Connect with us

Featured

शिक्षा मंत्री के कहने पर नियमों को दरकिनार कर भाजपा कार्यकर्ता को दे दिया टेंडर, विरोध दबाने के लिए ली हिंसा की आड़: एस.एफ.आई.

Published

on

SFI On HPU Campus Violence

शिमला-गौरतलब है कि 24 मार्च से लेकर प्रदेश वि. वि.में जो हिंसा और तनाव का माहौल है जिसके लिए लगातार छात्र राजनीति को ही जिम्मेदार ठहराया जा रहा है परन्तु असल में यदि हम पूरे प्रकरण को ध्यान से समझने का प्रयास करें तो हम पाते है कि इस घटनाक्रम की पूरी पृष्ठभूमि प्रदेश वि. वि. प्रशासन और प्रदेश की सरकार द्वारा पहले से ही सुनियोजित थी। यह कहना है एस.एफ.आई. का।

आज दिनांक 9 अप्रैल, 2019 को एस.एफ.आई. ने एक प्रैस वार्ता के माध्यम से हि. प्र. वि. वि. में 24 मार्च से अभी तक घटित हो रहे घटनाक्रम व उसके बाद पुलिस तथा वि.वि. प्रशासन की एकतरफा कार्यवाही की निन्दा की व मीडिया के माध्यम से कुछ सवाल उठाएं।

इस पत्रकार वार्ता को अखिल भारतीय सह सचिव दिनित दैन्टा, राज्य सचिव अमित ठाकुर, वि.वि. इकाई सचिव जीवन ठाकुर व अखिल भारतीय कमेटी सदस्या रूचिका वजीर ने सम्बोधित किया।

एस.एफ.आई. ने आरोप लगाया है कि यह सुनियोजित हमला इसलिए हुआ क्योंकि गत मार्च महीने की शुरूआत में वि. वि. प्रशासन व प्रदेश की सरकार द्वारा वि. वि. में आऊटसोर्स के तहत कर्मचारियों की गैर कानूनी तरीके से भर्तियां की गई। इस पूरी भर्ती प्रक्रिया में भारी अनियमितता बरती गई। जिसमें वि. वि. प्रशासन के साथ शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज की मिलीभगत भी बेनकाब हुई।

एस.एफ.आई. ने आरोप लगाया है कि शुरूआत में जब इस आऊटसोर्स प्रक्रिया के टेंडर मार्च 2018 में आॅपरेटिव केयर कम्पनी को पास हुआ तो शिक्षा मंत्री के कहने पर बड़े सुनियोजित तरीके से नियमों को दरकिनार करते हुए इस टेंडर को उत्तम हिमाचल नाम की कम्पनी को दे दिया गया जिसका मालिक संजीव देष्टा है जो वि. वि. में केन्द्रिय छात्र संघ का पदाधिकारी और ए.बी.वी.पी. का कार्यकर्ता रह चुका है और वर्तमान में भाजपा का कार्यकर्ता है।

एस.एफ.आई. ने कहा कि इस घटनाक्रम के सामने आते ही एस.एफ.आई.ने वि. वि. प्रशासन और शिक्षा मंत्री के खिलाफ मोर्चा खोल दिया जिसमें एस।एफ।आई। ने शिक्षा मंत्री के पुतला दहन के साथ-2 रजिस्ट्रार वि. वि. का घेराव कर इस भर्ती प्रक्रिया को निरस्त करने और इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच करवाने की मांग उठाई।

एस.एफ.आई. ने कहा कि इस विरोध के चलते वि. वि. प्रशासन और प्रदेश सरकार जनता के सामने बेनकाब हो चुकी थी और किसी भी प्रकार से इस पूरे प्रकरण पर पर्दा डालने की कोशिश में जुटी थी।

एस.एफ.आई. ने आरोप लगाया कि अपनी कोई भी कोशिश कामयाब न होती देख वि. वि. प्रशासन और प्रदेश सरकार ने छात्र आन्दोलन को कुचलने की सुनियोजित कोशिश शुरू कर दी। जिसके तहत 19 मार्च से वि. वि. छात्रावास के नज़दीक पोटर हिल मैदान में आर।एस।एस। की शाखाओं को लगाना शुरू किया गया। इसी दौरान एस।एफ।आई। का मानना है कि वि. वि. परिसर में एक के बाद एक गतिविधियों के आयोजन द्वारा छात्रों का भारी समर्थन व लोकप्रियता जीत रही थी।

एस.एफ.आई. का यह भी आरोप है कि इस बढ़ती लोकप्रियता से घबराकर 24 मार्च की सुबह पोटरहिल मैदान में क्रिकेट खेल रहे छात्रों पर लगभग चालीस से पच्चास लोगों द्वारा तेज़धार हथियारों व डंडों के साथ सुनियोजित तरीके से हमला किया गया, जिसमें आर।एस।एस। व ए.बी.वी.पी. के कार्यकर्ता शामिल थे।

एस.एफ.आई. ने कहा कि इस हमले में अनेकों छात्रों को गम्भीर चोटें आई और अस्पताल में भर्ती हुए। एस.एफ.आई. ने कहा कि यह हमला छात्रों में भय का माहौल तैयार करने के लिए किया गया था। इस भय और हिंसा के माहौल को बनाए रखने के लिए प्रदेश सरकार व वि. वि. प्रशासन द्वारा पुलिस प्रशासन का प्रयोग करते हुए छात्रों पर एकतरफा कानूनी कार्रवाई की गई। जिसके तहत एस.एफ.आई. कार्यकर्ताओं को जेल की सलाखों के पीछे डाल दिया गया वहीं दूसरी तरफ इस पूरे उपद्रव के लिए जिम्मेवार आर.एस.एस. व ए.बी.वी.पी. के कार्यकर्ताओं पर कोई भी कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई।

एस.एफ.आई. ने कहा कि अगले दिन 25 मार्च सुबह 4 बजे छात्रों को हाॅस्टल से खदेड़ने के लिए पुलिस प्रशासन का दुरूपयोग करते हुए हाॅस्टलों में रेड़ डलवाई गई और छात्रों को जबरदस्ती बसों में डालकर थाने ले जाया गया। इसके तुरन्त बाद पुलिस का सहारा लेते हुए आर.एस.एस। के कार्यकर्ता जिसमें अनेक वि. वि. के प्राध्यापक व कर्मचारी भी शामिल थे, ने डंडों व पत्थरों द्वारा छात्रों पर हमला किया और वि. वि.के छात्रावासों में तोड़फोड़ भी की गई। एस.एफ.आई. ने कहा कि इस पूरे प्रकरण में पुलिस वहां मूकदर्शक बनी रही और आर.एस.एस. के कार्यकर्ताओं का साथ देती नज़र आई।

एस.एफ.आई. ने कहा कि इस पूरे प्रकरण में पुलिस प्रशासन और वि. वि. प्रशासन का रवैया देख कर छात्र समुदाय भड़क उठा और इसके खिलाफ वि. वि. परिसर में विरोध प्रदर्शन कर इसका विरोध किया। उसी दिन जिन छात्रों को पुलिस हाॅस्टल से उठा कर ले गई थी शाम के वक्त जब उन छात्रों को थाने से छोड़ा जाता है तो उन पर थाने से पांच मिनट की दूरी पर बालुगंज चौक पर ही ए.बी.वी.पी. कार्यकर्ताओं द्वारा नुकीले व धारदार हथियारों द्वारा हमला किया जाता है जिसमें अनेकों छात्रों को गम्भीर चोटें आती है। एस.एफ.आई. ने कहा कि इस पूरी घटना में पुलिस छात्रों को हाॅस्टल से तो बसों में भरकर लाती है परन्तु इस हिंसा के माहौल में थाने से बिना किसी सुरक्षा के छोड़ देती है।

एस.एफ.आई. ने कहा कि इस घटना में संलिप्त आर.एस.एस. व ए.बी.वी.पी. के एक भी छात्र को अभी तक हिरासत में नहीं लिया गया है जो पुलिस प्रशासन की एकतरफा कार्यवाही को दर्शाता है।

एस.एफ.आई. ने कहा कि जब पुलिस प्रशासन से ए.बी.वी.पी. के कार्यकर्ताओं पर कार्यवाही की मांग की गयी तो ए.बी.वी.पी. के कुछ छात्रों को मात्र पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया और सुबह होने से पहले ही छोड़ दिया गया।

एस.एफ.आई. ने कहा कि 25 मार्च की शाम समरहिल चौक पर ए.बी.वी.पी.की लड़कियों द्वारा एस.एफ.आई की छात्राओं पर हमला किया गया। साथ ही छात्राओं को हाॅस्टल न आने की धमकी भी दी गई। परन्तु इस सबके बावजूद जब छात्राएं अपने -2 हाॅस्टल में गई तो विद्योत्तमा हाॅस्टल में एक छात्रा को अकेला पा कर ए.बी.वी.पी. की छात्राओं द्वारा हमला किया गया जिसमें हाॅस्टल की बाकी छात्राओं ने वक्त पर आकर बीच बचाव किया। एस.एफ.आई. ने कहा कि इसी रात लगभग आठ बजे के करीब ए.बी.वी.पी. का एक कार्यकर्ता हाथ में दराट लेकर शराब के नशे में कन्या छात्रावासों में घुस आया जहां पर उसे पुलिस और छात्राओं द्वारा धर दबोचा गया। एस.एफ.आई. ने कहा कि इस पूरे
घटनाक्रम के बाद भी पुलिस प्रशासन के रवैये में कोई बदलाव नहीं आया। एस.एफ.आई. ने कहा कि जहां एक तरफ हाॅस्टल में घुसकर हमला करने वाली छात्राओं पर कोई भी कार्रवाई नहीं की गई वहीं दूसरी तरफ हाॅस्टल की आऊटिंग खत्म होने के बाद शराब के नशे में दराट ले कर हाॅस्टल में घुसने वाले छात्र को भी सिर्फ सामान्य धाराओं के तहत गिरफ्तार करके सुबह तक छोड़ दिया गया।

संगठन ने आरोप लगाया कि जहां एक तरफ 24 मार्च और 25 मार्च के घटनाक्रम के बाद पुलिस व वि. वि.प्रशासन द्वारा एस.एफ.आई. कार्यकर्ताओं पर मुकद्दमें बनाकर गिरफ्तार किया गया वहीं दूसरी तरफ छात्रों को जख्मी करने वाले व कन्या छात्रावासों में दराट लेकर घुसने वाले ए.बी.वी.पी. कार्यकर्ता पर कोई भी कार्यवाही नहीं की जाती। एस.एफ.आई. ने कहा कि इस मामले को लेकर छात्रों द्वारा 26 मार्च को चीफ वार्डन का घेराव करने व उन पर दवाब बनाने के बाद वि. वि.प्रशासन द्वारा तोड़फोड़ करने व दराट लेकर गल्र्ज़ हाॅस्टल में जाने वाले गुण्डों के खिलाफ शिकायत दी गई परन्तु पुलिस द्वारा अभी तक इस मामले कोई भी कार्यवाही नहीं की गई।

एस.एफ.आई. ने कहा कि 29 मार्च को गैर लोकतान्त्रिक तरीके से वि. वि. प्रशासन द्वारा न्यायालय का हवाला देकर वि. वि. परिसर में बैज़ पहनने, विरोध प्रदर्शन करने, कक्षाओं को संबोधित करने व प्रशासनिक अधिकारियों से बातचीत करने पर प्रतिबंध लगाया जाता है। एस.एफ.आई. का आरोप है कि वि. वि.कि परिसर में बैज़ पहनने, विरोध प्रदर्शन करने, कक्षाओं को संबोधित करने व प्रशासनिक अधिकारियों से बातचीत करने पर यह प्रतिबंध इसलिए लगाया गया है ताकि परिसर के अन्दर जनवादी लोकतान्त्रिक माहौल को खत्म किया जा सके और छात्र वि. वि. प्रशासन के खिलाफ अपनी आवाज़ न उठा सकें व वि. वि. प्रशासन घोटालों व छात्र विरोधी निर्णयों को आसानी से लागू कर सके।

एस.एफ.आई. ने कहा कि बैज़ को बहाना बना कर वि. वि. प्रशासन द्वारा अपने दमन चक्र को तेज करते हुए परिसर में बेज़ पहनने वाले छात्रों को निलंबित किया जाता है। वर्तमान में निलंबित छात्रों की संख्या 35 से ज्यादा हो गई है। निलंबित छात्रों में कुछ छात्र ऐसे भी हैं जिन्होंने बेज़ नहीं पहना था या कुछ छात्र इस दौरान परिसर में थे ही नहीं। एस.एफ.आई. ने कहा कि यह दर्शाता है कि वि. वि. प्रशासन ए.बी.वी.पी. के साथ मिल कर पूरे घटनाक्रम को अन्जाम दे रहा है।

इसी बीच 1 अप्रैल को एस.एफ.आई. द्वारा वि. वि. प्रशासन का एक और गैर कानूनी कारनामा सामने लाया जाता है जिसमें एम।सी।ए। विभाग में पी।एच।डी। में अयोग्य भर्ती की जाती है। एस.एफ.आई. ने कहा कि यह भर्ती सीधे तौर से डी.एस. द्वारा करवाई गई जिसमें सेन्ट बिड्स काॅलेज में काॅन्ट्रेक्ट पर पढ़ाने वाली अध्यापिका को प्राध्यापक कोटे से पी।एच।डी। में प्रवेश दिया जाता है।

एस.एफ.आई. ने कहा कि यह प्रवेश गैर कानूनी इसलिए है क्योंकि इस सीट को विज्ञापित नहीं किया गया था, प्राध्यापक कोटे के तहत सरकारी शिक्षण संस्थानों में पढ़ाने वाले को प्राथमिकता दी जाती है व डी.एस. द्वारा मात्र स्टैंडिंग कमेटी के माध्यम से अधिसूचना में रेगुलर के स्थान पर रेगुलर, काॅन्ट्रेक्ट व एडहाॅक शब्द जोड़ दिए गए जो कि वि. वि. आॅर्डिनांस की अवहेलना है। 2 अप्रैल को वि. वि.प्रशासन द्वारा एक और छात्र विरोधी फरमान जारी किया गया जिसके तहत कुलपति द्वारा वि. वि. में 10 प्रतिशत फीस वृद्धि का प्रस्ताव रखा गया है।

एस.एफ.आई. ने कहा कि 3 अप्रैल को सुनियोजित तरीके से डी.एस.पी. द्वारा छात्रों के साथ दुव्र्यवहार किया गया। एस.एफ.आई. राज्याध्यक्ष को निशाना बना कर डी.एस.पी. सुरेश चैहान द्वारा राज्याध्यक्ष के साथ गाली – गलौच व जान से मारने की धमकी दी जाती है व झूठा मुकद्दमा बना कर गिरफ्तार किया गया। वहीं दूसरी तरफ वि. वि. प्रशासन द्वारा छात्रावास में रह रहे छात्रों को प्रताड़ित किया जाता रहा व 24 घण्टे खुले रहने वाले हाॅस्टलों को पुलिस के सहारे सुबह 6 से रात 10 बजे तक खुला रखा जाता है व 24 घण्टे खुली रहने वाली लाईब्रेरी को रात 9 बजे बंद किया जा रहा है।

एस.एफ.आई. मानती है कि 2014 के बाद आर.एस.एस. व भाजपा द्वारा देश भर में विश्वविद्यालयों, प्रगतिशील विचार, जनवादी और लोकतान्त्रिक संस्थानों पर हमले कर रही है। हि. प्र. में भी प्रदेश सरकार व आर.एस.एस. वि. वि.प्रशासन के साथ मिलकर वि. वि. में अपने चहेतों को भर्ती कर व उन्हें फायदा पहुंचा कर भगवाकरण के एजैण्डे को लागू करना चाहती है व शिक्षा के निजीकरण व व्यवसायिकरण की मुहिम को तेज कर रही है। इस पूरे घटनाक्रम के दौरान मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री का रवैया निन्दनीय है। मुख्यमंत्री द्वारा बिना किसी जांच के एस.एफ.आई. को गलत ठहराना उनकी नकारात्मक सोच को दर्शाता है।

एस.एफ.आई. ने मांग कि है कि:-

  1. आऊटसोर्स के नाम पर गैर कानूनी तरीके से हुई भर्तियों को रद्द किया जाए और इस प्रक्रिया में संलिप्त लोगों पर कानूनी कार्यवाही की जाए।
  2. छात्रों पर हुए हमले और वि. वि. में हिंसा और भय के माहौल बनाने वाले ए.बी.वी.पी./आर.एस.एस. के कार्यकर्ताओं पर कड़ी कार्यवाही की जाए।
  3. एम।सी।ए। विभाग में गैर कानूनी तरीके से हुई पी।एच।डी। में प्रवेश को वापिस लिया जाए और इस प्रक्रिया में संलिप्त लोगों पर कानूनी कार्यवाही की जाए।
  4. कुलपति द्वारा प्रस्तावित किए गए 10 प्रतिशत फीस बढ़ोतरी के प्रस्ताव को वापिस लिया जाए।
  5. छात्रों के जनवादी अधिकारों को परिसर के अन्दर बहाल किया जाए।
  6. हाॅस्टल से पुलिस के पहरे को हटाया जाए और 10 बजे की बाध्यता को हटाया जाए। ताकि छात्रों में भय का माहौल न रहें।
  7. बैज़ के नाम पर निलंबित किए गए छात्रों का निलम्बन तुरन्त वापिस लिया जाए।
  8. वि. वि. में प्रशासनिक नियुक्तियां राजनीतिक स्तर पर न हो कर वरिष्ठता के आधार पर की जाए।
  9. छात्रों के साथ दुव्र्यवहार और उन्हें डराने वाले डी.एस.पी. पर कार्यवाही की जाए।

एस.एफ.आई. प्रदेश सरकार व वि. वि. कुलाधिपति से  पूछा है:-

  1. बैज़ पहनने पर छात्रों का निलंबन परन्तु गल्र्ज़ हाॅस्टल में शराब पी कर व दराट लेकर जाने वाले ए.बी.वी.पी.कार्यकर्ता पर अब तक कोर्यवाई क्यों नहीं?
  2. वि. वि.में हुए पी।एच।डी। फर्जीवाड़े (यू।जी।सी। के नियमों को दरकिनार करते हुए 10 महीने में पूर्व कुलपति के बेटे की पी।एच।डी। थिसिज को जमा करवाया गया) व एम। काॅम प्रश्न प्रत्र फर्जीवाड़े (अपनी एक ही किताब से लगभग 80 प्रश्न प्रवेश परीक्षा में शामिल किए गए जो परीक्षा बाद में रद्द की गई) में संलिप्त प्रो। कुलवंत पठानियां जो कि वर्तमान में दूरवर्ती शिक्षा केन्द्र के निदेशक है, पर कोई कार्यवाही कुलाधिपति महोदय द्वारा क्यों नहीं की गई?
  3. वि. वि. में पढ़ाने वाले प्राध्यापक जोकि ए.बी.वी.पी. के पदाधिकारी है और वि. वि. में होने वाली हिंसा के लिए जिम्मेवार है पर कुलाधिपति महोदय द्वारा अभी तक कोई संज्ञान क्यों नहीं लिया गया?
  4. वि. वि. द्वारा विभिन्न मामलों में गठित की जाने वाली जांच कमेटी में शामिल प्रशासनिक अधिकारियों जो कि किसी एक राजनीतिक दल से जुड़े होते हैं, द्वारा निष्पक्ष जांच कैसे की जा सकती है?
  5. अन्तर्राष्ट्रीय दूरवर्ती शिक्षा केन्द्र में हुए करोड़ों के प्रोस्पेक्टस घोटाले में संलिप्त एक ही कर्मचारी से जांच पड़ताल क्यों?
  6. वि. वि.में चल रहे म्त्च् ;म्दजमतचतपेम त्मेवनतबम च्संददपदहद्ध प्रोजेक्ट जो कि 8।5 करोड़ की लागत का है, को पूरा करने की समय सीमा 2018 में समाप्त हो चुकी है परन्तु अभी भी प्रोजेक्ट अधर में लटका है इस पर अब तक जांच कमेटी क्यों नहीं गठित की गई?
  7. पिछले कल छप्त्थ् ;छंजपवदंस प्देजपजनजपवदंस त्ंदापदह थ्तंउमूवताद्ध द्वारा जारी की गई छप्त्थ् त्ंदापदह 2019 में प्रदेश वि. वि.का स्थान 150 – 200 के बीच में है जो कि वर्ष 2017 में 100 – 150 के बीच था जिसमें लगातार गिरावट आई है इस रैंकिंग में सुधार करने के लिए प्रदेश सरकार, कुलाधिपति महोदय, वि. वि. प्रशासन द्वारा कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाएं जा रहे हैं?
  8. वि. वि. परिसर में छात्रों द्वारा पहने जाने वाले बैज़ से तनाव का माहौल कैसे बनता है? वि. वि.प्रशासन अपने इस बेतुके फरमान पर जवाब दे।
  9. वि. वि. परिसर में न्यायालय का हवाला देकर छात्रों को धरना – प्रदर्शन करने से रोक दिया गया परन्तु वि. वि. कुलपति ने जिस दिन अपना कार्यभार ग्रहण किया उस दिन नारों के साथ समरहिल चैक से कुलपति कार्यालय तक गए। क्या न्यायालय के आदेश केवल छात्रों पर ही लागू होते हैं?
Advertisement

Featured

हिमाचल की तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर लगे 76,000 से अधिक सेब के पौधे

Published

on

nauni university himachal pradesh

शिमला- डॉ यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के विस्तार शिक्षा निदेशालय में पहाड़ी कृषि एवं ग्रामीण विकास एजेंसी(हार्प), शिमला द्वारा एक अनुभव-साझाकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया।

इस कार्यशाला में जिला किन्नौर के निचार विकास खंड के रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों के 34 किसानों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर जीएम नाबार्ड डॉ. सुधांशु मिश्रा मुख्य अतिथि रहे जबकि नौणी विवि के अनुसंधान निदेशक डॉ रविंदर शर्मा ने विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत की।

संस्था के अध्यक्ष डॉ. आर एस रतन ने कहा कि यह कार्यक्रम एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना के तहत रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों में वर्ष 2014 से आयोजित किया जा रहा है। परियोजना को नाबार्ड द्वारा वित्त पोषित किया गया है और इसे हार्प द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।

उन्होंने यह बताया कि यह एक बागवानी आधारित आजीविका कार्यक्रम है जिसे किसानों की भागीदारी से लागू किया गया है। इन तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर 76,000 से अधिक सेब के पौधे लगाए गए हैं और 607 परिवार लाभान्वित हुए हैं।

डॉ. सुधांशु मिश्रा ने यह भी कहा कि नाबार्ड हमेशा सामाजिक-आर्थिक उत्थान कार्यक्रमों के संचालन में आगे रहा है। उन्होंने इस कार्यशाला में भाग लेने वाले किसानों से अपने सहयोग से विभिन्न कार्यक्रमों को सफल बनाने का आग्रह किया।

अनुसंधान निदेशक डॉ. रविंदर शर्मा और विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. दिवेंद्र गुप्ता ने नाबार्ड और हार्प के प्रयासों की सराहना की और किसानों को आश्वासन दिया कि विश्वविद्यालय किसानों को तकनीकी रूप से समर्थन देने के लिए हमेशा तैयार है।

डॉ. नरेद्र कुमार ठाकुर ने कहा कि हार्प ने कृषक समुदाय के समन्वय से दुर्गम क्षेत्रों में कठिन परिस्थितियों में काम किया है। इस अवसर पर एक किसान-वैज्ञानिक परिचर्चा का भी आयोजन किया गया जिसमें भाग लेने वाले किसानों के तकनीकी प्रश्नों को संबोधित किया गया।

Continue Reading

Featured

हिमाचल सरकार पुलिसकर्मियों का कर रही है शोषण

Published

on

hp police

पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है,कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है,राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है,हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।

शिमला सीटू राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। कमेटी ने यह कहा है कि वह हिमाचल प्रदेश के पुलिसकर्मियों की मांगों का पूर्ण समर्थन करती है। आरोप लगाते हुए सीटू ने कहा है कि प्रदेश सरकार पुलिसकर्मियों का शोषण कर रही है।

राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार से यह मांग की है कि वर्ष 2013 के बाद नियुक्त पुलिसकर्मियों को पहले की भांति 5910 रुपये के बजाए 10300 रुपये संशोधित वेतन लागू किया जाए व उनकी अन्य सभी मांगों को बिना किसी विलंब के पूरा किया जाए।

सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में भी कर्मचारियों की प्रमुख मांगों को अनदेखा किया गया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में पुलिसकर्मियों की मांगों को पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया है।

सीटू कमेटी ने कहा कि सबसे मुश्किल डयूटी करने वाले व चौबीस घण्टे डयूटी में कार्यरत पुलिसकर्मियों को इस बैठक से मायूसी ही हाथ लगी है। इसी से आक्रोशित होकर पुलिसकर्मी मुख्यमंत्री आवास पहुंचे थे। उनके द्वारा पिछले कुछ दिनों से मैस के खाने के बॉयकॉट से उनकी पीड़ा का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि पुलिस कर्मियों के साथ ही सभी सरकारी कर्मचारी नवउदारवादी नीतियों की मार से अछूते नहीं है। कमेटी ने कहा कि पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है। कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।

कमेटी ने यह भी कहा है कि थानों में स्टेशनरी के लिए बेहद कम पैसा है व आईओ को केस की पूरी फ़ाइल का सैंकड़ों रुपये का खर्चा अपनी ही जेब से करना पड़ता है। थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है। मैस मनी केवल दो सौ दस रुपये महीना है जबकि मैस में पूरा महीना खाना खाने का खर्चा दो हज़ार रुपये से ज़्यादा आता है। यह प्रति डाइट केवल साढ़े तीन रुपये बनता है, जोकि पुलिस जवानों के साथ घोर मज़ाक है। यह स्थिति मिड डे मील के लिए आबंटित राशि से भी कम है।

उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के जमाने के बने बहुत सारे थानों की स्थिति खंडहर की तरह प्रतीत होती है जहां पर कार्यालयों को टाइलें लगाकर तो चमका दिया गया है परन्तु कस्टडी कक्षों,बाथरूमों,बैरकों,स्टोरों,मेस की स्थिति बहुत बुरी है। इन वजहों से भी पुलिस जवान भारी मानसिक तनाव में रहते हैं।

सीटू ने कहा कि पुलिस में स्टाफ कि बहुत कमी है या यूं कह लें कि बेहद कम है व कुल अनुमानित नियुक्तियों की तुलना में आधे जवान ही भर्ती किये गए हैं जबकि प्रदेश की जनसंख्या पहले की तुलना में काफी बढ़ चुकी है यहाँ तक पुलिस के पास रिलीवर भी नहीं है।

आरोप लगाते हुए कमेटी ने कहा कि प्रदेश की राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है। वहीं पुलिस कर्मी निरन्तर ओवरटाइम डयूटी करते हैं। इसकी एवज में उन्हें केवल एक महीना ज़्यादा वेतन दिया जाता है। इस से प्रत्येक पुलिसकर्मी को वर्तमान वेतन की तुलना में दस से बारह हज़ार रुपये का नुकसान उठाना पड़ता है। उन्हें लगभग नब्बे साप्ताहिक अवकाश,सेकंड सैटरडे,राष्ट्रीय व त्योहार व अन्य छुट्टियों के मुकाबले में केवल पन्द्रह स्पेशल लीव दी जाती है।

सीटू कमेटी ने यह भी कहा कि वर्ष 2007 में हिमाचल प्रदेश में बने पुलिस एक्ट के पन्द्रह साल बीतने पर भी नियम नहीं बन पाए हैं। इस एक्ट के अनुसार पुलिसकर्मियों को सुविधा तो दी नहीं जाती है परन्तु कर्मियों को दंडित करने के लिए इसके प्रावधान बगैर नियमों के भी लागू किये जा रहे हैं जिसमें एक दिन डयूटी से अनुपस्थित रहने पर तीन दिन का वेतन काटना भी शामिल है। पुलिसकर्मियों की प्रोमोशन में भी कई विसंगतियां हैं व इसका टाइम पीरियड भी बहुत लंबा है। हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।

Continue Reading

Featured

किन्नौर में लापता पर्यटकों में से 2 और के शव बरामद, 2 की तालाश जारी,आभी तक कुल 7 शव बरामद

Published

on

kinnaur trekker deaths

शिमला रिकोंगपिओ में 14 अक्तुबर को उत्तरकाशी के हर्षिल से छितकुल की ट्रैकिंग पर निकले 11 पर्यटकों में से लापता चार पर्वतारोहीयों में से दो  पर्वतारोहियों के शवो को आई.टी.बी.पी व पुलिस दल द्वारा पिछले कल सांगला लाया गया था जहां सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सांगला में दोनों शवों का पोस्टमार्टम किया गया।

यह जानकारी देते हुए उपायुक्त किन्नौर अपूर्व देवगन ने बताया कि इन दोनों की पहचान कर ली गई है जिनमे मे एक उतरकाशी व दूसरा पश्चिम बंगाल से सम्बंधित था।

उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन किन्नौर द्वारा आज एक शव वाहन द्वारा उतरकाशी को भेज दिया गया है जहाँ शव को जिला प्रशासन उतरकाशी को सौंपा जाएगा। जब कि दूसरा शव वाहन द्वारा शिमला भेजा गया है जिसे शिमला में मृतक के परिजनों को सौंपा जायेगा।

उपायुक्त अपूर्व देवगन ने बताया कि अभी भी लापता दो  पर्यटकों की तलाश आई.टी.बी.पी के जवानों द्वारा जारी है। उल्लेखनीय है कि गत दिनों उतरकाशी से छितकुल के लिये 11 पर्वतारोही ट्रेकिंग पर निकले थे जो बर्फबारी के कारण लमखंगा दर्रे में फंस गये थे जिसकी सूचना मिलने पर जिला प्रशासन द्वारा सेना के हेलीकॉप्टर व आई.टी.बी.पी के जवानों की सहायता से राहत व बचाव कार्य आरम्भ किया था। सेना व आई.टी.बी.पी के जवानों ने 21 अक्टूबर को दो पर्यटकों को सुरक्षित ढूंढ निकाला था। इसी दौरान उन्हें अलग अलग स्थानों पर पाँच ट्रेकरों के शव ढूंढ निकलने में सफलता मिली थी। जबकि 4 पर्यटक लापता थे जिसमे से राहत व बचाव दल को 22 अक्तुबर को 2 शव ढूढ़ निकालने में सफलता मिली थी। अभी भी दो पर्यटक लापता हैं जिनकी राहत व बचाव दल द्वारा तलाश जारी है।

Continue Reading

Featured

jairam sukhhu jairam sukhhu
अन्य खबरे8 months ago

पुलिस की समयोचित कार्रवाई के बावजूद भाजपा का प्रदर्शन व आरोपी का घर जलाना ओछी राजनीति : मुख्यमंत्री

चंबा – मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने चम्बा जिला के सलूणी में हुए हत्याकांड के मामले में भारतीय जनता...

manohar case manohar case
अन्य खबरे8 months ago

अगर 25 वर्षों से आतंकीयों से जुड़े थे चंबा हत्याकांड के आरोपी के तार तो सरकारें क्यूँ देती रही शरण : आम आदमी पार्टी

चंबा- जिला चंबा के सलूनी इलाके में हुए (मनोहर, 21) हत्याकांड की घटना राजनीतिक रूप लेती  जा रही है। पक्ष...

BJP protest chmba BJP protest chmba
अन्य खबरे8 months ago

चंबा हत्याकांड: धारा 144 तोड़ने से रोका तो धरने पर बैठे भाजपा नेता

चंबा-मनोहर हत्याकांड के सात दिन बाद भी इलाके में तनावपूर्ण माहौल बना हुआ है। पूरे इलाके में धारा 144 लागू...

salooni case salooni case
अन्य खबरे8 months ago

चंबा हत्याकांड : इलाके में तनावपूर्ण माहौल के बीच मुख्यमंत्री ने की शांति बनाए रखने की अपील

चंबा-जिला चंबा के सलूणी इलाके में मनोहर नाम के 21 वर्षीय युवक की हत्या की घटना सामने आने के बाद...

himachal pradesh elections between rss and congress himachal pradesh elections between rss and congress
पब्लिक ओपिनियन1 year ago

हिमाचल विधान सभा चुनाव 2022 में प्रदेश के राजनीतिक परिवेश पर एक नज़र

लेखक: डॉ देवेन्द्र शर्मा -असिस्टेंट प्रोफेसर, राजनीति शास्त्र, राजकीय महाविद्यालय चायल कोटी, जिला शिमला हिमाचल प्रदेश  शिमला- नवम्बर 2022 को 68...

sanwara toll plaza sanwara toll plaza
अन्य खबरे2 years ago

सनवारा टोल प्लाजा पर अब और कटेगी जेब, अप्रैल से 10 से 45 रुपए तक अधिक चुकाना होगा टोल

शिमला- कालका-शिमला राष्ट्रीय राजमार्ग-5 पर वाहन चालकों से अब पहली अप्रैल से नई दरों से टोल वसूला जाएगा। केंद्रीय भूतल...

hpu NSUI hpu NSUI
कैम्पस वॉच2 years ago

विश्वविद्यालय को आरएसएस का अड्डा बनाने का कुलपति सिंकदर को मिला ईनाम:एनएसयूआई

शिमला- भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन ने हिमाचल प्रदेश के शैक्षणिक संस्थानों मे भगवाकरण का आरोप प्रदेश सरकार पर लगाया हैं।...

umang-foundation-webinar-on-child-labour umang-foundation-webinar-on-child-labour
अन्य खबरे2 years ago

बच्चों से खतरनाक किस्म की मजदूरी कराना गंभीर अपराध:विवेक खनाल

शिमला- बच्चों से खतरनाक किस्म की मज़दूरी कराना गंभीर अपराध है। 14 साल के अधिक आयु के बच्चों से ढाबे...

himachal govt cabinet meeting himachal govt cabinet meeting
अन्य खबरे2 years ago

हिमाचल कैबिनेट के फैसले:प्रदेश में सस्ती मिलेगी देसी ब्रांड की शराब,पढ़ें सभी फैसले

शिमला- मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में आयोजित प्रदेश मंत्रीमंडल की बैठक में आज वर्ष 2022-23 के लिए आबकारी नीति...

umag foundation shimla ngo umag foundation shimla ngo
अन्य खबरे2 years ago

राज्यपाल से शिकायत के बाद बदला बोर्ड का निर्णय,हटाई दिव्यांग विद्यार्थियों पर लगाई गैरकानूनी शर्तें: प्रो श्रीवास्तव

शिमला- हिमाचल स्कूल शिक्षा बोर्ड की दिव्यांग विरोधी नीति की शिकायत उमंग फाउंडेशन की ओर से राज्यपाल से करने के...

Trending