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नहीं खुला शिमला के युवक की हत्या का राज, पूछताछ जारी
परिजन भी यह नहीं बता पा रहे हैं कि अंकुश की हत्या के पीछे किसका हाथ हो सकता है, जब शव का पोस्टमार्टम किया गया तो पता चला कि यह गिरने का मामला नहीं है,एसपी शिमला डीडब्ल्यू नेगी ने कहा कि इस मामले में हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया गया है
शिमला- शिमला के टुटू में युवक की हत्या के मामले में वीरवार को फोरेंसिक टीम ने घटनास्थल का मुआयना किया। पुलिस ने कुछ संदिग्धों से भी पूछताछ की है। अभी तक हत्या के मामले का खुलासा नहीं हो पाया है। परिजन भी यह नहीं बता पा रहे हैं कि अंकुश (22)की हत्या के पीछे किसका हाथ हो सकता है।
हालांकि, अब तक पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी नहीं आई है लेकिन पुलिस इस पूरे मामले को हत्या की नजर से देख रही है। बताया जा रहा है कि घटना से एक दिन पहले अंकुश के साथ कुछ लोगों ने झगड़ा किया था। इस दौरान उसकी पिटाई भी की गई।
पोस्टमार्टम के दौरान भी अंकुश के शरीर पर चोटों के निशान पाए गए। इसके बाद डॉक्टरों ने साफ किया था कि यह गिरकर मौत का मामला नहीं लग रहा। इस तरह के संकेत मिलने के बाद ही पुलिस ने थाना बालूगंज में अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया है।
बुधवार को अंकुश टूटू स्थित अपने घर पर था। सुबह करीब ग्यारह बजे उसकी तबीयत खराब हुई और वह उल्टी करने के लिए बाथरूम में गया। उल्टी करते ही वह बाथरूम में गिर गया। घर पर अंकुश की मां थी उन्हें लगा उनके बेटे का पैर फिसल गया और वह गिर गया।
उन्होंने अपने दूसरे बेटे की मदद से तुरंत एंबुलेंस को बुलाया और अंकुश को अस्पताल ले जाया गया। जहां उसकी मौत हो गई। पहले यह मामला गिरने का ही बताया जा रहा था लेकिन जब पोस्टमार्टम हुआ तो उसके शरीर पर चोटों के निशान पाए गए ।
परिजनों के बयान लिए गए उन्होंने भी इस पूरे मामले में हत्या का अंदेशा जताया। एसपी शिमला डीडब्ल्यू नेगी ने कहा कि हर पहलू पर तफ्तीश की जा रही है।
जानिए क्या है मामला
शिमला के टुटू में 22 साल के युवक की हत्या
शिमला के टुटू में युवक की हत्या का मामला प्रकाश में आया है। युवक अंकुश (22) पर्यटन व्यवसाय से जुड़ा हुआ था। इसके शरीर पर चोटों के निशान पाए गए हैं। बुधवार सुबह 11 बजे घर पर उसकी तबीयत खराब हुई।
वह बाथरूम गया और उल्टियां की। इसके बाद वह बाथरूम में गिर गया। इलाज के लिए आईजीएमसी ले जाया गया। जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। पहले मामला यह लग रहा था कि बाथरूम में फिसलने से उसकी मौत हुई है।
लेकिन जब शव का पोस्टमार्टम किया गया तो पता चला कि यह गिरने का मामला नहीं है। अंकुश की बाजू, गर्दन और शरीर के अन्य हिस्सों में चोटों के निशान पाए गए हैं। इसके बाद परिजनों ने भी अंकुश की हत्या होने का अंदेशा जताया।
परिजनों के बयान लेने के बाद इस संदर्भ में थाना बालूगंज में अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। पुलिस के मुताबिक अंकुश अपनी मां के साथ टुटू में अजय बिल्डिंग में रहता था। अंकुश ने चक्कर में एक होटल लीज पर ले रखा था।
उसका भाई करन भी इसी भवन में अलग फ्लोर में रहता है। बुधवार सुबह करीब 11 बजे अचानक उसकी तबीयत खराब हुई और वह बाथरूम में गया। वहां वह उल्टी करने लगा और उसके बाद गिर गया। उसकी हालत देखकर तुरंत अंकुश की मां ने अपने बेटे करन को बुलाया।
शरीर पर निकले चोटों के निशान
यहां से 108 एंबुलेंस में उपचार के लिए आईजीएमसी ले गए। जहां अंकुश ने दम तोड़ दिया। पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों के सपुर्द कर दिया गया है। इसके बाद परिजनों ने आरोप लगाया कि अंकुश की हत्या की गई है। इसके शरीर पर मिले चोटों के निशान इस ओर इशारा कर रहे हैं।
परिजनों का कहना है कि मंगलवार को कुछ लोगों ने अंकुश के साथ मारपीट की है। इस बात का भी आरोप लगा है कि संभव है किसी ने अंकुश की हत्या करने की नीयत से उसे धोखे से जहर पिला दिया हो। हालांकि परिजनों की ओर से अभी तक इस मामले में किसी भी आरोपी को नामजद नहीं किया गया है।
हत्या का मामला दर्ज एसपी
एसपी शिमला डीडब्ल्यू नेगी ने कहा कि इस मामले में हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद पूरी तरह से स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। मामले के गहनता से जांच करने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं।
खोजे जा रहे हैं साक्ष्य एएसपी
मामले की जांच कर रहे एएसपी सिटी भजन देव नेगी कि घर की तलाशी ली जाएगी। संभव है वहां से इस मामले से जुड़े कोई साक्ष्य मिल पाए। कुछ संदिग्धों से भी पूछताछ की जा रही है ताकि इस पूरे मामले की स्थिति साफ हो पाए। फिलहाल परिजनों की ओर से अब तक इस मामले में किसी को नामजद नहीं किया गया है।
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हिमाचल की तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर लगे 76,000 से अधिक सेब के पौधे
शिमला- डॉ यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के विस्तार शिक्षा निदेशालय में पहाड़ी कृषि एवं ग्रामीण विकास एजेंसी(हार्प), शिमला द्वारा एक अनुभव-साझाकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस कार्यशाला में जिला किन्नौर के निचार विकास खंड के रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों के 34 किसानों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर जीएम नाबार्ड डॉ. सुधांशु मिश्रा मुख्य अतिथि रहे जबकि नौणी विवि के अनुसंधान निदेशक डॉ रविंदर शर्मा ने विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत की।
संस्था के अध्यक्ष डॉ. आर एस रतन ने कहा कि यह कार्यक्रम एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना के तहत रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों में वर्ष 2014 से आयोजित किया जा रहा है। परियोजना को नाबार्ड द्वारा वित्त पोषित किया गया है और इसे हार्प द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
उन्होंने यह बताया कि यह एक बागवानी आधारित आजीविका कार्यक्रम है जिसे किसानों की भागीदारी से लागू किया गया है। इन तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर 76,000 से अधिक सेब के पौधे लगाए गए हैं और 607 परिवार लाभान्वित हुए हैं।
डॉ. सुधांशु मिश्रा ने यह भी कहा कि नाबार्ड हमेशा सामाजिक-आर्थिक उत्थान कार्यक्रमों के संचालन में आगे रहा है। उन्होंने इस कार्यशाला में भाग लेने वाले किसानों से अपने सहयोग से विभिन्न कार्यक्रमों को सफल बनाने का आग्रह किया।
अनुसंधान निदेशक डॉ. रविंदर शर्मा और विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. दिवेंद्र गुप्ता ने नाबार्ड और हार्प के प्रयासों की सराहना की और किसानों को आश्वासन दिया कि विश्वविद्यालय किसानों को तकनीकी रूप से समर्थन देने के लिए हमेशा तैयार है।
डॉ. नरेद्र कुमार ठाकुर ने कहा कि हार्प ने कृषक समुदाय के समन्वय से दुर्गम क्षेत्रों में कठिन परिस्थितियों में काम किया है। इस अवसर पर एक किसान-वैज्ञानिक परिचर्चा का भी आयोजन किया गया जिसमें भाग लेने वाले किसानों के तकनीकी प्रश्नों को संबोधित किया गया।
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हिमाचल सरकार पुलिसकर्मियों का कर रही है शोषण
पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है,कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है,राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है,हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।
शिमला सीटू राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। कमेटी ने यह कहा है कि वह हिमाचल प्रदेश के पुलिसकर्मियों की मांगों का पूर्ण समर्थन करती है। आरोप लगाते हुए सीटू ने कहा है कि प्रदेश सरकार पुलिसकर्मियों का शोषण कर रही है।
राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार से यह मांग की है कि वर्ष 2013 के बाद नियुक्त पुलिसकर्मियों को पहले की भांति 5910 रुपये के बजाए 10300 रुपये संशोधित वेतन लागू किया जाए व उनकी अन्य सभी मांगों को बिना किसी विलंब के पूरा किया जाए।
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में भी कर्मचारियों की प्रमुख मांगों को अनदेखा किया गया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में पुलिसकर्मियों की मांगों को पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया है।
सीटू कमेटी ने कहा कि सबसे मुश्किल डयूटी करने वाले व चौबीस घण्टे डयूटी में कार्यरत पुलिसकर्मियों को इस बैठक से मायूसी ही हाथ लगी है। इसी से आक्रोशित होकर पुलिसकर्मी मुख्यमंत्री आवास पहुंचे थे। उनके द्वारा पिछले कुछ दिनों से मैस के खाने के बॉयकॉट से उनकी पीड़ा का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि पुलिस कर्मियों के साथ ही सभी सरकारी कर्मचारी नवउदारवादी नीतियों की मार से अछूते नहीं है। कमेटी ने कहा कि पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है। कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।
कमेटी ने यह भी कहा है कि थानों में स्टेशनरी के लिए बेहद कम पैसा है व आईओ को केस की पूरी फ़ाइल का सैंकड़ों रुपये का खर्चा अपनी ही जेब से करना पड़ता है। थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है। मैस मनी केवल दो सौ दस रुपये महीना है जबकि मैस में पूरा महीना खाना खाने का खर्चा दो हज़ार रुपये से ज़्यादा आता है। यह प्रति डाइट केवल साढ़े तीन रुपये बनता है, जोकि पुलिस जवानों के साथ घोर मज़ाक है। यह स्थिति मिड डे मील के लिए आबंटित राशि से भी कम है।
उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के जमाने के बने बहुत सारे थानों की स्थिति खंडहर की तरह प्रतीत होती है जहां पर कार्यालयों को टाइलें लगाकर तो चमका दिया गया है परन्तु कस्टडी कक्षों,बाथरूमों,बैरकों,स्टोरों,मेस की स्थिति बहुत बुरी है। इन वजहों से भी पुलिस जवान भारी मानसिक तनाव में रहते हैं।
सीटू ने कहा कि पुलिस में स्टाफ कि बहुत कमी है या यूं कह लें कि बेहद कम है व कुल अनुमानित नियुक्तियों की तुलना में आधे जवान ही भर्ती किये गए हैं जबकि प्रदेश की जनसंख्या पहले की तुलना में काफी बढ़ चुकी है यहाँ तक पुलिस के पास रिलीवर भी नहीं है।
आरोप लगाते हुए कमेटी ने कहा कि प्रदेश की राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है। वहीं पुलिस कर्मी निरन्तर ओवरटाइम डयूटी करते हैं। इसकी एवज में उन्हें केवल एक महीना ज़्यादा वेतन दिया जाता है। इस से प्रत्येक पुलिसकर्मी को वर्तमान वेतन की तुलना में दस से बारह हज़ार रुपये का नुकसान उठाना पड़ता है। उन्हें लगभग नब्बे साप्ताहिक अवकाश,सेकंड सैटरडे,राष्ट्रीय व त्योहार व अन्य छुट्टियों के मुकाबले में केवल पन्द्रह स्पेशल लीव दी जाती है।
सीटू कमेटी ने यह भी कहा कि वर्ष 2007 में हिमाचल प्रदेश में बने पुलिस एक्ट के पन्द्रह साल बीतने पर भी नियम नहीं बन पाए हैं। इस एक्ट के अनुसार पुलिसकर्मियों को सुविधा तो दी नहीं जाती है परन्तु कर्मियों को दंडित करने के लिए इसके प्रावधान बगैर नियमों के भी लागू किये जा रहे हैं जिसमें एक दिन डयूटी से अनुपस्थित रहने पर तीन दिन का वेतन काटना भी शामिल है। पुलिसकर्मियों की प्रोमोशन में भी कई विसंगतियां हैं व इसका टाइम पीरियड भी बहुत लंबा है। हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।
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किन्नौर में लापता पर्यटकों में से 2 और के शव बरामद, 2 की तालाश जारी,आभी तक कुल 7 शव बरामद
शिमला रिकोंगपिओ में 14 अक्तुबर को उत्तरकाशी के हर्षिल से छितकुल की ट्रैकिंग पर निकले 11 पर्यटकों में से लापता चार पर्वतारोहीयों में से दो पर्वतारोहियों के शवो को आई.टी.बी.पी व पुलिस दल द्वारा पिछले कल सांगला लाया गया था जहां सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सांगला में दोनों शवों का पोस्टमार्टम किया गया।
यह जानकारी देते हुए उपायुक्त किन्नौर अपूर्व देवगन ने बताया कि इन दोनों की पहचान कर ली गई है जिनमे मे एक उतरकाशी व दूसरा पश्चिम बंगाल से सम्बंधित था।
उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन किन्नौर द्वारा आज एक शव वाहन द्वारा उतरकाशी को भेज दिया गया है जहाँ शव को जिला प्रशासन उतरकाशी को सौंपा जाएगा। जब कि दूसरा शव वाहन द्वारा शिमला भेजा गया है जिसे शिमला में मृतक के परिजनों को सौंपा जायेगा।
उपायुक्त अपूर्व देवगन ने बताया कि अभी भी लापता दो पर्यटकों की तलाश आई.टी.बी.पी के जवानों द्वारा जारी है। उल्लेखनीय है कि गत दिनों उतरकाशी से छितकुल के लिये 11 पर्वतारोही ट्रेकिंग पर निकले थे जो बर्फबारी के कारण लमखंगा दर्रे में फंस गये थे जिसकी सूचना मिलने पर जिला प्रशासन द्वारा सेना के हेलीकॉप्टर व आई.टी.बी.पी के जवानों की सहायता से राहत व बचाव कार्य आरम्भ किया था। सेना व आई.टी.बी.पी के जवानों ने 21 अक्टूबर को दो पर्यटकों को सुरक्षित ढूंढ निकाला था। इसी दौरान उन्हें अलग अलग स्थानों पर पाँच ट्रेकरों के शव ढूंढ निकलने में सफलता मिली थी। जबकि 4 पर्यटक लापता थे जिसमे से राहत व बचाव दल को 22 अक्तुबर को 2 शव ढूढ़ निकालने में सफलता मिली थी। अभी भी दो पर्यटक लापता हैं जिनकी राहत व बचाव दल द्वारा तलाश जारी है।
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