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रोहड़ू में किसानों व बागवानों का विभिन्न माँगो को लेकर प्रदर्शन, प्रशासन के माध्यम से मुख्यमंत्री को सौंपा ज्ञापन

शिमला-हिमाचल किसान सभा, किसान संघर्ष समिति, दलित शोषण मुक्ति मंच, चिढ़गांव फल उत्पादक संघ आदि संगठनों ने आज रोहड़ू में किसानों व बागवानों की विभिन्न माँगो को लेकर प्रदर्शन किया तथा प्रशासन के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन दिया। इसके पश्चात प्रशासन, ए पी एम सी व किसानों के मध्य उपमंडलाधिकारी रोहड़ू के कार्यालय में वार्ता आयोजित की गई। वार्ता में मांगपत्र पर चर्चा की गई तथा सभी माँगो को प्रशासन व ए पी एम सी के अधिकारियों पर सहमति व्यक्त की और इन मांगों को शिघ्र लागू किया जाएगा।
यह मांगे इस प्रकार हैं:
- रोहड़ू में अब तक दर(बड़े व छोटे आकार का सेब के भाव मे 20 प्रतिशत का अंतर) को समाप्त कर गड्ड(सभी आकर का सेब एक ही भाव ) से बेचा जाएगा। आज से ही इसे लागू कर दिया जाएगा। तथा जिन आढ़तियों ने पहले दर में सेब बेचा हैं वह उन्हें वापिस लौटाएंगे।
- यह भी आज से ही लागू किया जाएगा कि कोई आढ़ती अब 5 रुपये से अधिक काट नही करेगा। यदि कोई आढ़ती गैर कानूनी रूप से 20 या 30 रुपये की कटौती करता है तो ए पी एम सी इस पर कानूनी कार्यवाही करेगी।
- प्रशासन व ए पी एम सी यह एक सप्ताह में सुनिश्चित करेगा कि किसी को भी बिना लाइसेंस के कारोबार की इजाज़त नहीं दी जाएगी। यदि कोई भी कारोबारी चाहे आढ़ती या खरीददार बिना लाइसेंस के पाया जाता है तो उसके विरुद्ध कानूनी कार्यवाही की जाएगी।
- प्रत्येक आढ़ती को अपनी दुकान व फड़ में लाइसेंस की प्रति प्रदर्शित करनी है। जिन आढ़तियों ने लाइसेंस के लिए आवेदन किया है उसे एक सप्ताह में इसे ए पी एम सी से लेकर इसे प्रदर्शित करना है। ए पी एम सी के अधिकारी ने माना कि अभी बहुत से आढ़ती बिना लाइसेंस के कार्य कर रहे हैं।
- आढ़ती के साथ साथ खरीददार के भी ए पी एम सी अधिनियम, 2005 के तहत लाइसेंस जारी किये जायेंगे। इसके लिए भी ए पी एम सी एक सप्ताह का समय देगी।
- मण्डी में खुली बोली से ही सेब बेचा जाएगा । यदि कोई भी हाथ के नीचे गुप्त बोली लगाते पकड़ा गया तो उसको जुर्माना व उसका लाइसेंस रद्द किया जाएगा। इसको रोकने के लिए ए पी एम सी मण्डिया व फड़ो में CCTV कैमरा लगाने सुनिश्चित करेगी।
- ए पी एम सी अधिनियम, 2005 के अंतर्गत किसानों व बागवानों को उनके उत्पाद की उचित कीमत सुनिश्चित करने के लिए ए पी एम सी अधिनियम की धारा 39 की उपधारा 2 के प्रावधानों को लागू सख्ती से लागू किया जाएगा। तथा उसी दिन भुगतान के प्रावधान लागू करवाया जाएगा। जो आढ़ती या खरीददार कानून के अनुसार उसी दिन भुगतान करेगा जिस दिन बिकेगा तो उससे कम व जो उसी दिन भुगतान नहीं करेगा उससे कम से कम 50 लाख रुपए व उससे अधिक उसकी क्षमता के अनुसार सुरक्षा के रूप में नकद में बैंक गारंटी ली जाए। इस पर ए पी एम सी अधिकारी ने माना कि अभी तक किसी से भी बैंक गारंटी नहीं ली गई है। इस पर शीघ्र अमल किया जाएगा।
- चर्चा के दौरान किसानों ने मांग रखी कि मण्डिया में फल व सब्जी देश व प्रदेश की अन्य मण्डिया की भांति किलो की हिसाब से बेचा जाए। प्रशासन व ए पी एम सी के अधिकारियों ने इस मांग को सरकार के समक्ष रखने का आश्वासन दिया।
- प्रशासन विभिन्न मण्डिया के लिए तय किये गए भाड़े को लागू करना सुनिश्चित करेगा। तथा तय भाड़े की सूची भी विभिन्न मण्डिया में लगवायेगा।
- ए पी एम सी विभिन्न मण्डिया में किसानों के अधिकार व उनको मिलने वाली सभी सुविधाओं की जानकारी के लिए होर्डिंग व बैनर लगवाएगी। रोहड़ू सब्जी मण्डी में एक सप्ताह के भीतर विभिन्न स्थानों पर यह लगवाए जाएंगी।
- .ए पी एम सी अधिकारी नियमित रूप से रोहड़ू सब्जी मण्डी व इससे बाहर के फड़ो का नियमित रूप से निरीक्षण करेंगे। और बोली की वीडियोग्राफी भी नियमित रूप से की जाएगी।
- ए पी एम सी यह भी सुनिश्चित करेगी कि कोई भी आढ़ती जिसकी बागवानों ने बकाया भुगतान हेतू शिकायत की है वह कोई भी कारोबार तब तक नही करेगा जब तक वह बागवानों का बकाया भुगतान नहीं कर देता और उसका लाइसेंस भी नहीं बनाया जाएगा। और इस प्रकार के दोषी आढ़तियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर कानूनी कार्यवाही भी की जाएगी।
इन मांगों के अतिरिक्त एक ज्ञापन भारत के राष्ट्रपति को भी दिया गया जिसमें देश मे किसान महापंचायत द्वारा पारित किसान कर्जा मुक्ति बिल, 2018 और किसानों का कृषि उत्पाद के लिए गारंटी तौर पर लाभकारी न्यूनतम समर्थन मूल्य पाने का अधिकार बिल, 2018 को देश मे लागू करने का आग्रह किया गया।
इस प्रदर्शन में किसान संघर्ष समिति के संजय चौहान, अजय दूल्टा, हरीश घमटा, बिर सिंह, हिमाचल किसान सभा से सुखदेव चौहान, बिहारी लाल, जय सिंह जेहटा, प्रीतम सिंह, दलित शोषण मुक्ति मंच से मीर सुख, शेर सिंह के अतिरिक्त सैंकड़ो किसानों ने भाग लिया। प्रदर्शन रोहड़ू बस अड्डा से शुरू होकर उपमंडलाधिकारी रोहड़ू के कार्यालय में समाप्त किया गया।
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हिमाचल की तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर लगे 76,000 से अधिक सेब के पौधे

शिमला- डॉ यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के विस्तार शिक्षा निदेशालय में पहाड़ी कृषि एवं ग्रामीण विकास एजेंसी(हार्प), शिमला द्वारा एक अनुभव-साझाकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस कार्यशाला में जिला किन्नौर के निचार विकास खंड के रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों के 34 किसानों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर जीएम नाबार्ड डॉ. सुधांशु मिश्रा मुख्य अतिथि रहे जबकि नौणी विवि के अनुसंधान निदेशक डॉ रविंदर शर्मा ने विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत की।
संस्था के अध्यक्ष डॉ. आर एस रतन ने कहा कि यह कार्यक्रम एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना के तहत रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों में वर्ष 2014 से आयोजित किया जा रहा है। परियोजना को नाबार्ड द्वारा वित्त पोषित किया गया है और इसे हार्प द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
उन्होंने यह बताया कि यह एक बागवानी आधारित आजीविका कार्यक्रम है जिसे किसानों की भागीदारी से लागू किया गया है। इन तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर 76,000 से अधिक सेब के पौधे लगाए गए हैं और 607 परिवार लाभान्वित हुए हैं।
डॉ. सुधांशु मिश्रा ने यह भी कहा कि नाबार्ड हमेशा सामाजिक-आर्थिक उत्थान कार्यक्रमों के संचालन में आगे रहा है। उन्होंने इस कार्यशाला में भाग लेने वाले किसानों से अपने सहयोग से विभिन्न कार्यक्रमों को सफल बनाने का आग्रह किया।
अनुसंधान निदेशक डॉ. रविंदर शर्मा और विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. दिवेंद्र गुप्ता ने नाबार्ड और हार्प के प्रयासों की सराहना की और किसानों को आश्वासन दिया कि विश्वविद्यालय किसानों को तकनीकी रूप से समर्थन देने के लिए हमेशा तैयार है।
डॉ. नरेद्र कुमार ठाकुर ने कहा कि हार्प ने कृषक समुदाय के समन्वय से दुर्गम क्षेत्रों में कठिन परिस्थितियों में काम किया है। इस अवसर पर एक किसान-वैज्ञानिक परिचर्चा का भी आयोजन किया गया जिसमें भाग लेने वाले किसानों के तकनीकी प्रश्नों को संबोधित किया गया।
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हिमाचल सरकार पुलिसकर्मियों का कर रही है शोषण

पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है,कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है,राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है,हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।
शिमला सीटू राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। कमेटी ने यह कहा है कि वह हिमाचल प्रदेश के पुलिसकर्मियों की मांगों का पूर्ण समर्थन करती है। आरोप लगाते हुए सीटू ने कहा है कि प्रदेश सरकार पुलिसकर्मियों का शोषण कर रही है।
राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार से यह मांग की है कि वर्ष 2013 के बाद नियुक्त पुलिसकर्मियों को पहले की भांति 5910 रुपये के बजाए 10300 रुपये संशोधित वेतन लागू किया जाए व उनकी अन्य सभी मांगों को बिना किसी विलंब के पूरा किया जाए।
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में भी कर्मचारियों की प्रमुख मांगों को अनदेखा किया गया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में पुलिसकर्मियों की मांगों को पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया है।
सीटू कमेटी ने कहा कि सबसे मुश्किल डयूटी करने वाले व चौबीस घण्टे डयूटी में कार्यरत पुलिसकर्मियों को इस बैठक से मायूसी ही हाथ लगी है। इसी से आक्रोशित होकर पुलिसकर्मी मुख्यमंत्री आवास पहुंचे थे। उनके द्वारा पिछले कुछ दिनों से मैस के खाने के बॉयकॉट से उनकी पीड़ा का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि पुलिस कर्मियों के साथ ही सभी सरकारी कर्मचारी नवउदारवादी नीतियों की मार से अछूते नहीं है। कमेटी ने कहा कि पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है। कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।
कमेटी ने यह भी कहा है कि थानों में स्टेशनरी के लिए बेहद कम पैसा है व आईओ को केस की पूरी फ़ाइल का सैंकड़ों रुपये का खर्चा अपनी ही जेब से करना पड़ता है। थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है। मैस मनी केवल दो सौ दस रुपये महीना है जबकि मैस में पूरा महीना खाना खाने का खर्चा दो हज़ार रुपये से ज़्यादा आता है। यह प्रति डाइट केवल साढ़े तीन रुपये बनता है, जोकि पुलिस जवानों के साथ घोर मज़ाक है। यह स्थिति मिड डे मील के लिए आबंटित राशि से भी कम है।
उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के जमाने के बने बहुत सारे थानों की स्थिति खंडहर की तरह प्रतीत होती है जहां पर कार्यालयों को टाइलें लगाकर तो चमका दिया गया है परन्तु कस्टडी कक्षों,बाथरूमों,बैरकों,स्टोरों,मेस की स्थिति बहुत बुरी है। इन वजहों से भी पुलिस जवान भारी मानसिक तनाव में रहते हैं।
सीटू ने कहा कि पुलिस में स्टाफ कि बहुत कमी है या यूं कह लें कि बेहद कम है व कुल अनुमानित नियुक्तियों की तुलना में आधे जवान ही भर्ती किये गए हैं जबकि प्रदेश की जनसंख्या पहले की तुलना में काफी बढ़ चुकी है यहाँ तक पुलिस के पास रिलीवर भी नहीं है।
आरोप लगाते हुए कमेटी ने कहा कि प्रदेश की राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है। वहीं पुलिस कर्मी निरन्तर ओवरटाइम डयूटी करते हैं। इसकी एवज में उन्हें केवल एक महीना ज़्यादा वेतन दिया जाता है। इस से प्रत्येक पुलिसकर्मी को वर्तमान वेतन की तुलना में दस से बारह हज़ार रुपये का नुकसान उठाना पड़ता है। उन्हें लगभग नब्बे साप्ताहिक अवकाश,सेकंड सैटरडे,राष्ट्रीय व त्योहार व अन्य छुट्टियों के मुकाबले में केवल पन्द्रह स्पेशल लीव दी जाती है।
सीटू कमेटी ने यह भी कहा कि वर्ष 2007 में हिमाचल प्रदेश में बने पुलिस एक्ट के पन्द्रह साल बीतने पर भी नियम नहीं बन पाए हैं। इस एक्ट के अनुसार पुलिसकर्मियों को सुविधा तो दी नहीं जाती है परन्तु कर्मियों को दंडित करने के लिए इसके प्रावधान बगैर नियमों के भी लागू किये जा रहे हैं जिसमें एक दिन डयूटी से अनुपस्थित रहने पर तीन दिन का वेतन काटना भी शामिल है। पुलिसकर्मियों की प्रोमोशन में भी कई विसंगतियां हैं व इसका टाइम पीरियड भी बहुत लंबा है। हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।
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किन्नौर में लापता पर्यटकों में से 2 और के शव बरामद, 2 की तालाश जारी,आभी तक कुल 7 शव बरामद

शिमला रिकोंगपिओ में 14 अक्तुबर को उत्तरकाशी के हर्षिल से छितकुल की ट्रैकिंग पर निकले 11 पर्यटकों में से लापता चार पर्वतारोहीयों में से दो पर्वतारोहियों के शवो को आई.टी.बी.पी व पुलिस दल द्वारा पिछले कल सांगला लाया गया था जहां सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सांगला में दोनों शवों का पोस्टमार्टम किया गया।
यह जानकारी देते हुए उपायुक्त किन्नौर अपूर्व देवगन ने बताया कि इन दोनों की पहचान कर ली गई है जिनमे मे एक उतरकाशी व दूसरा पश्चिम बंगाल से सम्बंधित था।
उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन किन्नौर द्वारा आज एक शव वाहन द्वारा उतरकाशी को भेज दिया गया है जहाँ शव को जिला प्रशासन उतरकाशी को सौंपा जाएगा। जब कि दूसरा शव वाहन द्वारा शिमला भेजा गया है जिसे शिमला में मृतक के परिजनों को सौंपा जायेगा।
उपायुक्त अपूर्व देवगन ने बताया कि अभी भी लापता दो पर्यटकों की तलाश आई.टी.बी.पी के जवानों द्वारा जारी है। उल्लेखनीय है कि गत दिनों उतरकाशी से छितकुल के लिये 11 पर्वतारोही ट्रेकिंग पर निकले थे जो बर्फबारी के कारण लमखंगा दर्रे में फंस गये थे जिसकी सूचना मिलने पर जिला प्रशासन द्वारा सेना के हेलीकॉप्टर व आई.टी.बी.पी के जवानों की सहायता से राहत व बचाव कार्य आरम्भ किया था। सेना व आई.टी.बी.पी के जवानों ने 21 अक्टूबर को दो पर्यटकों को सुरक्षित ढूंढ निकाला था। इसी दौरान उन्हें अलग अलग स्थानों पर पाँच ट्रेकरों के शव ढूंढ निकलने में सफलता मिली थी। जबकि 4 पर्यटक लापता थे जिसमे से राहत व बचाव दल को 22 अक्तुबर को 2 शव ढूढ़ निकालने में सफलता मिली थी। अभी भी दो पर्यटक लापता हैं जिनकी राहत व बचाव दल द्वारा तलाश जारी है।
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