Connect with us

Featured

हिमाचल के निजी स्कूलों के सामने घुटने टेक रही सरकार, न इंस्पेक्शन पूरी, न ही करवा पायी पीटीए का गठन

Published

on

Inspection report of himachal Pradesh's Private Schools

शिमला-लगभग दो महीने के विरोध प्रदर्शन के बावजूद निजी स्कूलों की हर साल भारी-भरकम फीस वृद्धि और अतिरिक्त मनमानी वसूली के सताए अभिभावकों को प्रदेश सर्कार से कोई रहत मिलती नज़र नहीं आ रही।

शिक्षा विभाग कितनी कठोर कार्रवाई करने में सक्षम है यह इसी से पता चलता है कि विभाग निजी स्कूलों में पीटीए का गठन तक नहीं करवा पाया। छात्र-अभिभावक मंच की माने तो भारी फीस बढ़ोतरी के मुद्दे पर विभाग से कार्रवाई की अपेक्षा करना केवल दिल को तसल्ली देने का कार्य है।

मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि शिक्षा विभाग इंस्पेक्शन रिपोर्ट पर कार्रवाई की आड़ में केवल जनता का आई वॉश कर रहा है। शिक्षा विभाग के अधिकारी निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाने के लिए न्यूनतम कार्य तक नहीं कर पाए हैं।

सिर्फ 47% स्कूलों का ही कर पाया इंस्पेक्शन कार्य, रिपोर्ट भी सार्वजानिक नहीं

उन्होंने कहा कि 1472 स्कूलों में से केवल 638 स्कूलों की रिपोर्ट शिक्षा निदेशालय में पहुंची है। इसका मतलब है कि केवल 43 प्रतिशत स्कूलों में ही इंस्पेक्शन का कार्य सम्पन्न हुआ है। केवल 43 प्रतिशत स्कूलों की रिपोर्ट आने से स्पष्ट है कि न तो शिक्षा विभाग ने 57 प्रतिशत स्कूलों की इंस्पेक्शन की है और न ही इन स्कूलों ने शिक्षा विभाग में अपना रिकॉर्ड जमा करवाने की जहमत उठाई है। इस तरह आधे से ज़्यादा स्कूल इंस्पेक्शन व रिकॉर्ड इकट्ठा करने के दायरे से बाहर रह गए हैं। उन्होंने उच्चतर शिक्षा निदेशक से इस बाबत प्रश्न किया है कि आखिर क्यों 57 प्रतिशत स्कूलों की इंस्पेक्शन रिपोर्ट शिक्षा विभाग के पास नहीं पहुंची है। वह यह भी बताएं कि इन निजी स्कूलों में इंस्पेक्शन न करने वाले अधिकारियों व अपना रिकॉर्ड जमा न करने वाले निजी स्कूलों,इन दोनों पक्षों पर शिक्षा विभाग ने क्या कार्रवाई अमल में लायी है।
उन्होंने गम्भीर चिंता व्यक्त की है कि क्या शिक्षा विभाग द्वारा गठित 72 इंस्पेक्शन टीमें 18 दिन में इंस्पेक्शन का कार्य पूर्ण नहीं कर सकती थीं।

जब निजी स्कूलों की इंस्पेक्शन इस वर्ष हुई तो बढ़ी हुई फीसों को अगले वर्ष समायोजित करने का क्या तुक

छात्र अभिभावक मंच ने शिक्षा विभाग के उस प्रस्ताव पर कड़ी आपत्ति ज़ाहिर की है जिसमें उसने कहा है कि इस वर्ष बढ़ी हुई फीसों को अगले वर्ष समायोजित किया जाएगा। मंच ने उच्चतर शिक्षा निदेशक को चेताया है कि वह अभिभावकों के सब्र का इम्तिहान न लें व बढ़ी हुई फीसों को इसी साल समायोजित करें।

उन्होंने कहा कि जब निजी स्कूलों की इंस्पेक्शन इस वर्ष हुई व निजी स्कूलों ने मनमानी इस वर्ष की है तो फिर बढ़ी हुई फीसों को अगले वर्ष समायोजित करने का क्या तुक व तर्क है। इस से साफ नजर आ रहा है कि शिक्षा निदेशक डिले टैक्टिकस का इस्तेमाल करके मामले को अगले वर्ष तक खींचना चाहते हैं ताकि अभिभावकों का गुस्सा शांत हो जाए व आगामी वर्ष तक अभिभावक बढ़ी हुई फीस की बात भूल जाएंगे।

उच्चतर शिक्षा निदेशक को भली-भांति मालूम है कि निजी स्कूल मार्च,जून व सितंबर में तीन इंस्टॉलमेंट्स में फीस लेते हैं। अभी तक सभी निजी स्कूलों ने फीस की केवल मार्च की एक इन्सटॉलमेंट ली है तथा जून व सितंबर की दो फीस इंस्टॉलमेंट्स बाकी हैं। यह बढ़ी हुई फीस जून व सितंबर की इन दो इंस्टॉलमेंट्स में आसानी से समायोजित की जा सकती थी परन्तु ऐसा न करके शिक्षा निदेशक अगले वर्ष फीस समायोजित करने की बात कह रहे हैं जिस से साफ है कि वह निजी स्कूलों के चंगुल में हैं। उन्होंने इस बात पर कड़ी आपत्ति ज़ाहिर की है कि शिक्षा निदेशक सब कुछ जानते हुए भी छात्रों व अभिभावकों को ठगने का कार्य कर रहे हैं। उन्होंने शिक्षा निदेशक को साफ कर दिया है कि वह बढ़ी हुई फीसों को इसी वर्ष की फीस की दो इंस्टॉलमेंट्स में समायोजित करवाएं अन्यथा आंदोलन का अगला पड़ाव अनिश्चितकालीन के लिए उच्चतर शिक्षा निदेशालय ही होगा।

स्कूल सत्र के दो महीने बीतने के बावजूद भी नहीं करवा पाया पीटीए के गठन

शिक्षा का अधिकार कानून 2009,मानव संसाधन विकास मंत्रालय की 2014 की गाइडलाइनज़ व 27 अप्रैल 2016 का हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय का निर्णय स्पष्ट कहते हैं कि हर निजी स्कूल में पीटीए का गठन आवश्यक रूप से होना चाहिए। इसके अनुसार पीटीए का गठन सत्र शुरू होने के एक महीने के भीतर हर हाल में होना चाहिए। निर्णयानुसार हर निजी स्कूल में पीटीए के गठन के लिए सरकारी स्कूल के अधिकारी की पीटीए चुनाव अधिकारी के रूप में डयूटी लगनी चाहिए थी। इसी सरकारी अधिकारी की देख-रेख में पीटीए का गठन होना चाहिए जिसमें लोकतांत्रिक तरीके से 75 प्रतिशत संख्या अभिभावकों की होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि स्कूल सत्र के दो महीने बीतने के बावजूद भी पीटीए के गठन के लिए न तो सरकारी अधिकारियों के नामों का ऐलान शिक्षा विभाग ने किया है और न ही किसी भी स्कूल में तय नियमों के अनुसार पीटीए का गठन हुआ है। जिन निजी स्कूलों ने पीटीए की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को अपनाए बिना ही डम्मी पीटीए का गठन किया है उन पर भी शिक्षा विभाग ने शिक्षा का अधिकार कानून,एमएचआरडी गाइडलाइनज़ व हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना पर कोई कार्रवाई नहीं कि है। शिक्षा विभाग केवल खानापूर्ति करना चाहता है।

अन्य राज्यों की तर्ज़ पर क्यों नहीं कर रहा त्वरित करवाई

मंच का मानना है कि अगर शिक्षा विभाग वास्तव में ही निजी स्कूलों पर शिकंजा कसने के लिए गम्भीर होता तो इस वक्त अन्य राज्यों की तर्ज़ पर एक्शन मोड में आ चुका होता व अवहेलना करने वाले स्कूलों पर ठोस कार्रवाई हो चुकी होती।

विभाग ने बार-बार नोटिसों की अवहेलना करने वाले स्कूलों पर कोई कार्रवाई तक नहीं की है। अगर विभाग गम्भीर होता तो कुछ दिन पहले उत्तर प्रदेश के नोएडा में निजी स्कूलों पर जिलाधीश के कार्रवाई मॉडल को फॉलो करता व अवहेलना करने व भारी फीसें बढ़ाने वाले स्कूलों पर भारी फाइन लगाता ताकि भविष्य में कोई भी स्कूल मनमानी करने की हिम्मत तक नहीं कर पाता। इसी 19 अप्रैल को नोएडा के जिलाधीश ने 14 निजी स्कूलों पर ताबड़तोड़ छापेमारी की थी व भारी फीसें वसूलने वाले दो स्कूलों को पांच लाख रुपये जुर्माना लगाया था। इनमें से एपीजे स्कूल को 4 लाख रुपये व केम्ब्रिज स्कूल को एक लाख रुपये जुर्माना लगाया था। जिलाधिकारी ने सभी 14 स्कूलों को बढ़ी फीस वापिस लेने के लिए केवल एक दिन का समय दिया था व ऐसा न करने वाले स्कूलों पर कॉड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर एक्ट 1973 की धारा 107 के तहत मुकद्दमे दर्ज किए थे। हिमाचल प्रदेश के बड़े-बड़े निजी स्कूल लगातार मनमानी कर रहे हैं परन्तु शिक्षा विभाग इन पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रहा है।

कार्रवाई करने के बजाए दी जा रही छूट पर छूट

विभाग की ओर से केवल मुख जुबानी कार्रवाई चल रही है व हकीकत में कोई एक्शन नहीं हो रहा है। जहां नोएडा के जिलाधिकारी ने निजी स्कूलों पर छापेमारी के 24 घण्टे के भीतर उनकी मनमानी को रोकने के लिए कार्रवाई अमल में ला दी वही दूसरी ओर हिमाचल प्रदेश का शिक्षा विभाग पिछले दो महीनों से नोटिस पर नोटिस देने के बावजूद भी फीसें कम न करने वाले स्कूलों पर कोई कार्रवाई करने के बजाए छूट पर छूट देता जा रहा है। इसी से स्पष्ट है कि शिक्षा विभाग दबाव में कार्य कर रहा है।

हिमाचल प्रदेश का शिक्षा विभाग पिछले दो महीनों से नोटिस पर नोटिस देने के बावजूद भी फीसें कम न करने वाले स्कूलों पर कोई कार्रवाई करने के बजाए छूट पर छूट देता जा रहा है। इसी से स्पष्ट है कि शिक्षा विभाग दबाव में कार्य कर रहा है।

अब मंच आरटीआई के ज़रिए स्वयं निजी स्कूलों की लूट जनता के सामने लाएगा मंच

मंच ने निर्णय लिया है कि शिक्षा विभाग द्वारा इंस्पेक्शन रिपोर्टें सार्वजनिक न करने के कारण अब मंच सूचना के अधिकार(आरटीआई) के ज़रिए स्वयं ही इन निजी स्कूलों की लूट जनता के सामने लाएगा।

सूचना के अधिकार के तहत निजी स्कूलों की फीस बढ़ोतरी सहित अन्य सभी तरह की जानकारी इकट्ठा की जाएगी। जो भी स्कूल तथ्यों को छिपाने की कोशिश करेगा अथवा गलत जानकारी देगा उस स्कूल पर न्यायिक कार्रवाई के बारे में भी मंच काम करेगा। निजी स्कूलों द्वारा गलत जानकारी देने पर उन पर कानूनी कार्रवाई अमल में लाने से कोई भी गुरेज़ नहीं किया जाएगा। उन्होंने शिमला के उपायुक्त से मांग की है कि वह इन निजी स्कूलों पर शिकंजा कसें। उन्होंने उपायुक्त से पूछा है कि वह निजी स्कूलों की मनमानी पर खामोश क्यों हैं। उन्होंने मांग की है कि निजी स्कूलों पर नियमों की अवहेलना करने व मनमानी करने पर कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर 1973 के तहत धारा 107 के तहत कार्रवाई अमल में लायी जाए।

इंस्पेक्शन टीमों की रिपोर्ट को सार्वजनिक करें अन्यथा होगा आंदोलन

छात्र अभिभावक मंच ने 23 अप्रैल को उच्चतर शिक्षा निदेशक तथा संयुक्त शिक्षा निदेशकों व उप निदेशकों के मध्य हुई बैठक की कार्यवाही की अधिसूचना जारी करने की मांग की है। मंच ने शिक्षा अधिकारियों से पूछा है कि वे निजी स्कूलों पर कार्रवाई का अपना एक्शन प्लान बताएं। मंच ने एक बार पुनः उच्चतर शिक्षा निदेशक को चेताया है कि वह इंस्पेक्शन टीमों की रिपोर्ट को सार्वजनिक करें अन्यथा आंदोलन होगा।

Featured

हिमाचल की तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर लगे 76,000 से अधिक सेब के पौधे

Published

on

nauni university himachal pradesh

शिमला- डॉ यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के विस्तार शिक्षा निदेशालय में पहाड़ी कृषि एवं ग्रामीण विकास एजेंसी(हार्प), शिमला द्वारा एक अनुभव-साझाकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया।

इस कार्यशाला में जिला किन्नौर के निचार विकास खंड के रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों के 34 किसानों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर जीएम नाबार्ड डॉ. सुधांशु मिश्रा मुख्य अतिथि रहे जबकि नौणी विवि के अनुसंधान निदेशक डॉ रविंदर शर्मा ने विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत की।

संस्था के अध्यक्ष डॉ. आर एस रतन ने कहा कि यह कार्यक्रम एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना के तहत रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों में वर्ष 2014 से आयोजित किया जा रहा है। परियोजना को नाबार्ड द्वारा वित्त पोषित किया गया है और इसे हार्प द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।

उन्होंने यह बताया कि यह एक बागवानी आधारित आजीविका कार्यक्रम है जिसे किसानों की भागीदारी से लागू किया गया है। इन तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर 76,000 से अधिक सेब के पौधे लगाए गए हैं और 607 परिवार लाभान्वित हुए हैं।

डॉ. सुधांशु मिश्रा ने यह भी कहा कि नाबार्ड हमेशा सामाजिक-आर्थिक उत्थान कार्यक्रमों के संचालन में आगे रहा है। उन्होंने इस कार्यशाला में भाग लेने वाले किसानों से अपने सहयोग से विभिन्न कार्यक्रमों को सफल बनाने का आग्रह किया।

अनुसंधान निदेशक डॉ. रविंदर शर्मा और विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. दिवेंद्र गुप्ता ने नाबार्ड और हार्प के प्रयासों की सराहना की और किसानों को आश्वासन दिया कि विश्वविद्यालय किसानों को तकनीकी रूप से समर्थन देने के लिए हमेशा तैयार है।

डॉ. नरेद्र कुमार ठाकुर ने कहा कि हार्प ने कृषक समुदाय के समन्वय से दुर्गम क्षेत्रों में कठिन परिस्थितियों में काम किया है। इस अवसर पर एक किसान-वैज्ञानिक परिचर्चा का भी आयोजन किया गया जिसमें भाग लेने वाले किसानों के तकनीकी प्रश्नों को संबोधित किया गया।

Continue Reading

Featured

हिमाचल सरकार पुलिसकर्मियों का कर रही है शोषण

Published

on

hp police

पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है,कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है,राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है,हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।

शिमला सीटू राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। कमेटी ने यह कहा है कि वह हिमाचल प्रदेश के पुलिसकर्मियों की मांगों का पूर्ण समर्थन करती है। आरोप लगाते हुए सीटू ने कहा है कि प्रदेश सरकार पुलिसकर्मियों का शोषण कर रही है।

राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार से यह मांग की है कि वर्ष 2013 के बाद नियुक्त पुलिसकर्मियों को पहले की भांति 5910 रुपये के बजाए 10300 रुपये संशोधित वेतन लागू किया जाए व उनकी अन्य सभी मांगों को बिना किसी विलंब के पूरा किया जाए।

सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में भी कर्मचारियों की प्रमुख मांगों को अनदेखा किया गया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में पुलिसकर्मियों की मांगों को पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया है।

सीटू कमेटी ने कहा कि सबसे मुश्किल डयूटी करने वाले व चौबीस घण्टे डयूटी में कार्यरत पुलिसकर्मियों को इस बैठक से मायूसी ही हाथ लगी है। इसी से आक्रोशित होकर पुलिसकर्मी मुख्यमंत्री आवास पहुंचे थे। उनके द्वारा पिछले कुछ दिनों से मैस के खाने के बॉयकॉट से उनकी पीड़ा का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि पुलिस कर्मियों के साथ ही सभी सरकारी कर्मचारी नवउदारवादी नीतियों की मार से अछूते नहीं है। कमेटी ने कहा कि पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है। कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।

कमेटी ने यह भी कहा है कि थानों में स्टेशनरी के लिए बेहद कम पैसा है व आईओ को केस की पूरी फ़ाइल का सैंकड़ों रुपये का खर्चा अपनी ही जेब से करना पड़ता है। थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है। मैस मनी केवल दो सौ दस रुपये महीना है जबकि मैस में पूरा महीना खाना खाने का खर्चा दो हज़ार रुपये से ज़्यादा आता है। यह प्रति डाइट केवल साढ़े तीन रुपये बनता है, जोकि पुलिस जवानों के साथ घोर मज़ाक है। यह स्थिति मिड डे मील के लिए आबंटित राशि से भी कम है।

उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के जमाने के बने बहुत सारे थानों की स्थिति खंडहर की तरह प्रतीत होती है जहां पर कार्यालयों को टाइलें लगाकर तो चमका दिया गया है परन्तु कस्टडी कक्षों,बाथरूमों,बैरकों,स्टोरों,मेस की स्थिति बहुत बुरी है। इन वजहों से भी पुलिस जवान भारी मानसिक तनाव में रहते हैं।

सीटू ने कहा कि पुलिस में स्टाफ कि बहुत कमी है या यूं कह लें कि बेहद कम है व कुल अनुमानित नियुक्तियों की तुलना में आधे जवान ही भर्ती किये गए हैं जबकि प्रदेश की जनसंख्या पहले की तुलना में काफी बढ़ चुकी है यहाँ तक पुलिस के पास रिलीवर भी नहीं है।

आरोप लगाते हुए कमेटी ने कहा कि प्रदेश की राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है। वहीं पुलिस कर्मी निरन्तर ओवरटाइम डयूटी करते हैं। इसकी एवज में उन्हें केवल एक महीना ज़्यादा वेतन दिया जाता है। इस से प्रत्येक पुलिसकर्मी को वर्तमान वेतन की तुलना में दस से बारह हज़ार रुपये का नुकसान उठाना पड़ता है। उन्हें लगभग नब्बे साप्ताहिक अवकाश,सेकंड सैटरडे,राष्ट्रीय व त्योहार व अन्य छुट्टियों के मुकाबले में केवल पन्द्रह स्पेशल लीव दी जाती है।

सीटू कमेटी ने यह भी कहा कि वर्ष 2007 में हिमाचल प्रदेश में बने पुलिस एक्ट के पन्द्रह साल बीतने पर भी नियम नहीं बन पाए हैं। इस एक्ट के अनुसार पुलिसकर्मियों को सुविधा तो दी नहीं जाती है परन्तु कर्मियों को दंडित करने के लिए इसके प्रावधान बगैर नियमों के भी लागू किये जा रहे हैं जिसमें एक दिन डयूटी से अनुपस्थित रहने पर तीन दिन का वेतन काटना भी शामिल है। पुलिसकर्मियों की प्रोमोशन में भी कई विसंगतियां हैं व इसका टाइम पीरियड भी बहुत लंबा है। हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।

Continue Reading

Featured

किन्नौर में लापता पर्यटकों में से 2 और के शव बरामद, 2 की तालाश जारी,आभी तक कुल 7 शव बरामद

Published

on

kinnaur trekker deaths

शिमला रिकोंगपिओ में 14 अक्तुबर को उत्तरकाशी के हर्षिल से छितकुल की ट्रैकिंग पर निकले 11 पर्यटकों में से लापता चार पर्वतारोहीयों में से दो  पर्वतारोहियों के शवो को आई.टी.बी.पी व पुलिस दल द्वारा पिछले कल सांगला लाया गया था जहां सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सांगला में दोनों शवों का पोस्टमार्टम किया गया।

यह जानकारी देते हुए उपायुक्त किन्नौर अपूर्व देवगन ने बताया कि इन दोनों की पहचान कर ली गई है जिनमे मे एक उतरकाशी व दूसरा पश्चिम बंगाल से सम्बंधित था।

उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन किन्नौर द्वारा आज एक शव वाहन द्वारा उतरकाशी को भेज दिया गया है जहाँ शव को जिला प्रशासन उतरकाशी को सौंपा जाएगा। जब कि दूसरा शव वाहन द्वारा शिमला भेजा गया है जिसे शिमला में मृतक के परिजनों को सौंपा जायेगा।

उपायुक्त अपूर्व देवगन ने बताया कि अभी भी लापता दो  पर्यटकों की तलाश आई.टी.बी.पी के जवानों द्वारा जारी है। उल्लेखनीय है कि गत दिनों उतरकाशी से छितकुल के लिये 11 पर्वतारोही ट्रेकिंग पर निकले थे जो बर्फबारी के कारण लमखंगा दर्रे में फंस गये थे जिसकी सूचना मिलने पर जिला प्रशासन द्वारा सेना के हेलीकॉप्टर व आई.टी.बी.पी के जवानों की सहायता से राहत व बचाव कार्य आरम्भ किया था। सेना व आई.टी.बी.पी के जवानों ने 21 अक्टूबर को दो पर्यटकों को सुरक्षित ढूंढ निकाला था। इसी दौरान उन्हें अलग अलग स्थानों पर पाँच ट्रेकरों के शव ढूंढ निकलने में सफलता मिली थी। जबकि 4 पर्यटक लापता थे जिसमे से राहत व बचाव दल को 22 अक्तुबर को 2 शव ढूढ़ निकालने में सफलता मिली थी। अभी भी दो पर्यटक लापता हैं जिनकी राहत व बचाव दल द्वारा तलाश जारी है।

Continue Reading

Featured

himachal pradesh elections between rss and congress himachal pradesh elections between rss and congress
पब्लिक ओपिनियन1 week ago

हिमाचल विधान सभा चुनाव 2022 में प्रदेश के राजनीतिक परिवेश पर एक नज़र

लेखक: डॉ देवेन्द्र शर्मा -असिस्टेंट प्रोफेसर, राजनीति शास्त्र, राजकीय महाविद्यालय चायल कोटी, जिला शिमला हिमाचल प्रदेश  शिमला- नवम्बर 2022 को 68...

sanwara toll plaza sanwara toll plaza
अन्य खबरे6 months ago

सनवारा टोल प्लाजा पर अब और कटेगी जेब, अप्रैल से 10 से 45 रुपए तक अधिक चुकाना होगा टोल

शिमला- कालका-शिमला राष्ट्रीय राजमार्ग-5 पर वाहन चालकों से अब पहली अप्रैल से नई दरों से टोल वसूला जाएगा। केंद्रीय भूतल...

hpu NSUI hpu NSUI
कैम्पस वॉच7 months ago

विश्वविद्यालय को आरएसएस का अड्डा बनाने का कुलपति सिंकदर को मिला ईनाम:एनएसयूआई

शिमला- भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन ने हिमाचल प्रदेश के शैक्षणिक संस्थानों मे भगवाकरण का आरोप प्रदेश सरकार पर लगाया हैं।...

umang-foundation-webinar-on-child-labour umang-foundation-webinar-on-child-labour
अन्य खबरे7 months ago

बच्चों से खतरनाक किस्म की मजदूरी कराना गंभीर अपराध:विवेक खनाल

शिमला- बच्चों से खतरनाक किस्म की मज़दूरी कराना गंभीर अपराध है। 14 साल के अधिक आयु के बच्चों से ढाबे...

himachal govt cabinet meeting himachal govt cabinet meeting
अन्य खबरे7 months ago

हिमाचल कैबिनेट के फैसले:प्रदेश में सस्ती मिलेगी देसी ब्रांड की शराब,पढ़ें सभी फैसले

शिमला- मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में आयोजित प्रदेश मंत्रीमंडल की बैठक में आज वर्ष 2022-23 के लिए आबकारी नीति...

umag foundation shimla ngo umag foundation shimla ngo
अन्य खबरे7 months ago

राज्यपाल से शिकायत के बाद बदला बोर्ड का निर्णय,हटाई दिव्यांग विद्यार्थियों पर लगाई गैरकानूनी शर्तें: प्रो श्रीवास्तव

शिमला- हिमाचल स्कूल शिक्षा बोर्ड की दिव्यांग विरोधी नीति की शिकायत उमंग फाउंडेशन की ओर से राज्यपाल से करने के...

Chief Minister Jai Ram Thakur statement on outsourced employees permanent policy Chief Minister Jai Ram Thakur statement on outsourced employees permanent policy
अन्य खबरे7 months ago

आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए स्थाई नीति बनाने का मुख्यमंत्री ने दिया आश्वासन

शिमला- प्रदेश सरकार आउटसोर्स कर्मचारियों के मामलों को हल करने के लिए प्रतिबद्ध है और उनकी उचित मांगों को हल...

rkmv college shimla rkmv college shimla
अन्य खबरे7 months ago

आरकेएमवी में 6 करोड़ की लागत से नव-निर्मित बी-ब्लॉक भवन का मुख्यमंत्री ने किया लोकार्पण

शिमला- राजकीय कन्या महाविद्यालय (आरकेएमवी) शिमला में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने 6 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित बी-ब्लॉक का...

umang-foundation-webinar-on-right-to-clean-environment-and-social-responsibility umang-foundation-webinar-on-right-to-clean-environment-and-social-responsibility
अन्य खबरे7 months ago

कोरोना में इस्तेमाल किए जा रहे मास्क अब समुद्री जीव जंतुओं की ले रहे जान:डॉ. जिस्टू

शिमला- कोरोना काल में इस्तेमाल किए जा रहे मास्क अब बड़े पैमाने पर समुद्री जीव जंतुओं जान ले रहे हैं।...

HPU Sfi HPU Sfi
कैम्पस वॉच7 months ago

जब छात्र हॉस्टल में रहे ही नहीं तो हॉस्टल फीस क्यों दे:एसएफआई

शिमला- प्रदेश विश्वविद्यालय के होस्टलों में रह रहे छात्रों की समस्याओं को लेकर आज एचपीयू एसएफआई इकाई की ओर से...

Trending