शिमला-छात्र अभिभावक मंच ने ऑकलैंड व तारा हॉल स्कूलों में पीटीए के गठन को मंच के आंदोलन की जीत करार दिया है। मंच ने तारा हॉल स्कूल में निष्पक्ष पीटीए के गठन पर स्कूल प्रबंधन व अभिभावकों को बधाई दी है परन्तु ऑकलैंड स्कूल में पीटीए के गठन पर सवाल खड़े किए हैं व इसे लोकतंत्र पर काला धब्बा बताया है।
मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा व सह संयोजक बिंदु जोशी ने कहा है कि ऑकलैंड स्कूल प्रबंधन ने पीटीए के गठन के दौरान कई अनैतिक हथकंडे अपनाए। पीटीए के गठन से पहले स्कूल प्रबंधन ने कई अभिभावकों को टेलीफोन करके अपनी पसंद के उम्मीदवारों को वोट देने के लिए अनचाहा दबाव बनाया व उन्हें प्रबंधन के पक्ष में प्रभावित करने की कोशिश की। मंच ने कहा कि इस बात की पोल बॉयज स्कूल की कक्षा दो के चुनाव के दौरान खुल गयी जब एक उम्मीदवार ने अभिभावकों को चुनाव प्रक्रिया के दौरान साफ तौर पर बोला कि उन्हें स्कूल प्रबंधन ने खड़ा किया है इसलिए अभिभावक उन्हें वोट दें। इस पर विवाद हो गया व अभिभावकों ने उस उम्मीदवार के खिलाफ खुली बगावत करके दूसरे उम्मीदवार को भारी मतों से जिता दिया।
मंच ने कहा कि ऐसा ही एक उदाहरण कक्षा छः में आया जहां पर चुनाव रोस्टर को जानबूझ कर बदलकर महिला के लिए आरक्षित कर दिया गया। इस पर कक्षा छः की दोनों सेक्शनों के सभी अभिभावक खड़े हो गए व उन्होंने इसे फिक्सिंग करार दिया। उन्होंने साफ कह दिया कि कक्षा छः से छात्र अभिभावक मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा ही प्रतिनिधि होंगे। पूरी कक्षा ने बिना किसी चुनाव के ही विजेंद्र मेहरा को निर्विरोध चुन लिया जिसे बाद में अभिभावकों के दबाव में स्कूल प्रबंधन को मानना पड़ा।
मंच ने आरोप लगाया कि यह चुनाव पूरी तरह धांधलियों से भरपूर रहा। चुनाव के बाद चुनी गई कार्यकारी कमेटी के चुनाव में स्कूल प्रबंधन के लगभग दस लोग घुस आए व उन्होंने चुनाव को जबरन पांच मिनट में ही निपटा दिया जिसमें उन्होंने पहले से ही प्रबंधन द्वारा फिक्स उनके कुछ चहेतों को अपनी योजना के तहत मुख्य जिम्मेवारी सौंप दी। मंच ने कहा कहा कि इस कमेटी के चुनाव में इन लोगों का जबरन घुसना व कमेटी सदस्यों पर अनचाहा दबाव बनाना व उन्हें प्रभावित करना गैर संवैधानिक है। कार्यकारी कमेटी के चुनाव का नामांकन भी नहीं करवाया गया व इसे केवल एक औपचारिकता बनाकर रख दिया गया। बगैर किसी नामांकन व चुनाव के ही यह कमेटी गठित कर दी गयी।
अभिभावक मंच ने कहा कि ऑकलैंड स्कूल का पीटीए का चुनावी रोस्टर गैर संवैधानिक था। चुनाव की प्रक्रिया नर्सरी से शुरू न करवाकर जान बूझकर प्लस टू से शुरू करवाई गई। किसी भी रोस्टर में सामान्य श्रेणी से शुरुआत होकर आरक्षित श्रेणी तक जाती है परन्तु यहां पर जान बूझ कर इस रोस्टर को बदल दिया गया ताकि प्रबंधन के चहेते चुनाव में जीतें।
मंच ने निदेशक उच्चतर शिक्षा से मांग की है कि भविष्य में निजी स्कूलों में होने वाले पीटीए के गठन को और ज़्यादा पारदर्शी बनाया जाए ताकि शिक्षा के अधिकार कानून 2009,हिमाचल प्रदेश निजी शिक्षण संस्थान अधिनियम 1997 व नियम 2003 तथा मानव संसाधन विकास मंत्रालय की 2014 की गाइडलाइनज़ का पूर्णतः पालन हो व ऑकलैंड स्कूल की तर्ज़ पर पीटीए गठन में धांधली न हो।
अभिभावक मंच ने कहा कि 153 साल पुराने ऑकलैंड स्कूल में आज पहली मर्तबा पीटीए का गठन हुआ। यह छात्र अभिभावक मंच की पहली जीत है व इस जैसे सभी निजी स्कूलों के गाल पर करारा तमाचा है। निजी स्कूलों की तानाशाही के दी दिन अब लद रहे हैं। मंच ने कहा है कि संघर्ष जारी है और अगला पड़ाव निजी स्कूलों में भारी फीसों व अन्य विषयों को संचालित करने के लिए विधेयक लाने का है जिसका प्रारूप उच्चतर शिक्षा निदेशक ने बना दिया है। सम्भवतः इस विधानसभा सत्र में यह विधेयक पेश हो जाएगा।