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कोटखाई केस: आज जांच के लिए कोटखाई जा सकती है सीबीआई

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Cbi to visit kotkhai for crime spot

डीआईजी की निगरानी में होगी पड़ताल, आरोपी नेपाली के शव का दोबारा पोस्टमार्टम संभव

शिमला- कोटखाई गैंगरेप व हत्या के मामले में सीबीआई की टीम सोमवार को कोटखाई जा सकती है। सीबीआई टीम डीआईजी स्तर के अधिकारी की अगवाई में शिमला आई है। टीम ने रविवार को इस प्रकरण को लेकर मिले दस्तावेजों को खंगाला है। दैनिक समाचार-पत्र में छपी खबर के मुताबिक: बताया जा रहा है कि सीबीआई आईजीएमसी में रखे नेपाली के शव का भी निरीक्षण करेगी। यदि जरूरत हुई तो जांच एजेंसी दोबारा से शव का पोस्टमार्टम आईजीएमसी में करवा सकती है।

कोटखाई प्रकरण को लेकर शिमला आई सीबीआई की टीम ने रविवार को इस केस के संबंध में मिले दस्तावेजों को खंगाला है। टीम के कुछ सदस्य सोमवार को कोटखाई जा सकते है। कोटखाई में घटनास्थल के अलावा लोगों से भी जांच टीम पूछताछ कर सकती है। यह भी माना जा रहा है कि सीबीआई कोटखाई थाना के स्टाफ से भी पूछताछ कर सकती है।

थाने में एक आरोपी की हत्या कर दी गई थी और उसका शव अभी भी आईजीएमसी में जांच के लिए रखा गया है। सीबीआई इस शव का निरीक्षण सोमवार को करेगी और यह जांचेगी कि उसकी मौत किस वजह से हुई है। यदि जरूरत पड़ी तो सीबीआई इस शव का दोबारा से भी पोस्टमार्टम करवा सकती है।

माना जा रहा है कि मृतक नेपाली की पत्नी से भी सीबीआई पूछताछ कर सकती है। महिला को शिमला के समीप नारी निकेतन में कड़ी सुरक्षा में रखा गया है। महिला की ओर से आरोप लगाए गए थे कि उसका पति बेकसूर था और उसको इस मामले में फंसाया गया था। महिला की सुरक्षा को लेकर खतरा जताया गया था। यही वजह है कि पुलिस ने महिला को सुरक्षा के साथ नारी निकेतन में रखा है।

ऐसे में माना जा रहा है कि सीबीआई की टीम महिला से पूछताछ कर वास्तविकता का पता लगाएगी। उल्लेखनीय है कि सीबीआई ने बीते दिन दो केस दर्ज किए थे। इनमें एक केस छात्रा की हत्या को लेकर जबकि दूसरा केस पुलिस हिरासत में एक आरोपी की हत्या को लेकर दर्ज किया गया है।
कोटखाई प्रकरण की जांच को लेकर सीबीआई ने पूरी तरह से तैयार दिखती नज़ आ रही है।

जांच एंजेसी के कुछ बड़े अधिकारी रविवार को शिमला पहुंचे हैं, जबकि कुछ शनिवार को ही यहां आ चुके हैं। सीबीआई की एक टीम शिमला में ठहरी है। मामले में सीबीआई ने दो केस दर्ज कर लिए हैं। प्रकरण की जांच सीबीआई ने अपनी एक विशेष टीम को सौंप रखी है, जिसका जिम्मा एसपी रैंक के एक बड़े अधिकारी को सौंपा गया है, वहीं एडिशनल एसपी व डीएसपी शामिल हैं। यह टीम सीबीआईर् के अधीनस्थ कर्मचारियों का भी सहयोग ले रही है।

सीबीआई ठहरने और वाहनों की अधिकतर व्यवस्था अपने स्तर पर ही कर रही है, लेकिन राज्य सरकार की ओर से भी जांच दल को पूरी सुविधाएं उपलब्ध करवाई जानी हैं, ताकि जांच सुचारू रूप से चल सके। प्रदेश उच्च न्यायालय ने भी सरकार को आदेश दे रखे हैं कि सीबीआई को इस मामले की जांच में पूरा सहयोग दे। ऐसे में राज्य सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से जांच टीम को वाहन उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। राज्य सरकार के अधिकारियों की मानें तो सीबीआईर् को डिमांड के अनुसार वाहन और अन्य सुविधाएं दी जा रही हैं।

दरिंदगी और हत्या वाली जगह की तलाश,पुलिस जांच में बताए गए स्पॉट पर जनता को संदेह

कोटखाई में गुड़िया क साथ दरिंदगी आखिर किस जगह हुई, पूरी जांच इसके इर्द-गिर्द घूम गई है। हालांकि पुलिस अपनी जांच में वारदात वाली जगह को वहीं पास बता रही है, जहां छात्रा का शव बरामद किया गया था, लेकिन इस पर संदेह जताया जा रहा है। यही वजह है कि सीबीआई जांच का अहम बिंदु यही है कि छात्रा के साथ दरिंदगी और उसकी हत्या की असली जगह कौन सी है।

दैनिक समाचार पत्र के अनुसार: सीबीआई अपनी जांच में पुलिस द्वारा बताई गई जगह को भी वेरिफाई कर रही है। इससे इस पूरे हत्याकांड से पर्दा उठने की संभावना है। पुलिस जांच में सामने आया था कि बिटिया की चार जुलाई को ही हत्या कर दी गई थी। यह भी पाया गया था जिस जगह शव बरामद किया गया था, उससे करीब 10 फुट की दूरी पर ही दुराचार कर बिटिया की हत्या की गई। इसके बाद आरोपियों ने छात्रा के शव को सड़क के साथ नीचे फेंक दिया था, लेकिन जहां शव बरामद किया गया है, वहां से अकसर लोग आते-जाते रहते हैं।

यही नहीं, छात्रा के गुम होने वाली शाम को भी स्कूली बच्चे और अन्य लोग उस रास्ते से गुजरे होंगे। यदि यह घटना वहीं हुई तो यहां से गुजरने वालों क्या इसकी भनक नहीं लगी। यही नहीं, पास में ही करीब 200 मीटर दूर नेपालियों की बस्ती भी है, यदि यहां दुराचार व हत्या हुई होती तो मजदूरों को भी इसका पता चलता। यही वजह है कि पुलिस की यह थ्योरी लोगों के गले नहीं उतर रही। बिटिया का शव छह जुलाई को सुबह करीब सात बजे देखा गया था तो सवाल ये भी उठे हैं कि घने जंगल में जंगली जानवरों से कैसे यह शव करीब 36 घंटे तक सुरक्षित रह गया, जबकि यहां पर जंगली जानवर काफी तादाद में हैं।

जांच एजेंसी फोरेंसिक सबूत की भी लेगी मदद

सीबीआई ने घटनास्थल का निरीक्षण भी किया है। इसके अलावा आसपास के इलाके को भी जांचा है। स्थानीय लोगों द्वारा भी घटनास्थल को लेकर संदेह जताया जा रहा है। ऐसे में अब पूरी तहकीकात इस ओर घूम गई है कि छात्रा के साथ दरिंदगी और उसकी हत्या कहां की गई। इसके लिए जांच एजेंसी फोरेंसिक सबूत की भी मदद ले सकती है।

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हिमाचल की तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर लगे 76,000 से अधिक सेब के पौधे

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शिमला- डॉ यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के विस्तार शिक्षा निदेशालय में पहाड़ी कृषि एवं ग्रामीण विकास एजेंसी(हार्प), शिमला द्वारा एक अनुभव-साझाकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया।

इस कार्यशाला में जिला किन्नौर के निचार विकास खंड के रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों के 34 किसानों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर जीएम नाबार्ड डॉ. सुधांशु मिश्रा मुख्य अतिथि रहे जबकि नौणी विवि के अनुसंधान निदेशक डॉ रविंदर शर्मा ने विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत की।

संस्था के अध्यक्ष डॉ. आर एस रतन ने कहा कि यह कार्यक्रम एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना के तहत रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों में वर्ष 2014 से आयोजित किया जा रहा है। परियोजना को नाबार्ड द्वारा वित्त पोषित किया गया है और इसे हार्प द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।

उन्होंने यह बताया कि यह एक बागवानी आधारित आजीविका कार्यक्रम है जिसे किसानों की भागीदारी से लागू किया गया है। इन तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर 76,000 से अधिक सेब के पौधे लगाए गए हैं और 607 परिवार लाभान्वित हुए हैं।

डॉ. सुधांशु मिश्रा ने यह भी कहा कि नाबार्ड हमेशा सामाजिक-आर्थिक उत्थान कार्यक्रमों के संचालन में आगे रहा है। उन्होंने इस कार्यशाला में भाग लेने वाले किसानों से अपने सहयोग से विभिन्न कार्यक्रमों को सफल बनाने का आग्रह किया।

अनुसंधान निदेशक डॉ. रविंदर शर्मा और विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. दिवेंद्र गुप्ता ने नाबार्ड और हार्प के प्रयासों की सराहना की और किसानों को आश्वासन दिया कि विश्वविद्यालय किसानों को तकनीकी रूप से समर्थन देने के लिए हमेशा तैयार है।

डॉ. नरेद्र कुमार ठाकुर ने कहा कि हार्प ने कृषक समुदाय के समन्वय से दुर्गम क्षेत्रों में कठिन परिस्थितियों में काम किया है। इस अवसर पर एक किसान-वैज्ञानिक परिचर्चा का भी आयोजन किया गया जिसमें भाग लेने वाले किसानों के तकनीकी प्रश्नों को संबोधित किया गया।

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हिमाचल सरकार पुलिसकर्मियों का कर रही है शोषण

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hp police

पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है,कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है,राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है,हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।

शिमला सीटू राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। कमेटी ने यह कहा है कि वह हिमाचल प्रदेश के पुलिसकर्मियों की मांगों का पूर्ण समर्थन करती है। आरोप लगाते हुए सीटू ने कहा है कि प्रदेश सरकार पुलिसकर्मियों का शोषण कर रही है।

राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार से यह मांग की है कि वर्ष 2013 के बाद नियुक्त पुलिसकर्मियों को पहले की भांति 5910 रुपये के बजाए 10300 रुपये संशोधित वेतन लागू किया जाए व उनकी अन्य सभी मांगों को बिना किसी विलंब के पूरा किया जाए।

सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में भी कर्मचारियों की प्रमुख मांगों को अनदेखा किया गया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में पुलिसकर्मियों की मांगों को पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया है।

सीटू कमेटी ने कहा कि सबसे मुश्किल डयूटी करने वाले व चौबीस घण्टे डयूटी में कार्यरत पुलिसकर्मियों को इस बैठक से मायूसी ही हाथ लगी है। इसी से आक्रोशित होकर पुलिसकर्मी मुख्यमंत्री आवास पहुंचे थे। उनके द्वारा पिछले कुछ दिनों से मैस के खाने के बॉयकॉट से उनकी पीड़ा का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि पुलिस कर्मियों के साथ ही सभी सरकारी कर्मचारी नवउदारवादी नीतियों की मार से अछूते नहीं है। कमेटी ने कहा कि पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है। कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।

कमेटी ने यह भी कहा है कि थानों में स्टेशनरी के लिए बेहद कम पैसा है व आईओ को केस की पूरी फ़ाइल का सैंकड़ों रुपये का खर्चा अपनी ही जेब से करना पड़ता है। थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है। मैस मनी केवल दो सौ दस रुपये महीना है जबकि मैस में पूरा महीना खाना खाने का खर्चा दो हज़ार रुपये से ज़्यादा आता है। यह प्रति डाइट केवल साढ़े तीन रुपये बनता है, जोकि पुलिस जवानों के साथ घोर मज़ाक है। यह स्थिति मिड डे मील के लिए आबंटित राशि से भी कम है।

उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के जमाने के बने बहुत सारे थानों की स्थिति खंडहर की तरह प्रतीत होती है जहां पर कार्यालयों को टाइलें लगाकर तो चमका दिया गया है परन्तु कस्टडी कक्षों,बाथरूमों,बैरकों,स्टोरों,मेस की स्थिति बहुत बुरी है। इन वजहों से भी पुलिस जवान भारी मानसिक तनाव में रहते हैं।

सीटू ने कहा कि पुलिस में स्टाफ कि बहुत कमी है या यूं कह लें कि बेहद कम है व कुल अनुमानित नियुक्तियों की तुलना में आधे जवान ही भर्ती किये गए हैं जबकि प्रदेश की जनसंख्या पहले की तुलना में काफी बढ़ चुकी है यहाँ तक पुलिस के पास रिलीवर भी नहीं है।

आरोप लगाते हुए कमेटी ने कहा कि प्रदेश की राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है। वहीं पुलिस कर्मी निरन्तर ओवरटाइम डयूटी करते हैं। इसकी एवज में उन्हें केवल एक महीना ज़्यादा वेतन दिया जाता है। इस से प्रत्येक पुलिसकर्मी को वर्तमान वेतन की तुलना में दस से बारह हज़ार रुपये का नुकसान उठाना पड़ता है। उन्हें लगभग नब्बे साप्ताहिक अवकाश,सेकंड सैटरडे,राष्ट्रीय व त्योहार व अन्य छुट्टियों के मुकाबले में केवल पन्द्रह स्पेशल लीव दी जाती है।

सीटू कमेटी ने यह भी कहा कि वर्ष 2007 में हिमाचल प्रदेश में बने पुलिस एक्ट के पन्द्रह साल बीतने पर भी नियम नहीं बन पाए हैं। इस एक्ट के अनुसार पुलिसकर्मियों को सुविधा तो दी नहीं जाती है परन्तु कर्मियों को दंडित करने के लिए इसके प्रावधान बगैर नियमों के भी लागू किये जा रहे हैं जिसमें एक दिन डयूटी से अनुपस्थित रहने पर तीन दिन का वेतन काटना भी शामिल है। पुलिसकर्मियों की प्रोमोशन में भी कई विसंगतियां हैं व इसका टाइम पीरियड भी बहुत लंबा है। हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।

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किन्नौर में लापता पर्यटकों में से 2 और के शव बरामद, 2 की तालाश जारी,आभी तक कुल 7 शव बरामद

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kinnaur trekker deaths

शिमला रिकोंगपिओ में 14 अक्तुबर को उत्तरकाशी के हर्षिल से छितकुल की ट्रैकिंग पर निकले 11 पर्यटकों में से लापता चार पर्वतारोहीयों में से दो  पर्वतारोहियों के शवो को आई.टी.बी.पी व पुलिस दल द्वारा पिछले कल सांगला लाया गया था जहां सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सांगला में दोनों शवों का पोस्टमार्टम किया गया।

यह जानकारी देते हुए उपायुक्त किन्नौर अपूर्व देवगन ने बताया कि इन दोनों की पहचान कर ली गई है जिनमे मे एक उतरकाशी व दूसरा पश्चिम बंगाल से सम्बंधित था।

उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन किन्नौर द्वारा आज एक शव वाहन द्वारा उतरकाशी को भेज दिया गया है जहाँ शव को जिला प्रशासन उतरकाशी को सौंपा जाएगा। जब कि दूसरा शव वाहन द्वारा शिमला भेजा गया है जिसे शिमला में मृतक के परिजनों को सौंपा जायेगा।

उपायुक्त अपूर्व देवगन ने बताया कि अभी भी लापता दो  पर्यटकों की तलाश आई.टी.बी.पी के जवानों द्वारा जारी है। उल्लेखनीय है कि गत दिनों उतरकाशी से छितकुल के लिये 11 पर्वतारोही ट्रेकिंग पर निकले थे जो बर्फबारी के कारण लमखंगा दर्रे में फंस गये थे जिसकी सूचना मिलने पर जिला प्रशासन द्वारा सेना के हेलीकॉप्टर व आई.टी.बी.पी के जवानों की सहायता से राहत व बचाव कार्य आरम्भ किया था। सेना व आई.टी.बी.पी के जवानों ने 21 अक्टूबर को दो पर्यटकों को सुरक्षित ढूंढ निकाला था। इसी दौरान उन्हें अलग अलग स्थानों पर पाँच ट्रेकरों के शव ढूंढ निकलने में सफलता मिली थी। जबकि 4 पर्यटक लापता थे जिसमे से राहत व बचाव दल को 22 अक्तुबर को 2 शव ढूढ़ निकालने में सफलता मिली थी। अभी भी दो पर्यटक लापता हैं जिनकी राहत व बचाव दल द्वारा तलाश जारी है।

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