी काफि अंतर है जिसके कारण सड़क पर बस के रुकते ही इतना स्थान भी बाकि नहीं रहता कि यात्री सड़क में खड़ा हो सके जिससेयहां दुर्घटना होने का खतरा आए दिन बना रहता है ।
इसके साथ ही टुटु से ढाण्ड़ा जाने वाले रास्ते पर यादगार से आगे रात के समय ढाण्ड़ा आने वाले लोगों के लिए सड़क पर किसी भी तरह की रोशनी का कोई इंतजाम नहीं किया गया है । इस रास्ते पर ढाण्ड़ा से टुटु और टुटु से ढाण्ड़ा लोगों को पदैल भी सफर करना पड़ता है ,लेकिन रात के समय इस रास्ते पर इतना अंधेरा होता है कि इस रास्ते पर सफर करना मुश्किल हो जाता है।
सड़क पर सट्रीट लाइट के न होने के कारण सबसे ज्यादा परेशानी का सामना उन महिलाओं को करना पड़ता है जिन्हें रात के समय अगर यादगार से ढाण्ड़ा का सफर पैदल तय करना पड़े तो महिलाएं यह सोच कर ही परेशान हो जाती है कि वो इस अंधेरी सड़क को कैसे पार करेंगी।
अकसर शाम के समय करीब 7 बजे ओर इसके बाद इस रास्ते पर रोशनी का सही इंतेजाम न होने के कारण पैदल राहगीरों को बेहद मुश्किल का सामना करना पड़ता है ,पर खेद है तो इस बात का की ये समस्या आज की कोई नई समस्या नहीं ,ये समस्याएं इन क्षेत्रों में लम्बे समय से चलती आ रही है पर इन समस्याओं के बारे में सोचने और इनका उचित सामाधान करने के विषय में अभी तक किसी तरह का कोई कदम नहीं उठाया गया है।
“बिजली के ट्रासंफ्रार्म से भी बना रहता है खतरा”
ढांड़ा क्षेत्र में बिजली विभाग द्वारा लगाए गए ट्रासंफ्रार्म को चारों तरफ से किसी भी तरह की सेफ्टी वायर से कवर नहीं किया गया है और न ही इस ट्रासंफ्रार्म को जमीन से किसी तरह की कोई ऊंचाई दी गई है, जिससे इसे आम लोगों की पहुंच से दूर किया जा सके और दुर्घटनाओं को टाला जा सके।
जिस जगह पर इस ट्रासंफ्राम को लगाया गया है वहां कचरा फैंला हुआ ह,ै जिससे इस जगह पर बदरों और आवारा जानवरों की तादाद ज्यादा है। अकसर बदंर इस ट्रासंफ्राम की तारों पर लटक कर उत्पात मचाते है जिससे कई बार कंरट लगने से बंदरों की मौत हुई है, और यही कारण है कि इस ट्रासंफ्राम के चारो ओर किसी भी तरह की सेफ्टी वायर न होने से यहां अन्य दुर्घटनाओं के होने का खतरा भी आए दिन बना रहता है।
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घोटाला: रोहड़ू में प्रधान निलंबित, फर्जी बिल, समान की खरीददारी में गड़बड़ी व कई अन्य वित्तीय घोटालों की हुई थी पुष्टि
शिमला : विकास खंड रोहड़ू की पंचायत करासा के प्रधान देव राज को फर्जी बिल, समान की खरीददारी में अनियमिताएं बरतने, बिना बजट के अत्याधिक कार्य करवाने इत्यादी घोटालों के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम और 15वें वित्त आयोग के तहत निलंबित कर दिया है। उपायुक्त अनुपम कश्यप ने प्रधान देव राज को निलंबित करने के आदेश की अधिसूचना जारी कर दी है ।
ग्राम पंचायत करासा के स्थानीय निवासी ने खंड विकास अधिकारी रोहड़ू के पास उक्त प्रधान के खिलाफ लिखित में शिकायत दर्ज की थी। जिसके बाद इस शिकायत की प्रारंभिक जांच की गई।
6 मई 2024 को 135 पन्नों की जांच रिपोर्ट सौंपी गई। जिसमें वर्ष 2020 से 2024 तक विकासात्मक कार्यों में वित्तीय अनियमिताएं पाए जाने की पुष्टि हुई। 1 जुलाई 2024 को जांच में लगे आरोपों को लेकर प्रधान ग्राम पंचायत करासा को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। 4 जुलाई 2024 को प्रधान ने उक्त आरोपों पर अपना जवाब लिखित में दायर किया।
इसके बाद जब प्रधान के लिखित जवाबों का अवलोकन पंचायत के रिकॉर्ड के साथ किया गया, तो जांच में पाया गया कि प्रधान की ओर से अपने बचाव में जो तथ्य पेश किए गए है वह तथ्य ठोस नहीं पाए गए है।
प्रधान देव राज द्वारा फर्जी बिल, समान की खरीददारी में अनियमिताएं बरतने, कार्यों के बजट को स्थानांतरित करने, अधूरे कार्यों, मजदूरों के खातों में सीधे मजदूरी न ट्रांसफर करने, एक ही व्यक्ति को बिना कोटेशन के कार्य आवंटित करने, बिना बजट के अत्याधिक कार्य करवाने, तकनीकी अनुमति के बिना कार्य करने आदि की अनियमिताएं जांच में सामने आई है।
ऐसे में उपायुक्त ने हिमाचल प्रदेश पंचायती राज अधिनियम 1994 की धारा 145 (1) (c) के तहत प्रधान को अपने कार्य में लापरवाही बरतने के लिए तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।
इसके साथ ही पंचायत से जुड़ा सारा रिकॉर्ड स्टोर, स्टॉक, स्टांप आदि जो प्रधान के पास मौजूद है उसे पंचायत सचिव को सौंपने के आदेश जारी किए है।
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आबकारी विभाग की बड़ी कार्रवाई, 85 हजार लीटर अवैध कच्ची शराब को कब्जे में लेकर किया नष्ट
शिमला- राज्य कर एवं आबकारी विभाग ने अवैध शराब मामले में एक बड़ी कार्रवाई की है। विभाग की नूरपुर टीम ने पंजाब के साथ लगते सीमांत क्षेत्र छन्नी वैली में अवैध शराब बनाने वालों पर इस कार्रवाई को अमल में लाया है ओर 85 हजार लीटर कच्ची शराब को कब्ज़े में लेकर नष्ट किया है।
राज्य कर एवं आबकारी विभाग के आयुक्त युनूस ने जानकारी देते हुए बताया कि विभाग की ओर से इस कार्रवाई में पंजाब आबकारी विभाग व पंजाब पुलिस और इंदौरा पुलिस थाना की सहायता ली गई थी।
उन्होंने कहा कि आबकारी विभाग को इस क्षेत्र में अवैध शराब के बनाने की सूचनाएं प्राप्त हो रही थी। जिसके अंतर्गत नूरपुर टीम के सदस्यों ने पंजाब के सीमांत क्षेत्र में पंजाब आबकारी विभाग व पंजाब पुलिस के सहयोग से इस क्षेत्र में अवैध शराब बनाने वालों पर संयुक्त कार्रवाई की।
उन्होंने बताया कि सीमांत क्षेत्र होने की वजह से कार्रवाई करने में शुरू में कुछ कठिनाइयां भी आई लेकन इसके बावजूद भी विभाग ने इस क्षेत्र में कार्रवाई की और (85000 लीटर लाहन) कच्ची शराब को कब्जे में लिया और कानूनी प्रक्रिया पूर्ण करने के बाद अवैध शराब को नष्ट किया गया है।
यूनुस ने बताया कि विभाग अवैध शराब बनाने वालों पर कड़ी कार्रवाई कर रहा है और भविष्य में भी यह कार्रवाई विभाग जारी रखेगा।
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13 फरवरी को आपदा जोख़िम से बचाव पर उमंग आयोजित करेगी वेबिनार
शिमला- उमंग फाउंडेशन की ओर से रविवार 13 फरवरी को आपदा जोख़िम से बाचव विषय पर एक वेबिनार का आयोजन किया जा रहा है।
आपदा प्रबंधन के विशेषज्ञ और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के लिए कार्य कर चुके नवनीत यादव उमंग फाउंडेशन के वेबीनार में “आपदा जोखिम से बचाव का अधिकार” विषय पर युवाओं के साथ चर्चा करेंगे। वह दिव्यांगों को आपदा के समय सुरक्षित बचाने के तरीके भी बताएंगे।
कार्यक्रम के संयोजक संजीव शर्मा ने बताया कि आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष में मानवाधिकार जागरूकता पर संस्था का ये 22वां साप्ताहिक कार्यक्रम होगा।
गूगल मेल पर 13 फरवरी को शाम 7:00 बजे लिंक http://meet.google.com/zop-pbkn-heg के माध्यम से कार्यक्रम में शामिल हुआ जा सकता है। यहां ‘उमंग फाउंडेशन शिमला’ के फेसबुक पेज पर भी लाइव उपलब्ध रहेगा।
उन्होंने कहा कि आपदा जोखिम से बचाव को लेकर समाज में जागरूकता की कमी है। विशेषकर दिव्यांग व्यक्तियों को भीषण आपदा के समय कैसे सुरक्षित निकाला जाए, यह एक बड़ा मुद्दा है।
‘आपदा जोखिम से बचाव का अधिकार’ विषय पर आपदा जोखिम प्रबंधन से जुड़े संगठन डूअर्स के कार्यक्रम निदेशक और जापान, थाईलैंड, सेनेगल एवं नेपाल में अंतरराष्ट्रीय पाठ्यक्रमों में नवनीत यादव हिस्सा ले चुके हैं।
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