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कैग रिपोर्ट में खुलसा: हिमाचल निगम बोर्डों के अफसरों ने सरकार को लगया 469.97 का चूना
दस बोर्ड निगम ऐसे हैं जिन्होंने एक साल में राज्य सरकार का 469.97 करोड़ का चूना लगा दिया,आबकारी एवं कराधान विभाग के अधिकारियों की मनमानी के कई मामले सीएजी रिपोर्ट में सामने आए,सीएजी रिपोर्ट में परिवहन विभाग द्वारा करों की गैर वसूली के भी मामले सामने आए हैं,क्षमता संवर्धन प्रभारों की वसूली न होने से हुआ 209 करोड़ का नुकसान,हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) ने प्रदेश सरकार को करोड़ों का चूना लगाया है।
शिमला- चेयरमैनों व वाइस चेयरमैनों के खर्चों का बोझ ढो रहे प्रदेश के सार्वजनिक क्षेत्र के बोर्ड व निगम हांफ रहे हैं। प्रदेश के कुल 19 क्रियाशील उपक्रमों में से दस बोर्ड निगम ऐसे हैं जिन्होंने एक साल में राज्य सरकार का 469.97 करोड़ का चूना लगा दिया। खास बात यह है कि इन निगम व बोर्डों को होने वाला घाटा साल दर साल बढ़ता जा रहा है लेकिन सरकार घाटा रोकने के बजाय सिर्फ इन हांफते निगमों में करोड़ों रुपये का निवेश करती जा रही है।
सीएजी की रिपोर्ट ने कुछ ऐसे ही खुलासे किए हैं। सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार साल 2014-15 में प्रदेश के कुल 21 सार्वजनिक उपक्रमों में से 19 क्रियाशील रहे। इनमें दस उपक्रमों ने प्रदेश सरकार का करीब 470 करोड़ रुपये डुबो दिया। जबकि सात बोर्ड-उपक्रमों ने 13.97 करोड़ रुपये का लाभ अर्जित किया। इनमें से सिर्फ एक उपक्रम हिमाचल प्रदेश राज्य नागरिक आपूर्ति निगम ने दस प्रतिशत की दर से लाभांष घोषित किया।
खास बात यह है कि घाटे में होने वाले दस निगम-बोर्डों में से तीन ऐसे उपक्रम रहे जिन्होंने अपने लेखों को न लाभ न हानि के आधार पर तैयार किया था। वहीं, व्यास घाटी विद्युत निगम ने अपने आडिट रिपोर्ट ही तैयार नहीं की। सार्वजनिक उपक्रमों में सरकार का सबसे ज्यादा जोर ऊर्जा क्षेत्र में रहा है। यही कारण है कि साल 2010-11 में जहां 4600 करोड़ का निवेश हुआ, वहीं साल 2014-15 में यह बढ़कर 8571 करोड़ हो गया।
यहां जानिए किस विभाग ने क्या की गड़बड़ी
साढ़े बारह की जगह चार प्रतिशत का कर किया निर्धारित
आबकारी एवं कराधान विभाग के अधिकारियों की मनमानी के कई मामले सीएजी रिपोर्ट में सामने आए। रिपोर्ट के अनुसार 183 करोड़ की बिक्री के बाइस मामले ऐसे सामने आए जिनमें साढ़े बारह से पौने चौदह प्रतिशत का कर लगाने के बजाय अधिकारियों ने चार से पांच प्रतिशत का कर निर्धारित कर दिया।
इसकी वजह से सरकार को करीब साढ़े तीन करोड़ का नुकसान हुआ। इसी तरह विभाग ने कई मामलों में कुल बिक्री का गलत निर्धारण कर दिया जिसकी वजह से सरकार को करीब छह करोड़ रुपये का राजस्व नहीं मिला। वहीं, विवरणियों के डाटाबेस का इंस्पेक्शन न करने और देर से भरने के चलते हुए साढ़े 38 करोड़ की वसूली को भी नहीं किया।
लाइसेंस फीस की कम वसूली से लगा झटका
आबकारी एवं कराधान विभाग ने साल 2013-14 के दौरान 28 शराब बिक्री केंद्रों के लाइसेंसधारकों से 17.25 करोड़ वसूला जाना था। लेकिन विभाग के अधिकारी सिर्फ 12.83 करोड़ की फीस ही वसूल सका। इसके चलते प्रदेश को साढ़े चार करोड़ रुपये का नुक्सान हुआ।
सीमेंट कंपनियों को दिया मुनाफा
आडिट रिपोर्ट के अनुसार दो सीमेंट कंपनियां जिन्होंने सीमेंट व क्लीन्कर बनाने के लिए खनन क्षेत्रों से सीमेंट संयंत्रों तक चूना पत्थर व स्लेटी पत्थर का परिवहन किया। उनसे अतिरिक्त माल कर वसूला जाना चाहिए था। लेकिन विभाग ने उनसे यह कर नहीं वसूला जिसके चलते प्रदेश के खजाने को 59.90 करोड़ का नुकसान हुआ।
इन विभागों की भी कैग रिपोर्ट ने खोली पोल
पटवारियों ने किया गलत मूल्यांकन
रिपोर्ट में 189 ऐसे मामले भी सामने आए जिनमें पटवारियों द्वारा संपत्तियों के मूल्यांकन प्रतिवेदनों को गलत तैयार किया गया। साथ ही संपत्ति के बाजार मूल्य का भी गलत निर्धारण किया गया जिसकी वजह से करीब 80 लाख रुपये के स्टांप शुल्क व पंजीकरण फीस की कम वसूली हुई। पट्टी राशि की भी अल्प वसूली के तीन मामले सामने आए जिसके चलते
सरकारी खजाने को 4.24 करोड़ का नुकसान हुआ।
नहीं हुई वाहनों से प्रवेश कर की वसूली
सीएजी रिपोर्ट में परिवहन विभाग द्वारा करों की गैर वसूली के भी मामले सामने आए हैं। साल 2010-11 से 2013-14 तक प्रवेश कर के लिए होेने वाली वसूली में अधिकारियों ने खेल किया। इसके चलते 17.73 करोड़ रुपये के सांकेतिक कर व प्रवेश कर की विभाग ने न तो मांग की और न ही वाहन मालिकों ने इसका भुगतान किया।
वन मंडल अधिकारियों ने नहीं की रायल्टी की वसूली
हिमाचल प्रदेश राज्य वन विकास निगम लिमिटेड द्वारा करीब साढ़े तेरह करोड़ की रॉयल्टी भुगतान योग्य थी। लेकिन वन मंडल अधिकारियों ने करीब डेढ़ करोड़ रुपये की रॉयल्टी का भुगतान समय पर और करीब पौने पांच करोड़ देर से जमा किया। लेकिन बकाया करीब सवा सात करोड़ की राशि की वसूली नहीं की गई।
लकड़ी की ग्रेडिंग में भी हुआ खेल
लकड़ी की ग्रेडिंग का काम वन निगम की बिक्री डिपुओं पर किया जाता है। लेकिन वन अधिकारियों ने .5 प्रतिशत को ही ए ग्रेड में रखा गया। लकड़ी के वर्गीकरण की प्रक्रिया में कोई भी जांच नहीं की जा रही थी। रिपोर्ट के अनुसार लकड़ी के 25 प्रतिशत वर्गीकरण को ही गलत मानने से करीब 71 करोड़ से ज्यादा की संभावित राजस्व हानि होने की संभावना जताई।
इन विभागों ने भी कराया बड़ा नुकसान
ज्वालामुखी मंदिर न्यास को दिलाया 6.27 करोड़ का लाभ
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग को ज्वालामुखी स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का भवन बदलना था। लेकिन इस काम में भी अधिकारियों ने खेल किया और स्वास्थ्य केंद्र को श्री ज्वालामुखी मंदिर न्यास के भवन से बदलने में न्यास को करीब 6.27 करोड़ रुपये का अनुचित लाभ पहुंचा दिया।
जलापूर्ति स्कीमों में गलत निवेश से डुबो दिए 56 करोड़
आईपीएच विभाग ने जलापूर्ति स्कीमों को शुरू करने में ही देरी कर द। इसकी वजह से कई योजनाओं में 53.57 करोड़ रुपये का निवेश हुआ। वहीं, 3.31 करोड़ के ब्याज का भी सरकार को नुकसान उठाना पड़ा।
क्षमता संवर्धन प्रभारों की वसूली न होने से हुआ 209 करोड़ का नुकसान
जल विद्युत परियोजना के क्षमता संवर्धन का समय पर पता लगाने में बहुउद्देशीय परियोजनाएं एवं विद्युत विभाग फेल साबित हुआ। समय पर पता न लगा पाने, अतिरिक्त मुफ्त विद्युत रॉयल्टी और स्थानीय विकास निधि के आधार पर करीब 209 करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा।
37 प्रतिशत बजट नहीं खर्च सका उच्च शिक्षा विभाग
उच्च शिक्षा विभाग राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत 348.47 करोड़ की कुल उपलब्ध निधियों में से कार्यक्रम के विभिन्न घटकों पर केवल 218.67 करोड़ ही खर्च कर सका। मार्च 2015 तक 129.80 करोड़ यानी 37 प्रतिशत बजट अप्रयुक्त ही रहा। 2013-15 के दौरान उच्च शिक्षा विभाग द्वारा जिला स्तर पर आरएमएसए के तहत वार्षिक कार्य योजना को पाठशाला स्तर की विकासात्मक योजना पर विचार किए बिना तैयार किया गया।
पांच आदर्श पाठशालाओं के निर्माण के लिए केंद्र और राज्य सरकार द्वारा दी गई 7.23 करोड़ की राशि में से 4.70 करोड़ रुपये बाधामुक्त जमीन उपलब्ध न करवाने और कार्य की गति धीमी होने के कारण अप्रयुक्त रहे। 25 प्रतिशत से कम परीक्षा परिणाम देने वाले शिक्षकों के खिलाफ विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की।
एचआरटीसी ने सरकार को लगाया करोड़ों का चूना
हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) ने प्रदेश सरकार को करोड़ों का चूना लगाया है। वर्ष 2013 से मार्च 2014 अवधि के बीच की 20.47 करोड़ रुपये की राशि मार्च 2015 तक दी जानी थी लेकिन निगम ने विशेष पथकर का यह पैसा सरकार के खाते में जमा नहीं कराया।
मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की ओर से विधानसभा के पटल पर रखी कैग रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि परिवहन निगम का 20.47 करोड़ जबकि निजी स्टेज कैरिज से 167 मामलों में 91.15 लाख रुपये की राशि सरकार को देय थी।
निर्धारित समय में यह राशि न लिए जाने से प्रदेश सरकार को 21.38 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। इसी तरह वर्ष 2010-11 से 2013-14 के लिए 22,527 वाहनों के संदर्भ में 17.73 करोड़ के सांकेतिक कर एवं प्रदेश कर की न तो मांग की गई और न ही इन वाहन मालिकों की ओर से इसका भुगतान किया गया।
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हिमाचल की तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर लगे 76,000 से अधिक सेब के पौधे
शिमला- डॉ यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के विस्तार शिक्षा निदेशालय में पहाड़ी कृषि एवं ग्रामीण विकास एजेंसी(हार्प), शिमला द्वारा एक अनुभव-साझाकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस कार्यशाला में जिला किन्नौर के निचार विकास खंड के रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों के 34 किसानों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर जीएम नाबार्ड डॉ. सुधांशु मिश्रा मुख्य अतिथि रहे जबकि नौणी विवि के अनुसंधान निदेशक डॉ रविंदर शर्मा ने विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत की।
संस्था के अध्यक्ष डॉ. आर एस रतन ने कहा कि यह कार्यक्रम एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना के तहत रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों में वर्ष 2014 से आयोजित किया जा रहा है। परियोजना को नाबार्ड द्वारा वित्त पोषित किया गया है और इसे हार्प द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
उन्होंने यह बताया कि यह एक बागवानी आधारित आजीविका कार्यक्रम है जिसे किसानों की भागीदारी से लागू किया गया है। इन तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर 76,000 से अधिक सेब के पौधे लगाए गए हैं और 607 परिवार लाभान्वित हुए हैं।
डॉ. सुधांशु मिश्रा ने यह भी कहा कि नाबार्ड हमेशा सामाजिक-आर्थिक उत्थान कार्यक्रमों के संचालन में आगे रहा है। उन्होंने इस कार्यशाला में भाग लेने वाले किसानों से अपने सहयोग से विभिन्न कार्यक्रमों को सफल बनाने का आग्रह किया।
अनुसंधान निदेशक डॉ. रविंदर शर्मा और विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. दिवेंद्र गुप्ता ने नाबार्ड और हार्प के प्रयासों की सराहना की और किसानों को आश्वासन दिया कि विश्वविद्यालय किसानों को तकनीकी रूप से समर्थन देने के लिए हमेशा तैयार है।
डॉ. नरेद्र कुमार ठाकुर ने कहा कि हार्प ने कृषक समुदाय के समन्वय से दुर्गम क्षेत्रों में कठिन परिस्थितियों में काम किया है। इस अवसर पर एक किसान-वैज्ञानिक परिचर्चा का भी आयोजन किया गया जिसमें भाग लेने वाले किसानों के तकनीकी प्रश्नों को संबोधित किया गया।
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हिमाचल सरकार पुलिसकर्मियों का कर रही है शोषण
पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है,कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है,राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है,हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।
शिमला सीटू राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। कमेटी ने यह कहा है कि वह हिमाचल प्रदेश के पुलिसकर्मियों की मांगों का पूर्ण समर्थन करती है। आरोप लगाते हुए सीटू ने कहा है कि प्रदेश सरकार पुलिसकर्मियों का शोषण कर रही है।
राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार से यह मांग की है कि वर्ष 2013 के बाद नियुक्त पुलिसकर्मियों को पहले की भांति 5910 रुपये के बजाए 10300 रुपये संशोधित वेतन लागू किया जाए व उनकी अन्य सभी मांगों को बिना किसी विलंब के पूरा किया जाए।
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में भी कर्मचारियों की प्रमुख मांगों को अनदेखा किया गया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में पुलिसकर्मियों की मांगों को पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया है।
सीटू कमेटी ने कहा कि सबसे मुश्किल डयूटी करने वाले व चौबीस घण्टे डयूटी में कार्यरत पुलिसकर्मियों को इस बैठक से मायूसी ही हाथ लगी है। इसी से आक्रोशित होकर पुलिसकर्मी मुख्यमंत्री आवास पहुंचे थे। उनके द्वारा पिछले कुछ दिनों से मैस के खाने के बॉयकॉट से उनकी पीड़ा का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि पुलिस कर्मियों के साथ ही सभी सरकारी कर्मचारी नवउदारवादी नीतियों की मार से अछूते नहीं है। कमेटी ने कहा कि पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है। कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।
कमेटी ने यह भी कहा है कि थानों में स्टेशनरी के लिए बेहद कम पैसा है व आईओ को केस की पूरी फ़ाइल का सैंकड़ों रुपये का खर्चा अपनी ही जेब से करना पड़ता है। थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है। मैस मनी केवल दो सौ दस रुपये महीना है जबकि मैस में पूरा महीना खाना खाने का खर्चा दो हज़ार रुपये से ज़्यादा आता है। यह प्रति डाइट केवल साढ़े तीन रुपये बनता है, जोकि पुलिस जवानों के साथ घोर मज़ाक है। यह स्थिति मिड डे मील के लिए आबंटित राशि से भी कम है।
उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के जमाने के बने बहुत सारे थानों की स्थिति खंडहर की तरह प्रतीत होती है जहां पर कार्यालयों को टाइलें लगाकर तो चमका दिया गया है परन्तु कस्टडी कक्षों,बाथरूमों,बैरकों,स्टोरों,मेस की स्थिति बहुत बुरी है। इन वजहों से भी पुलिस जवान भारी मानसिक तनाव में रहते हैं।
सीटू ने कहा कि पुलिस में स्टाफ कि बहुत कमी है या यूं कह लें कि बेहद कम है व कुल अनुमानित नियुक्तियों की तुलना में आधे जवान ही भर्ती किये गए हैं जबकि प्रदेश की जनसंख्या पहले की तुलना में काफी बढ़ चुकी है यहाँ तक पुलिस के पास रिलीवर भी नहीं है।
आरोप लगाते हुए कमेटी ने कहा कि प्रदेश की राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है। वहीं पुलिस कर्मी निरन्तर ओवरटाइम डयूटी करते हैं। इसकी एवज में उन्हें केवल एक महीना ज़्यादा वेतन दिया जाता है। इस से प्रत्येक पुलिसकर्मी को वर्तमान वेतन की तुलना में दस से बारह हज़ार रुपये का नुकसान उठाना पड़ता है। उन्हें लगभग नब्बे साप्ताहिक अवकाश,सेकंड सैटरडे,राष्ट्रीय व त्योहार व अन्य छुट्टियों के मुकाबले में केवल पन्द्रह स्पेशल लीव दी जाती है।
सीटू कमेटी ने यह भी कहा कि वर्ष 2007 में हिमाचल प्रदेश में बने पुलिस एक्ट के पन्द्रह साल बीतने पर भी नियम नहीं बन पाए हैं। इस एक्ट के अनुसार पुलिसकर्मियों को सुविधा तो दी नहीं जाती है परन्तु कर्मियों को दंडित करने के लिए इसके प्रावधान बगैर नियमों के भी लागू किये जा रहे हैं जिसमें एक दिन डयूटी से अनुपस्थित रहने पर तीन दिन का वेतन काटना भी शामिल है। पुलिसकर्मियों की प्रोमोशन में भी कई विसंगतियां हैं व इसका टाइम पीरियड भी बहुत लंबा है। हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।
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किन्नौर में लापता पर्यटकों में से 2 और के शव बरामद, 2 की तालाश जारी,आभी तक कुल 7 शव बरामद
शिमला रिकोंगपिओ में 14 अक्तुबर को उत्तरकाशी के हर्षिल से छितकुल की ट्रैकिंग पर निकले 11 पर्यटकों में से लापता चार पर्वतारोहीयों में से दो पर्वतारोहियों के शवो को आई.टी.बी.पी व पुलिस दल द्वारा पिछले कल सांगला लाया गया था जहां सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सांगला में दोनों शवों का पोस्टमार्टम किया गया।
यह जानकारी देते हुए उपायुक्त किन्नौर अपूर्व देवगन ने बताया कि इन दोनों की पहचान कर ली गई है जिनमे मे एक उतरकाशी व दूसरा पश्चिम बंगाल से सम्बंधित था।
उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन किन्नौर द्वारा आज एक शव वाहन द्वारा उतरकाशी को भेज दिया गया है जहाँ शव को जिला प्रशासन उतरकाशी को सौंपा जाएगा। जब कि दूसरा शव वाहन द्वारा शिमला भेजा गया है जिसे शिमला में मृतक के परिजनों को सौंपा जायेगा।
उपायुक्त अपूर्व देवगन ने बताया कि अभी भी लापता दो पर्यटकों की तलाश आई.टी.बी.पी के जवानों द्वारा जारी है। उल्लेखनीय है कि गत दिनों उतरकाशी से छितकुल के लिये 11 पर्वतारोही ट्रेकिंग पर निकले थे जो बर्फबारी के कारण लमखंगा दर्रे में फंस गये थे जिसकी सूचना मिलने पर जिला प्रशासन द्वारा सेना के हेलीकॉप्टर व आई.टी.बी.पी के जवानों की सहायता से राहत व बचाव कार्य आरम्भ किया था। सेना व आई.टी.बी.पी के जवानों ने 21 अक्टूबर को दो पर्यटकों को सुरक्षित ढूंढ निकाला था। इसी दौरान उन्हें अलग अलग स्थानों पर पाँच ट्रेकरों के शव ढूंढ निकलने में सफलता मिली थी। जबकि 4 पर्यटक लापता थे जिसमे से राहत व बचाव दल को 22 अक्तुबर को 2 शव ढूढ़ निकालने में सफलता मिली थी। अभी भी दो पर्यटक लापता हैं जिनकी राहत व बचाव दल द्वारा तलाश जारी है।
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