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हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के दिग्गज नेता राजा वीरभद्र सिंह का निधन, प्रदेश में शोक की लहर

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former cm virbhdara singh passes away

शिमला–  हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री राजा वीरभद्र सिंह का निधन बुधवार रात को हो गया है। उनहोंने  शिमला के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज में बुधवार रात को 3:40 मिनट पर अंतिम सांस ली। आईजीएमसी के एमएस डॉक्टर जनक राज ने उनके निधन की पुष्टि की है।वीरभद्र सिंह के निधन की खबर से पुरे प्रदेश में शोक की लहर है। उनके पार्थिव शरीर को आईजीएमसी से उनके आवास हॉलीलॉज ले जाया जाएगा है और वहां अंतिम दर्शन के लिए रखा गया है।

बता दे की वीरभद्र सिंह कई दिनों से बीमार थे यह 12 अप्रैल को कोरोना संक्रमित पाए गए थे, उन्हें इलाज के लिए चंडीगढ़ के एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। इसके बाद 30 अप्रैल को शिमला लौटने के दौरान एक बार फिर उनकी तबियत बिगड़ गई थी।  जिसके चलते उन्हें आईजीएमसी अस्पताल में भर्ती किया गया था। इस दौरान वह दूसरी बार कोरोना संक्रमित हो गया थे। लेकिन उन्होंने कोरोना को मात दे दी थी और बाद में उन्हें कोविड वार्ड से शिफ्ट किया गया था।  सोमवार से वीरभद्र सिंह वेंटिलेटर पर थे। उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही थी।

जीवन परिचय 

वीरभद्र सिंह का जन्म 23 जून, 1934 को शिमला, हिमाचल प्रदेश में हुआ था। उनके पिता का नाम पिता राजा पदम सिंह और उनकी माता का नाम श्रीमति शांति देवी था।वीरभद्र सिंह की ने स्नातकोत्तर तक की शिक्षा प्राप्त की थी। उनका विवाह श्रीमति प्रतिभा सिंह के साथ हुआ था और उनके 1 बेटा और 4 बेटियाँ है। वीरभद्र सिंह कांग्रेस के दिग्गज नेता थे। यह 6 बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे थे। 8 जुलाई 2021 को शिमला के इंदिरा गाँधी मेडिकल कॉलेज में इनका निधन हो गया है।

राजनितिक सफर

  • वीरभद्र सिंह 1962 में तीसरी लोकसभा के लिए चुने गए।
  • इसके बाद पुन: 1967 में चौथी लोकसभा के लिए चुने गए।
  • एक बार फिर 1972 में पाँचवीं लोकसभा के लिए चुने गए।
  • 1980 में सातवीं लोकसभा के लिए चुने गए।
  • 1976 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के लिए भारतीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य बने।
  • दिसम्बर 1976 से मार्च 1977 तक भारत सरकार में पर्यटन और नागरिक उड्डयन के उपमंत्री नियुक्त हुए।
  • 1977, 1979 और 1980 में प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष बने रहे।
  • शिमला ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र से 20 दिसम्बर 2012 को राज्य विधान सभा के सदस्य चुने गए।
  • सितम्बर, 1982 से अप्रैल 1983 तक भारत सरकार में उद्योग मंत्री बने।
  • अक्टूबर 1983 और 1985 में जुब्बल – कोटखाई विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से राज्य विधानसभा के लिए चुने गए।
  • 1990, 1993, 1998, 2003 और 2007 में रोहड़ू निर्वाचन क्षेत्र से राज्य विधानसभा के लिए चुने गए।
  • 8 अप्रैल, 1983 से 5 मार्च, 1990 तक हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री।
  • दिसंबर, 1993 से 23 मार्च, 1998 तक हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री।
  • वीरभद्र सिंह एक बार फिर 6 मार्च 2003 से 29 दिसंबर 2007 तक हिमाचल प्रदेश के मुख्य मंत्री रहे।
  • मार्च 1998 से मार्च 2003 तक राज्य विधान सभा में हिमाचल प्रदेश के विपक्ष के नेता।
  • 25 दिसम्बर, 2012 को हिमाचल प्रदेश के छठे मुख्य मंत्री बने।।
  • 2009 में वे मंडी संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से हिमाचल प्रदेश से निर्वाचित हुए ।
  • मई 2009 से जनवरी 2011 तक वीरभद्र सिंह भारत सरकार में इस्पात मंत्री रहे।
  • उन्होने 19 जनवरी 2011 से जून 2012 तक भारत सरकार में लघु और मझौले उद्यम मंत्री के रूप में कार्य किया ।
  • 26 अगस्त 2012 से हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बने।
  • वीरभद्र सिंह आठ बार विधायक, छ: बार मुख्यमंत्री और पांच बार लोकसभा में बतौर सांसद रह चुके हैं।
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सनवारा टोल प्लाजा पर अब और कटेगी जेब, अप्रैल से 10 से 45 रुपए तक अधिक चुकाना होगा टोल

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शिमला- कालका-शिमला राष्ट्रीय राजमार्ग-5 पर वाहन चालकों से अब पहली अप्रैल से नई दरों से टोल वसूला जाएगा। केंद्रीय भूतल एवं परिवहन मंत्रालय की ओर से बढ़ी हुई दरों पर टोल काटने के आदेश जारी हो गए हैं। जारी आदेश के अनुसार कालका-शिमला एनएच-5 पर सनवारा टोल प्लाजा पर 10 से 45 रुपए तक की वृद्धि हुई है।

टोल प्लाजा संचालक कंपनी के मैनेजर ने बताया कि 1 अप्रैल से कार-जीप का एक तरफ शुल्क 65 और डबल फेयर में 95 रुपये देने होंगे।

लाइट कामर्शियल व्हीकल, लाइट गुड्स व्हीकल और मिनी बस को एक तरफ के 105, बस-ट्रक (टू एक्सेल) को एकतरफ के 215, थ्री एक्सेल कामर्शियल व्हीकल को एक तरफ के 235, हैवी कंस्ट्रक्शन मशीनरी को एकतरफ के 340 और ओवरसीज्ड व्हीकल को एकतरफ के 410 रुपये का शुल्क नई दरों के हिसाब से देना होगा।

सनवारा टोल गेट से 20 किलोमीटर के दायरे में आने वाले वाहन चालकों को पास की सुविधा भी नियमों के अनुसार दी जाती है। इस पास के लिए अब 280 की जगह 315 रुपये प्रति महीना चुकाना पड़ेगा।

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बच्चों से खतरनाक किस्म की मजदूरी कराना गंभीर अपराध:विवेक खनाल

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शिमला- बच्चों से खतरनाक किस्म की मज़दूरी कराना गंभीर अपराध है। 14 साल के अधिक आयु के बच्चों से ढाबे में 6 घंटे से अधिक काम नहीं लिया जा सकता। उन्हें तीन घंटे के बाद एक घंटे का आराम दिया जाना जरूरी है। यह बात वह उमंग फाउंडेशन द्वारा “मज़दूरों के कानूनी अधिकार, समस्याएं और समाधान” विषय पर वेबिनार में वरिष्ठ सिविल जज एवं राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अतिरिक्त सचिव विवेक खनाल ने कही।

उन्होंने कहा कि असंगठित मजदूरों के शोषण का खतरा ज्यादा होता है। देश की जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद का 50% हिस्सा असंगठित मजदूरों के योगदान से ही अर्जित होता है।

विवेक खनाल ने संगठित एवं असंगठित श्रमिकों से जुड़े विभिन्न कानूनों की जानकारी दी। उन्होंने कहा की 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को खतरनाक किस्म के कामों में नहीं लगाया जा सकता। इनमें औद्योगिक राख, अंगारे, बंदरगाह, बूचड़खाना, बीड़ी, पटाखा, रेलवे निर्माण, कालीन, पेंटिंग एवं डाईंग आदि से जुड़े कार्य शामिल हैं।

उन्होंने बताया कि 14 से 18 वर्ष तक के बच्चे रेस्टोरेंट या ढाबे में काम के तय 6 घंटे तक ही काम कर सकते हैं। शाम 7 बजे से सुबह 8 बजे के बीच उन से काम नहीं लिया जा सकता।

उन्होंने बताया कि भवन निर्माण एवं अन्य कामगार बोर्ड में पंजीकृत होने के बाद श्रमिकों को अनेक प्रकार की सुविधाएं एवं सामाजिक सुरक्षा मिल जाती है। 

विवेक के अनुसार असंगठित मजदूरों के लिए कानून भी काफी कम हैं। जबकि उनकी स्थिति ज्यादा खराब होती है। उन्होंने बताया कि मनरेगा के अंतर्गत काम करने वाली महिला मजदूरों के बच्चों को संभालने के लिए उन्हीं में से एक वेतन देकर आया का काम भी दिया जाता है। 

राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अतिरिक्त सचिव ने कहा कि कि प्राधिकरण की ओर से समाज के जिन वर्गों को मुफ्त कानूनी सहायता दी जाती है उसमें एक श्रेणी मजदूरों की भी है।

इसके अतिरिक्त महिला, दिव्यांग, ट्रांसजेंडर, बच्चे, अनुसूचित जाति एवं जनजाति, और तीन लाख से कम वार्षिक आय वाले बुजुर्ग इस योजना में शामिल हैं। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से बद्दी में मजदूरों के लिए एक विशेष प्रकोष्ठ स्थापित किया गया है।

इसके अलावा विभिन्न जिलों में वैकल्पिक विवाद समाधान केंद्र चलाए जा रहे हैं। एक अलग पोर्टल पर सरकार ई-श्रम कार्ड भी बना रही है।

इस दौरान उन्होंने युवाओं के सवालों के जवाब भी दिए।

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हिमाचल कैबिनेट के फैसले:प्रदेश में सस्ती मिलेगी देसी ब्रांड की शराब,पढ़ें सभी फैसले

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शिमला- मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में आयोजित प्रदेश मंत्रीमंडल की बैठक में आज वर्ष 2022-23 के लिए आबकारी नीति को स्वीकृति प्रदान की गई।

इस नीति में वर्ष के दौरान 2,131 करोड़ रुपये के राजस्व प्राप्ति की परिकल्पना की गई है, जो कि वित्त वर्ष 2021-22 से 264 करोड़ रुपये अधिक होगा। यह राज्य आबकारी राजस्व में 14 प्रतिशत की कुल वृद्धि को दर्शाता है।

बैठक में वित्तीय वर्ष 2022-23 राज्य में प्रति इकाई चार प्रतिशत नवीनीकरण शुल्क पर खुदरा आबकारी ठेकों के नवीनीकरण को स्वीकृति प्रदान की गई। इसका उद्देश्य सरकारी राजस्व में पर्याप्त बढ़ोतरी प्राप्त करना और पड़ोसी राज्यों में दाम कम करके होने वाली देसी शराब की तस्करी पर रोक लगाना है।

लाइसेंस फीस कम होने के कारण देसी शराब ब्रांड सस्ती होगी। इससे उपभोक्ताओं को सस्ती दरों पर अच्छी गुणवत्ता की शराब उपलब्ध होगी और उन्हें अवैध शराब खरीदने के प्रलोभन से भी बचाया जा सकेगा और शुल्क चोरी पर भी निगरानी रखी जा सकेगी।

नई आबकारी नीति में खुदरा लाइसेंसधारियों को आपूर्ति की जाने वाली देसी शराब के निर्माताओं और बॉटलर्ज के लिए निर्धारित 15 प्रतिशत कोटा समाप्त कर दिया गया है। इस निर्णय से खुदरा लाइसेंसधारी अपना कोटा अपनी पसंद के आपूर्तिकर्ता से उठा सकेंगे और प्रतिस्पर्धात्मक मूल्यों पर अच्छी गुणवत्ता की देसी शराब की आपूर्ति सुनिश्चित होगी। देसी शराब का अधिकतम खरीद मूल्य मौजूदा मूल्य से 16 प्रतिशत सस्ता हो जाएगा।

इस वर्ष की नीति में गौवंश के कल्याण के लिए अधिक निधि प्रदान करने के दृष्टिगत गौधन विकास निधि में एक रुपये की बढ़ोतरी करते हुए इसे मौजूदा 1.50 रुपये से बढ़ाकर 2.50 रुपये किया गया है।

राज्य में कोविड-19 के मामलों में कमी को देखते हुए कोविड उपकर में मौजूदा से 50 प्रतिशत की कमी की गई है।

लाइसेंस शुल्क के क्षेत्र विशिष्ट स्लैब को समाप्त करके बार के निश्चित वार्षिक लाइसेंस शुल्क को युक्तिसंगत बनाया गया है। अब पूरे राज्य में होटलों में कमरों की क्षमता के आधार पर एक समान लाइसेंस स्लैब होंगे।

जनजातीय क्षेत्रों में आने वाले पर्यटकों को बेहतर सुविधा प्रदान करने और होटल उद्यमियों को राहत प्रदान करने के लिए जनजातीय क्षेत्रों में बार के वार्षिक निर्धारित लाइसेंस शुल्क की दरों में काफी कमी की गई है।

शराब के निर्माण, संचालन, थोक विक्रेताओं को इसके प्रेषण और बाद में खुदरा विक्रेताओं को बिक्री की निगरानी के लिए इन सभी हितधारकों को अपने प्रतिष्ठानों में सीसीटीवी कैमरे लगाना अनिवार्य किया गया है।

विभाग की ओर से हाल ही में शराब बॉटलिंग प्लांटों, थोक विक्रेताओं और खुदरा विक्रेताओं में पाई गई अनियमितताओं को ध्यान में रखते हुए हिमाचल प्रदेश आबकारी अधिनियम, 2011 को और सख्त किया गया है।

राज्य में एक प्रभावी एंड-टू-एंड ऑनलाईन आबकारी प्रशासन प्रणाली स्थापित की जाएगी जिसमें शराब की बोतलों की ट्रैक एंड टेक्स की सुविधा के अलावा निगरानी के लिए अन्य मॉडयूल शामिल होंगे।

मंत्रिमंडल ने वर्ष 2022-23 के लिए हिमाचल प्रदेश राज्य पथकर नीति को अपनी मंजूरी प्रदान की है जिसमें राज्य में सभी पथकर बेरियर की नीलामी व निविदा शामिल हैं। वर्ष 2021-22 के दौरान टोल राजस्व में गत वर्ष के राजस्व के मुकाबले 20 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।

मंत्रिमंडल ने हिमाचल प्रदेश आपदा राहत नियमावली, 2012 में संशोधन को अपनी मंजूरी प्रदान की जिसमें मधुमक्खी, हॉरनेट और वैस्प के काटने से होने वाली मृत्यु, दुर्घटनाग्रस्त डूबने, और वाहन दुर्घटना मंे होने वाली मृत्यु के मामलोें को राहत नियमावली के अंतर्गत शामिल किया गया है।

मंत्रिमंडल ने लोक सेवा आयोग के माध्यम से राजस्व विभाग में नियमित आधार पर सीधी भर्ती के माध्यम से तहसीलदार श्रेणी-1 के 11 पदों को भरने की स्वीकृति प्रदान की।

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