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कोटखाई केस: चारों आरोपी न्यायिक हिरासत में ,कंडा जेल शिफ्ट होंगे चारों आरोपी

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Kotkhai Rape and murder Case accused

सीबीआई हाई कोर्ट में अंतरिम रिपोर्ट पेश करने से पहले कुछ भी सार्वजनिक नहीं करेगी

शिमला- सीबीआई ने बिटिया मर्डर केस में अपनी कस्टडी में लिए चार आरोपियों को ठियोग के अतिरिक्त न्यायिक दंडाधिकारी हरमेश कुमार की अदालत के समक्ष पेश किया। न्यायालय में पेश होने से पहले आरोपियों का ठियोग सिविल अस्पताल में मेडिकल भी करवाया गया।

उसके बाद चारों आरोपियों राजेंद्र सिंह उर्फ राजू,सुभाष बिस्ट,लोकजन उर्फ छोटू और दीपक को शिमला की कंडा जेल में शिफ्ट किया जाएगा। मामले से जुड़े एक आरोपी आशीष चौहान को बीते दिन ही न्यायालय में पेश किया गया था जहां से उसे 15 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था।

सीबीआई ने बीते मंगलवार को पांचों आरोपियों को पूछताछ के लिए रिमांड पर लिया था। गुड़िया मामले के आरोपियों को अब सत्र न्यायाधीश शिमला के समक्ष ही पेश किया जाएगा क्योंकि यहीं पर इनका ट्रायल भी चलना है।

दैनिक हिंदी समाचार पत्र के अनुसार: मिली जानकारी के मुताबिक सीबीआई ने इन आरोपियों से पूछताछ पूरी कर ली है। इसी के चलते इन आरोपियों को न्यायालय में पेश किया गया। गौर हो कि मामले से जुड़े सभी पांचों आरोपियों को सीबीआई ने मंगलवार को अपनी कस्टडी में लिया था।

इस मामले में पुलिस ने छह लोगों को गिरफ्तार किया था और इनमें से एक आरोपी सूरज की पुलिस लॉकअप में मौत हो गई थी। गौरतलब है कि कोटखाई के गुड़िया गैंगरेप हत्याकांड मामले की छानबीन में जुटी सीबीआई की टीम अब काफी तेजी से हर पहलु को खंगाल रही है और एक कड़ी से दूसरी कड़ी को जोड़ने की कोशिश कर रही है।

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चित्र: अमर उजाला

सीबीआई की टीम ने दो दिन पहले ही आईजीएमसी में अपनी देखरेख में इस घटना के एक आरोपी के शव का पोस्टमार्टम करवाया था। साथ ही सीबीआई का एक बड़ा दल दांदी के जंगल गया था और वहां पर अपने तरीके से जांच की थी।

दैनिक हिंदी समाचार पत्र के मुताबिक: सीबीआई ने शुरुआती छानबीन में इस बात को मान लिया है कि गुड़िया गैंगरेप हत्याकांड किसी सामान्य अपराधी का काम नहीं है, बल्कि ये किसी मास्टर माइंड का ही काम है।

एक बागवान के नौकर राजू को असल मुजरिम साबित करने के ठोस सबूत जुटाने या मास्टरमाइंड को पकड़ने के लिए सीबीआई की स्पेशल क्राइम ब्रांच को खासी मशक्कत करनी पड़ रही है।

हालांकि, केंद्रीय जांच ब्यूरो की यह विशेष टीम पुलिस तफ्तीश में निकली कहानी को भी सिरे से खारिज नहीं कर रही है, बल्कि फिलहाल इसी छानबीन को आधार बनाकर इसे पुष्ट करने के साक्ष्य ढूंढ रही है।

सबूत मैच नहीं करने पर ही सीबीआई अपनी जांच को नई दिशा देगी। इसी बीच सीबीआई संदिग्धों की फोन कॉल डिटेल से लेकर तमाम साइंटिफिक एविडेंस जुटाने में लगी है।

सीबीआई ने गुड़िया मर्डर केस के आरोपी आशीष को बुधवार को ठियोग कोर्ट में पेश किया। सीबीआई ने अतिरिक्त दंडाधिकारी हरमेश कुमार की कोर्ट में बताया कि आशीष से हमारी पूछताछ पूरी हो गई है।

पहले पुलिस की बनाई कहानी को ही किया जा रहा रीप्ले

पुलिस जांच के मुताबिक लाश को सबसे पहले गुड़िया के मामा ने स्पॉट पर देखा था। सीबीआई ने भी इसी आधार पर मंगलवार को सबसे पहले गुड़िया के दोनों मामा को स्पॉट पर ले जाकर पूछताछ की। पुलिस ने राजू पर थाने के भीतर सूरज की हत्या का आरोप लगाया है।

सीबीआई पिछले दिन ही कोटखाई थाने के भीतर वारदात वाली जगह का मुआयना कर पुलिस की थ्योरी समझने की कोशिश कर चुकी है। इसी तरह पुलिस रिपोर्ट के मुताबिक अब तक इस मामले के आरोपी राजू, गढ़वाली सुभाष, दीपक, छोटू नेपाली और सह आरोपी आशीष चैहान हैं।

सीबीआई भी प्रथम दृष्टया इन्हीं को आरोपी मानकर चल रही है। मगर इन्हें वास्तविक आरोपी साबित करने के लिए पुलिस के बताए सबूतों को वेरिफाई भी कर रही है। सीबीआई सूत्रों ने बताया कि जब तक पूरे प्रमाण न हों, पुलिस की तफ्तीश को खारिज नहीं किया जा सकता है। इसीलिए आरंभिक जांच में पुलिस की बनाई कहानी को ही रीप्ले कर रही है।

पुलिस के अनुसार हत्या के दिन भी इस वाहन का प्रयोग किया गया

पुलिस जांच के मुताबिक दांदी जंगल में जहां लाश दो लिंक सड़कों के बीच फेंकी गई थी, वहां से मुख्य आरोपी राजू का डेरा महज तीन सौ मीटर की ही दूरी पर है। इतने घने और दूर-दूर तक फैले जंगल में राजू को क्या अपने घर के पास ही लाश फेंकने को गड्ढा मिला?

HP Police

चित्र:अमर उजाला

जबकि यहीं पला-बढ़ा राजू इस जंगल के चप्पे से परिचित है। गुड़िया की लाश अगर चार तारीख को ही फेंक दी गई थी तो इस क्षेत्र में जीवित बछड़ों तक को खा जाने वाले लावारिस कुत्तों को उसके शव की गंध क्यों नहीं आई? ऐसे कई सवाल आगामी दिनों में जांच जा रुख मोड़ सकते हैं।

सीबीआई ने सूरज की बॉडी से लिए चार सैंपल

सीबीआई ने मृतक सूरज की बॉडी से चार सैंपल जुटाए हैं। साढ़े तीन घंटे तक चले पोस्टमार्टम की रि-एग्जामिन प्रक्रिया के दौरान मृतक की बॉडी में कट मारकर सिर, गुप्तांग, गले और सीने से चार सैंपल लिए गए। इन सैंपलों को सीबीआई अपने साथ ले गई है। बताया जा रहा है कि सीबीआई अपने स्तर पर इन सैंपलों की फोरेंसिक लैब में जांच-पड़ताल करेगी।

इसके साथ टीम ने पहले किए पोस्टमार्टम और फिर से किए रि-एग्जामिन की रिपोर्ट की जांच की है। सूत्र बताते हैं कि सीबीआई की टीम ने गुड़िया के पोस्टमार्टम का रिकॉर्ड भी खंगाला है।

कंप्यूटर में फीड गुड़िया के शरीर पर घाव की रिपोर्ट जांची गई है। अलग-अलग एंगल के करीब 172 फोटो देखे गए। सीबीआई की टीम ने इस दौरान डॉक्टरों से भी गुड़िया और सूरज के मामले में लंबी बातचीत की। इसके बाद टीम ने फिर डिपार्टमेंट में आने की बात कही है।

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हिमाचल की तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर लगे 76,000 से अधिक सेब के पौधे

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शिमला- डॉ यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के विस्तार शिक्षा निदेशालय में पहाड़ी कृषि एवं ग्रामीण विकास एजेंसी(हार्प), शिमला द्वारा एक अनुभव-साझाकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया।

इस कार्यशाला में जिला किन्नौर के निचार विकास खंड के रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों के 34 किसानों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर जीएम नाबार्ड डॉ. सुधांशु मिश्रा मुख्य अतिथि रहे जबकि नौणी विवि के अनुसंधान निदेशक डॉ रविंदर शर्मा ने विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत की।

संस्था के अध्यक्ष डॉ. आर एस रतन ने कहा कि यह कार्यक्रम एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना के तहत रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों में वर्ष 2014 से आयोजित किया जा रहा है। परियोजना को नाबार्ड द्वारा वित्त पोषित किया गया है और इसे हार्प द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।

उन्होंने यह बताया कि यह एक बागवानी आधारित आजीविका कार्यक्रम है जिसे किसानों की भागीदारी से लागू किया गया है। इन तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर 76,000 से अधिक सेब के पौधे लगाए गए हैं और 607 परिवार लाभान्वित हुए हैं।

डॉ. सुधांशु मिश्रा ने यह भी कहा कि नाबार्ड हमेशा सामाजिक-आर्थिक उत्थान कार्यक्रमों के संचालन में आगे रहा है। उन्होंने इस कार्यशाला में भाग लेने वाले किसानों से अपने सहयोग से विभिन्न कार्यक्रमों को सफल बनाने का आग्रह किया।

अनुसंधान निदेशक डॉ. रविंदर शर्मा और विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. दिवेंद्र गुप्ता ने नाबार्ड और हार्प के प्रयासों की सराहना की और किसानों को आश्वासन दिया कि विश्वविद्यालय किसानों को तकनीकी रूप से समर्थन देने के लिए हमेशा तैयार है।

डॉ. नरेद्र कुमार ठाकुर ने कहा कि हार्प ने कृषक समुदाय के समन्वय से दुर्गम क्षेत्रों में कठिन परिस्थितियों में काम किया है। इस अवसर पर एक किसान-वैज्ञानिक परिचर्चा का भी आयोजन किया गया जिसमें भाग लेने वाले किसानों के तकनीकी प्रश्नों को संबोधित किया गया।

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हिमाचल सरकार पुलिसकर्मियों का कर रही है शोषण

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hp police

पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है,कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है,राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है,हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।

शिमला सीटू राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। कमेटी ने यह कहा है कि वह हिमाचल प्रदेश के पुलिसकर्मियों की मांगों का पूर्ण समर्थन करती है। आरोप लगाते हुए सीटू ने कहा है कि प्रदेश सरकार पुलिसकर्मियों का शोषण कर रही है।

राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार से यह मांग की है कि वर्ष 2013 के बाद नियुक्त पुलिसकर्मियों को पहले की भांति 5910 रुपये के बजाए 10300 रुपये संशोधित वेतन लागू किया जाए व उनकी अन्य सभी मांगों को बिना किसी विलंब के पूरा किया जाए।

सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में भी कर्मचारियों की प्रमुख मांगों को अनदेखा किया गया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में पुलिसकर्मियों की मांगों को पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया है।

सीटू कमेटी ने कहा कि सबसे मुश्किल डयूटी करने वाले व चौबीस घण्टे डयूटी में कार्यरत पुलिसकर्मियों को इस बैठक से मायूसी ही हाथ लगी है। इसी से आक्रोशित होकर पुलिसकर्मी मुख्यमंत्री आवास पहुंचे थे। उनके द्वारा पिछले कुछ दिनों से मैस के खाने के बॉयकॉट से उनकी पीड़ा का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि पुलिस कर्मियों के साथ ही सभी सरकारी कर्मचारी नवउदारवादी नीतियों की मार से अछूते नहीं है। कमेटी ने कहा कि पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है। कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।

कमेटी ने यह भी कहा है कि थानों में स्टेशनरी के लिए बेहद कम पैसा है व आईओ को केस की पूरी फ़ाइल का सैंकड़ों रुपये का खर्चा अपनी ही जेब से करना पड़ता है। थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है। मैस मनी केवल दो सौ दस रुपये महीना है जबकि मैस में पूरा महीना खाना खाने का खर्चा दो हज़ार रुपये से ज़्यादा आता है। यह प्रति डाइट केवल साढ़े तीन रुपये बनता है, जोकि पुलिस जवानों के साथ घोर मज़ाक है। यह स्थिति मिड डे मील के लिए आबंटित राशि से भी कम है।

उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के जमाने के बने बहुत सारे थानों की स्थिति खंडहर की तरह प्रतीत होती है जहां पर कार्यालयों को टाइलें लगाकर तो चमका दिया गया है परन्तु कस्टडी कक्षों,बाथरूमों,बैरकों,स्टोरों,मेस की स्थिति बहुत बुरी है। इन वजहों से भी पुलिस जवान भारी मानसिक तनाव में रहते हैं।

सीटू ने कहा कि पुलिस में स्टाफ कि बहुत कमी है या यूं कह लें कि बेहद कम है व कुल अनुमानित नियुक्तियों की तुलना में आधे जवान ही भर्ती किये गए हैं जबकि प्रदेश की जनसंख्या पहले की तुलना में काफी बढ़ चुकी है यहाँ तक पुलिस के पास रिलीवर भी नहीं है।

आरोप लगाते हुए कमेटी ने कहा कि प्रदेश की राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है। वहीं पुलिस कर्मी निरन्तर ओवरटाइम डयूटी करते हैं। इसकी एवज में उन्हें केवल एक महीना ज़्यादा वेतन दिया जाता है। इस से प्रत्येक पुलिसकर्मी को वर्तमान वेतन की तुलना में दस से बारह हज़ार रुपये का नुकसान उठाना पड़ता है। उन्हें लगभग नब्बे साप्ताहिक अवकाश,सेकंड सैटरडे,राष्ट्रीय व त्योहार व अन्य छुट्टियों के मुकाबले में केवल पन्द्रह स्पेशल लीव दी जाती है।

सीटू कमेटी ने यह भी कहा कि वर्ष 2007 में हिमाचल प्रदेश में बने पुलिस एक्ट के पन्द्रह साल बीतने पर भी नियम नहीं बन पाए हैं। इस एक्ट के अनुसार पुलिसकर्मियों को सुविधा तो दी नहीं जाती है परन्तु कर्मियों को दंडित करने के लिए इसके प्रावधान बगैर नियमों के भी लागू किये जा रहे हैं जिसमें एक दिन डयूटी से अनुपस्थित रहने पर तीन दिन का वेतन काटना भी शामिल है। पुलिसकर्मियों की प्रोमोशन में भी कई विसंगतियां हैं व इसका टाइम पीरियड भी बहुत लंबा है। हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।

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किन्नौर में लापता पर्यटकों में से 2 और के शव बरामद, 2 की तालाश जारी,आभी तक कुल 7 शव बरामद

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kinnaur trekker deaths

शिमला रिकोंगपिओ में 14 अक्तुबर को उत्तरकाशी के हर्षिल से छितकुल की ट्रैकिंग पर निकले 11 पर्यटकों में से लापता चार पर्वतारोहीयों में से दो  पर्वतारोहियों के शवो को आई.टी.बी.पी व पुलिस दल द्वारा पिछले कल सांगला लाया गया था जहां सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सांगला में दोनों शवों का पोस्टमार्टम किया गया।

यह जानकारी देते हुए उपायुक्त किन्नौर अपूर्व देवगन ने बताया कि इन दोनों की पहचान कर ली गई है जिनमे मे एक उतरकाशी व दूसरा पश्चिम बंगाल से सम्बंधित था।

उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन किन्नौर द्वारा आज एक शव वाहन द्वारा उतरकाशी को भेज दिया गया है जहाँ शव को जिला प्रशासन उतरकाशी को सौंपा जाएगा। जब कि दूसरा शव वाहन द्वारा शिमला भेजा गया है जिसे शिमला में मृतक के परिजनों को सौंपा जायेगा।

उपायुक्त अपूर्व देवगन ने बताया कि अभी भी लापता दो  पर्यटकों की तलाश आई.टी.बी.पी के जवानों द्वारा जारी है। उल्लेखनीय है कि गत दिनों उतरकाशी से छितकुल के लिये 11 पर्वतारोही ट्रेकिंग पर निकले थे जो बर्फबारी के कारण लमखंगा दर्रे में फंस गये थे जिसकी सूचना मिलने पर जिला प्रशासन द्वारा सेना के हेलीकॉप्टर व आई.टी.बी.पी के जवानों की सहायता से राहत व बचाव कार्य आरम्भ किया था। सेना व आई.टी.बी.पी के जवानों ने 21 अक्टूबर को दो पर्यटकों को सुरक्षित ढूंढ निकाला था। इसी दौरान उन्हें अलग अलग स्थानों पर पाँच ट्रेकरों के शव ढूंढ निकलने में सफलता मिली थी। जबकि 4 पर्यटक लापता थे जिसमे से राहत व बचाव दल को 22 अक्तुबर को 2 शव ढूढ़ निकालने में सफलता मिली थी। अभी भी दो पर्यटक लापता हैं जिनकी राहत व बचाव दल द्वारा तलाश जारी है।

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